Saturday, May 12, 2012

मदर्स डे : एक अच्छी पहल//बोधिसत्व कस्तूरिया

१३ मई मदर्स डे मनाया जाता है ! एक अच्छी पहल है कि उस माँ को,जो हम सब की जननी है उसके प्रति हम अपना धन्यवाद ग्य़ापित करते है,परन्तु साथ ही जब वो हमारे आपके घरोंमे आने को लालायित  है, तो हम सभ्य सुसंस्क्रत होते हुये भी भ्रूण-हत्या करवा देते हैं !  यद्दपि पी०सी०पी०एस०डी०टी० एक्ट १९९४ की धारा २३(३) के अन्तर्गत गर्भस्थ शिशु का लिंग परीछण अवैधानिक है!ऐसे व्यक्ति,परिवार,चिकित्सक को ३ से ५ वर्ष का कारागार और रु० ५०००० से १००००० तक के द्ण्ड का प्रावधान है फ़िर भी भ्रूण हत्या से अभिष्पत भारतीय समाज मे नर नारी का अनुपात १०००और ९१४ का हो गया है ! नारी को हम माँ और देवी का प्रतिरूप मानकर भी उसी के असतित्व को नकारते है! इसीलिये कहता हूं:-
मानव का पहला समबोधन "माँ" है!
पीडा का हर  उदबोधन    "माँ है !!
जिस पर नत मस्तक पराक्रमी सब,
उस अबला का अवलम्बन  "माँ"है!!
स्र्ष्टी के हर प्राणी पर अधिकार उसे,
जीवन दात्री का अभिनन्दन "माँ"है!!
प्रतिपल,प्रति छण पूज रहा जिसको,
मानव का निश्चित संवर्धन "माँ" है!
भारतीय संस्क्रति का है यह ह्रास  ,
जन्म अधर मे लटका ,वह"माँ" है!!  
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा २८२००७

