Tuesday, October 14, 2025

नूरपुर बेट, लुधियाना में सजी यादगारी किसान चौपाल

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय//Azadi Aa Amrit Mahotsav//प्रविष्टि तिथि: 14 OCT 2025 at 7:19 PM by PIB Delhi

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से संवाद किया


केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने नूरपुर बेट, लुधियाना में किसान चौपाल में किसानों से संवाद किया और कृषि यंत्रों का अवलोकन किया

नूरपुर बेट, लुधियाना में किसान सजी यादगारी किसान चौपाल 

कृषि मंत्री ने धान की कटाई के लिए एसएसएमएस फिटेड कंबाइन हार्वेस्टर का लाइव डेमो देखा

कृषि मंत्री श्री चौहान ने गेहूं की बुआई के लिए हैप्पी स्मार्ट सीडर मशीन का प्रदर्शन भी देखा

केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान भाइयों-बहनों से पराली ना जलाने और पराली का उचित प्रबंधन करने की अपील की

श्री शिवराज सिंह ने दोराहा गांव में "समन्यु हनी" मधुमक्खी पालन केंद्र का भी किया अवलोकन

नई दिल्ली//लुधियाना: 14 अक्टूबर 2025:(PIB Delhi//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के पंजाब आने से पंजाब को एक बार फिर से नई आशाएं बंधीं हैं। इस बार की चौपाल चर्चा में केंद्र सर्कार और किसानों की आपसी दूरियां कम हुई हैं और नज़दीकियां बढ़ने की उम्मीदें जगी हैं। दोराहा और नूरपुर बेदी इलाकों के लोगों में काफी उत्साह पाया गया। 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज पंजाब प्रवास के दौरान ग्राम नूरपुर बेट, लुधियाना में किसानों से चौपाल पर चर्चा की, कृषि यंत्रों का प्रदर्शन देखा और दोराहा गांव में "समन्यु हनी" मधुमक्खी पालन केंद्र का अवलोकन किया। गौरतलब है कि मधुमक्खी पालन  में किसान वर्ग का आकर्षण काफी बढ़ा है। किसान परिवारों की महिलाएं भी इस क्षेत्र में बहुत काम कर रही हैं। 


इस अवसर पर कृषि मंत्री ने
धान की कटाई के लिए एसएसएमएस फिटेड कंबाइन हार्वेस्टर और गेहूं की बुआई के लिए हैप्पी स्मार्ट सीडर मशीन का लाइव डेमो देखा। इस मशीनी विकास से पंजाब की खुशहाली भी तेज़ी से बढ़ेगी ही। तकनीक हमेशां ही महत्वपूर भूमिका अदा करती है। 


इस मौके पर मीडिया से बातचीत करते हुए श्री चौहान ने कहा कि
नूरपुर ऐसा गांव है जहां साल 2017 से पराली नहीं जलाई जाती। किसानों ने यहां पराली के उचित प्रबंधन का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि कंबाइन को चलाने के बाद पराली का बड़ा हिस्सा खेत में ही फैल कर बिखर जाता है, इकट्ठा नहीं होता। इसी तरह स्मार्ट सीडर से सीधे सीडिंग भी उत्कृष्ट तकनीक है। यह एक तरफ पराली ढकता है और दूसरी ओर इसका सिस्टम मिट्टी और दाने को कॉम्पेक्ट कर लेता है। श्री चौहान ने कहा कि मशीनों के इस्तेमाल से किसानों के श्रम, धन और समय की अत्यधिक बचत होती है।

कृषि और भूमि के मामलों में गहरी समझ रखने अले केंद्रीय मंत्री श्री चौहान ने कहा कि उचित पराली प्रबंधन के साथ बुआई करने से दो साल के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ेगी जिससे यूरिया के कम इस्तेमाल की आवश्यकता होगी। साथ ही एक एकड़ में 2 क्विंटल अधिक उत्पादन भी होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान भाइयों-बहनों से पराली ना जलाने और पराली का उचित प्रबंधन करने की अपील भी की।


इसके बाद कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह ने दोराहा गांव में "समन्यु हनी" मधुमक्खी पालन केंद्र का भी अवलोकन किया। यहां किसानों से संवाद कर कृषि मंत्री ने मधुमक्खी पालन व्यवसाय के नए मॉडल और नवाचारों की जानकारी प्राप्त की और कृषि मंत्रालय की संबंधित योजनाओं के बारे में भी चर्चा की।

****//आरसी/एआर//(रिलीज़ आईडी: 2179076) 

Monday, October 13, 2025

पद्मश्री ओंकार सिंह पाहवा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

Email From Brij Bhushan Goyal on Monday 13th Oct 2025 at 4:32 PM Regarding Onkar Singh Pahwa 

पाहवा की उद्यमशीलता हर युवा में आत्मविश्वास जगाती है


लुधियाना
: 13 अक्टूबर 2025: (*बृजभूषण गोयल//पंजाब स्क्रीन)::

