Thursday, April 18, 2019

मतदान का उत्साह कर्नाटक में भी देखा गया

बेंगलुरु का गांवों में भी मतदान के उत्साह की लहर 
लोकसभा चुनाव-2019 के दूसरे चरण के तहत 18 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के अनेकल गांव, बेंगलुरु में एक मतदान केन्द्र पर वोट डालने के लिए अपना पहचान पत्र दिखाते हुए मतदाता। (PIB)

Wednesday, April 17, 2019

हैदराबाद में भी महावीर जयंती पर विशेष आयोजन

उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू विशेष तौर पर शामिल हुए 
उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू 17 अप्रैल 2019 को हैदराबाद में महावीर जयंती पर जैन सेवा संघ द्वारा आयोजित भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव में दीप प्रज्ज्वलित करते हुए। (PIB)

Tuesday, April 16, 2019

संस्कार भारती ने किया लुधियाना के मल्टीपर्पज़ स्कूल में विशेष आयोजन

जलियांवाला बाग़ के शहीदों की याद में खेला गया विशेष नाटक 
लुधियाना: 16  अप्रैल 2019: (प्रदीप शर्मा//मीडिया लिंक रविंद्र//पंजाब स्क्रीन)::
जलियांवाला बाग के 100 वर्ष पूरे होने पर शहीदों को याद करने का सिलसिला निरंतर जारी है। इसी सिलसिले में एक विशेष आयोजन आज लुधियाना के सबसे पुराने शिक्षण संस्थान गौरमिंट मल्टीपरपज़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल में संस्कार भारती नामक संगठन ने स्कूल के सहयोग से कराया गया। इस आयोजन में जानीमानी पंजाबी लेखिका डाक्टर गुरचरण कौर कौचर मुख्या अतिथि के रूप में शामिल हुई। प्रमुख ग़ज़ल गायक सुनील शर्मा, डाक्टर मनोज प्रीत, मैडम संगीता भंडारी, अश्विनी जैन, राकेश जैन इत्यादि बहुत से लोग उपस्थित थे। बीहाइव थियेटर ग्रुप की तरफ से सिकंदर के निर्देशन में एक विशेष नुक्क्ड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। यह नाटक जलियांवाला बाग़ के शहीदों को समर्पित था। इसके प्रस्तुतिकरण में नाटय मंचन नामक संगठन ने विशेष भूमिका अदा की। इन्हीं कार्यक्रमों के सिलसिले में स्कूल के बच्चों द्धारा गीत संगीत भी प्रस्तुत किया गया। वाइस प्रिंसिपल संजय द्वारा सभी का धन्यवाद किया गया। बिहाईव थिएटर के कलाकारों को नगद सहायता राशि दे कर उत्साहित भी किया गया। 
इस सारे आयोजन के पीछे सक्रिय रहने के बावजूद खामोश रह कर प्रयास करने वाली शख्सियत हैं डाक्टर बबीता जैन।  संस्कार भारती की लुधियाना की अध्यक्षा और पंजाब की साहित्य व मातृ शक्ति की राज्य प्रमुख डाक्टर बबीता जैन ने इस अवसर पर इस कार्यक्रम के ज़रिये आज की युवा पढ़ी को देश भक्ति के संस्कार देना ही हमारा लक्ष्य है। मंच संचालन डाक्टर मनोज प्रीत ने किया। इस अवसर पर संस्कार भारती के बहुत से सहयोगी संगठन और व्यक्ति भी मौजूद थे। स्कूल के प्रिंसिपल जगदेव सिंह सेखों ने भी बच्चों के प्रोग्राम की सराहना की और उनका हौंसला बढ़ाया। इस मौके पर सुश्री सरिता जैन, नीलम भागीरथ, आराधना, जगदीप, अर्शदीप, राजविंदर कौर, प्रभजोत, रचना, जस्मीन कौर, जसप्रीत कौर, वनिता, हरबंस कौर, पवन गिल, बबीता पठानिया, जगदीश कुमार, दवेंद्र, मोनिका और अन्य स्टाफ सदस्यों ने बहुत जोशो खरोश के साथ भाग लिया। 

