Saturday, March 23, 2024

पत्रकार हरबंस सिंह सोढी आज भी सदमे में हैं उसे याद करके

किस पाताल में गिरते जा रहे हैं हम 

मोहाली//चंडीगढ़: 23 मार्च 2024: (मीडिया लिंक//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::


"झोले से निकली यादें" एक स्तम्ब जैसा ही है 
जिसे अक्सर जानेमाने पत्रकार हरबंस सोढी लिखते हैं। इस स्तंभ का लिखना और छपना शायद कोई पक्की अवधि या अंतराल नहीं है। लेकिन पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ का एक बहुत ही लोकप्रिय व्हाटससप ग्रुप है जहां पर जनाब सोढी का यह स्तंभ अक्सर हवा के किसी ताज़ा झौंके की तरह  कई बार सामने आ ही जाता है। हर बार इसमें होती है-नई जानकारी, नई बात और वह भी बिलकुल नए अंदाज़ में। इस बार की पोस्ट में ु होने याद दिलाई है शहीद-ए-भगत सिंह जी की।

वह बताते हैं: पटियाला में रेडियो कोरेस्पोंडेंट था! पत्रकारों की टोली के साथ शहीद भगत सिंह की समाधि हुसैनीवाला पहुँचे! वापसी पर पत्रकारों ने लुधियाना में लंच के साथ ख़ूब बीयर उड़ा कर “शहीदी दिवस “ मनाया! 

मैं बेहद परेशान था!खाना भी नहीं खाया! 

पाकिस्तान में जिस जेल में भगत सिंह ,राजगुरू,सुखदेव को फाँसी दी गई थी, उसे गिरा कर,वहाँ शादमान चौक बना दिया गया है !(ये और बात है कि पाकिस्तान में इन शहीदों का बहुत सम्मान है ।वहाँ उन के पैतृक घर को सहेज कर भी रखा गया है ।)

 ज्ञानी ज़ैल सिंह ने भगत सिंह की माता विदिया वती को पंजाब माता का दर्जा दिया ।

Politiciansकी “कारगुज़ारियों “ से विचलित हो कर पंजाब माता को कहना पड़ा था- मेरे बेटे ने ऐसी आज़ादी के लिए क़ुर्बानी दी थी क्या?

Politicsके बारे कुछ नहीं कहना! …परन्तु विचलित तो मैं भी हूँ! जेल से छूटने के लिये, के बार बार माफ़ी माँगने वाले अब Hero हो गए हैं!

—शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले! आज शहीदों की चिताओं पर लगने वाले मेले औपचारिकता का चोग़ा पहन , सचमुच आम से मेले बन गये है!

पुनश्च ः

 शहीदी दिवस पर पत्रकारों के 🍺 Beer पीने से मैं परेशान हो उठा था ! बाद में मैं भी पत्रकार बन गया!

After all हर “profession”

के कुछ “ETHICS!” तो होते ही हैं न!

हरबंस सोढी जी यह पोस्ट पढ़ कर चिंता होने लगी है। शर्म आने लगी है। शहीद-ए-भगत सिंह को कुछ लोग इस तरह पिकनिक मना कर श्रद्धांजलि देते हैं तो भगवान् जाने हम किस युग को बुलावा दे रहे हैं।  किस समाज का निर्माण कर रहे हैं। हो सकता है ऐसा जश्न अंग्रेज़ों ने शहीदों को फांसी दे कर मनाया भी हो लेकिन हम--हम क्या कर रहे हैं?

जानेमाने लेखक और पत्रकार हरबंस सिंह सोढ़ी ने उठाया है यह मुद्दा बिना किसी का नाम लिए 

शहीदों के शहीदी दिवस पर ऐसा करने वालों को जाने शर्म कब आएगी????

No comments: