Thursday, May 21, 2020

चीन के प्रति अमेरिकी सामरिक रवैया:आखिर वजह क्या है?

20 मई 2020 को  जारी किया गया 

 चीन अमेरिका की उमीदों पर खरा नहीं उतरा  

The Conversation  से साभार तस्वीर

परिचय

अमेरिका और चीन के बीच 1979 में जब से राजनयिक संबंध स्थापित हुए हैं, अमेरिका की चीन के प्रति नीति आमतौर पर इस उम्मीद पर आधारित रही है कि गहराते रिश्ते चीन में बुनियादी आर्थिक और राजनीतिक खुलापन लाएंगे और आख़िरकार इससे एक रचनात्मक और ज़िम्मेदार अंतरराष्ट्रीय साझेदार का उदय होगा, जिसका समाज और अधिक खुला होगा। 40 साल से भी ज़्यादा समय के बाद ये स्पष्ट हो चुका है कि इस दृष्टिकोण ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की चीन में आर्थिक और राजनीतिक सुधार की गुंज़ाइश को रोकने की इच्छाशक्ति को कम करके आंका था। पिछले दो दशकों के दौरान सुधारों की गति या तो धीमी हुई है, या तो उन्हें रोक दिया गया है या उन्हें पलट दिया गया है। चीन की तेज़ आर्थिक विकास और दुनिया से उसका बढ़ा संपर्क जनता केंद्रित, स्वतंत्र और खुली व्यवस्था से तार नहीं जोड़ पाया है, जैसे कि अमेरिका ने उम्मीद की थी। सीसीपी ने इसके बदले स्वतंत्र और उदार नियमों पर आधारित व्यवस्था का लाभ उठाने का विकल्प चुना और इससे ज़रिए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नया आकार देकर अपने पक्ष में करने की कोशिश की। चीन सीसीपी के हितों और विचारों के हिसाब से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने की कोशिश करने की बात को खुले तौर पर स्वीकार करता है। सीसीपी द्वारा आर्थिक, सामाजिक और सैनिक शक्ति का इस्तेमाल उत्तरोत्तर बढ़ाकर विभिन्न राष्ट्रों को सहमति के लिए मजबूर करना अमेरिका के अहम हितों को नुक़सान पहुंचा रहा है और इसकी वजह से दुनिया के देशों और व्यक्तियों की संप्रभुता और गरिमा को नुक़सान पहुंच रहा है। 

चीन की चुनौती का जवाब देने के लिए, अमेरिकी प्रशासन ने चीन को लेकर एक बराबरी का रुख़ अपनाया है, जो सीसीपी के इरादे और क़दमों के स्पष्ट आकलन, अमेरिका के विभिन्न सामरिक बढ़तों और कमियों के पुनर्मूल्यांकन और व्यापक द्विपक्षीय टकराव के संबंध में धैर्य पर आधारित है। हमारा रुख़ चीन के लिए ख़ासतौर पर कोई शर्त निर्धारित करने पर आधारित नहीं है। दरअसल हमारा लक्ष्य अमेरिका के अहम राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है, जोकि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (एनएसएस) 2017 के चार स्तंभों के रूप में व्यक्त किया गया है। हमारा लक्ष्य है: (1) अमेरिकी लोगों, होमलैंड और जीवन शैली की रक्षा करना; (2) अमेरिकी समृद्धि को बढ़ावा देना; (3) शक्ति के सहारे शांति क़ायम रखना; और (4) अमेरिकी प्रभाव को बढ़ाना।

चीन के प्रति हमारे प्रतिस्पर्धी रुख़ के दो उद्देश्य हैं: पहला, हमारी संस्थाओं की सुदृढ़ता, गठबंधन और साझेदारी में सुधार करना ताकि चीन की ओर से पेश की जा रही चुनौतियों पर हावी हो सकें; दूसरा, चीन को इसके लिए मजबूर किया जा सके कि वो अमेरिका के अहम राष्ट्रीय हितों और उसके सहयोगी देशों और साझेदारों के हितों को नुक़सान पहुंचाने वाली कार्रवाई या तो ख़त्म कर दे या कम करे। हम भले ही चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, लेकिन हम हमारे हितों के मद्देनज़र सहयोग का स्वागत भी करते हैं। प्रतिस्पर्धा से हमेशा टकराव या संघर्ष नहीं होता है। अमेरिका के मन में चीन के लोगों के प्रति गहरा और स्थाई सम्मान है और हमारा चीन के साथ पुराना संबंध है। हम चीन के विकास को रोकना नहीं चाहते और न हीं हम चीन के लोगों के साथ संपर्क तोड़ने की इच्छा रखते हैं। अमेरिका चीन के साथ एक ईमानदार प्रतिस्पर्धा की उम्मीद रखता है, जहां हमारे दोनों देश, हमारे व्यवसाय और हमारे लोग सुरक्षा और समृद्धि का आनंद ले सकें।

चीन के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कई साझेदारों के साथ सहयोगी संबंध ज़रूरी है और अमेरिकी प्रशासन हमारे साझा हितों और मूल्यों की रक्षा के लिए साझेदारी विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस प्रशासन के अहम सहयोगियों में कांग्रेस, प्रांतीय और स्थानीय सरकारें, प्राइवेट सेक्टर, नागरिक समाज और शिक्षाविद् शामिल हैं। कांग्रेस सुनवाइयों, बयानों और चीन के दुर्भावनापूर्ण व्यवहार पर रोशनी डालने वाली रिपोर्टों के माध्यम से अपनी बात रखती रही है। कांग्रेस अमेरिकी सरकार को अपने सामरिक लक्ष्य हासिल करने की दिशा में क़दम उठाने के लिए क़ानूनी प्राधिकार और संसाधन उपलब्ध कराती है। अमेरिकी प्रशासन चीन के प्रति स्पष्ट और मज़बूत रुख़ अपनाने के लिए अपने सहयोगी देशों और साझेदारों द्वारा उठाए गए क़दमों को स्वीकार करती है, जिनमें अन्य बातों के अलावा यूरोपीय संघ द्वारा मार्च 2019 में ईयू-चाइना: ए स्ट्रेटेजिक आउटलुट का प्रकाशन शामिल है।

अमेरिका स्वतंत्र और मुक्त व्यवस्था के साझा सिद्धांतों के समर्थन के लिए मित्र राष्ट्रों, साझेदारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग स्थापित कर रहा है। ख़ासतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए, ऐसी कई पहलों का ज़िक्र दस्तावेज़ों में किया गया है, ये दस्तावेज़ हैं- रक्षा मंत्रालय की जून 2019 की हिंद-प्रशांत सामरिक रिपोर्ट और ए फ़्री एंड ओपन इंडो-पैसिफ़िक: एडवांसिंग ए शेयर्ड विज़न पर विदेश मंत्रालय की नवंबर 2019 की रिपोर्ट। अमेरिका एक दूसरे की साझा दूरदर्शिता और दृष्टिकोण के साथ समन्वय के साथ काम कर रहा है, जैसे एसोसिएशन ऑफ़ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस का आउटलुक ऑन द इंडो-पैसिफ़िक, जापान की मुक्त और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत संकल्पना, भारत की क्षेत्र में सबकी सुरक्षा और सबके विकास की नीति, ऑस्ट्रेलिया की हिंद-प्रशांत अवधारणा, दक्षिण कोरिया की नई दक्षिण नीति और ताइवान की नई दक्षिणवर्ती नीति।

यह रिपोर्ट हमारी सामरिक प्रतिस्पर्धा के तहत दुनिया भर में अमेरिकी प्रशासन के उन व्यापक क़दमों और नीतिगत पहल का विवरण देने की कोशिश नहीं है। दरअसल यह रिपोर्ट एनएसएस को लागू करने पर केंद्रित है क्योंकि ये सीधे तौर पर सबसे अधिक चीन पर लागू होती है।

चुनौतियां  

चीन आज अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को अनेक चुनौतियां दे रहा है।

आर्थिक चुनौतियां

आर्थिक सुधारों के प्रतिबद्धताओं के अनुपालन में चीन का ख़राब रिकॉर्ड और इसकी सरकारी संरक्षणवादी नीतियों और कार्यप्रणाली से अमेरिकी कंपनियों और कामगारों को नुक़सान होता है, विश्व बाज़ार का स्परूप बिगड़ता है, इससे अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन होता है और वातावरण प्रदूषित होता है। जब 2001 में चीन विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में शामिल हुआ था, उस समय उसने डब्ल्यूटीओ की मुक्त व्यापार आधारित व्यवस्था को स्वीकार किया था और इस पर भी सहमति जताई थी कि वो इन सिद्धांतों को अपनी व्यापार व्यवस्था और संस्थाओं में लागू करेगा। डब्ल्यूटीओ के सदस्य उम्मीद करते थे कि चीन आर्थिक सुधारों के रास्ते पर चलना जारी रखेगा और ख़ुद को बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था और व्यापार व्यवस्था में ढालना भी जारी रखेगा।