एससीडी गवर्नमेंट कॉलेज, लुधियाना के पूर्व छात्र संघ ने पद्मश्री ओंकार सिंह पाहवा को उनके संस्थान, जहाँ से उन्होंने वर्ष 1973 में स्नातक किया था, द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किए जाने की सराहना की है, जो एक दुर्लभ सम्मान है। कॉलेज को यहाँ आयोजित क्षेत्रीय युवा एवं विरासत महोत्सव में उन्हें सम्मानित करने का यह प्रतिष्ठित अवसर प्राप्त हुआ, जहाँ पंजाब के 24 कॉलेजों की टीमें अपने शिक्षकों के साथ उपस्थित थीं। प्राचार्य डॉ. गुरशरण जीत सिंह संधू ने कहा कि यह कॉलेज के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि पाहवा की उद्यमशीलता की यात्रा हर युवा में आत्मविश्वास जगाती है।

पाहवा के लिए एक और उपयुक्त सम्मान कॉलेज की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘सतलुज’ के वर्ष 2024-2025 के शीर्षक पृष्ठ पर राष्ट्रपति से पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त करते हुए उनका चित्र है, जिसका इस अवसर पर विमोचन किया गया। छात्रों को संबोधित करते हुए पाहवा ने उस कॉलेज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जिसने उन्हें तैयार किया है। उन्होंने छात्रों को स्टार्टअप के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि हर पहला कदम छोटा होता है। 

उन्होंने प्रतिष्ठित शिक्षकों की भी प्रशंसा की। समारोह में उद्योग जगत के एक और दिग्गज सुरिंदर सिंह भोगल, जो 1960 के दशक के मध्य के पूर्व छात्र हैं, के अलावा कई अन्य पूर्व छात्र भी उपस्थित थे। ओ.पी. वर्मा, के.बी. सिंह, बृजभूषण गोयल, पी.डी. गुप्ता, नवदीप सिंह, गुरमीत सिंह, गीतांजलि पबरेजा, डॉ. सजला कालरा, हरीश कौरा, गुरमीत सिंह, अशोक धीर, डॉ. विकास लूंबा, दलबीर सिंह मौली, परमजीत चंदर, डॉ. सौरभ (सभी पूर्व छात्र) और कॉलेज के पूर्व प्राचार्यों ने कॉलेज के पूर्व छात्र संबंधों की प्रशंसा की। गोयल ने बताया कि पाहवा ने कॉलेज के लिए अपने परोपकारी कार्यों में पहले ही काफी मदद की है।

*बृज भूषण गोयल, पूर्व छात्र संघ, एससीडी राजकीय महाविद्यालय, लुधियाना के संगठन सचिव हैं। 

होलिस्टिक होम्योपैथिक क्लिनिक द्वारा निःशुल्क शिविर

Monday 13th October 2025 at 10:06//07 AM Regarding Medical Camp

बहरामपुर (गुरदासपुर) में शिविर से हुआ लोगों को फायदा  


बहरामपुर: (ज़िला गुरदासपुर):: (गुरदासपुर स्क्रीन)::

लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से होलिस्टिक होम्योपैथिक क्लिनिक मुकेरियां की ओर से ग्राज़िट्टी इंटरएक्टिव आईटी कंपनी पंचकुला के सहयोग से एक मुफ़्त होम्योपैथिक मेडिकल कैम्प का आयोजन किया गया। यह शिविर राधा कृष्ण मंदिर, बेहरामपुर में लगाया गया।

इस शिविर के दौरान डॉ. अमन पठानिया और डॉ. दीपक ठाकुर के नेतृत्व में अनुभवी डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम ने 100 से अधिक मरीजों की जांच कर उन्हें मुफ़्त होम्योपैथिक दवाइयां प्रदान कीं। मरीजों को जीवनशैली, आहार और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई।

डॉ. अमन पठानिया ने कहा कि होम्योपैथी एक प्राकृतिक और सुरक्षित पद्धति है जो शरीर को अंदर से संतुलित करती है। वहीं, डॉ. दीपक ठाकुर ने बताया कि इस तरह के कैंप ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने और लोगों को सही उपचार की दिशा में प्रेरित करने में मददगार साबित हो रहे हैं।

इस शिविर का आयोजन और प्रबंधन पवन कुमार, राजेश कुमार, पंडित अजय शास्त्री और सुभाष चंद्र जी द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच आसान होती है।

स्थानीय निवासियों ने डॉक्टरों की टीम का धन्यवाद किया और कहा कि इस प्रकार के शिविर गाँवों के लोगों के लिए एक वरदान हैं। आयोजकों ने बताया कि आने वाले महीनों में आसपास के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे

Friday, September 05, 2025

“ गुरुबिना ज्ञान कहां, ज्ञान बिना इंसान कहां”

Received From M S Bhatia on Thursday 4th September 2025 at 12:28 PM Regarding Teachers Day

शिक्षक दिवस 2025-हमारे शिक्षकों को नमन//मनिंदर सिंह भाटिया

गुरुबिना ज्ञान कहां, ज्ञान बिना  इंसान कहां! को समझा रहे हैं जानेमाने लेखक एम एस भाटिया 


