बीटा थैलेसीमिया मेजर के अनुमानित 4700 मरीज हैं
मोहाली: 8 मई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::
साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर (मोहाली) में स्थित एक गौरवशाली संस्थान है डॉ. बी.आर. अम्बेडकर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़। इस संस्थान में एक ऐसी जंग को लेकर दो दिवसीय आयोजन हुआ जिसमें बहुत सी महत्वपूर्ण बातें हुईं। जंग शब्द से आप हैरान न हों, यह जंग थैलिसीमिया की जंग है और दुनिया के बहुत से हिस्सों में लड़ी जा रही है। इस जंग में भी बहुत से योद्धा हैं जो लगातार इस जंग को लड़ रहे हैं। इस जंग के योद्धाओं को यहां सम्मानित भी किया जाता है और उनके रणकौशल की जानकारी भी दी जाती है। इस बार के आयोजन में ऐसी ही एक थैलेसीमिया योद्धा और सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री अलका चौधरी भी मौजूद रहीं।
थैलेसीमिया के साथ इस जंग के दायरे और महत्व को और बढ़ाते हुए इस महत्वपूर्ण संस्थान ने 7-8 मई 2024 को दो दिवसीय कार्यक्रम के साथ "विश्व थैलेसीमिया दिवस 2024" मनाया। इस वर्ष का विषय "सशक्त जीवन, प्रगति को अपनाना: सभी के लिए समान और सुलभ थैलेसीमिया उपचार" है। थैलेसीमिया योद्धा और सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री अलका चौधरी ने थैलेसीमिया के साथ अपनी यात्रा साझा की जो लचीलापन, साहस और आशा में से एक रही है। प्रतिदिन चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, वह जीवन को मुस्कुराहट और दृढ़ संकल्प के साथ लेती है। अपने जीवन के अनुभव के माध्यम से, सुश्री अलका ने थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों के लिए अधिक जागरूकता, समर्थन और समझ की वकालत भी बहुत ही जीवंत ढंग से की।
पीजीआईएमईआर के हेमेटोलॉजी विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. रीना दास को भी एमबीबीएस छात्रों के लिए अतिथि व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्होंने आनुवंशिक जांच और प्रसव पूर्व परामर्श के माध्यम से बीमारी की रोकथाम पर ज़ोर दिया क्योंकि मेजर थैलेसीमिया का उपचार अत्यधिक महंगा हो सकता है और इसमें स्टेम सेल प्रत्यारोपण भी शामिल हो सकता है। इसलिए, स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता फैलाना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संस्थान की निदेशक प्रिंसिपल और स्वयं एक समर्पित नियमित रक्तदाता डॉ. भवनीत भारती ने इस रोग का शीघ्र पता लगाने, स्वास्थ्य देखभाल में निष्पक्षता और समावेशिता की आवश्यकता, थैलेसीमिया से प्रभावित व्यक्तियों को सशक्त बनाने और उपचार विकल्पों में प्रगति को बढ़ावा देने के प्रयास पर एक आकर्षक संदेश भी दिया। उनकी मैगनेटिक शख्सियत ने इस सबंध में वहां मौजूद लोगों के दिलो दिमाग में थैलेसीमिया जाग्रति की तरंगों को और भी मज़बूत किया।
एआईएमएस के पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. राशि गर्ग ने बताया कि पंजाब में बीटा थैलेसीमिया (3.96%) के लगभग 1.5 मिलियन वाहक हैं, और बीटा थैलेसीमिया मेजर के अनुमानित 4700 मरीज हैं। आप अनुमान लगा सकते कि स्थिति कितनी गंभीर है। कितने लोग इस जंग को लड़ रहे हैं। कितने परिवार इसका दंश झेल रहे हैं।
इसी आयोजन में पैथोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. तनुप्रिया बिंदल ने थैलेसीमिया के प्रमुख रोगियों के लिए आवश्यक निरंतर रक्त संक्रमण और केलेशन थेरेपी के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाली बहुत सी बातें बताईं। उन्होंने सभी थैलेसीमिया रोगियों के लिए रक्त की उपलब्धता, सामर्थ्य और पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया।
यदि आप इस महत्वपूर्ण जंग के योद्धाओं करना चाहते हैं तो देर मत कीजिए। आगे आइए। इस जंग में सहायक बन कर इन योद्धाओं की शक्ति बढ़ाइए। यह सब पुरे समज की ज़िम्मेदारी है सिर्फ सरकार की नहीं।
No comments:
Post a Comment