Monday 13th December 2021 at 4:46 PM
पुलिस वालंटियर को भी दो सालों से न तनख़्वाह मिली न छुट्टी
जब हर तरफ कोरोना मौत का नंगा नाच माच रहा था। घर घर से मौतों की खबरें आ रहीं थीं, कोई अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने को भी तैयार नहीं था उस समय सामने आए लोगों को फ्रंट लाइनन वारियर कह कर वाहवाही की गई। बहुत से लोगों को सम्मानित भी किया गया लेकिन हालत सुधरते ही सर्कार भी भूल गई और समाज भी। आज वे योद्धा लोग बेबस से हुए खुद के सामने ही शर्मसार बने बैठे हैं। उन्होंने अपने इस शोषण की दास्तान आज मोहाली प्रेस क्लब में मीडिया के सामने सुनाई। अफ़सोस कि इनकी सहायता के लिए न तो कोई सियासी परज़ती आगे न ही कोई ट्रेड यूनियन। इनसे मेहनत करवा कर इनकी श्रम शक्ति को दिनदिहाड़े लूट लिया गया।
छुट्टी मांगने पर उल्टा सवाल होता। आपको छुट्टी नहीं मिल सकती, क्यूंकि छुट्टी दी तो आपका काम कौन करेगा? वेतन मांगने पर कहा जाता-आपको तनख़्वाह किस बात की, आप क्या करते हो?’’ इस तरह के सवाल पूछ कर इन्हें ज़लील किया जाता।
यह कोई हैरान होने वाली बात नहीं। बल्कि यह दास्तान पिछले 2 सालों से कोविड महामारी में पंजाब पुलिस वलंटियरज़ के तौर पर भरती किये उन 3600 नौजवानों की है जो अब तक नौकरी की आशा में बिना तनख़्वाहों के ही काम करते करते सिर्फ़ 380 रह गए हैं।
आज यहाँ मोहाली प्रैस क्लब में एक प्रैस कान्फ़्रेंस दौरान वालंटियर जगमीत सिंह मुक्तसर, गुरप्रीत सिंह तरनतारन, बचित्तर सिंह अमृतसर, गुरप्रीत सिंह फाजिल्का और हरिन्दर सिंह फ़िरोज़पुर ने बताया कि वह मार्च 2019 में करोना महामारी के शिखर पर सरकार ने तब भरती किये थे,, जब करोना मरीज़ों की मांएँ ने पुत्र नहीं पहचाने, पुत्रों ने पिता छोड़ दिए थे तो उस समय पर करोना मरीज़ों का सरकार यह वलंटीरज़ करवाते थे।
यही नहीं; उन को थानों में सांझ केन्द्रों में चालक, बैंक ड्यूटी, नाका ड्यूटी पर चाय बनाने जैसी ड्यूटियों दीं गई, परन्तु अजय तक किसी को भी तनख़्वाह के नाम पर फूटी कौड़ी तक भी नहीं दी गयी।
यही कारण है कि 3600 वलंटियरज़ में से अब 380 अभी भी बिन तनख़्वाहों के ही काम कर रहे हैं और बाकी के घर की तंगीयों तुरशियों के मारे वापस चले गए हैं।
इन्हों नेताओं ने बताया कि इन को पंजाब के डी जी पी और ओर अफसरशाही, विधायकों, मंत्रियों और मुख्य मंत्री तक जल्दी नौकरी देने के भरोसे दिए गए थे। पंजाब का शायद कोई ही विधायक हो जिसने उन को जल्दी नौकरी पर रखने का भरोसा न दिया हो। उन कहा कि सभी ही मंत्री और मुख्य मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने भी यह भरोसा दिया है कि जल्दी ही उन का काम कर दिया जायेगा।
चेहरे पर निराशा में डूबे इन फ्रंट लाईन योद्धाओं को शायद राजनीति की तिकड़मबाज़ियों का पता नहीं था जिस के भरोसे यह अपनी ज़िंदगी मौत के मुँह देने के लिए राज़ी हो गए और जब करोना का बुरा समय निकल गया तो करोना पर जीत के लिए अपनी पीठ थपथपाती सरकार ने इन को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
वह पत्रकारों को बार बार पूछ रहे थे कि घर घर जा कर फार्म भरवा कर रोज़गार देने के वायदे करन वाली सरकार 23 लाख नौकरियाँ देने का पाखंड तो कर रही है, परन्तु हकीकत में सभी कच्चे, आऊटसोरस और एडहाक मुलाज़िम हर रोज़ टैंकियों, सड़कें और धक्के खा रहे हैं।
अब इन वलंटियरज़ ने मोहाली के फेस आठ स्थित एक गुरुद्वारा साहब के सामने सामने धरना लगा कर कोई सख़्त कदम उठाने का ऐलान किया है तांकि सरकार के कानों में उन की आवाज़ पड़ सके।
इसी दौरान भारतीय किसान मज़दूर एकता यूनियन की प्रधान श्रीमती हरमीत कौर बाजवा ने अपनी जत्थेबंदी की तरफ से इतना पंजाब पुलिस वालंटियर की तन मन पर धन के साथ हिमायत करन का ऐलान किया है।
दूसरी तरफ समाज से जुड़े विभिन्न पछड़े हुए लोगों की भलाई के लिए कार्य करने वालों में से कुछ वशिष्ठ लोगों ने कहा कि हम इनका साथ तो ज़रूर देंगें लेकिन जब कोई वालंटियर बनता या बनाया जाता है तो ज़ाहिर होता है की इसकी कोई तनखाह नहीं होगी। इनकी नियुक्ति के वक्त भी इनके साथ ऐसा कोई भी लिखती वायदा नहीं किया गया होगा। फिर भी खास बात यह है कि इन लोगों ने वो काम किया जिसे करने से सरकार के तनखाहदार कर्मचारी भी पीछे हट गए थे।
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