Monday, April 15, 2019

एक ऐसा नाटक जिसमें नहीं था एक भी डायलॉग

बिना किसी भाषा के दिखा रहा था ज़िन्दगी की तस्वीर को 
लुधियाना: 14 अप्रैल 2019: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन)::
कभी बहुत पहले वर्ष 1955 में एक फिल्म आई थी--बारादरी। उसमें खुमार बारबंकवी साहिब का लिखा एक गीत बहुत मक़बूल हुआ था--
तसवीर बनाता हूँ, तसवीर नहीं बनती, तसवीर नहीं बनती 
एक ख्वाब सा देखा है, ताबीर नहीं बनती, तसवीर नहीं बनती। 

लोकप्रिय होने के बावजूद समझा जाता है कि यह गीत शायद सिर्फ उसी फिल्म तक सीमित था और 1955 को गुज़रे तो अब बहुत देर हो गई। कहा जाता है कि यह गीत भी बहुत पुराना हो गया लेकिन वास्तव में इस गीत का सच आज भी बिलकुल नया है। हम सब की ज़िन्दगी का सच। हमसे आज भी तस्वीर नहीं बनती। ख्वाब तो हम भी बहुत देखते हैं लेकिन ताबीर नहीं बनती। सारी सारी ज़िंदगी गुज़र जाती है सपनों को बुनते हुए लेकिन सब सपने टूट जाते हैं। सारी सारी उम्र हम मेहनत मुशक़्क़त जरते हैं लेकिन दाल रोटी का जुगाड़ नहीं बनता। ज़िन्दगी में प्रेम आता है लेकिन हम उसे भी गंवा बैठते हैं। न तो कोई बात बन पाती है, न ही ज़िंदगी और पूरी उम्र इसी तरह नाकामियों का दंश झेलते हुए गुज़र जाती है। और हम गीत गा गा कर खुद को तसल्लियाँ दे लेते हैं--
बर्बादियों का सोग मनाना फ़िज़ूल था-
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया!
हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया!
यह न समझना कि यह हालत केवल उनकी है जिनके पास पैसे की कमी है। जिनके पास बहुत पैसा है उनका जीवन भी बेहद खोखला है। वे कभी उसे शराब में डुबाते हैं और कभी शबाब में लेकिन कड़वा सत्य फिर भी वही रहता है--तस्वीर बनाता हूँ---तस्वीर नहीं बनती। 
इस सच को कभी राजकपूर साहिब ने दिखाया था-मेरा नाम जोकर में। उन्हें बहुत सदमा भी लगा क्यूंकि उनकी एक शानदार फिल्म नाकाम हो गई थी।  लगा था कि शायद उस युग के दर्शक समझदार नहीं थे। लेकिन हालत आज भी यही है। 
पंजाबी भवन के बलराज साहनी ओपन एयर थिएटर में पंजाब स्क्रीन टीम को बेहद हैरानी हुई कि यहाँ इतने ज़्यादा दर्शक कैसे मौजूद हैं। हैरानी थी कि इतने दर्शक तो सपना चौधरी की इवेंट में भी मौजूद नहीं थे। उस संख्या को देख कर उम्मीद जगी की शायद हम समझदार हो रहे हैं। 
उस रात को एक नाटक का मंचन था। नाम था--सी फॉर क्लाऊन। इसे खेला गया था बिहाईव थिएटर एसोसिएशन (रजि.) की तरफ से। नाटक में एक भी डायलॉग नहीं था। शायद ऐसी कोई भाषा भी नहीं जिसे हम नाम दे सकें। जैसे हम पूर्व में रहें या पश्चिम में। उत्तर में रहें या दक्षिण में। हमारे दुःख सुख एक जैसे होते हैं। हमारी भाषा एक नहीं होती लेकिन फिर भी हम सब समझ जाते हैं। हम दुसरे का दुःख देख कर नज़र अंदाज़ भी करते हैं--मज़ाक भी उड़ाते हैं और कभी कभी दुःख को बांटते भी हैं। बिना किसी भाषा  को जाने। कभी कभी तो हम वो सब भी सुन लेते हैं जिसे किसी ने कहा ही नहीं होता। इसी तरह वह सब भी कहते रहते हैं जिसे कभी सुना ही नहीं जाता। शायद यही होती है संवेदना के जाग जाने की चरम स्थिति जो हमें मानवता से परिचित करवाती है। इसके बावजूद ज़िन्दगी एक शोरगुल रह जाती है। एक ऐसा शोर जो शायद दुनिया के हर कोने में मौजूद होगा। हर भाषा में मौजूद होगा। वही शोर पंजाबी भवन में खेले गए नाटक की भाषा थी। हो हो-हा हा। अदाकारों के एक्शन इस शोर का अर्थ समझाते हैं। ज़िंदगी की तरह आखिर में बात इस नाटक में भी रोटी पर आ जाती है। रोटी एक और भूख से बिलबिलाते कलाकार अनेक। नाटक का निदेशक सिकंदर यहाँ कमाल के अंदाज़ में एंट्री करता है। आँखों ही आँखों में उस एक रोटी को अच्छी तरह से नापने तोलने के बाद वह एक एक टुकड़ा हर कलाकार के मुँह में डालता जाता है। एक मां की तरह। 
इसका अहसास तब होता है जब इप्टा के पुराने सदस्य प्रदीप शर्मा नाटक के अंत में कलाकारों को हौंसला देते हैं और कहते हैं कि थिएटर ही कलाकारों की मां होती है और कोई भी संतान अपनी मां को छोड़ कर कभी नहीं जा सकती। कहीं नहीं जा सकती। उन्होंने समाज को भी आह्वान किया कि वह कलाकारों की सहायता के लिए आगे आये। यही अपील कुछ अन्य कलाकारों ने भी की। 