भारत में, शिक्षक दिवस 5 सितंबर को, प्रख्यात दार्शनिक, शिक्षक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है। उनका मानना ​​था कि "शिक्षकों को देश का सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क होना चाहिए"। उनका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना दशकों पहले था: किसी राष्ट्र की प्रगति उसकी कक्षाओं में समर्पित शिक्षकों से शुरू होती है।

ए.एस. सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खन्ना, ज़िला लुधियाना में, 1968 से 1975 तक की शैक्षिक यात्रा ने हमारे जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया। साधारण कक्षाओं और समर्पित शिक्षकों के साथ, उस समय उन मूल्यों और अनुशासन की नींव रखी गई थी जिनके लिए यह विद्यालय आज भी जाना जाता है।

जब हम शिक्षक दिवस 2025 मनाते हैं, तो हम उन शिक्षकों को कृतज्ञतापूर्वक याद करते हैं जिन्होंने धैर्य और प्रतिबद्धता के साथ हमारे बाल मन को आकार दिया। उनकी विरासत आज भी शिक्षकों का मार्गदर्शन करती है तथा हमें याद दिलाती है कि यद्यपि पद्धतियां बदलती रहती हैं, परंतु शिक्षा की भावना शाश्वत रहती है।

उस समय स्कूल में खन्ना से जितने छात्र पढ़ने आते थे, लगभग उतने ही आसपास के गाँवों जैसे छोटा खन्ना, राहौं, बहोमाजरा, मोहनपुर, इकलाहा, सलाना, अमलोह, सेह आदि से भी। हालाँकि उस समय ज़्यादातर छात्रों के माता-पिता आर्थिक रूप से बहुत मज़बूत नहीं थे, फिर भी छात्रों में संतोष का भाव था। कुछ सीखने की ललक थी। मुझे याद है कि हमारे कई दोस्त दोपहर का खाना अचार के साथ परांठे के रूप में लाते थे और हम साथ बैठकर खाते थे।

हर दिन स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा की गूँज, कॉपियों की खनक और शिक्षकों का अपने छात्रों के प्रति स्नेह, ताज़गी भरा होता था। शिक्षक दिवस पर, रोज़मर्रा के इस जादू को याद किया जाता है: हम उन शिक्षकों का धन्यवाद करते हैं जो जिज्ञासा जगाते थे, कांपते हाथों को थामते थे और संभावना को उद्देश्य में बदल देते थे। वे छात्रों को स्वच्छता अभियान, पौधारोपण, सड़क सुरक्षा और सामाजिक जागरूकता में भी आगे बढ़ाते थे और उन्हें ज्ञान को सेवा में बदलना सिखाते हैं। परिणाम न केवल अंकतालिकाओं में, बल्कि व्यवहार में भी स्पष्ट दिखाई देते थे: उन विद्यार्थियों में जिन्होंने ध्यान से सुना, प्रश्न पूछे, सहयोग किया और नेतृत्व किया।

यद्यपि विद्यालय के विद्यार्थी सभी अध्यापकों का आदर करते थे, परन्तु उनमें सबसे अधिक आदर तत्कालीन प्रधानाचार्य मदन गोपाल चोपड़ा जी का था, जो 25 वर्षों (5.11.1949 से 14.10.1974) तक विद्यालय के प्रधानाचार्य रहे और जिनके समय में यह विद्यालय पंजाब के शीर्ष तीन या चार विद्यालयों में से एक था। यहाँ के विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे और बहुत बड़ी संख्या में विद्यार्थी  बोर्ड की कक्षाओं में मैरिट पर आते थे। श्री मदन गोपाल चोपड़ा जी के बाद, श्री रिखी राम शर्मा जी 15.10.1974 से प्रधानाचार्य बने। मास्टर विनोद कपिला जी और लाजपत राय जी उप-प्रधानाचार्य थे, मास्टर अविनाश चंदर जी और मास्टर नरेश चंद जी भी बाद में स्कूल के प्रधानाचार्य बने।