Thursday, May 10, 2012

रेड क्रॉस- आशा की एक किरण

विशेष लेख:रेड क्रॉस                                          {पीआईबी}                               *एस.शिवाकुमार 
चित्र आई एम ओ ब्लाग से साभार
रेड क्रॉस दिवस 8 मई को मनाया जाता है। अगर हम पीछे मुड़कर देखें तो सन् 1963 में अमेरीकी राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने इस स्‍वार्थहीन आंदोलन की दुनिया को याद दिलाई और पुरुषों और महिलाओं से इसका हिस्‍सा बनने का आह्वान किया।
    सन् 1963 में रेड क्रॉस की सालगिरह के मौके पर राष्‍ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने कहा था कि ‘’आज रेड क्रॉस अपनी सेवाओं की दूसरी शताब्‍दी में प्रवेश कर रहा है। अत: हम सभी के पास एक मौका है इस मानवतावादी परंपरा का हिस्‍सा बनने का। हमारी मदद के द्वारा ही यह महत्‍वपूर्ण कार्य सम्‍भव हुआ है।‘’
पोलियो एवं मलेरिया-संयुक्‍त अभ्‍यास
    भारत में वैश्विक पोलियो उन्‍मूलन कार्यक्रम में भारतीय रेड क्रॉस की महत्‍वपूर्ण भूमिका को हम याद करते हैं। 13 जनवरी, 2012 को पोलियो उन्‍मूलन के इतिहास में देश एक बड़े मील के पत्‍थर के पास पहुंचा है जहां 12 महीनों की अवधि के दौरान एक भी पोलियो का मामला नहीं पाया गया है। भारतीय रेड क्रॉस के स्‍वयं सेवकों एवं कर्मचारियों ने आम जनता तक बचाव के महत्‍व और बच्‍चों में स्‍थायी विकृति तथा लकवा का कारण बनने वाले पोलियो के वायरस के नियंत्रण एवं निर्मूलन से जुड़ी महत्‍वपूर्ण सूचनाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाई। भारतीय रेड क्रॉस ने बिहार और उत्‍तर प्रदेश राज्यों में पोलियो कार्यक्रम भी चलाये जहां पोलियो उच्‍च स्‍तर पर था।
    25 अप्रैल विश्‍व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम रही ‘’स्‍थायी लाभ, जीवन रक्षा : मलेरिया में निवेश’’। भारतीय रेड क्रॉस ने वर्ष 2010-11 में मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित दो राज्यों - आंध्र प्रदेश और ओडिशा में मलेरिया रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जिसे रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्‍ट सोसाइटीज के अंतर्राष्‍ट्रीय संघ द्वारा सहयोग मिला। इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य है- इन दोनों राज्यों में कीटनाशकों से बचाव वाली 40 हजार टिकाऊ मच्‍छरदानियों (एलएलआईएन) का वितरण करना, सरकारी प्रयासों को सहयोग देना और मलेरिया से जुड़ी जानकारियों का प्रसार करना और विशेषकर सामुदायिक स्‍तर पर जागरूकता बढ़ाना। अन्‍य गतिविधियों के साथ-साथ स्‍वयंसेवकों ने घर-घर का दौरा किया, सामुदायिक सदस्‍यों के साथ परस्‍पर बातचीत वाले स्‍वास्‍थ्‍य एवं साफ-सफाई से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए, बीमारी के शीघ्र पता लगाने और लक्षणों पर जोर दिया तथा समुदाय को इस प्राणघातक बीमारी से जुड़ी जानकारी दी ताकि बचाव के उपाय किये जा सके। उत्‍तर प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के राज्‍यपालों ने भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की उपलब्‍धि और प्रयासों के लिए बधाई दी और सराहना की।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद की मान्यता
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री गुलाम नबी आजाद ने एक पूर्व आयोजित विश्व रेड क्रास स्मृति दिवस पर बोलते हुए कहा था कि स्वयं-सेवक रेडक्रास आंदोलन की रीढ़ की हड्डी और भावना की अभिव्यक्ति हैं। वह स्वयं स्वैच्छिक रक्तदान के बड़े अनुयायी थे और उन्हें अगस्त 2010 में लेह में बादल फटने की दुर्घटना के बाद स्वयं-सेवकों द्वारा की गई समर्पित सेवाओं को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर मिला है। लेह की जनता आज भी रेडक्रास स्वयंसेवकों द्वारा स्थापित दो सफाई इकाइयों द्वारा की गई सेवा की दिल से सराहना करती है।
रक्त भंडारण इकाइयों का विकास
 उन्नत भारतीय रेडक्रास माडल रक्त बैंक के बारे में जानकारी देते हुए महासचिव डा. एस पी अग्रवाल ने कहा कि सोसायटी 85 प्रतिशत रक्त स्वैच्छिक दानदाताओं से प्राप्त करती है और इसका शीघ्र ही शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने की योजना है। उन्होंने बताया कि ऑटोमेटिक एलिसा, सिरोलाजी प्रोसेसर, संपूर्ण रक्त की  2000 यूनिटों का 4 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारण करने के लिए कोल्ड रूम, -40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फ्रोजन प्लाज्मा की 5000 यूनिटों का भंडारण, घटक विलगन के लिए उपकरण, ट्रांसफ्यूजन जन्य संक्रामक मार्कर जैसे नवीनतम उपकरणों को शामिल किया जा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सोसायटी मोबाइल रक्त एकत्र करने वाली वैन की खरीदारी से शत-प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारतीय राज्यों की कार्य विधि
भारतीय रेडक्रास सोसायटी की नेल्लौर जिला शाखा (आंध्र प्रदेश) स्वास्थ्य गतिविधियों और चिकित्सा केन्द्र के माध्यम से समाज की सेवा करती है। इसके पास गतिशील टीकाकरण केन्द्र, रक्त बैंक है और स्पास्टिक सेंटर केन्द्र की मदद से इसने कैंसर परियोजना शुरू कर रखी है। यह एड्सक्लीनिक चलाती है और आपदा सहायता के बारे में लोगों को शिक्षित करती है तथा युवाओं को जूनियर रेडक्रास/युवा रेडक्रास में शामिल होने के अवसर भी उपलब्ध कराती है। इसने पिनाकिनी गांधी आश्रम भी स्थापित कर रखा है जो राष्ट्रीय स्तर पर गांधी जी के साबरमती आश्रम के बाद ऐसा दूसरा आश्रम है।

    कोट्टायम (केरल) स्थित रेडक्रास शाखा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में विविध कल्याण गतिविधियां चला रही है। रेडक्रास नर्सिंग एवं रोजगार योजना (आरसीएनईएस) आधुनिक समय में एकल परिवारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य वाली परियोजना है। चुने गए पुरूषों और महिलाओं को प्रति माह रेडक्रास नर्सिंग पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे जिले के गरीब रोगियों को डाक्टर के नुस्खे के अनुसार मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं। मेडिकल कालेज कोट्टायम में सुसज्जित सेवा पटल कार्य कर रहा है। कोट्टायम रेडक्रास शाखा के पास इच्छुक रक्तदाताओं  की डाइरेक्टरी मौजूद है। पूरे जिले में अनेक नेत्रदान जागरूकता कैम्प भी आयोजित किए गए हैं।