लेकिन ये उम्मीदें वास्तविकता में नहीं बदलीं। चीन ने प्रतिस्पर्धा आधारित व्यापार और निवेश के अपने मानकों और कार्यप्रणाली को अपने यहां लागू नहीं किया और इसके उलट डब्ल्यूटीओ की सदस्यता का फ़ायदा उठाते हुए वह दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया, जबकि अपने घरेलू बाज़ार का वह व्यवस्थित ढंग से संरक्षण करते रहा। चीन की आर्थिक नीतियों के कारण उसकी औद्योगिक क्षमता ज़रूरत से ज़्यादा हो गई है। इससे अंतरराष्ट्रीय क़ीमतें प्रभावित होती हैं और चीन को अपना ग्लोबल मार्केट शेयर बढ़ाने का मौक़ा मिल जाता है। ऐसा उन प्रतिस्पर्धी कंपनियों की क़ीमत पर होता है, जो बिना किसी अनुचित लाभ के काम करती हैं, जोकि चीन अपनी कंपनियों को देता है। चीन व्यापर और निवेश को लेकर अपनी बाज़ार रहित आर्थिक संरचना और सरकार की अगुआई में मुनाफ़ाखोरी वाले रवैये पर क़ायम है। इसी तरह राजनीतिक सुधार भी कमज़ोर हो गया है और उल्टी दिशा में चला गया है, तथा सरकार और पार्टी के बीच का अंतर कम हो रहा है। महासचिव शी का राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा को ख़त्म करना दरअसल उनके कार्यकाल को अनिश्चितकाल के लिए प्रभावी रूप से बढ़ा देना है। ये चीन में जारी इन प्रवृतियों का सार है।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों (यूएसटीआर) ने 2018 की अपनी रिपोर्ट 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के तहत चीन के क़दमों, नीतियों और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, बौद्धिक संपदा और नवाचार की जांच के अपने नतीजों में निर्धारित किया कि चीन की सरकार के कई क़दम, नीतियां और कार्यप्रणाली अनुचित और पक्षपातपूर्ण हैं जो अमेरिकी वाणिज्य को रोकती हैं या उस पर बोझ बनती हैं। ठोस जांच के आधार पर यूएसटीआर ने निष्कर्ष निकाला कि चीन: (1) अमेरिकी कंपनियों को बाध्य करता है या उन पर दबाव डालता है कि वे अपनी प्रौद्योगिकी चीनी कंपियों को ट्रांसफ़र कर दें; (2) बाज़ार की शर्तों पर अपनी प्रौद्योगिकी के अधिकार देने की अमेरिकी कंपनियों की क्षमता पर पर्याप्त प्रतिबंध लगाता है; (3) आधुनिक और अग्रणी प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए अपनी घरेलू कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए प्रत्यक्ष और अनुचित तरीक़े से मदद करता है; और (4) संवेदनशील सूचनाएं और व्यापार की गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए अमेरिकी कंपनियों के नेटवर्क पर अनाधिकृत साइबर हमले करवाता है और इसका समर्थन करता है। 

अपनी लूटपाट वाली आर्थिक कार्यप्रणाली को रोकने के लिए चीन की प्रतिबद्धता खोखले और झूठे वादों से भरी पड़ी है। 2015 में चीन ने वादा किया था कि वो व्यावसायिक फ़ायदे के लिए गोपनीय व्यापार जानकारियों की सरकार निर्देशित साइबर चोरी को रोकेगा, 2017 और 2018 में भी उसने यही वादा किया था। 2018 में बाद में अमेरिका और दर्जन भर अन्य देशों ने चीन के सुरक्षा मंत्रालय से जुड़े लोगों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कंप्यूटर्स को हैक करने का अभियान चलाने तथा बौद्धिक संपदा और गोपनीय व्यापार जानकारियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। ये चीन की 2015 में की गई प्रतिबद्धता का उल्लंघन था। 1980 के दशक से चीन ने बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बावजूद दुनिया के 63 फ़ीसदी से अधिक जाली सामान चीन में बनते हैं, जिससे दुनिया भर में वैध व्यापार को खरबों डॉलर का नुक़सान होता है। 

हालांकि चीन ये स्वीकार करता है कि अब वो एक परिपक्व अर्थव्यवस्था है, लेकिन चीन डब्ल्यूटीओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करते समय ये तर्क देता है कि वो अब भी एक विकासशील देश है। हालांकि वो उन्नत प्रौद्योगिकी के उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है, सकल घरेलू उत्पाद, रक्षा ख़र्च और बाहरी निवेश में वो अमेरिका के बाद दूसरी रैंकिंग पर है। चीन अपने को विकासशील देश कहता है ताकि वो अपनी नीतियों और कार्यप्रणाली को सही ठहरा सके, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सेक्टरों को संस्थागत रूप से विकृत करती हैं। इससे अमेरिका और अन्य देशों को नुक़सान होता है।

वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) चीन के लिए एक ऐसा व्यापक शब्द है, जिसके तहत वो अपनी कई पहलों की व्याख्या करता है। इनमें से कई अंतरराष्ट्रीय मानकों, मापदंडों और नेटवर्कों को नया आकार देते दिखते हैं ताकि चीन के अंतरराष्ट्रीय हितों और दृष्टिकोण को बढ़ाया जा सकते, साथ ही ये चीन की घरेलू आर्थिक ज़रूरतों का भी ख़्याल रखते हैं। हालांकि ओबीओआर और अन्य क़दमों के ज़रिए चीन महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सेक्टरों में अपने औद्योगिक मापदंडों का इस्तेमाल बढ़ा रहा है, ये ग़ैर-चीनी कंपनियों की क़ीमत पर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपनी कंपनियों की स्थिति मज़बूत करने की उसकी कोशिश का भी एक हिस्सा है।

चीन ने जिन परियोजनाओं को ओबीओआर के तहत रखा है, उनमें परिवहन, सूचना और संचार तकनीक, आधारभूत ऊर्जा क्षेत्र, औद्योगिक पार्क, मीडिया सहयोग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान, धर्म और संस्कृति पर कार्यक्रम तथा सैनिक और सुरक्षा सहयोग शामिल हैं। चीन ओबीओआर से जुड़े व्यावसायिक विवादों में अपने विशेषज्ञ अदालतों, जोकि सीसीपी के अधीन हैं, के ज़रिए मध्यस्थता करना चाहता है। अमेरिका दीर्घकालिक और उच्चस्तरीय विकास में चीन के उस योगदान का स्वागत करता है, जो सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के हिसाब से हैं, लेकिन ओबीओआर की परियोजनाएं अक्सर इन मापदंडों से अलग काम करती हैं और मेज़बान देशों में ख़राब गुणवत्ता, भ्रष्टाचार, पर्यावरण की दुर्दशा, सार्वजनिक निगरानी की कमी या जनता की भागीदारी में कमी, क़र्ज़ में पारदर्शिता की कमी, कॉन्ट्रैक्ट की परिस्थितियों के निर्माण या शासन एवं वित्त से जुड़ी समस्याओं के गहराने को लेकर जानी जाती हैं।

राजनीतिक रियायत लेने या अन्य देशों के ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई में चीन की अपनी आर्थिक क्षमता के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए अमेरिका का अनुमान है कि चीन ओबीओआर परियोजनाओं को अनावश्यक राजनीतिक प्रभाव और सैन्य पहुंच के लिए बदलने की कोशिश करेगा। चीन सरकारों, बुद्धिजीवियों, कंपनियों, थिंक टैंकों और अन्य पर सीसीपी के निर्देशों पर चलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने हेतु दबाव बनाने के लिए, अकसर परोक्ष तौर पर, धमकी और लोभ के मिश्रण का इस्तेमाल करता है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण कोरिया, जापान, नॉर्वे, फिलीपिंस और अन्य देशों के साथ व्यापर और पर्यटन को सीमित कर दिया है। उसने इन देशों के आंतरिक राजनीतिक और न्यायिक प्रक्रियाओं में दखल देने की कोशिशों के तहत कनाडा के नागरिकों को हिरासत में रखा है। 2016 में जब दलाई लामा ने मंगोलिया का दौरा किया, तो चीन की सरकार ने अपने देश से गुज़रने वाले भूमिबद्ध देश मंगोलिया के खनिज निर्यात पर नए शुल्क लगा दिए। इससे अस्थाई रूप से मंगोलिया की अर्थव्यस्था पंगु बन गई थी।