कई और नाम भी याद आ रहे हैं। मास्टर हेम राज, मास्टर सोम नाथ- हिंदी- साहित्य और संस्कृत, राम सरूप चोपड़ा, मास्टर गुरुमीत सिंह, मास्टर हरद्वारी लाल- हिंदी, मास्टर वासुदेव-संस्कृत, मास्टर तिलक राज- हिंदी, मैडम गोपाल शर्मा, अविनाश चंद्र, मास्टर नरेश नौहरिया, मास्टर ओ.पी. टककियार, मास्टर महिंदर पाल- गणित, मास्टर ओम प्रकाश नौहरिया-गणित, मास्टर जोगिंदर सिंह- पंजाबी, मास्टर बचन सिंह, मास्टर निर्मल सिंह- पीटी, मास्टर ओ.पी. वर्मा- वॉलीबॉल, मास्टर जोगिंदर पाल गुप्ता- अंग्रेजी, मास्टर मुख्तियार सिंह सामाजिक अध्ययन और एनसीसी एयर विंग के प्रभारी, मास्टर उजागर सिंह, मास्टर सुरजीत सिंह और मास्टर तरलोचन सिंह स्पोर्ट्स, मास्टर गुरदयाल सिंह, मास्टर एम.एल. कांडा, मास्टर मंगत राय, मास्टर हरद्वारी लाल, मास्टर तिलक राज, मास्टर राम नाथ, मास्टर खरैती लाल जी (सीनियर) तथा मास्टर खरैती लाल जूनियर, मास्टर कमल कुमार शर्मा इतिहास और हिंदी (लुधियाना से), मास्टर राम दास जी (बाद में दूसरे सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल बने), मास्टर देस राज, मास्टर रूलाराम-अंग्रेजी/हिंदी और हॉकी कोच, मास्टर मदन लाल, पीटीआई मास्टर करनैल सिंह तथा प्रेम सिंह, मास्टर धर्मपाल गर्ग, मास्टर हरि ओम, मास्टर विजय मोहन भांबरी, मास्टर सतपाल मैनरो, मास्टर देस राज  गणित-मास्टर वेद प्रकाश  हिंदी तथा मास्टर शिव प्रकाश 5वीं कक्षा में एबीसी पढ़ाते थे, मास्टर सतपाल वर्मा, मास्टर साधु राम-ड्राइंग, मास्टर बचना राम, मास्टर एन के वर्मा, मास्टर जतिंदर वर्मा, मास्टर मेहर सिंह, मास्टर हरिओम, मास्टर अजीत कुमार - फिजिक्स (कुछ समय बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी), ड्राइंग मास्टर गुरमेल सिंह, पंजाबी मास्टर करम सिंह, मास्टर धरम पाल अंगरीश, मास्टर तरलोचन सिंह गिल, *मास्टर भोला नाथ जी गणित पढ़ाने में समर्पण की मिसाल थे। वे हर सवाल ब्लैकबोर्ड पर हल करते थे।

स्कूल में ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ बेटा और बाप दोनों एक साथ शिक्षक रहे, जैसे मास्टर अयोध्या प्रकाश जी और मास्टर नरेश चंद खन्ना। वी.पी. कपूर - भौतिकी और मास्टर हेमराज - सरल गणित।

मास्टर कृष्ण कुमार शर्मा जी 1972 में हमारे स्कूल आए थे। उन्होंने शिक्षक-छात्र संबंधों में एक नया अध्याय शुरू किया। बाद में वे स्कूल के प्रधानाचार्य भी बने। पंजाबी पढ़ाने के अलावा, वे वॉलीबॉल के एक बहुत अच्छे कोच भी थे। उनके प्रयासों से स्कूल की वॉलीबॉल टीम न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हुई।

शिक्षकों की भावना छात्रों को एक नई पीढ़ी के रूप में गढ़ने की थी, न कि आज की तरह व्यावसायिक संबंध बनाने की। सीमित बुनियादी ढाँचे और अभिभावकों में कम साक्षरता दर के बावजूद, कई प्रतिभाशाली छात्र अच्छे मानवीय मूल्यों वाले थे। वेतन बहुत ज़्यादा नहीं था, पेंशन योजना भी नहीं थी, यह शिक्षकों में नौकरी के प्रति उत्साह और संस्था प्रमुख द्वारा मानव संसाधन के अच्छे प्रबंधन का परिणाम था, जिसने हमारे संस्थान में बहुत बड़ी भूमिका निभाई और देशभक्ति का जोश इन संस्थानों की आत्मा था।

हमारे सम्मानित शिक्षकों में से एक श्री ओम प्रकाश शर्मा जी-कॉमर्स के शिक्षक थे और एनसीसी की आर्मी विंग के प्रभारी थे, जो अंबाला में सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं। मास्टर सुरजीत सिंह बैडमिंटन कोच थे।

वैसे तो हर बैच में स्कूल के विद्यार्थी प्रथम स्थान और मैरिट में आते थे, लेकिन 1974 का 10वीं और 1975 का 11वीं का बैच आज भी नहीं भूला है, जब 1974 में 10वीं में सुधीर घई पंजाब में तीसरे और जगदीश घई पंजाब में सातवें स्थान पर रहे थे। 1974 में 10वीं कॉमर्स में लखमीर सिंह पंजाब में प्रथम आए थे। 1975 में 11वीं में सुधीर घई नॉन-मेडिकल में पंजाब में प्रथम और जगदीश घई पंजाब में पाँचवें स्थान पर रहे थे। इसी तरह, मेडिकल स्ट्रीम में रविंदर कुमार अरोड़ा टॉपर रहे थे। सुधीर घई और जगदीश घई ज़िला स्तर पर 10वीं और 11वीं दोनों में क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर रहे थे*।

इन शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए कई छात्र आईएएस, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, सीए, शिक्षक, बैंकर या अन्य सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी और अधिकारी बने। कुछ ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया और सफल उद्यमी बने। हमारे कुछ मित्र समाज सेवा और राजनीति के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।

हमारे एक मित्र अविनाश सिंह छतवाल, जिन्होंने पहले एमबीबीएस और बाद में आईएएस किया। वे पंजाब के सचिव के पद तक पहुँचे।