    जूनियर रेडक्रास (जेआरसी) तमिलनाडु में क्रियाशील है। एक दो दिवसीय जेआरसी प्रशिक्षण कैम्प मेलेकोट्टायूर में आयोजित किया गया था जिसमें 54 स्कूलों के 172 जूनियर और 32 काउंसलरों ने भाग लिया। कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, नेत्रदान, व्यक्तित्व विकास के बारे में सत्र आयोजित किए गए तथा इसका समापन जूनियर द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ किया गया है। शैक्षिक जिलों के अधिकारियों- मुख्य शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारी जैसे पदाधिकारियों ने भी दो दिवसीय कैम्प में भाग लिया। जेआरसी छात्रों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कैम्प उसीलामपट्टी में 1.3.2012 से 3.3.2012 तक आयोजित किया गया जिसमें 23 स्कूलों से 205 जूनियर और 20 काउंसलर शामिल हुए। इस कैम्प में रेडक्रास के इतिहास, वैश्विक गर्मी, एड्स जागरूकता, प्राथमिक चिकित्सा और सड़क सुरक्षा के बारे में सत्र आयोजित किए गए।
रेडक्रास और रेड क्रेसेंट आंदोलन का इतिहास
स्विटजरलैंड का युवा व्यवसायी हैनरी डुनांड ‘रेडक्रास’ गतिविधि का जनक था। फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया युद्ध के दौरान इटली में वर्ष 1859 में सौलफिरेनो की युद्ध भूमि में घायल सैनिकों की दुर्दशा देखकर वह बड़े भयभीत हो गए थे। उन्होंने तुरंत स्थानीय समुदाय की सहायता से मदद कार्य शुरू किए। युद्ध की विभीषिका के बाद उनके विचारों पर जो प्रभाव पडा उसका वृतांत फ्रेंच भाषा में लिखी 1962 में प्रकाशित पुस्तक ‘ए सूवेनिअर ऑफ सौलफिरेनो’ में परिलक्षित होता है जो युद्ध की अमानवीयता के विरूद्ध भावुक अपील बन गई। यह आज भी अब तक लिखी गई युद्ध की सर्वाधिक सजीव और मर्मस्पर्शी पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक के जारी होने के एक वर्ष के बाद हैनरी डुनांड के सुझावों पर विचार करने के लिए जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस प्रकार रेडक्रास आंदोलन का जन्म हुआ। अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास आंदोलन जिनेवा सम्मेलन अधिनियम 1864 के द्वारा स्थापित किया गया था। रेडक्रास की स्थापना करने वाले देश को सम्मान देने के लिए इस आंदोलन के नाम और प्रतीक को स्विटजरलैंड के राष्ट्रीय ध्वज के उत्क्रमण से लिया गया है।
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी 
प्रथम विश्‍व युद्ध 1914 के दौरान प्रभावित सैनिकों की देखभाल के लिए सेंट जॉन्‍स एम्बुलेंस एसोसिएशन और ब्रिटिश रेड क्रॉस की एक संयुक्‍त समिति के अलावा और कोई संस्‍था नहीं थी। ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसाइटी से स्‍वतंत्र भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की स्‍थापना के लिए 17 मार्च, 1920 को एक विधेयक लाया गया और यह 1920 में कानून बना। 7 जून, 1920 को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के गठन के लिए औपचारिक रूप से 50 सदस्‍यों को मनो‍नीत किया गया और इन्‍हीं में से पहली प्रबंध निकाय चुनी गई। तमिलनाडु शाखा की राष्‍ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रेसेन्‍ट सोसायटी, रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्‍ट मूवमेंट संघ, अंतर्राष्‍ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रेसेन्‍ट समिति से राष्‍ट्रीय मुख्‍यालय और व्‍यक्तिगत स्‍तर पर अपनी गतिविधियों के सहयोग के लिए साझेदारी है।
आगे की तैयारी
एक शब्‍द पर्याप्‍त होगा ‘सहभागिता’। वास्‍तव में गुरु गोबिंद सिंह इन्‍द्रप्रस्‍थ  विश्‍वविद्यालय नई दिल्‍ली, रेड क्रॉस सोसाइटी की देखरेख में आपदा तैयारी एवं पुनर्वास के लिए एक व्‍यापक पोस्‍ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम चलाता है जिसका उद्देश्‍य विशेषीकृत अभियोग्‍यता प्राप्‍त करने का अवसर उपलब्‍ध कराना है और जिसे वैश्विक परिदृश्‍य में मान्‍यता प्राप्‍त है। साथ ही साथ इसका उद्देश्‍य ट्रेनिंग के लिए प्रोफेशनल्‍स में क्षमता निर्माण का मंच उपलब्‍ध कराना है। इस सोसाइटी का सदस्‍य बनने के लिए कोई भी इस लिंक पर संपर्क कर सकता है - http://www.indianredcross.org/membership.htm.। जॉन एफ कै‍नेडी के शब्‍द आज भी हमारे कानों में गूँजते हैं।
    रेड क्रॉस सोसाइटी जब कोई और मदद के लिए आगे नहीं आता वहां आगे बढ़ती है, और अपने अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुसार महती भूमिका निभाता है और अद्वितीय कार्य करता है। इसी कारण यह सम्‍पूर्ण मानवता के लिए आशा की एक किरण जगाती है। {पीआईबी}   08-मई-2012 15:42 IST
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8 मई, को रेड क्रॉस दिवस मनाया जाता है
*लेखक स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।
इस लेख में प्रस्‍तुत विचार लेखक के अपने है और आवश्‍यक नहीं कि ये विचार पीआईबी के विचारों से मेल खाते हो।

Monday, May 07, 2012

नई दिल्ली में एक और यादगारी सम्मेलन

राजधानी में श्रमण संघ षष्टि पूर्ति महामहोत्सव का भव्य आयोजन
नई दिल्ली//६ मई २०१२//: राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आज प्रातः 7.30 बजे श्रमण संघ षष्टि पूर्ति महामहोत्सव का आयोजन किया गया. 
समारोह का शुभारम्भ प्रातः सात बजे जैन भवन, 12, शहीद भगत सिंह मार्ग गोल मार्केट से प्रारम्भ होकर ताल कटोरा स्टेडियम तक विशाल शोभा यात्रा के रूप में निकाला गया। इस शोभायात्रा में लगभग एक सौ पच्चीस साधु संत और इकसठ महिलायें मंगल कलश के साथ यात्रा में शामिल हुईं और एक दर्जन से अधिक झांकियों के द्वारा कार्यक्रम की शोभा बड़ाई गई। जैन समाज एवं अन्य समुदायों से करीब दो हजार व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर श्रमण संघ के निर्माण पर आधारित एक डाक्यूमेंटरी फिल्म का शुभ मुहूर्त किया गया जिसके निदेशक अनुराज बंसल हैं।   
समारोह में लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़, खेलमंत्री भारत सरकार अजय माकन, केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप जैन, हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा समेत अनेक गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे।

कार्यक्रम में लक्की ड्रा आधार पर सोने व चांदी के चमत्कारिक इकसठ सिक्के इनाम स्वरूप भेंट 

Sunday, May 06, 2012

शिव कुमार बटालवी की स्मृति में

शिव के विचारों में क्रांति की तब्दीली आ गयी थी
समय चलता रहता है कभी रुकता नहीं पर वक्त बे वक्त लगे घाव भरने के बाद भी उस वक्त की याद नहीं भूलने देते जिस में चोट लगी थी। दर्द का अहसास उस गुज़रे हुए वक्त को बार बार सामने ला कर खड़ा कर देता है। ऐसा ही दिन था आज का दिन।  भर में पंजाबी शायरी को नई बुलंदियों पर पहुंचाने वाला शायर हमेशां के लिए हम से बिछुड़ गया था। अपने महा काव्य  लूना  में उसने औरत के दर्द को, उसके साथ होने वाल्रे अन्याय को जिस शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया उस अंदाज़ की बराबरी किसी और रचना में शायद नजर नहीं आती।आँखों में आंसू आ जाते हैं। दिल में एक रुदन सा उठता है लगता है जैसे किसी ने पकड़ कर झंक्झौर दिया हो। मोहब्बत और औरत के दर्द की बात करने वाला शिव कुमार कविता के मामले में भी पूरी तरह ईमानदार था। अपनी काव्य रचना में वक्त आने पर उसने अपने साथ भी लिहाज़ नहीं किया। उस ने गुरू के आगे स्वीकार किया की मैं शर्मसार हूँ। 