चीन चाहता है कि पर्यावरण को लेकर उसकी कोशिशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिले। चीन दावा करता है कि वो हरित विकास को बढ़ावा देता है। हालांकि एक दशक से भी ज़्यादा समय से चीन बड़े अंतर से दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैसों का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। चीन ने उत्सर्जन में कमी को लेकर एक अस्पष्ट और अप्रवर्तनीय प्रतिबद्धता सामने रखी है, जो 2030 के आसपास तक चीन के उत्सर्जन के बढ़ते रहने की अनुमति देता है। दुनिया के बाक़ी देश मिलकर उत्सर्जन में जितनी कमी कर रहे हैं, चीन की योजना उससे ज़्यादा उत्सर्जन की है। चीन की कंपनियां कोयले के ईंधन वाले प्रदूषक पावर प्लांट सैकड़ों विकासशील देशों को निर्यात करती हैं। चीन दुनिया भर में समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण का भी सबसे बड़ा स्रोत है। हर साल चीन 3.5 मिलियन मिट्रिक टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में छोड़ता है। चीन दुनिया भर के तटीय देशों के पानी में ग़ैरक़ानूनी, अनियंत्रित और ख़बरों से दूर फ़िशिंग के मामले में पहले नंबर पर है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं पर ख़तरा पैदा होता है और समुद्री परिवेश को नुक़सान पहुंचता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुक़सान पहुंचाने वाले इन क़दमों पर लगाम लगाने की चीन के नेताओं की अनिच्छा पर्यावरण के प्रबंधन के उनके वादे वाले बयानों से मेल नहीं खाती।

हमारे मूल्यों को चुनौती

सीसीपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन मूल्यों को बढ़ावा देती है, जो अमेरिकी विश्वास के मूल सिद्धांतों को चुनौती देते है, जिसमें हरेक व्यक्ति के जीने के, स्वतंत्रता के और ख़ुशहाली की कोशिश के असंक्राम्य अधिकार शामिल है। मौजूदा पीढ़ी के नेतृत्व के अधीन सीसीपी ने अपनी शासन व्यवस्था को उन देशों से बेहतर दिखाने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं, जो अपने को विकसित और पश्चिमी देश कहते हैं। चीन इस बारे में स्पष्ट है कि वो अपने आप को पश्चिम के साथ वैचारिक प्रतिस्पर्धा में शामिल देखता है। 2013 में महासचिव शी ने सीसीपी में दो प्रतिस्पर्धी व्यवस्थाओं के बीच दीर्घकालिक सहयोग और संघर्ष के लिए तैयार रहने की अपील की थी और घोषणा की थी कि पूंजीवाद का ख़ात्मा तय है और समाजवाद की विजय निश्चित है। सीसीपी का लक्ष्य व्यापक राष्ट्रीय शक्ति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के मामले में चीन को ग्लोबल लीडर बनाना है। महासचिव शी ने 2017 में ये विचार व्यक्त किए थे। ऐसा उस व्यवस्था को मज़बूत करने से होगा, जिसे वे चीनी विशिष्टताओं वाले समाजवाद की व्यवस्था कहते हैं। ये व्यवस्था मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा की चीन की व्याख्या पर आधारित है। साथ ही इसमें एक राष्ट्रवादी और एकल पार्टी तानाशाही, सरकार निर्देशित अर्थव्यवस्था, देश की सेवा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शामिल हैं और सीसीपी की सेवा के लिए व्यक्तिगत अधिकारों का आधिपत्य ख़त्म हो जाता है। ये प्रतिनिधित्व पर आधारित सरकार, मुक्त उद्यम, बुनियादी गरिमा और हरेक व्यक्ति को महत्व देने वाले अमेरिका और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के सिद्धांतों के विपरीत है।

सीसीपी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महासचिव शी के वैश्विक शासनप्रणाली की संकल्पना को बढ़ावा देता है। ये संकल्पना ‘मानवमात्र के लिए समान नियति वाले समुदाय के निर्माण’ के बैनर तले आता है। घरेलू स्तर पर वैचारिक समानता के लिए दबाव देने की चीन की कोशिश, दरअसल व्यावहारिक रूप में सीसीपी के नेतृत्व वाले समाज की एक बेचैन करने वाली तस्वीर पेश करती है: (1) एक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान, जिसने राजनीतिक विरोधियों का ख़ात्मा कर दिया; (2) ब्लॉगरों, अधिकारवादी कार्यकर्ताओं और वकीलों पर अन्यायपूर्ण मुक़दमा; (3) जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को ग़लत तरीक़े से गिरफ़्तार करना; (4) सूचना, मीडिया, विश्वविद्यालय, व्यवसाय और ग़ैरसरकारी संगठनों पर सख़्त नियंत्रण और सेंशरशिप; (5) निगरानी के साथ-साथ नागरिकों, कंपनियों और संगठनों की सोशल क्रेडिट स्कोरिंग; और (6) असंतुष्ट समझे जाने वाले लोगों को मनमानेपूर्ण तरीक़े से हिरासत में रखना, उन्हें प्रताड़ित करना और उनसे दुर्व्यवहार करना। घरेलू स्तर पर समानता का एक कठोर उदाहरण देखिए, स्थानीय अधिकारियों ने एक सामुदायिक पुस्तकाल में किताब जलाने के कार्यक्रम का प्रचार किया ताकि वे ‘शी जिनपिंग की विचारधारा’ के प्रति अपनी वैचारिक वफ़ादारी दिखा सकें।

शासन प्रणाली को लेकर ऐसे रुख़ का एक विनाशाकारी नतीजा शिनजियांग में चीन की नीति है, जहां 2017 से अधिकारियों ने 10 लाख से ज़्यादा उइगर तथा अन्य जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिरासत में लिया है। इन्हें ऐसे शिविरों में रखा जाता है, जहां उनकी आस्था और सोच बदलने की कोशिश की जाती है। वहां कई लोगों से से ज़बरन श्रम कराया जाता है, उनकी वैचारिक सोच बदलने की कोशिश की जाती है और उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक §§दुर्व्यवहार झेलना पड़ता है। इन शिविरों के बाहर सरकार ने एक पुलिस राज्य स्थापित कर रखा है, जिसमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और बायोजेनेटिक्स शामिल हैं ताकि जातीय अल्पसंख्यकों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके और ये सुनिश्चित किया जा सके कि वे सीसीपी के प्रति वफ़ादार रहें। ईसाइयों, तिब्बती बौद्धों, मुसलमानों, फ़ालुन गोंग के अनुयायियों का बड़े पैमाने पर धार्मिक उत्पीड़न होता है। इनमें पूजा स्थलों का अपमान और विध्वंस, शांतिपूर्ण आस्थावानों की गिरफ़्तारी, आस्था का ज़बरन परित्याग कराना और परंपरागत आस्था के अनुरूप बच्चों के पालन पर पाबंदी शामिल हैं।

वैचारिक समानता थोंपने का सीसीपी का अभियान चीन की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में चीन ने संप्रभु राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में दखल दिया है ताकि चीनी नीतियों के लिए सहमति पैदा की जा सके। चीन के अधिकारियों ने दुनिया भर में कथानकों और व्यवहारों पर सीसीपी के प्रभाव को फैलाने की कोशिश की है और इसके हालिया उदाहरणों में अमेरिका और ब्रिटेन की कंपनियाँ और स्पोर्ट्स टीमें तथा ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के राजनेता शामिल हैं। चीन के किरदार सीसीपी की तकनीकी-सत्तावादी मॉडल के तंत्र को दुनिया के कई देशों में भेज रहे हैं जिससे निरंकुश सत्तावादी राष्ट्र अपने नागरिकों पर नियंत्रण करने और विपक्ष पर नज़र रखने का काम कर रहे हैं। साथ ही, विदेशी साझेदारों को दुष्प्रचार और सेंसरशिप तकनीक की ट्रेनिंग दी जा रही है और जनभावना को अपने अनुकूल बनाने के लिए विस्तृत डेटा संकलन का इस्तेमाल हो रहा है।