खेलों में भी, उस समय के कई प्रतिभाशाली छात्रों ने ख्याति अर्जित की और जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल का नाम रोशन किया।

सन 1972 में, स्कूल में एक खो-खो टीम बनाई गई और मुझे याद है कि 12 में से 9 खिलाड़ी आठवीं-डी सेक्शन से चुने गए थे। मुझे कुछ नाम याद हैं - छोटे खन्ने से दर्शन सिंह और दर्शन लाल, रसूलडा से प्रीतम सिंह और मेहर सिंह आदि और मैं भी उस टीम का हिस्सा था। हमने 1973 में सुधार में आयोजित जिला स्तरीय खेलों में खो-खो में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

अंत में, मैं यही कहूँगा कि हमारे गुरु ही हमारी ताकत हैं। वे ही हैं जिन्होंने हमारे सपनों को उड़ान दी। हम आज जो भी हैं यह सब हमारे शिक्षकों की कड़ी मेहनत, सच्चाई और प्रेम की वजह से है जिन्होंने हमारी बहुत मजबूत नींव रखी ।

हम अपने आदरणीय शिक्षकों, विशेषकर प्रधानाचार्य मदन गोपाल चोपड़ा जी जैसे शिक्षकों के प्रति उनके समर्पण और मार्गदर्शन के लिए भी आभारी हैं, जिन्होंने हमारे विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आज, 50 वर्षों के बाद, हमारे गुरुओं के प्रति हमारा सम्मान हमारे हृदय में पहले से कहीं अधिक है।

शिक्षक दिवस की एक बार फिर शुभकामनाएँ!

(लेखक 1968 से 1974 तक ए.एस. सीनियर सेकेंडरी (तत्कालीन हायर सेकेंडरी) स्कूल, खन्ना के छात्र रहे और 5वीं, 8वीं और 10वीं कक्षा में मैरिट सूची में स्थान प्राप्त किया।)

Sunday, August 24, 2025

भाजपा कैंप पर पुलिस का हमला–डॉ. सुभाष शर्मा भी गिरफ्तार

Received from Hardev Singh on Sunday 24th August 2025 at 20:20 Regarding Police Action on BJP Workers

और गरमा सकता है टकराव का यह आंदोलन 


चण्डीगढ़
: 24 अगस्त 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

खरड़ विधानसभा के मुल्लापुर बाज़ार, न्यू चंडीगढ़ स्थित खेड़ा मंदिर के नज़दीक केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर लगाए गए भाजपा कैंप को पंजाब सरकार ने पुलिस बल के सहारे कुचलने की कोशिश की। इस दौरान पंजाब भाजपा के उपाध्यक्ष डॉ. सुभाष शर्मा समेत कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाज़ी की और इसे आप सरकार की तानाशाही व गुंडागर्दी करार दिया।

डॉ. शर्मा ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार पूरी तरह बौखला चुकी है। राज्य भर में भाजपा कार्यकर्ताओं को गांवों में जाने से रोका जा रहा है, रास्तों पर पुलिस की नाकेबंदी कर दी गई है। उन्होंने कहा, “एक तरफ पंजाब गैंगस्टरों का अड्डा बनता जा रहा है, नशा खुलेआम बिक रहा है, लेकिन मान सरकार इन गंभीर मुद्दों पर आंखें मूंदे हुए है। उल्टा, उसे भाजपा कार्यकर्ताओं के शांतिपूर्ण कैंप से डर लग रहा है।”

डॉ. शर्मा ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मान सरकार उनके बताए “साम, दाम, दंड, भेद” के रास्ते पर चल रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा कार्यकर्ता न तो रुकने वाले हैं, न ही दबाव में झुकने वाले। पुलिस की लाठीचार्जनुमा कार्रवाई से कई कार्यकर्ता घायल भी हुए हैं।

उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि आप सरकार खुद जगह-जगह कैंप लगाती है तो उसे लोकतंत्र कहते हैं, लेकिन भाजपा जनता को योजनाओं की जानकारी दे तो उसे ‘डाटा चोरी’ का नाम देकर रोक दिया जाता है।

“यह सरकार की हताशा और भाजपा के बढ़ते जनसमर्थन का सबूत है। साफ़ है कि मान सरकार की जमीन खिसक चुकी है और वह भाजपा की बढ़ती ताक़त से डरी हुई है।”

Saturday, August 23, 2025

होमी भाभा कैंसर कॉन्क्लेव 2025:

 Received From HBCH&RC Punjab on Saturday 23rd August 2025 at 5:22 PM Regarding Cancer Conclave

राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने किया रोबोटिक-असिस्टेड कैंसर सर्जरी का उद्घाटन


चंडीगढ़
: 23 अगस्त 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

तीन दिवसीय होमी भाभा कैंसर कॉन्क्लेव (HBCC) 2025 के दूसरे दिन पंजाब के महामहिम राज्यपाल एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (HBCH&RC), पंजाब में अत्याधुनिक रोबोटिक-असिस्टेड कैंसर सर्जरी सुविधा का उद्घाटन किया।

