Sunday, June 20, 2021

पेटेंट फ्री वैक्सिंग संकल्प ले कर आगे आया स्वदेशी जागरण मंच

 20th June  2021 at 4:33 PM

विश्व जागृति दिवस पर पेटेंट फ्री वैक्सिंग  के लिए विशेष अभियान 


पंचकूला
: 20 जून 2021: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

RSS विचार धारा के एक प्रमुख संगठन स्वदेशी जागरण मंच की टीमें एक बार फिर जोशो खरोश के साथ सक्रिय हैं। इस बार मुद्दा है पेटेंट फ्री वैक्सिंग का संकल्प। स्वदेशी जागरण मंच द्वारा (अथवा यू वी ए एम टीम द्वारा) आज विश्व जागृति दिवस के रूप में पेटेंट फ्री वैक्सीन संकल्प कार्यक्रम का आयोजन किया गया।  आयोजन में मंच व अन्य संस्थाओं से जुड़े सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने (अनेक स्थानों में) कोविड वैक्सीन को सर्व सुलभ बनाने के लिए इसे पेटेंट मुक्त करने के लिए पोस्टर्स व बैनर हाथ में लेकर इसमें भाग लिया। 

इस अवसर पर मुख्य वक्ता/अतिथि के रूप में बोलते हुए विशाल सैनी ने कहा कि वैश्विक मानवता आज कोविड-19 के रूप में एक अभूतपूर्व संकट व त्रासदी का सामना कर रही है। पिछले लगभग 1 वर्ष में दुनिया भर में 37 लाख से अधिक और भारत में 3.4 लाख से अधिक लोगों की कोविड-19 से असमय मृत्यु हो गई है। 

इजरायल, यूएस, यूके, नार्वे आदि देशों ने अपनी वयस्क आबादी के बहुमत का टीकाकरण करके ताजा संक्रमण और कोरोना से होने वाली मौतों को नियंत्रित किया है। लोगों को कोरोना से बचाने के लिए दुनिया को करीब 14 अरब वैक्सीन डोज की जरूरत है, जबकि पिछले लगभग 6 महीनों में सभी आठ फार्मा कंपनी द्वारा कोविड टीकों कि केवल 200 करोड़ रोज का ही उत्पादन किया जा सका है। 

वर्तमान दर पर दुनिया की योग्य आबादी को टीका लगने में दो-तीन साल और लग सकते हैं, जबकि पहले से ही टीका लगाए गए लोगों को पुनः नए कोरोना वेरिएंट से संक्रमित होने से बचाने के लिए 10-12 महीनों के समय में सभी देशों की योग्य आबादी का टीकाकरण करना जरूरी है । इसका अर्थ है कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं रहेगा जब तक की सभी सुरक्षित नहीं हो।

कोविड टीकों के बड़े पैमाने पर उत्पादन में रुकावट विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स के प्रावधानों के तहत आने वाले पेटेंट कानून और बौद्धिक संपदा अधिकार है जो अन्य फार्मा कंपनियों को इन टीकों के निर्माण की अनुमति नहीं देते हैं। दुनिया की 7. 87 अरब आबादी को कोरोना के चंगुल से बचाने के लिए वैक्सीन और दवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए पेटेंट कानूनों में ढील देने की जरूरत है।

UAVM (यूनिवर्सल एक्सेस टू वैक्सीन  एंड मेडिसिन) अभियान सभी के लिए कोविड वैक्सीन उपलब्ध कराने हेतु उच्च शिक्षा संस्थानों और स्वदेशी जागरण मंच जैसे सामाजिक संगठनों के सदस्यों की एक टीम द्वारा दो ऑनलाइन याचिकाओं के माध्यम से दुनियाभर में शुरू किया गया है, एक याचिका कुलपति या समकक्ष जैसे प्रख्यात व्यक्तियों के लिए और दूसरी अन्य लोगों के लिए। 

पहली याचिका पर देश के 2000 से अधिक प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए और दूसरी याचिका पर भारत और विदेशों से 14 लाख से अधिक व्यक्तियों द्वारा 16 जून तक हस्ताक्षर किए गए हैं । इन याचिकाओं के माध्यम से अपील की गई है कि (1) विश्व व्यापार संगठन पेटेंट फ्री वैक्सीन के लिए ट्रिप्स के प्रावधानों में छूट दे (2) वैश्विक दवा कंपनियां स्वेछिक रूप अन्य फार्मा कंपनियों को कोविड 19 के टीके बनाने की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित पेटेन्ट मुक्त अधिकार दे (3) सरकारें अपने संप्रभु अधिकारों का प्रयोग कर अधिक दवा फर्मो को टीके बनाने का लाइसेंस दे और (4) संबंधित व्यक्ति और संगठन मानवता हेतु अभियान का समर्थन करें।

विश्व व्यापार संगठन ने 9 जून 2021 को अपनी बैठक में 60 से अधिक देशों द्वारा समर्थित भारत और दक्षिण अफ़्रीका के वैक्सीन निर्माण को बढ़ाने के लिए ट्रिप्स के प्रावधानों में छूट के प्रस्ताव को फास्ट ट्रैक से अंतिम रूप देने के लिए एक टेक्स्ट (मसौदा) आधारित प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है । यह भारत में UAVM जैसे अभियानों और दुनिया में इसी तरह के अन्य अभियानों द्वारा उत्पन्न जनता के दबाव के कारण संभव हुआ है।