चीन की पार्टी आधारित सरकार दुनिया के सबसे अधिक संसाधनों वाले दुष्प्रचार तंत्र को नियंत्रित करती है। चीन अपना विचार सरकारी टेलीविज़न, प्रिंट, रेडियो और ऑनलाइन संगठनों के माध्यम से फैलाता है। इनकी उपस्थिति अमेरिका और अन्य देशों में बढ़ रही है। सीसीपी अक्सर विदेशी मीडिया में अपने निवेश की जानकारी छिपा लेता है। 2015 में ये पता चला कि चाइना रेडियो इंटरनेशनल का 14 देशों में 33 रेडियो स्टेशनों पर नियंत्रण है और ऐसा शेल कंपनियों के माध्यम से हुआ है। और कई मध्यवर्ती संस्थाओं का मुफ़्त चीन समर्थक मीडिया सामग्री उपलब्ध कराते हुए समर्थन किया जाता है।

मीडिया के अलावा सीसीपी अमेरिका और अन्य लोकतांत्रिक देशों में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए कई तरह के किरदारों का इस्तेमाल करती है। सीसीपी यूनाइटेड फ़्रंट संगठन और उसके एजेंट अमेरिका और अन्य देशों में कंपनियों, विश्वविद्यालयों, थिंक टैंकों, विद्वानों, पत्रकारों, स्थानीय सरकारों और संघीय अधिकारियों को निशाना बनाते हैं। उनकी कोशिश कथानक को प्रभावित करने और चीन में बाहरी प्रभाव को रोकने पर केंद्रित होती है।

चीन नियमित रूप से अपने नागरिकों और अन्य लोगों पर ऐसे आचरण के लिए दबाव बनाता है या उन्हें प्रेरित करने की कोशिश करता है जिनसे कि अमेरिका की राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होता है और अमेरिका के शोध और विकास उपक्रमों की शैक्षिक स्वतंत्रता और अखंडता कमज़ोर पड़ती है। इन आचरणों में प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा को हड़पना, विदेशी सरकार के प्रायोजन वाली कंपनियों के साथ रिश्तों की जानकारी छुपाना, अनुबंध और गोपनीयता के उल्लंघन के साथ-साथ निष्पक्ष और प्रतिभा आधारित संघीय शोध और विकास फंडिंग की प्रक्रिया में जोड़-तोड़ शामिल हैं। चीन अपने नागरिकों को मजबूर करने की कोशिश करता है कि वे हमवतन चीनी छात्रों पर नज़र रखें और उन्हें धमकाएं, उन कार्यक्रमों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करें जो चीन की राजनीतिक विचारधारा के विरोध में किए जाते हैं और अन्य प्रकार से शैक्षिक स्वतंत्रता, जो अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था की विशेषता और मज़बूती है, को बाधित करें।

चीन की मीडिया कंपनियां, पत्रकार, शिक्षाविद और राजनयिक अमेरिका में काम करने को स्वतंत्र हैं, लेकिन चीन अपने यहां ऐसी अमेरिकी कंपनियों और अधिकारियों को काम करने से रोकता है। चीन की सरकार नियमित रूप से अमेरिकी अधिकारियों, चीन में अमेरिका के राजदूत समेत, को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की मदद से चलने वाले अमेरिकी सांस्कृतिक केंद्रों में जाने से रोकती है, जो चीन के विश्वविद्यालयों में चीन के लोगों के साथ अमेरिकी संस्कृति को साझा करते हैं। चीन में काम करने वाले विदेशी रिपोर्टर्स अक्सर प्रताड़ना और धमकी का सामना करते हैं।

सुरक्षा चुनौतियां

चीन की बढती ताक़त का असर ये हुआ है कि अपने हितों के रास्ते में आने वाले कथित ख़तरों को समाप्त करने और वैश्विक स्तर पर अपने रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए सीसीपी की धमकाने और ज़ोर-ज़बरदस्ती करने की इच्छा और क्षमता भी बढ गयी है।

बीजिंग की कार्रवाइयों से चीनी नेताओं की यह घोषणा झूठी साबित हुई है कि वे बलप्रयोग की धमकी या उसके उपयोग का विरोध करते हैं, अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, और शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीजिंग अपनी बयानबाज़ी के विपरीत आचरण करता है और अपने पड़ोसियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की धज्जियां उड़ाता है, जब वह पीले सागर, पूर्व और दक्षिण चीन सागरों, ताइवान जलडमरूमध्य, और चीन-भारतीय सीमा क्षेत्रों में उकसाने वाली और आक्रामक सैन्य और अर्धसैनिक गतिविधियों में शामिल होता है।

मई 2019 में रक्षा विभाग ने कांग्रेस को अपनी वार्षिक रिपोर्ट – चीन से जुडे सैन्य और सुरक्षा घटनाक्रम – सौंपी थी जिसमें चीन के सैन्य-तकनीकी विकास के वर्तमान और भविष्य के अनुमानों का आकलन, सुरक्षा और सैन्य रणनीतियां, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की संगठनात्मक और ऑपरेशनल अवधारणाएं शामिल थीं। जुलाई 2019 में, चीन के रक्षा मंत्री ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि ओबीओआर, चीन द्वारा पीएलए की विदेशों में उपस्थिति के महत्वाकांक्षी विस्तार से जुड़ा हुआ है, जिसमें प्रशांत द्वीप समूह और कैरीबियन जैसे इलाक़े शामिल हैं।

बीजिंग की सैन्य तैयारियां अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों की राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए ख़तरा हैं, और वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए जटिल चुनौतियां पेश करती हैं।

बीजिंग की सैन्य-असैन्य संलयन (एमसीएफ) रणनीति पीएलए को उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित और हासिल करने वाली असैन्य संस्थाओं तक अबाध पहुंच प्रदान करती है। इनमें राज्य के स्वामित्व वाली और निजी कंपनियां, विश्वविद्यालय और अनुसंधान कार्यक्रम शामिल हैं। ग़ैर-पारदर्शी एमसीएफ कड़ियों के माध्यम से, अमेरिका और अन्य देशों की कंपनियां अनजाने में चीनी सैन्य अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों को दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी उपलब्ध करा रही हैं, जिससे घरेलू विरोध को दबाने तथा अमेरिका और उसके सहयोगी राष्ट्रों समेत अन्य देशों को धमकाने की सीसीपी की क्षमता और मज़बूत हो रही है।

अनुचित तरीकों से वैश्विक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उद्योग पर हावी होने के चीन के प्रयास,  चीन राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा क़ानून जैसे भेदभावपूर्ण नियमों में परिलक्षित होते है, जिसके लिए कंपनियों को चीनी डेटा स्थानीयकरण नियमों का पालन करना पड़ता है जो विदेशी डेटा पर सीसीपी की पकड़ को संभव बनाता है। अन्य चीनी क़ानून,  हुवावे और ज़ीटीई जैसी कंपनियों को चीनी सुरक्षा सेवाओं के साथ सहयोग करने के लिए मजबूर करते हैं,  भले ही वे विदेशों में व्यापार कर रही हों। इससे चीनी विक्रेताओं के उपकरण और सेवाओं का उपयोग कर रहे देशों तथा उधोगों के लिए सुरक्षा जोख़िम पैदा होते हैं।

बीजिंग ने उन चीनी नागरिकों के लिए समय पर और सुसंगत तरीके से यात्रा दस्तावेज उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं किया जिन्हें अमेरिका छोडने के आदेश दिए गए थे, जिससे चीन ने हमारे देश से उनके निष्कासन को प्रभावी तरीके से रोक कर अमेरिकी समुदायों के लिए सुरक्षा जोख़िम पैदा कर दिया। इसके अलावा, चीन द्वारा हमारी द्विपक्षीय कांसुलर संधि के उल्लंघन से चीन में अमेरिका के नागरिकों के लिए ख़तरा बन जाता है। कई अमेरिकियों को देश छोडने पर चीन सरकार के प्रतिबंध और ग़लत तरीके से हिरासत में लिए जाने के कारण परेशानी उठानी पडती है।

प्रस्ताव

एनएसएस की मांग है कि अमेरिका “पिछले दो दशकों की नीतियों पर पुनर्विचार करें – जोकि इस धारणा पर आधारित हैं कि प्रतिद्वंद्वियों के साथ जुड़ाव और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और वैश्विक वाणिज्य में उनका समावेश उन्हें सौम्य किरदारों और भरोसेमंद साझेदारों में बदल देगा। अधिकांशत: यह धारणा ग़लत निकली। प्रतिद्वंद्वी किरदार लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार और अन्य साधनों का उपयोग करते हैं। वे पश्चिम-विरोधी विचारों को आगे बढ़ाते हैं और हमारे, हमारे सहयोगियों और हमारे साझेदारों में विभाजन पैदा करने के लिए ग़लत सूचनाएं फैलाते हैं।”