उसने साफ कहा की मेरा कोई गीत नहीं ऐसा जो तेरे मेच आ जावे। उसके विचारों में तबदीली पर बहुत कम लिखा गया है। यह तब्दीली साफ  र्तौर पर किसी क्रांति की तब्दीली थी। अगर शिव कुछ समय भी और जीवित रह जाता तो उसकी रचना उसकी एक नयी छवि को सामने लाती। पर अफ़सोस की ऐसा नहीं हुआ। उम्र ने भी उसके साथ वफा न की। मोहब्बत से क्रांति तक की अंतर्यात्रा  एलान खुल कर नहीं हो सका। उसके दिलो दिमाग में उठा विचारों  तूफ़ान होठों तक तो आया अपर बुलंद नारा न बन पाया।  अगर आपकी नजर में कुछ ऐसा हो तो हमें अवश्य भेजें। उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करके हमें प्रसन्नता होगी। शिव कुमार बटालवी के विचारों में आई तबदीली उसकी प्रसिद्ध कविता "आरती" नाम के काव्य संग्रह में दर्ज है। इस पर जल्द ही अलग से भी की जाएगी। फिलहाल आप इस खास रिपोर्ट को देखिये और बताईये की यह आपको कैसी लगी। इस वीडियो को यू ट्यूब  से साभार लिया गया है। आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी।-रेक्टर कथूरिया 

Saturday, May 05, 2012

एनसीटीसी की स्थापना

यह राज्य और केन्द्र के आमने-सामने होने का मुद्दा नहीं है: प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के लिए बैठक में प्रधानमंत्री का संबोधन
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने दिल्ली में राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के लिए बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री के संबोधन का अनूदित पाठ इस प्रकार हैः-
 

“राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र (एनटीसीटी) के परिचालन संबंधी बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर आयोजित इस बैठक में मैं आप सभी का स्वागत करता हूं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हमने पहले 16 अप्रैल 2012 को मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा करने का विचार किया था। लेकिन इस मुद्दे के महत्व और कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा जाहिर चिंता के परिप्रेक्ष्य में हमने खास तौर पर सिर्फ इसी विषय पर बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया। मुझे पूरी आशा है कि आज आपकी चर्चाओं के परिणामस्वरुप हम आतंकवाद निरोधक संरचना और इस समस्या से निपटने के लिए अपनी संचालन और सांस्थानिक क्षमताओं में अधिक सुधार लाने में और अधिक प्रगति करेंगे। मुझे यह भी आशा है कि आज कि चर्चा सौहार्दपूर्ण और सहयोग के वातावरण में होगी, जो आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
मैंने जो कुछ पहले कहा है उसे दोहराना चाहूंगा। हमारे संविधान में राज्यों और संघ को प्रदत्त शक्तियों के वितरण को किसी भी प्रकार प्रभावित करना हमारी सरकार की मंशा नही है। एनसीटीसी की स्थापना राज्य और केन्द्र के आमने-सामने होने का मुद्दा नहीं है। एनसीटीसी की स्थापना के पीछे प्रमुख उद्देश्य इस विशाल देश में आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में समन्वय स्थापित करना है, जैसा खुफिया ब्यूरो अब तक करता आया है। एनटीसीटी आतंकवाद पर काबू पाने और आतंकी गतिविधियों को दूर करने के हमारे साझा उद्देश्यों के संयुक्त प्रयासों का संचालक होना चाहिए।
आतंकवाद आज हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित बड़े खतरों में से एक है। राष्ट्रीय और राज्य दोनों ही स्तरों पर सशक्त तंत्र के साथ प्रभावी आतंकवाद निरोधक पद्धति को स्थापित करने के संदर्भ में कोई असहमति नहीं हो सकती। केन्द्र और राज्य अकेले इस कार्य को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए सीमा पार और भीतर से प्राप्त होने वाले खतरों से निपटने के लिए करीबी सहयोग और समन्वय आवश्यक है।
मेरा मानना है कि विश्व और हमारे देश के सभी राज्यों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर एक संयुक्त राष्ट्रीय दृष्टिकोण को रुप और आकार देना केन्द्र की जिम्मेदारी है और अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकारों को अपनी विशेषज्ञता, ज्ञान और तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए तथा केन्द्र और अन्य राज्यों के साथ समन्वय में कार्य करना चाहिए। 

26/11 के बाद से हमने राज्यों और केन्द्र दोनों में अपनी आतंक निरोधी क्षमताओं को बेहद कर्मठता के साथ मजबूत किया है। मेरा मानना है कि आज राज्य और केन्द्र पुलिस तथा खुफिया एजेंसियां सौहार्दपूर्ण तरीके से आपसी समन्वय में कार्य कर रही हैं। इन प्रयासों से काफी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है। बीते कुछ समय में राज्य पुलिस बलों ने कुछ बेहद महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए हैं। कुल मिलाकर सीमा पार आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और धर्म आधारित आतंकवाद समेत विविध आयामी भारत में आतंकवाद के खतरे का सामना करने के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति और उपायों पर मोटे तौर पर सहमति है।