Wednesday, March 27, 2019

उपलब्धि: भारत भी चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में शुमार

27 MAR 2019 2:41PM by PIB Delhi
पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित लाइव सैटेलाइट को मार गिराया
The Defence Research and Development Organisation (DRDO) successfully launched
the Ballistic Missile Defence (BMD) Interceptor missile, in an Anti-Satellite (A-SAT) missile test ‘Mission Shakti’ engaging an Indian orbiting target satellite in Low Earth Orbit (LEO) in a ‘Hit to Kill’ mode from the Dr. A.P.J. Abdul Kalam Island, in Odisha
on March 27, 2019.

नई दिल्ली: 27 मार्च 2019: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन)::
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज ओडिशा स्थित डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक ‘मिशन शक्ति’ नामक उपग्रह-रोधी (एंटी-सैटेलाइट यानी ए-सैट) मिसाइल परीक्षण किया। डीआरडीओ द्वारा विकसित बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर मिसाइल ने ‘हिट टू किल’ मोड में पृथ्वी की निचली कक्षा यानी लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में परिक्रमा कर रहे लक्षित भारतीय उपग्रह यानी सैटेलाइट को सफलतापूर्वक मार गिराया। यह इंटरसेप्टर मिसाइल दो सॉलिड रॉकेट बुस्टरों से लैस तीन चरणों वाली मिसाइल थी। विभिन्न रेंज सेंसरों से प्राप्त आंकड़ों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह मिशन अपने सभी उद्देश्यों को पूरा करने में कामयाब रहा है।

     इस परीक्षण से यह साबित हो गया है कि भारत बाह्य अंतरिक्ष में अपनी परिसंपत्तियों (एसेट्स) की रक्षा करने में सक्षम है। इससे इस बात की भी पुष्टि होती है कि  डीआरडीओ के विभिन्न कार्यक्रम अत्यंत कारगर एवं सुदृढ़ हैं।
     इस कामयाबी के साथ ही भारत भी अब उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास इस तरह की अनूठी क्षमता है। यही नहीं, इस परीक्षण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि स्वदेशी हथियार प्रणालियां अत्यंत सुदृढ़ हैं। 

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आर.के.मीणा/एएम/आरआरएस/एमएस-781
(रिलीज़ आईडी: 1569597) आगंतुक पटल : 126 