सिद्धांतवादी यथार्थवाद की ओर लौटते हुए, अमेरिका सीसीपी की सीधी चुनौती का जवाब देते हुए स्वीकार करता है कि हम एक सामरिक प्रतिस्पर्धा में हैं और अपने हितों की उचित रूप से रक्षा कर रहे हैं। चीन के लिए अमेरिका के दृष्टिकोण के सिद्धांतों को एनएसएस और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारी नीति – संप्रभुता, स्वतंत्रता, खुलापन, क़ानून के शासन, निष्पक्षता और पारस्परिकता, दोनों ही में व्यक्त किया गया है। अमेरीकी-चीन संबंध हमारी हिंद-प्रशांत रणनीति का निर्धारण नहीं करते हैं, बल्कि ये उस रणनीति और अतिव्यापी एनएसएस के दायरे में आते हैं। उसी सिद्धांत के अनुरूप, चीन एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की हमारी नीति के दायरे से बाहर नहीं है।

अमेरिका चीन सरकार को उन्हीं मानकों और सिद्धांतों पर रखता है जो दूसरे सभी देशों पर भी लागू होते हैं। हमारा मानना है कि चीन के लोग अपनी सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यही व्यवहार चाहते हैं और उसे पाने के हक़दार भी हैं। चीन के नेतृत्व की रणनीतिक पसंद को देखते हुए,  अमेरिका अब चीन के साथ संबंधों को उसी रूप में मानता और स्वीकार करता है जैसा सीसीपी ने हमेशा आंतरिक रूप से माना है: महान शक्ति के लिए प्रतिस्पर्धा का संबंध।

चीन के घरेलू शासन मॉडल को बदलने का प्रयास अमेरिकी नीतियों का आधार नहीं है, और न ही इन नीतियों में सीसीपी के असाधारण होने और पीडित होने के कथानकों को जगह दी गई है। बल्कि, अमेरिका की नीतियां हमारे हितों की रक्षा और हमारे संस्थानों को सशक्त बनाने के लिए तैयार की गयी हैं जिससे सीसीपी के दुर्भावनापूर्ण व्यवहार और चीन के आंतरिक शासन की समस्याओं से संबद्ध नुक़सान का सामना किया जा सके। क्या चीन अंतत: स्वतंत्र और खुले आदेश के सिद्धांतों को अपनाता है, यह केवल चीनी लोग ही निर्धारित कर सकते हैं। हम मानते हैं कि चीन सरकार के कार्यों की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही चीन की है, वाशिंगटन की नहीं।

अमेरिका क़ानून के शासन और क़नून द्वारा शासन; आतंकवाद और उत्पीड़न; प्रतिनिधि शासन और निरंकुशता; और बाज़ार आधारित प्रतियोगिता और राज्य-निर्देशित मुनाफ़ाखोरी के बीच के बीच झूठी समकक्षता के सीसीपी के प्रयासों को खारिज करता है। अमेरिका, बीजिंग के दुष्प्रचार और झूठे बयानों को चुनौती देता रहेगा जो सच्चाई को विकृत करते हैं और अमेरिकी मूल्यों एवं आदर्शों को नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं।

इसी तरह, अमेरिका, बीजिंग के उन क़दमों को समायोजित नहीं करेगा, जो एक मुक्त, खुली और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमज़ोर करते हैं। हम सीसीपी के उस कथानक का खंडन करना जारी रखेंगे कि अमेरिका सामरिक रूप से पीछे हट रहा है या हम हमारी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को छोड रहे हैं। अमेरिका अपने सहयोगी देशों के मज़बूत नेटवर्क और समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ अपने साझा मानदंडों और मूल्यों पर हो रहे हमलों का विरोध करने के लिए काम करेगा- अपने शासकीय संस्थानों के भीतर, दुनिया भर में और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में।

चीन के विकास में अमेरिकी लोगों का उदार योगदान एक ऐतिहासिक तथ्य है – जिस तरह सुधार और खुलेपन के युग में चीनी लोगों की उल्लेखनीय उपलब्धियां निर्विवाद हैं। हालांकि, बीजिंग की नीतियों और प्रथाओं की नकारात्मक प्रवृत्तियों से चीनी लोगों की विरासत और दुनिया में उनके भावी स्थिति को ख़तरा है।

बीजिंग ने बार-बार यह प्रदर्शित किया है कि वह सद्भावना के अमेरिकी प्रदर्शनों के जवाब में समझौते की पेशकश नहीं करेगा, और उसके कार्य हमारे हितों का सम्मान करने की उसकी पूर्व प्रतिबद्धताओं से नहीं बंधे हैं। इसीलिए, अमेरिका चीन की घोषित प्रतिबद्धताओं के बजाय उसके कदमों का ही जवाब देता है। साथ ही, हम बातचीत के लिए उचित ‘वातावरण’ या ‘स्थिति’ बनाने की बीजिंग की मांगों से भी बंधे नहीं हैं।

इसी तरह, अमेरिका प्रतीकात्मकता या दिखावे के लिए बीजिंग के साथ संवाद करने को महत्व नहीं देता है; हम इसके बजाय ठोस परिणाम और रचनात्मक नतीजों की मांग करते हैं। हम बीजिंग के आदान-प्रदान वाले दृष्टिकोण के अनुरूप उसे समयबद्ध प्रोत्साहन और क़ीमत, या वास्तविक खतरे के रूप में उपयुक्त जवाब देते हैं। शांतिपूर्ण कूटनीति के निरर्थक साबित होने पर अमेरिका चीन सरकार पर सार्वजनिक दबाव बढ़ाएगा और आवश्यक होने पर आनुपातिक लागत का लाभ उठाकर अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए कार्रवाई करेगा।

चीन सरकार कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरी नहीं उतरी है जिनमें शामिल हैं- व्यापार और निवेश; अभिव्यक्ति और आस्था की स्वतंत्रता; राजनीतिक हस्तक्षेप; नौवहन और वायु मार्ग के इस्तेमाल की स्वतंत्रता; साइबर और अन्य प्रकार की जासूसी और चोरी; हथियारों का प्रसार; पर्यावरण संरक्षण; और वैश्विक स्वास्थ्य। बीजिंग के साथ समझौतों में सत्यापन और प्रवर्तन के कड़े प्रावधान शामिल होने चाहिए।

हम चीनी लोगों के साथ स्पष्ट बातें करते हैं और चीन नेताओं से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं। कूटनीति के मामलों में, अमेरिका सीसीपी के झूठे या अस्पष्ट खतरों के जवाब में उचित प्रतिक्रिया देता है, और दबाव का विरोध करने के लिए अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ खड़ा है। अपने निरंतर और स्पष्ट जुड़ाव के माध्यम से, अमेरिका विश्व की शांति, स्थिरता और समृद्धि को लाभ पहुंचाने वाले साझा उद्देश्यों की दिशा में विस्तार और काम करने के लिए चीन के सहयोग का स्वागत करता है। हमारा दृष्टिकोण चीन को बाहर नहीं रखता है। अमेरिका चीन के सकारात्मक योगदान का स्वागत करने के लिए तैयार है।

जैसा कि हमारे दृष्टिकोण के उपरोक्त सिद्धांतों से स्पष्ट है, प्रतियोगिता में आवश्यक रूप से चीन के साथ जुड़ाव शामिल है, लेकिन हमारा संपर्क चयनात्मक और परिणामोन्मुख, हमारे राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए है। हमारी चीन के साथ संलग्नता बातचीत करने तथा निष्पक्षता एवं पारस्परिकता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धताओं को लागू करवाने; ग़लतफ़हमियों से बचने के लिए बीजिंग के इरादे स्पष्ट करने; और तनाव में वृद्धि रोकने के वास्ते विवादों को हल करने के लिए है। अमेरिका जोख़िम को कम करने और संकटों का प्रबंधन करने के लिए चीन के साथ संवाद के माध्यम खुले रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन भी इन माध्यमों को खुला और सक्रिय रखेगा।

कार्यान्वयन

राष्ट्रपति की एनएसएस के अनुसार, इस रिपोर्ट में उल्लिखित राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा नीतियां का उद्देश्य अमेरिकी लोगों और होमलैंड की रक्षा करना, अमेरिकी समृद्धि को बढ़ावा देना, शक्ति के माध्यम से शांति बनाए रखना और विदेश में मुक्त एवं खुले दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है। प्रशासन के पहले 3 वर्षों के दौरान, अमेरिका ने इस रणनीति को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं जैसा कि यह चीन पर लागू होता है।