चंडीगढ़ स्थित नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज़ (NMIMS) के कैंपस में आयोजित हो रहे इस प्रतिष्ठित कॉन्क्लेव ने देशभर से अग्रणी ऑन्कोलॉजिस्ट, शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को एक मंच पर एकत्र किया है ताकि कैंसर उपचार, देखभाल और रोकथाम में हो रहे नवीनतम नवाचारों पर चर्चा की जा सके।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया ने अस्पताल के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, "पिछले 80 वर्षों में टाटा मेमोरियल सेंटर ने कैंसर के उपचार के क्षेत्र में पूरी दुनिया में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। हमारे देश में जिस तेज़ी से कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए टाटा मेमोरियल सेंटर का विस्तार आवश्यक हो गया है। वर्तमान में देशभर में नौ सेंटर स्थापित किए गए हैं, जिनमें से दो पंजाब में हैं। यह क्षेत्र ऐसी उन्नत सुविधाओं के लिए लंबे समय से प्रतीक्षारत था।"

होमी भाभा कैंसर कॉन्क्लेव के इस दूसरे संस्करण में अनेक प्रतिष्ठित चिकित्सा विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें डॉ. श्रीपद डी. बनावली (निदेशक, अकादमिक, टाटा मेमोरियल सेंटर), डॉ. ए.के. अत्रि (डायरेक्टर प्रिंसिपल, जीएमसीएच-32, चंडीगढ़), डॉ. सत्यजीत प्रधान (निदेशक, एचबीसीएच एवं एमपीएमएमसीसी, वाराणसी) और डॉ. उमेश महानशेट्टी (निदेशक, एचबीसीएच एंड आरसी, विशाखापट्टनम) शामिल थे।

कार्यक्रम की शुरुआत एचबीसीएच एंड आरसी पंजाब के निदेशक डॉ. आशीष गुलिया के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया गया और बहुप्रतीक्षित रोबोटिक कैंसर सर्जरी सुविधा का शुभारंभ राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के करमकलों से संपन्न हुआ। यह  क्षेत्र में कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

राज्यपाल ने पर्यावरणीय और जीवनशैली संबंधी कारणों का उल्लेख करते हुए कहा, "औद्योगिक प्रदूषण, सतलज नदी का प्रदूषण, रासायनिक खादों का बढ़ता उपयोग और जीवनशैली में बदलाव—ये सभी कारक कैंसर मामलों की वृद्धि के लिए ज़िम्मेदार हैं। कैंसर के प्रसार को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना और इसके मूल कारणों का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है।"

राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहलों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, "स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ समाज की नींव है, और स्वस्थ समाज ही स्वस्थ राष्ट्र का आधार है। स्वास्थ्य के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता। यदि सबसे बड़ा प्राथमिकता बिंदु कोई है, तो वह स्वास्थ्य ही है। वर्ष 2013-14 में भारत का स्वास्थ्य बजट 33,000 करोड़ रुपये था, जो आज बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।"

एचबीसीएच एंड आरसी द्वारा चलाए गए निवारक अभियानों की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा, "अस्पताल ने अब तक 1.7 लाख से अधिक लोगों की शुरुआती जांच की है और बड़ी संख्या में रोगियों का शुरुआती अवस्था में उपचार किया है। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।"

एचबीसीएच एंड आरसी पंजाब में रोबोटिक कैंसर सर्जरी का शुभारंभ

रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत पंजाब में कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह अत्याधुनिक तकनीक सर्जनों को जटिल कैंसर शल्यक्रियाएं अधिक सटीकता के साथ करने, रक्तस्राव को न्यूनतम रखने और रोगियों को तेज़ी से स्वस्थ होने में मदद करेगी। इस शुभारंभ के साथ ही, एचबीसीएच एंड आरसी उत्तर भारत के उन चुनिंदा सरकारी कैंसर अस्पतालों में शामिल हो गया है जो रोबोटिक-असिस्टेड शल्य चिकित्सा की सुविधा प्रदान करते हैं। इससे पंजाब और पड़ोसी राज्यों के रोगियों को विश्वस्तरीय कैंसर उपचार अपने क्षेत्र में ही उपलब्ध हो सकेगा।

रोगी-केंद्रित पहल के तहत अस्पताल ने घोषणा की कि सामान्य श्रेणी के पहले 80 रोगियों की रोबोटिक सर्जरी निःशुल्क की जाएगी। इसका फायदा बहुत से लोगों को होगा। 

इस अवसर पर डॉ. आशीष गुलिया, निदेशक, एचबीसीएच एंड आरसी पंजाब ने कॉन्क्लेव की दृष्टि साझा करते हुए कहा, "HBCC 2025 विज्ञान, नवाचार और सहयोग का संगम है। हमारा उद्देश्य केवल अत्याधुनिक कैंसर उपचार उपलब्ध कराना ही नहीं है, बल्कि ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जहाँ ज्ञान और शोध सीधे रोगी देखभाल में परिवर्तित हो। रोबोटिक कैंसर सर्जरी की शुरुआत हमारे *प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी* के संकल्प का प्रतीक है, जिससे पंजाब के किसी भी रोगी को उन्नत उपचार के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।"

उन्होंने आगे कहा, "हमें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि HBCC 2025 में देशभर से 400 से अधिक विशेषज्ञ और प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इस शैक्षणिक आयोजन के लिए सहयोग देने हेतु मैं एनएमआईएमएस का आभार व्यक्त करता हूँ। हम उत्तर भारत में आम कैंसरों के प्रति शिक्षा और जागरूकता को निरंतर बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

उद्घाटन सत्र में मॉलिक्यूलर पैथोलॉजी, स्त्री एवं मूत्रजननांग कैंसर, बाल्यावस्था कैंसर, स्तन कैंसर और मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी पर शैक्षणिक चर्चा हुई, साथ ही उन्नत डायग्नोस्टिक एवं उपचार तकनीकों पर मास्टरक्लास भी आयोजित किए गए।

कॉन्क्लेव में जारी प्रोग्राम के अंतर्गत व्याख्यान, वाद-विवाद, पैनल चर्चा के अलावा सुखना झील पर कैंसर जागरूकता वॉकाथन का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम का समापन संयोजक सचिव डॉ. आलोक के. गोयल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिन्होंने गणमान्य अतिथियों, संकाय और प्रतिनिधियों के योगदान को HBCC 2025 को कैंसर के विरुद्ध संघर्ष में एक ऐतिहासिक आयोजन बनाने में सराहा।

Friday, August 15, 2025

ओशो के यह प्रवचन भी कमाल के हैं

योगिराज अरविन्द घोष क्यू चले गए थे मेडिटेशन में?

ओशो की दुनिया से संजीव मिश्रा: 15 अगस्त 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//आराधना टाईम्ज़ डेस्क)::

ओशो के यह प्रवचन भी कमाल के हैं। नीचे दिए गए इस आलेख को सोशल मीडिया पर संजीव मिश्रा साहिब ने आज 15 अगस्त 2025 को बाद दोपहर 02:10 पर पोस्ट किया। इसे पढ़ने के बाद मुझे अपने बचपन की बहुत सी बातें याद आने लगीं। इन्हीं में से कुछ बातें योगिराज अरविन्द जी से सबंधित हैं। मैंने इन के विचार विभिन्न स्रोत से पढ़े थे। न किताबें ज़्यादा थीं न ही इंटरनेट था।  उन्होंने बहुत तीव्रता से प्रभावित भी किया। समादि में बैठने की इच्छा बलवती होने लगी। मुझे ध्यान विधियों का कुछ भी पता नहीं था। बस अनुमान से आँखें बंद करके लेटना और ध्यान जुड़ने लगा। उम्र शायद 15-16 वर्ष की हो चुकी थी। घर परिवार से डांट भी पड़ी। सख्ती से कहा गया तुझे हम लोग सन्यास नहीं लेने देंगें। उसके बाद क्या क्या हुआ इसकी चर्चा फिर किसी पोस्ट में की जाएगी। स्नेह और सम्मान से -रेक्टर कथूरिया 

जनाब संजीव मिश्रा साहिब बताते हैं कि श्री अरविंद को किसी ने एक बार पूछा कि आप भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष की आजादी के युद्ध में अग्रणी सेनानी थे; लड़ रहे थे। फिर अचानक आप पलायनवादी कैसे हो गये कि सब छोड़कर आप पांडिचेरी में बैठ गए आँख बंद करके। वर्ष में एक बार आप निकलते है दर्शन देने को। आप जैसा संघर्षशील, तेजस्वी, व्यक्ति जो जीवन के घनेपन में खड़ा था और जीवन को रूपांतरित कर रहा था, वह अचानक इस भांति पलायनवादी होकर अंधेरे में क्यों छिप गया? आप कुछ करते क्यों नहीं? क्या आप सोचते है कि करने को कुछ नहीं बचा, या करने योग्य कुछ नहीं है? या समाज की और मनुष्य की समस्याएं हल हो गई है और आप विश्राम कर सकते है? समस्याएं तो बढ़ती चली जाती है। आदमी कष्ट में है, दुःख में है, गुलाम है, भूखा है, बीमार है, कुछ करिए।

यही लाओत्से कह रहा है। श्री अरविंद ने कहा, कि मैं कुछ कर रहा हूं, और जो पहले मैं कर रहा था वह अपर्याप्त था; अब जो कर रहा हूं वह पर्याप्त है। वह आदमी चौका होगा जिसने पूछा। यह किस प्रकार का करना है कि आप अपने कमरे में आँख बंद किए बैठे है, इससे क्या होगा?