इस मुद्दे पर अधिक जागरूकता और समर्थन सुनिश्चित करने और डब्ल्यूटीओ द्वारा ट्रिप्स छूट को अंतिम रूप देने तक अधिक सार्वजनिक दबाव उत्पन्न करने के लिए, यूएवीएम अभियान ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 20 जून, 2021 को विश्व जागृति दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है । इस दिन पेटेंट मुक्त संकल्प कार्यक्रम भारत के विभिन्न शहरों और विश्वविद्यालयों/कॉलेजों और दुनिया के कई देशों में प्रदर्शनों/प्रेस ब्रीफिंग/संगोष्ठियों/वेबिनार आदि के रूप में क्षेत्र के कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों, प्रेस और मीडिया के लोगों की उपस्थिति में किये जाएंगे । स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित आज का यह कार्यक्रम भी इसी की एक कड़ी है।

गौरतलब है कि स्वदेशी जागरण मंच ने मई महीने के अंत में भी इस मुद्दे को उठाते हुए अपनी वेब साईट पर कहा था कि अनिवार्य अनुज्ञापनः पेटेंटधारकों के शोषण पर अंकुश आवश्यक है। यकृत व गुर्दे के कैंसर की जर्मन कंपनी ‘बायर’ का ‘नेक्सावर’ नामक इंजेक्शन 2,80,000 रूपये का आता था। उसे मात्र 8,8,00 रु. में बेचने का प्रस्ताव कर एक भारतीय कंपनी ‘नाट्को’ ने भारत के मुख्य पेटेंट नियंत्रक को आवेदन कर कम्पल्सरी लाइसेंस प्राप्त कर लिया। आज नेक्सावर भारत के बाहर 2,80,000 रु. में मिलता है, वहीं भारत में यह उसकी मात्र तीन प्रतिशत कीमत पर मिल जाता है। दुर्भाग्य से इस अनिवार्य अनुज्ञा पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर यूरो-अमेरिकी देशों का इतना दबाव आया कि उन नियंत्रक को पद छोड़ना पड़ गया। अभी यह भी गर्व का विषय है कि भारतीय कंपनी ‘नाट्को’ फार्मा ने पुनः अमेरिकी कंपनी ‘एली लिलि’ की कोरोना की औषधि ‘बेरिसिटिनिब’ के समानांतर उत्पादन हेतु अनिवार्य अनुज्ञापन के लिए आवेदन कर दिया है। आशा है शीघ्र ही कोरोना की शेष औषधियों के उत्पादन के लिए कई कंपनियां स्वैच्छिक अनुज्ञापन के लिए आगे आएंगी।

इस संबंध में अतीत के संघर्षों का उल्लेख भी आवश्यक है क्यूंकि इसकी विशेष उपलब्धियां भी हैं। नब्बे के दशक में यूरो-अमेरिकी कंपनियां एड्स की औषधियों की कीमत इतनी लेती थीं कि भारत से बाहर एक रोगी की वार्षिक चिकित्सा लागत 15,000 डॉलर यानी 10,00,000 रुपये से अधिक आती थी। चूंकि 1995 के पहले भारत में ‘प्रोडक्ट पेटेंट’ न होकर, केवल ‘प्रक्रिया पेटेंट’ ही होता था। इसलिए कई भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय पेटेंटधारक की उत्पादन प्रक्रिया से भिन्न प्रक्रिया का विकास कर इन्हें बनाती व इतनी कम लागत पर बेचती थीं कि व्यक्ति की चिकित्सा लागत 350-450 डॉलर ही आती थी। इसलिए दक्षिणी अफ्रीका व ब्राजील ने भारत से इन औषधियों के आयात हेतु अनिवार्य अनुज्ञापन के कानून बना लिए। तब अमेरिकी कंपनियों के एक समूह ने दक्षिण अफ्रीकी कानून को ट्रिप्स विरोधी बता कर दक्षिण अफ्रीकी सर्वाच्च न्यायालय में व अमेरिकी सरकार ने ब्राजील के कानून को डब्ल्यूटीओ के विवाद निवारण तंत्र में चुनौती दे डाली। इस पर दक्षिणी अफ्रीका में अमेरिकी दूतावास के सम्मुख सड़कों पर ऐसा उग्र प्रदर्शन हुआ कि अमेरिकी कंपनियों ने सर्वाच्च न्यायालय से व अमेरिकी सरकार ने डब्ल्यूटीओ के विवाद निवारण तंत्र से वे मुकदमे वापस ले लिए। 

इसके बाद 2001 के विश्व व्यापार संगठन के दोहा के मंत्री स्तरीय सम्मेलन के पहले दिन ही सभी विकासशील देशों ने इतने उग्र तेवर दिखाए कि गैर विश्व व्यापार संगठन के पांच दशक के इतिहास में पहली बार सम्मेलन के पहले दिन ही औषधियों के उत्पादन के लिए अनिवार्य अनुज्ञापन का प्रस्ताव पारित करना पड़ा। इस प्रस्ताव के आधार पर ही भारत के पेटेंट कानून में 2005 में अनिवार्य अनुज्ञापन का प्रावधान धारा 84, 92 व 100 के माध्यम से जोड़ना संभव हुआ। इसी प्रावधान के अधीन नाट्को फार्मा ने कोरोना की औषधि ‘बेरिसिटिनिब’ के अनिवार्य अनुज्ञापन हेतु आवेदन किया है और शेष औषधियों की भी सर्व सुलभता के लिए भारतीय कंपनियां अनिवार्य अनुज्ञापन हेतु आवेदन की तैयारी में हैं।  यह अभियान लगातार प्रगति पर रहा। आज यह सड़कों पर है तो भारतीय जनता के दिलों पर एक दस्तक देने का एक प्रयास भी है। यह दस्तक दुनिया भर में जाए यही है स्वदेशी जागरण मंच की कोशिश। 


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