अमेरिकी जनता, होमलैंड और अमेरिकी जीवन शैली की रक्षा

अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) की चीन पहल और संघीय जांच ब्यूरो व्यायवसायिक जानकारियों की चोरी, हैकिंग और आर्थिक जासूसी की पहचान करने और मुक़दमा चलाने; और अमेरिकी बुनियादी ढांचे में दुर्भावनापूर्ण निवेश, सप्लाई चेन के ख़तरों और अमेरिकी नीति को प्रभावित करने के विदेश एजेंटों के प्रयासों के खिलाफ़ कार्रवाइयों पर अपने संसाधनों को केंद्रित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, डीओजे ने चीन की सरकारी मीडिया कंपनी सीजीटीएन-अमेरिका को विदेशी एजेंट पंजीयन अधिनियम (एफ़एआरए) के तहत पंजीकृत होने के उसके दायित्व के बारे में सूचित किया, जिसके तहत पंजीकृत इकाई को संघीय अधिकारियों को अपनी गतिविधियों के बारे में जानकारी देनी होती है और उनके द्वारा वितरित सूचना सामग्री की तदनुसार पहचान ज़ाहिर करनी होती है। इसके बाद सीजीटीएन-अमेरिका ने खुद को एफ़एआरए के तहत पंजीकृत कराया।

अमेरिकी प्रशासन भी अमेरिका में सीसीपी को दुष्प्रचार का जवाब दे रहा है, जिसमें दुर्भावनापूर्ण व्यवहार को उजागर किया जाता है, झूठे कथानकों का मुक़ाबला किया जाता है, और उन्हें पारदर्शिता के लिए बाध्य किया जाता है। अमेरिका के अधिकारी, जिनमें व्हाइट हाउस तथा विदेश, रक्षा और न्याय विभाग के अधिकारी शामिल हैं, अमेरिकी जनता को चीन द्वारा हमारे स्वतंत्र और खुले समाज का फ़ायदा उठाकर अमेरिकी हितों और मूल्यों को नुक़सान पहुंचाने के सीसीपी के एजेंडा चलाने के बारे में अमेरिकी जनता को शिक्षित करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहे हैं। पहुंच संबंधी पारस्परिकता सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत विदेश विभाग ने एक नीति लागू की है जिसमें चीनी राजनयिकों पर सरकारी और स्थानीय निकायों के अधिकारियों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ बैठक करने से पहले अमेरिका सरकार को सूचित करने की बाध्यता है।

प्रशासन पारंपरिक जासूसी और प्रभाव फैलाने के प्रयासों से परे, चीन द्वारा अमेरिकी शैक्षणिक संस्थानों में मौजूद अपने नागरिकों और अन्य लोगों को सहभागी बनाने और दबाव डालने के प्रयासों का सक्रियता से मुक़ाबला कर रहा है और इस बारे में जागरूकता बढ़ा रहा है। हम अमेरिकी कैंपसों में चीनी छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए विश्वविद्यालयों के साथ काम कर रहे हैं, सीसीपी के दुष्प्रचार और झूठी सूचनाओं का मुक़ाबला करने के लिए जानकारी प्रदान कर रहे हैं, और एक अमेरिकी शैक्षणिक वातावरण में नैतिक आचार संहिता की समझ सुनिश्चित कर रहे हैं।

चीनी छात्र आज अमेरिका में विदेशी छात्रों के सबसे बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमेरिका चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं के योगदान को महत्व देता है। 2019 तक, अमेरिका में चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं की संख्या एक सर्वकालिक ऊंचे स्तर तक पर पहुंच चुकी थी, जबकि छात्र वीजा के लिए चीनी आवेदनों की अस्वीकृति की संख्या में लगातार कम हुई है। अमेरिका खुले अकादमिक संवाद के सिद्धांतों का दृढ़ता से समर्थन करता है और वैध शैक्षिक गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शोधकर्ताओं का स्वागत करता है; हम छोटी संख्या में मौजूद उन चीनी आवेदकों का पता लगाने के लिए प्रक्रियाओं में सुधार कर रहे हैं जोकि झूठे बहानों या ग़लत इरादे से अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं।

अमेरिका के अनुसंधान समुदाय में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और ऊर्जा विभाग जैसी संघीय एजेंसियों ने आचरण और रिपोर्टिंग के लागू मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने, पारदर्शिता बढ़ाने और हितों के टकराव को रोकने के वास्ते नियमों और प्रक्रियाओं को अद्यतन या स्पष्ट किया है। अनुसंधान पर्यावरण पर राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद की अनुसंधान वातावरण संबंधी संयुक्त समिति संघीय वित्तपोषित अनुसंधान के लिए मानकों, और अमेरिकी अनुसंधान संस्थानों के लिए सर्वोत्तम तौर-तरीक़ों का विकास कर रही है। रक्षा विभाग विदेशी शोधकर्ताओं का स्वागत करना जारी रखते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि अनुदान पाने वालों के पास चीन के प्रतिभा भर्ती कार्यक्रमों के साथ भी अनुबंध न हों।

विदेशी दुर्भावनापूर्ण किरदारों के अमेरिकी सूचना तंत्र में प्रवेश रोकने के लिए राष्ट्रपति ने ‘सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी और सेवा सप्लाई चेन को सुरक्षित रखने के लिए कार्यकारी आदेश’ और ‘ अमेरिकी दूरसंचार सेवा सेक्टर में विदेशी भागीदारी के आकलन हेतु कमिटी गठित करने के लिए कार्यकारी आदेश’ जारी किए हैं। इन कार्यकारी आदेशों के कार्यान्वयन से विदेशी शत्रुओं के खुफ़िया एवं सुरक्षा तंत्र से जुड़ीं या उनके लिए कार्यरत कतिपय कंपनियों को, उदाहरण के लिए, अमेरिकी सरकार, अमेरिकी निजी सेक्टर और अमेरिकी नागरिकों के निजी और संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच हासिल करने से रोका जा सकेगा।दुनिया भर में, संवेदनशील सैन्य और खुफ़िया डेटा सहित हमारी जानकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के वास्ते वैश्विक सूचना अर्थव्यवस्था की बुनियाद तैयार करने के लिए अमेरिका सुरक्षित, ठोस, और विश्वसनीय संचार प्लेटफार्मों हेतु साझा मानकों की एक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों के साथ, बहुपक्षीय मंचों सहित, सक्रिय विचार-विमर्श में संलग्न है। चीन को ज़िम्मेदार राष्ट्रों के व्यवहार के मानदंडों के अनुपालन हेतु बाध्य करने के लिए, अमेरिका सहयोगियों और समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम कर रहा है ताकि दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधियों की पहचान की जा सके और उन्हें रोका जा सके।

प्रशासन अमेरिका में विदेशी निवेश संबंधी कमेटी (सीएफ़आईयूएस) की क्षमता को अद्यतन और मज़बूत करने के लिए विदेशी निवेश जोख़िम समीक्षा आधुनिकीकरण अधिनियम को कार्यान्वित कर रहा है ताकि अभी तक सीएफ़आईयूएस के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहे निवेश ढांचों के विदेशियों द्वारा ग़लत इस्तेमाल को लेकर बढ़ती सुरक्षा चिंताओं से निपटा जा सके। इसमें चीनी कंपनियों द्वारा चीनी सेना के आधुनिकीकरण के उद्देश्य से अल्पमत निवेश के सहारे अमेरिकी अन्वेषणों की जानकारी हासिल करने के प्रयासों को रोकना भी शामिल है। ख़ासकर चीन की सर्वव्यापी एमसीएफ रणनीति तथा हाइपरसोनिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, बायोटेक्नोलॉजी और अन्य उभरती और बुनियादी तकनीकों से संबंधित उन्नत प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने के उसके प्रयासों के मद्देनज़र अमेरिका ने अपने निर्यात नियंत्रण नियमों को भी अपडेट किया है। हम सहयोगी राष्ट्रों और साझेदारों को अपने स्वयं के विदेशी निवेश स्क्रीनिंग तंत्र विकसित करने, तथा बहुपक्षीय समझौतों और अन्य मंचों के माध्यम से निर्यात नियंत्रण प्रणाली को अद्यतन करने और मिलकर कार्यान्वित करने के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं।

अमेरिका सरकार भी अमेरिकी उपभोक्ता को नकली और घटिया उत्पादों से बचाने के लिए ठोस कदम उठा रही है। 2017 और 2018 के बीच, अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग ने चीन में उत्पादित नकली सामग्रियों की 59,000 से भी अधिक खेप ज़ब्त किए, जिनकी क़ीमत 2.1 बिलियन डॉलर से अधिक थी। यह संयुक्त रूप से अन्य सभी अन्य देशों की ज़ब्त कुल खेपों और उनकी क़ीमत से पांच गुना अधिक है।