Monday, March 25, 2019

मेले में छा जाती है गोहाना वाले ताऊ बलजीत की जलेबी

गैर किसानों को भी वित्तीय तौर पर मज़बूत करते हैं किसान मेले 
लुधियाना:15 मार्च 2019:(फोटो और विवरण: रेक्टर कथूरिया):     और तस्वीरें FB देखें यहाँ क्लिक करके 
किसान मेला अब केवल किसानों का नहीं बल्कि पूरी कामगार जनता का मेला बन गया है जहाँ हर वर्ग के लोग बहुत उत्साह से पहुंचते हैं। इन लोगों ने बहुत ही छोटी स्तर पर छोटे छोटे कामधंधे शुरू किये थे लेकिन किसान मेलों से होने वाली आमदनी और यहाँ से मिले उत्साह ने इन्हें बहुत तेज़ी से वित्तीय तौर पर मजबूत बना दिया। इन लोगों में अलग अलग स्थानों से आने वाले अलग अलग लोग शामिल हैं। न कोई धर्म का भेद-न ही कोई साम्प्रदायिक सोच। बस एक ही वर्ग कि हम सब मेहनती हैं और हमें केवल अपनी मेहनत से खाना है। इसी सोच के बल पर इनका सिर हमेशां ऊंचा रहता है। आँख मिला के बात करते हैं। न गर्मी को चिंता न ही किसी और बात की बस अपने अपने काम में मग्न। इन्ही में से एक है गोहाना से आने वाला ताऊ बलजीत। किसान मेले से ताऊ बलजीत का सम्बन्ध बहुत पुराना है। कम से कम एक दश्क पुराना सम्बन्ध। 
पत्रकार एमएस भाटिया से बात करते हुए ताऊ बलजीत (गोहाना) 
पीएयू के किसान मेले में गोहाना की जलेबी का झंडा ताऊ बलजीत ने ही गाड़ा था।  उसके बाद गोहाना के नाम से भी बहुत से लोग आने लगे।  वे भी अपनी जगह अपना कमाल रखते होंगें लेकिन ताऊ बलजीत की जलेबियों का जादू कभी कम नहीं हुआ। यह कमाल भी रातो रात नहीं आया। पंजाब स्क्रीन के वीडियो सेक्शन से बात करते हुए ताऊ बलजीत ने बताया कि मैं बचपन से ही इस तरफ लग गया था। उस समय उम्र थी केवल आठ वर्ष। बचपन में शुरू हुई जलेबी बनाने की साधना और अब तो बाल सफेद हो चुके हैं। बालों को देख कर लगता है कि शायद बुढ़ापा आ गया लेकिन जिस्म में चुस्ती फुर्ती अब भी कायम है। ताऊ का मानना है कि यह सब जलेबी और कसरत का कमाल है। 
और तस्वीरें FB देखें यहाँ क्लिक करके 
गोहाना वाले ताऊ बलजीत की जलेबी इस बार भी किसान मेले में छाई रही..बड़ी बड़ी जलेबी--लोग इसे जलेब कहते हैं---ताऊ बताते हैं कि यह कई कई दिन खराब नहीं होती।  ताऊ का दावा है कि चाहे इसे बीस दिन रख लो तो भी इसके स्वाद में कोई फर्क नहीं आएगा। एक जलेबी खाओ--जो कम से कम 250 ग्राम की होती है--और कीमत है साठ रूपये। इसे खाने के बाद तुरंत ताकत की लहर सी महसूस होती है। आँखों के सामने छाया हुआ अँधेरा छंटने लगता है। ठंडक और ताजगी सी महसूस होने लगती है। थकावट दूर भाग जाती है। कुल मिला कर एक यादगारी स्वाद जिसे आप बार बार चखना चाहेंगे। ताऊ की जलेबियाँ खाए बिना किसान मेले का आप पूरा लुत्फ़ नहीं उठा पाएंगे। "पंजाब स्क्रीन" में आपको ताऊ और उसकी जलेबियों की चर्चा कैसे लगी अवश्य बताना। आप कुमेंट भी कर सकते हैं और इमेल भी .ईमेल का पता है: medialink32@gmail.com
मोबाईल नंबर है+919915322407 वाटसअप नम्बर है:+919888272045
अपना नाम पता और जगह का नाम लिखना न भूलें। 
और तस्वीरें FB देखें यहाँ क्लिक करके 