आतंकवाद से निपटने के लिए हमारी सरकार राज्य सरकारों के साथ काम करने और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता और राज्य पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों के प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने में सहयोग करते रहे हैं। सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा तथा राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजनाओं को भी हम कार्यान्वित कर रहे हैं। हमारी सरकार इन प्रयासों को मज़बूती से जारी रखेगी।

मंत्रिसमूह और प्रशासकीय सुधार आयोग द्वारा करगिल की घटना से प्राप्त सबक के फलस्वरुप प्रदान संस्तुतियों के तहत एनसीटीसी का प्रावधान किया गया। हमारा मानना है कि अपनी रुपपेखा और परिचालन के पहलुओं के साथ एनसीटीसी राज्यों की आतंकवाद निरोधक क्षमताओँ में सहयोग करेगा न कि इसमें बाधक होगा। एनसीटीसी प्रणाली प्रत्येक राज्य एजेंसी को आतंकी खतरे की बडी तस्वीर प्रदान करेगा जिससे उनकी आतंकवाद निरोधक क्षमताओं को बढ़ाने और आतंकी खतरे से निपटने में संसाधनों को सुगम बनाने में वृद्धि होगी।

लेकिन एनसीटीसी के निर्बाध और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए यह बहुत ज़रुरी है कि इसकी शक्तियों और कार्यों पर विस्तृत आम राय हो। हम चाहेंगे कि इस महत्वपूर्ण पहल में राज्य सरकारें हमारे साथ हों, जो कि हम समझते हैं कि हमारे आतंकवाद निरोधी प्रयासों को मज़बूत करेगी। हम मुख्यमंत्रियों के सुझावों का स्वागत करते हैं। हम उनके विस्तृत ज्ञान, विवेक और अनुभव का लाभ प्राप्त करना चाहेंगे।

गृह मंत्रालय ने हमारी चर्चाओं के लिए तैयारी में, गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) कानून की धारा 43 ए के तहत स्थायी परिषद के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओँ और संचालन शक्तियों के प्रयोग के लिए मसौदे को परिचालित किया है। दोनों मसौदे एनसीटीसी की सांगठनिक व्यवस्था और इसकी प्रस्तावित शक्तियों तथा कार्यों दोनों में केन्द्र-राज्य समन्वय के लिए विस्तृत प्रावधानों को प्रतिबिंबित करते हैं।

इन शब्दों के साथ ही मैं आपकी चर्चाओं के लिए सफलता की कामना करता हूं और मैं एक स्वतंत्र चर्चा की आशा करता हूं। मेरी कामना है कि आज कि चर्चा हमारे देश में आतंकवाद निरोधक संरचना को और अधिक प्रभावी प्रकार से स्थापित करने में हमें आगे साथ मिलकर काम करने में सक्षम बनाए। ” (पीआईबी)  05-मई-2012 14:40 IST

Wednesday, May 02, 2012

भारत और अग्नि - 5 // राजीव गुप्ता

संयम रखते हुए अनुशासन के साथ आगे बढ़ना चाहिए
भारत के लिए  अग्नि - 5  जिसकी मारक क्षमता 5000 किमी. से ज्यादा है के सफल परीक्षण के साथ 19  अप्रैल 2012  का दिन ऐतिहासिक बन गया ! पूरी दुनिया स्तब्ध नजरो से देखती रह गयी और भारत सुपर मिसाइल क्लब जिसके सदस्य अभी तक रूस,अमेरिका,चीन और फ़्रांस थे,  में शामिल हो गया ! वैसे भी भारत की सुरक्षा प्रणाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण अग्नि - 5 का सफल परीक्षण किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है ! वर्तमान समय की परिस्थितयो के चलते यह परीक्षण जरूरी भी था ! जिस तरह से पड़ोसी देशो के साथ संबंधों में तेजी आ रही है ऐसे में भारत को अपनी रक्षा को लेकर सचेत रहना चाहिए ! अग्नि - 5 का सफल परीक्षण सामरिक एवं वैज्ञानिक दोनों नजरियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है ! अग्नि - 5 के उपलब्धियों के चलते अगर यह कहा जाय यह भारत के रक्षा कवच की तरह है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ! 



भारत के लिए अत्यंत गौरव की बात यह है कि यह पूर्णतः स्वदेश में ही निर्मित की गयी है जिसका श्रेय हमारे वैज्ञानिको की दिन - रात मेहनत को जाता है ! अग्नि - 5  जद में समूचा चीन समेत लगभग आधी दुनिया आ गयी है जिसके कारण चीन की मीडिया में बेचैनी बढ़ गयी है ! हालाँकि सिर्फ चीन की मीडिया ने ही भारत के इस सफल परीक्षण पर कुछ इस तरह से अनर्गल बाते की जिससे कि लगता है कि उसे कोई आपत्ति हो ! एक अखबार ने अग्नि 5 के टेस्ट पर चीन ने भारत की मिसाइल क्षमता पर सवाल उठाये है ! मसलन अखबार में कहा गया है कि भारत अग्नि 5 से ICBM क्लब में शामिल होने के दावे कर रहा है ! अग्नि 5 मिसाइल केवल पांच हजार किलोमीटर तक ही मार कर सकती है, जबकि इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल ( ICBM) की मारक क्षमता 8 हजार किलोमीटर होती है !  

यही नहीं अखबार में भारत को एक गरीब देश की संज्ञा देते हुए कहा गया है कि "भारत अभी भी एक गरीब देश है , इंफ्रास्ट्रक्टर और निर्माण के क्षेत्र में वह पीछे है, लेकिन वहां की जनता नाभिकीय हथियार की वकालत करती है " ! भारत को अखबार में चेतावनी देते हुए लिखा गया है, "अगर यह मिसाइल चीन के अधिकतर हिस्सों पर निशाना लगाने में भी सक्षम है, तो इसका यह मतलब नहीं है कि भारत विवादित मुद्दों पर कुछ हासिल कर लेगा ! भारत को पता होना चाहिए कि चीन की परमाणु क्षमता कहीं ज्यादा मजबूत है ! भारत हथियारों के मामले में चीन के आगे कहीं भी नहीं ठहरता है !" अखबार में कहा गया है कि पश्चिमी देश भारत की इस "हथियारों की होड़" पर चुप हैं ! चीन का मीडिया बौखलाहट में कैसी भी बयानबाजी करे परन्तु  हमें प्रतिक्रिया स्वरुप बौखलाने की जरूरत नहीं है ! 

सौ फीसदी सच यह है कि बाह्य सुरक्षा हमारे लिए एक अत्यंत गंभीर मुद्दा है अतः वर्तमान परिस्थितियों के चलते भारत के लिए यह परीक्षण बहुत आवश्यक भी था ! कारण भारत के पड़ोसी देशो में कट्टरवादिता के लगातार हावी होने के चलते वहा राजनैतिक अस्थिरता बढ़ रही है ! पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश को चीन द्वारा अपने नक़्शे में दिखाने से लेकर भारत की घेराबंदी तक जैसी खबरे सुनने में आई थी परन्तु यथार्थ यह है कि  चीन भले ही अपने मानचित्र में भारत के अरुणाचल प्रदेश को लगातार दिखता हो परन्तु भारत को यह कदापि मान्य नहीं है ! वही चीन द्वारा भारत के घेराबंदी जैसी बातो से हमें मानसिक घेराबंदी करने की जरूरत नहीं है ! समुचित शक्ति से , अपनी कूटनीतिक के प्रभाव से और सामरिक शक्ति से इसका कटाक्ष किया जा सकता है !  

भारत के अग्नि - 5 इस सफल परीक्षण से कई  देशो का तर्क है कि इससे एशियाई देशो में हथियारों की होड़ या यूं कहे कि " मिसाइल  दौड़" बढ़ेगी तो यह कदापि उचित नहीं होगा ! भारत ने यह परीक्षण अपनी सामरिक आवश्यकताओं के चलते किया है ! हमारा परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड समूची दुनिया के लिए एक मिशाल है ! ज्ञातव्य है कि नाटो ने  अग्नि - 5  के सफल परीक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि " भारत का परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड बेहद अनुशासित, शांतिपूर्ण और शानदार रहा है " !  अमेरिका भी नाटो के इस बयान से पूर्णतः सहमत है ! भारत की यह सदैव से नीति है कि हम किसी देश पर पहले हमला नहीं करते ! परंतु इसका यह अर्थ कदापि नहीं लगाना चाहिए कि अगर हम पर हमला हुआ तो हम चुप बैठे रहेंगे !

अभी तक यह प्रौद्योगिकी सुरक्षा परिषद् के पांच स्थाई सदस्य देशो के पास ही थी ! भारत अपने अग्नि - 5  के सफल परीक्षण के चलते दूसरे देशो की स्थाई सदस्यता की दावेदारी के चलते अपनी दावेदारी और मजबूत कर ली है अगर ऐसा माना जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी !  हालांकि इस सफलता मात्र से भारत का सुरक्षा परिषद् की तरफ का रास्ता आसान नहीं है ! ज्ञातव्य है कि ब्राजील, जर्मनी, जापान, और दक्षिण अफ्रीका  जैसे देश सुरक्षा परिषद् की स्थाई सदस्यता के लिए अपनी - अपनी दावेदारी कर रहे  थे ! इनमे से अभी तक किसी भी देश के पास अंतर्महाद्वीपीय बलास्तिक मिसाइल (ICBM) नहीं है ! 