नकली ब्रांडेड परिधान, जूते, हैंडबैग और घड़ियों के अलावा, अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा एजेंसी ने तीन ऐसी खेपों को भी रोका जिनमें बंदूकों के लिए चीन निर्मित 53,000 अवैध पुर्जे और इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री शामिल थे, जो अमेरिकी व्यवसायों और उपभोक्ताओं की सुरक्षा और गोपनीयता को संकट में डाल सकते थे। अमेरिका की क़ानून प्रवर्तन एजेंसियां भी चीन से आयातित नकली दवाइयों और सौंदर्य प्रसाधनों को लक्षित कर रही हैं, जिनमें बैक्टीरिया और पशु अपशिष्ट समेत दूषित पदार्थों की उच्च मात्रा होने की बात सामने आई है, जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए ख़तरा पैदा करते हैं।

अमेरिका चीन से अवैध रूप से आ रहे चीनी फ़ेंटानिल के घातक प्रवाह को रोकने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। दिसंबर 2018 में, राष्ट्रपति ने चीन में सभी प्रकार के फ़ेंटानिल को नियंत्रित करने हेतु अपने चीनी समकक्ष की वचनबद्धता हासिल की थी। इस संबंध में मई 2019 में चीनी नियामक व्यवस्था स्थापित होने के बाद से, अमेरिका और चीन की क़ानून प्रवर्तन एजेंसियां खुफ़िया जानकारी साझा कर रही हैं और प्रवर्तन की कार्रवाइयों हेतु वातावरण निर्मित करने के लिए समन्वय कर रही हैं ताकि चीनी ड्रग्स उत्पादकों और तस्करों को रोका जा सके। क़ानून प्रवर्तन के उद्देश्यों के लिए छोटे पार्सलों की ट्रैकिंग में सुधार के वास्ते अमेरिका चीन की डाक एजेंसियों के साथ भी काम कर रहा है।

अमेरिकी समृद्धि को बढ़ावा

चीन के प्रमाणित अनुचित एवं ग़लत व्यापार प्रथाओं और औद्योगिक नीतियों के मद्देनज़र प्रशासन अमेरिकी व्यवसायों, श्रमिकों और किसानों की रक्षा करने, तथा अमेरिकी निर्माण आधार को कमज़ोर बनाने वाले चीनी तौर-तरीक़ों को समाप्त करने के लिए कड़ी कार्रवाई कर रहा है। अमेरिका-चीन आर्थिक संबंधों में फिर से संतुलन लाने के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है। सकल सरकार का हमारा दृष्टिकोण निष्पक्ष व्यापार का समर्थन और अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को सुदृढ़ करता है,  अमेरिका के निर्यात को बढ़ावा देता है, और अमेरिकी व्यापार और निवेश के लिए अन्यायपूर्ण अवरोधों को तोड़ता है। नियमित, उच्च-स्तरीय संवादों के माध्यम से 2003 से ही चीन को उसकी आर्थिक प्रतिबद्धताओं के अनुपालन पर राज़ी करने में विफल होने के बाद, अमेरिका चीन से अमेरिका आयादित माल पर सीमा शुल्क के रूप में क़ीमत वसूलकर उसके द्वारा बाज़ार विकृत करने वाले उसके ज़बरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा प्रथाओं का सामना कर रहा है। अमेरिका और चीन के बीच द्वितीय चरण के निष्पक्ष व्यापार सौदे पर सहमति बनने तक ये शुल्क लागू रहेंगे।

चीन के बाज़ार को विकृत करने वाली अपनी रियायतों और अतिउत्पादन को कम करने या समाप्त करने में बार-बार विफल रहने के बाद, अमेरिका ने हमारे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस्पात और एल्यूमीनियम उद्योगों की रक्षा के लिए सीमा शुल्क थोपे हैं। उन अनुचित चीनी व्यापार प्रथाओं के लिए जोकि विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान व्यवस्था के अधीन हैं, अमेरिका मामले को निरंतर उठा रहा है और विभिन्न विवादों में जीत हासिल कर चुका है। अंत में, उद्योगों के एक व्यापक दायरे में चीन की डंपिंग और सब्सिडी व्यवस्था पर चोट करने के लिए, वाणिज्य विभाग अमेरिका के डंपिंग विरोधी और बराबर मात्रा में शुल्क लगाने संबंधी क़ानूनों का पिछले प्रशासनों की तुलना में कहीं अधिक इस्तेमाल कर रहा है।

जनवरी 2020 में अमेरिका और चीन ने पहले चरण के आर्थिक एवं व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत अमेरिका की कई दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने की दिशा में चीन को अपनी आर्थिक एवं व्यापारिक प्रणालियों में संरचनात्म सुधार और अन्य कई बदलाव करने हैं। यह समझौता चीन में व्यवसाय करने के लिए विदेशी कंपनियों को बाध्य करने या उन पर दबाव डालने से चीन को रोकता है; चीन में प्रमुख क्षेत्रों में बौद्धिक संपदा अधिकारं के संरक्षण और प्रवर्तन को मज़बूत करता है; नीतिगत अवरोधों को हटाकर अमेरिकी कृषि और वित्तीय सेवाओं के लिए चीन के बाज़ार में नए अवसर उपलब्ध कराता है; और लंबे समय से जारी मुद्रा संबंधी अवैध प्रथाओं की समस्या से निपटता है। समझौता त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन और प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए एक मज़बूत विवाद समाधान तंत्र भी स्थापित करता है। व्यापार की संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने और प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से प्रवर्तनीय बनाने के कारण, पहले चरण के समझौते से चीन को अमेरिकी निर्यात का विस्तार होगा। इस समझौते के तहत चीन ने अगले 2 वर्षों के दौरान चार व्यापक श्रेणियों – निर्मित वस्तु, कृषि, ऊर्जा और सेवा क्षेत्र – में कम-से-कम 200 बिलियन डॉलर के बराबर अमेरिकी आयात बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। यह समझौता अधिक संतुलित व्यापार संबंधों तथा अमेरिकी श्रमिकों और कंपनियों के लिए अधिक बराबरी की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की दिशा में  हुई महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।

जहां तक स्वदेश की बात है, तो प्रशासन ने कर सुधारों और एक ठोस विनियमन एजेंडे के ज़रिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और 5जी प्रौद्योगिकी जैसे भविष्य के आर्थिक सेक्टरों को बढ़ावा देने के लिए क़दम उठाए हैं। राष्ट्रपति का ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अमेरिका की शीर्ष भूमिका को बनाए रखने हेतु कार्यकारी आदेश’ निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने की अमेरिका सरकार की पहल का एक उदाहरण है, जो ये सुनिश्चित करता है कि अमेरिका एक उभरते उद्योग के लिए नवाचारों और मानकों की स्थापना का काम जारी रखे।

समान विचारधारा के अन्य राष्ट्रों के साथ, अमेरिका संप्रभुता, मुक्त बाजारों और सतत विकास के सिद्धांतों पर आधारित आर्थिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। यूरोपीय संघ और जापान के साथ, अमेरिका के स्वामित्व वाले उद्यमों, औद्योगिक सब्सिडी और मज़बूरन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के विषयों पर नियमों के विकास के लिए एक मज़बूत त्रिपक्षीय प्रक्रिया में लगा हुआ है। हम यह भी सुनिश्चित करने के लिए अपने सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे कि भेदभावपूर्ण औद्योगिक मानक वैश्विक मानक न बनें। दुनिया के सबसे मूल्यवान उपभोक्ता बाज़ार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सबसे बड़े स्रोत, और वैश्विक तकनीकी नवाचार के अग्रणी स्रोत के रूप में अमेरिका सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ साझा चुनौतियों का मूल्यांकन करने और निरंतर शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के प्रभावी उपायों का समन्वय करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श में संलग्न है। हम प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता विकसित करने के लिए अमेरिकी कंपनियों के साथ स्वदेश और विदेश में कार्य करते हैं, साथ ही प्रोस्पर अफ़्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरीबियन में अमेरिका क्रेस तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ऊर्जा के माध्यम से समृद्धि और विकास जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए टिकाऊ विकास को बढ़ावा देते हैं।