तो अरविंद कहते है कि जब मैं करने में लगा था तब मुझे पता नहीं था कि कर्म तो बहुत ऊपर-ऊपर है, उससे दूसरों को नहीं बदला जा सकता। दूसरों को बदलना हो तो इतने स्वयं के भीतर प्रवेश कर जाना जरूरी है जहां से कि सूक्ष्म तरंगें उठती है, जहां से कि जीवन का आविर्भाव होता है। और अगर वहां से मैं तरंगों को बदल दूँ तो वे तरंगें जहां तक जायेगी—और तरंगें अनंत तक फैलती चली जाती है।

रेडियो की ही आवाज नहीं घूम रही है पृथ्वी के चारों ओर, टेलीविजन के चित्र ही हजारों मील तक नहीं जा रहे है; सभी तरंगें अनंत की यात्रा पर निकल जाती है। जब आप गहरे में शांत होत है तो आपकी झील से शांत तरंगें उठने लगती है; वे शांत तरंगें फैलती चली जाती है। वे पृथ्वी को छुएगा, चाँद को छुएँगी, तारों और ब्रह्मांड में व्याप्त हो जाएंगी। और जितनी सूक्ष्म तरंग का कोई मालिक हो जाए उतना ही दूसरों में प्रवेश क्षमता आ जाती है।

तो अरविंद ने कहा कि अब मैं महाकार्य में लगा हूं। तब मैं क्षुद्र कार्य में लगा था। अब मैं उस महा कार्य में लगा हूं जिसमें मनुष्य से बदलने को कहना न पड़े और बदलाहट हो जाए। क्यूंकि मैं उसके ह्रदय में सीधा प्रवेश कर सकूंगा। अगर मैं सफल होता हूं—सफलता बहुत कठिन बात है—अगर मैं सफल होता हूं तो एक नए मनुष्य का, एक महामानव का जन्म निश्चित है।

लेकिन जो व्यक्ति पूछने गया था वह असंतुष्ट ही लौटा होगा। यह सब बातचीत मालूम पड़ती है। ये सब पलायन वादियों के ढंग और रूख मालूम पड़ते है। खाली बैठे रहना पर्याप्त नहीं है, अपर्याप्त है। इसलिए लाओत्से कहता है, ‘’महाचरित्र अपर्याप्त मालूम पड़ता है।‘’

इसलिए हम पूजा जारी रखेंगे गांधी की, अरविंद को हम धीरे-धीरे छोड़ते जाएंगे। लेकिन भारत की आजादी में अरविंद का जितना हाथ है उतना किसी का भी नहीं है। पर वह चरित्र दिखाई नहीं पड़ सकता। आकस्मिक नहीं है कि पंद्रह अगस्त को भारत को आजादी मिली; वह अरविंद का जन्म दिन है। पर उसे देखना कठिन है। और उसे सिद्ध करना तो बिलकुल असंभव है। क्यूंकि उसको सिद्ध करने का कोई उपाय नहीं है। जो प्रकट स्थूल में नहीं दिखाई पड़ता उसे सूक्ष्म में सिद्ध करने का भी कोई उपाय नहीं है।

भारत की आजादी में अरविंद का कोई योगदान है। इसे भी लिखने की कोई जरूरत नहीं मालूम होती। कोई लिखता भी नहीं। और जिन्होंने काफी शोरगुल और उपद्रव मचाया है, जो जेल गए है, लाठी खाई है, गोली खाई है। जिनके पास ताम्रपत्र है। वे इतिहास के निर्माता है।
इतिहास अगर बह्म घटना ही होती तो ठीक है; लेकिन इतिहास की एक आंतरिक कथा भी है। तो समय की परिधि पर जिनका शोरगुल दिखाई पड़ता है एक तो इतिहास है उनका भी। और एक समय की परिधि के पार, कालातीत, सूक्ष्म में जो काम करते है, उनकी भी कथा है। लेकिन उनकी कथा सभी को ज्ञात नहीं हो सकती। और उनकी कथा से संबंधित होना भी सभी के लिए संभव नहीं है क्यूंकि वे दिखाई ही नहीं पड़ते। वे वहां तक आते ही नहीं जहां चीजें दिखाई पड़नी शुरू होती है। वे उन स्थूल तक पार्थिव तक उतरते ही नहीं जहां हमारी आँख पकड़ पाए। तो जब तक हमारे पास ह्रदय की आंख न हो, उनसे कोई संबंध नहीं जुड़ पाता।

इतिहास हमारा झूठा है। अधूरा है, और क्षुद्र है। हम सोच भी नहीं सकते कि बुद्ध ने इतिहास में क्या किया। हम सोच भी नहीं सकते कि क्राइस्ट ने इतिहास में क्या किया। लेकिन हिटलर न क्या किया वह हमें साफ है; माओ ने क्या किया वह साफ है। गांधी ने क्या किया वह साफ है। जो परिधि पर घटता है वह हमें दिख जाता है।

‘’महाचरित्र अपर्याप्त मालूम पड़ता है, ठोस चरित्र दुर्बल दिखता है।‘’ गहरी दृष्टि चाहिए। ठोस चरित्र दुर्बल दिखाई देता है। इस मनोवैज्ञानिक का थोड़ा ख्याल में ले लें। असल में दुर्बल चरित्र का व्यक्ति हमेशा ठोस दीवारें अपने आस-पास खड़ी करता है; ठोस चरित्र का व्यक्ति दीवार खड़ी नहीं करता। उसकी कोई जरूरत नहीं है; पर्याप्त है वह स्वयं।
~ओशो
ताओ उपनिषद
भाग—4,प्रवचन—77

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