भारत का पिछले एक दशक से मिसाइल विकास कार्यक्रम बहुत ही शानदार रहा है ! अग्नि - 1 का सफल परीक्षण 2002 में किया गया था ! जिसकी लागत तकरीबन 300 करोड़ रुपये थी और इसकी मारक क्षमता लगभग 800 किलोमीटर तक थी ! उसके बाद विकास का यह सिलसिला रुका ही नहीं ! भारत ने अब अग्नि - 5 के सफल परीक्षण 5000 से अधिक दूरी तक मार करने की मिसाइल निर्मित कर यह साबित कर दिया कि भारत के वैज्ञानिको में वो काबिलियत है जिससे वह सारे संसार को अपना मुरीद बना सकता है ! ध्यान देने योग्य है भारतीय वैज्ञानिको की दिन - रात मेहनत के चलते भारत ने ब्रह्मोस, आकाश, धनुष,पृथ्वी, सागरिका जैसी मिसाइलें  विकास किया है ! 

वर्तमान समय में किसी भी देश को ताकतवर तब समझा जाता है आर्थिक सम्पन्नता के साथ - साथ उसकी सेना सबसे आधुनिकतम हथियारों से युक्त हो ! भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार समृद्धि की तरफ अग्रसर हो रहा है !  इंफ्रास्ट्रक्टर और निर्माण के क्षेत्र में अब हम निरंतर आगे बढ़ रहे है ! ऐसे में हमें अपनी बाहरी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए ! क्योंकि आर्थिक सम्पन्नता के साथ - साथ उसकी बाह्य सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ! अभी भारत के सम्मुख  विश्व
महाशक्ति बनने में और भी कई चुनौतिया है ! मसलन आर्थिक, प्रशासनिक,पड़ोसी देश के साथ सम्बन्ध ठीक न होना है ! पड़ोसी देश के साथ सम्बन्ध ठीक न होने की बेडी जब तक पडी रहेगी तब तक हम अपनी नियति के अनुसार काम नहीं कर पाएंगे ! अगर सफल सरकार और सबल सरकार भारत में नहीं होगी हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ नहीं कर सकते ! 
हमारा देश आने वाले समय में विश्व के सम्मुख एक आदर्श स्थिति में होगा ऐसी स्थित में भारत को अपनी सामरिक शक्ति में वृद्धि करते हुए तथा सकारात्मक सोच के साथ हमें प्रगति करने के साथ - साथ संयम रखते हुए अनुशासन के साथ आगे बढ़ना चाहिए ! 
राजीव गुप्ता
लेखक एवं स्वतंत्र स्तंभकार,  
मोबाईल सम्पर्क: 98115 58925

Tuesday, May 01, 2012

हम सारी दुनिया मांगेंगे

मजदूरों को उनके निशाने की याद दिलाता एक गीत 
मई दिवस को मनाने की तैयारियां इस बार भी पूरे जोशो खरोश के साथ की गयी हैं.मीडिया में इस बार भी मई दिवस की चर्चा प्रमुखता से हुयी है. इस बार भी नए पुराने कई मुद्दे उठे हैं.पर आज के दिन भी ढाबों में छोटी छोटी उम्र के बच्चे काम करते नजर आये. रिक्शा वाले आज भी पसीना बहते दिखे. और तो और जग्रुक्लता लेन वाले बहुत से पत्रकार भी रोज़ की तरह उब लोगों के लिए खबरें बनाते नजर आये जिन्हें न समाज से कोई सरिकर है और न ही मई दिवस या मजदूरी से.  इस लिए आज के दिन पर फिल्म मजदूर का यह गीत एक बार फिर बहुत कुछ कहता महसूस हो रहा है. लीजिये आप भी सुनिए.आपको यह गीत कैसा लगा और आप आज के दिन पर मजदूरों की हालत पर क्या क्या 
सोचते हैं ? इस सब पर सारे हालात को देखते भी रहे औरलिखते भी रहे. हम मई दिवस के बाद भी इस तरह की सामग्री को प्रकाशित करते रहेंगे आपके नाम के साथ. अगर आप कहेंगे तो आपका नाम  छुपाया भी जा सकता है.-रेक्टर कथूरिया