Thursday, March 07, 2019

मैं गौरी की बात करुँगी-कार्तिका सिंह

मैं हर छल की बात करूंगी

मंच संचालक कहते हैं कि 
यह बोलो 
पर यह न बोलो। 
देश संचालक भी कहते हैं 
यह बोलो और यह न बोलो। 
ठेकेदार समाजों के भी 
ठेकेदार रिवाजों के भी 
अक्सर मुझको यह समझाते 
यह बोलो और यह न बोलो। 
छोटी सी कोई ग़ज़ल सुना दो;
लेकिन दिल की बात न खोलो। 
तस्लीमा नसरीन से पूछा 
तुमने कैसे मन की कर ली?
तुमने कैसे मन की सुन ली?
तुमने कैसे मन की कह ली?
वह बोली हिम्मत थी मेरी 
वह बोली जुर्रत थी मेरी। 
सच देखा तो कहना चाहा। 
मन में एक तूफ़ान उठा था;
बाकी कुछ फिर टिक न पाया। 
जो सोचा वह कह ही डाला। 
लेकिन अभी भी भुगत रही हूँ। 
पल पल हर पल खौफ का साया। 
पल पल हर पल खौफ का साया;  
लगातार है पीछा करता। 
आगे बढ़ना भी मुश्किल था;
लेकिन पीछे मुड़ नहीं सकती। 
सच कहने में मज़ा बड़ा है;
झूठ से अब मैं जुड़ नहीं सकती। 
मेरी भी तक़दीर है गोली,
मेरी भी हत्या ही होगी!
लेकिन बर्बर मौत के डर से
सच का जीवन खो नहीं सकती। 
चैन का जो अहसास मिला है;
उस अहसास को खो नहीं सकती। 
फिर गौरी लंकेश से पूछा 
तुमने क्यों कर जान गंवायी!
वह बोली यह जान क्या है!
जीवन की औकात क्या है!
बस इक सांस का खेल है सारा;
इन सांसों की बात क्या है?
इन सांसों के चलते चलते 
सच को हम न देख सके तो!
सच को हम ने बोल सके तो 
फिर जीवन बेकार ही होगा!
इक बेजान सा तार ही होगा!
ऐसा जीवन क्या करना है?
इससे अच्छा तो मरना है!
मुझको तो रफ्तार पसंद थी 
सच की वह इक धार पसंद थी।
हाँ मुझको तलवार पसंद थी; 
लेकिन कलम ने यह समझाया!
शब्दों में भी जान बहुत है। 
जो तलवार भी कर नहीं सकती 
इन शब्दों में धार बहुत है। 
जिस दिन सच का परचम पकड़ा;
मेरी जान हथेली पर थी। 
मालूम था अंजाम यह मुझको!
लेकिन आँख हवेली पर थी। 

पूंजीवाद की वही हवेली 
जिस में कैद सहेली मेरी। 
वही सहेली-एक पहेली 
इस दुनिया का राज़ कहेगी। 
कदम कदम पर  जो साज़िश है-
उस का पर्दाफाश करेगी।  
इस दुनिया की हर इक औरत 
जिसपे अत्याचार हुआ है 
शब्दों से खिलवाड़ हुआ है 
वह औरत मुझसे कहती है-
तू  तो मेरा हाल बता दे। 
जो जो मेरे साथ हुआ है;
दुनिया को हर बात बता दे। 
कलम को पकड़ा है तुमने तो 
शब्दों से इक आग लगा दे। 
अब गौरी लंकेश की मानूं?
या मानूं तुम लोगों की मैं?
अब गौरी लंकेश है मुझमे 
अब मैं भी वह बात करूंगी। 
जिस जिस ने भी इस जनता को 
छलने का प्रयास किया है। 
मैं उस छल की बात करूंगी। 
मैं गौरी की बात करुँगी। 
मैं गौरी की बात करुँगी।   
                          -कार्तिका सिंह
29 जनवरी 2019 को सुबह सुबह 3:45 लिखी