शक्ति के सहारे शांति की रक्षा

2018 की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति (एनडीएस) चीन के साथ दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता देती है और पीएलए की तकनीकी प्रगति, शक्ति में वृद्धि और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति और आक्रामकता का मुक़ाबला करने के लिए आधुनिकीकरण और साझेदारी पर जोर देती है। जैसा कि परमाणु रुख़ की समीक्षा में वर्णित है, प्रशासन परमाणु त्रयी के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दे रहा है, जिसमें बीजिंग को विनाश के हथियारों का उपयोग करने या अन्य रणनीतिक हमलों का संचालन करने से रोकने पर केंद्रित पूरक क्षमताओं का विकास शामिल है। इस बीच, अमेरिका चीन के नेताओं को निरंतर वार्ताओं के लिए प्रेरित कर रहा है कि वह आधुनिक और बढ़ते परमाणु क्षमताओं और मध्यम दूरी की मिसाइलों के सबसे बड़े संग्राहक परमाणु शक्ति के रूप में हथियार नियंत्रण और सामरिक जोख़िम कम करने संबंधी चर्चाओं में भाग ले। अमेरिका का मानना है कि बीजिंग का पारदर्शिता बढ़ाना, ग़लतफहमियों से बचना और महंगे हथियारों के भंडार बनाने से परहेज़ करना सभी राष्ट्रों के हित में है।

रक्षा विभाग हाइपरसोनिक प्लेटफार्मों को तैनात करने, साइबर और अंतरिक्ष क्षमताओं में निवेश बढ़ाने, तथा लचीले, अनुकूलक और किफ़ायती प्लेटफार्मों पर आधारित अधिक घातक मारक क्षमता विकसित करने पर तेज़ी से काम कर रहा है। सामूहिक रूप से इन क्षमताओं का उद्देश्य बीजिंग की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं तथा तकनीकी समानता और श्रेष्ठता के लिए पीएलए के प्रयासों को रोकना और उनका मुक़ाबला करना है।

अपनी विश्वव्यापी नौवहन संचालन की स्वतंत्रता कार्यक्रम के तहत अमेरिका चीन के प्रभुत्ववादी घोषणाओं और मनमाने दावों विरोध कर रहा है। अमेरिका की सेना दक्षिण चीन सागर समेत जहां भी अंतरराष्ट्रीय क़ानून अनुमति देता है, वहां नौवहन और सक्रियता के अधिकार का उपयोग करना जारी रखेगा। हम क्षेत्र के सहयोगी देशों और साझेदारों की चिंताओं को स्वर दे रहे हैं, और विवादों में अपनी सेना, अर्धसैनिक बलों और कानून प्रवर्तन बलों का उपयोग कर दबाव डालने और हावी होने के प्रयासों के खिलाफ़ क्षमताओं के निर्माण में मदद करने के लिए उन्हें सुरक्षा सहायता प्रदान कर रहे हैं। 2018 में, दक्षिण चीन सागर में मानव निर्मित स्थलों पर बीजिंग द्वारा उन्नत मिसाइल प्रणालियों की तैनाती के कारण अमेरिकी सेना ने द्विवार्षिक रिम ऑफ़ पैसिफ़िक सैनिक अभ्यास में भाग लेने के लिए पीएलए से निमंत्रण वापस ले लिया था।

मज़बूत गठजोड़ और साझेदारी एनडीएस की आधारशिला हैं। अमेरिका साझेदारों की क्षमताओं को विकसित कर रहा है और चीन की आक्रामकता को रोकने और निरस्त करने के वास्ते सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ पूर्णतया एकीकृत संघर्ष सक्षम विश्वसनीय अग्रिम ऑपरेटिंग उपस्थिति विकसित करने के लिए परस्पर संचालनीय संबंधों  को गहरा कर रहा है। प्रशासन की परंपरागत शस्त्र स्थानांतरण नीति का उद्देश्य अमेरिका की हथियारों की बिक्री को बढ़ावा देना तथा सामरिक और अन्योन्याश्रित रूप में साझेदारों की सैन्य क्षमताओं के विकास में तेजी लाना है। जून 2019 में, रक्षा विभाग ने अपनी पहली हिंद-प्रशांत सामरिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें विभाग द्वारा एनडीएस के कार्यान्वयन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारी सकल-सरकार वाली रणनीति को स्पष्ट किया गया है।

अमेरिका ताइवान संबंध अधिनियम और तीन अमेरिका-चीन संयुक्त घोषणाओं पर आधारित अपनी ‘एक चीन’ नीति के अनुसार ताइवान के साथ मजबूत अनौपचारिक संबंध बनाए रखना जारी रखेगा। अमेरिका का कहना है कि चीन-ताइवान मतभेदों का कोई भी समाधान शांतिपूर्ण, दोनों पक्षों के लोगों की इच्छा के अनुसार और धमकियों या दबाव का सहारा लिए बिना होना चाहिए। घोषणाओं के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने में बीजिंग की विफलता, जोकि उसके बड़े पैमाने पर सैन्य तैयारियों से ज़ाहिर है, अमेरिका को आत्मरक्षा की विश्वसनीय क्षमता  बनाए रखने में ताइवान की सेना की सहायता करते रहने के लिए मजबूर करता है, जो आक्रामकता को रोकती है और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करती है। 1982 के एक ज्ञापन में, राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने ज़ोर देकर कहा था कि “ताइवान को प्रदत्त हथियारों की मात्रा और गुणवत्ता ताइवान को चीन से ख़तरे के पूर्णतया अनुरूप हो।” 2019 में, अमेरिका ने ताइवान को 10 बिलियन से डॉलर से अधिक के हथियारों की बिक्री मंज़ूरी दी।

अमेरिका चीन के साथ रचनात्मक और परिणामोन्मुख संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका सामरिक इरादों संबंधी संवाद; संकट के निवारण और प्रबंधन; संघर्ष के रूप में विकसित होने की आशंका वाले ग़लत आकलनों और ग़लतफ़हमियों के जोख़िम को कम करने; और साझा हितों वाले क्षेत्रों में सहयोग के लिए चीन के साथ रक्षा संपर्क और आदान-प्रदान करता है। अमेरिकी सेना अनपेक्षित परिदृश्यों में तनाव को कम करने वाले माध्यमों के विकास समेत प्रभावी संकट संचार तंत्र विकसित करने के लिए  पीएलए के साथ  मिलकर काम कर रही है।

अमेरिकी प्रभाव का प्रसार

पिछले सात दशकों के दौरान, एक मुक्त और खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ने संप्रभु, स्वतंत्र राज्यों को फलने-फूलने और अभूतपूर्व वैश्विक आर्थिक विकास में योगदान करने हेतु स्थिरता प्रदान की है। एक बड़े विकसित देश और इस व्यवस्था के एक प्रमुख लाभार्थी के रूप में, चीन को दुनिया भर के अन्य देशों को स्वतंत्रता और खुलेपन की गारंटी देनी चाहिए। जब चीन इसके बजाय निरंकुश सत्तावाद, आत्म-सेंसरशिप, भ्रष्टाचार, मुनाफ़े के अर्थशास्त्र, तथा जातीय एवं धार्मिक विविधता के प्रति असहिष्णुता को बढ़ावा देता है, तो अमेरिका इन कुत्सित गतिविधियों का विरोध करने और मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करता है।

2018 और 2019 में विदेश मंत्री ने धार्मिक स्वतंत्रता बढ़ाने के लिए पहले दो मंत्रिस्तरीय बैठकों का आयोजन किया। सितंबर 2019 में संयुक्तराष्ट्र महासभा में धार्मिक स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए राष्ट्रपति के अभूतपूर्व वैश्विक आह्वान के साथ ही इन आयोजनों ने दुनिया भर में धार्मिक उत्पीड़न की समस्या पर विचार के लिए वैश्विक नेताओं को एकजुट किया। दोनों ही मंत्रिस्तरीय बैठकों के दौरान अमेरिका और साझेदार देशों ने संयुक्त बयान जारी कर चीन सरकार से उइगर और तुर्की मूल के अन्य मुसलमानों, तिब्बती बौद्धों, ईसाइयों और फ़ालुन गोंग के अनुयायियों के अधिकारों के सम्मान की मांग की। इन सभी को चीन में दमन और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। प्रत्येक व्यक्ति के बिना भय के उपासना करने के अधिकार की रक्षा के लिए फरवरी 2020 में विदेश विभाग ने 25 समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ मिलकर पहले अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता गठबंधन की स्थापना की। राष्ट्रपति ने 2019 की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान चीनी असंतुष्टों और उत्तरजीवियों से मुलाक़ात की और उन्होंने संयुक्तराष्ट्र महासभा के दौरान चीन में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों के साथ मंच साझा किया। अमेरिका चीन में कार्यरत या चीन पर केंद्रित मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और स्वतंत्र सिविल सोसायटी संगठनों की भी मदद कर रहा है।

अक्टूबर 2019 में न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र में, अमेरिका ने समान विचारधारा वाले राष्ट्रों के साथ मिलकर शिनजियांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन और उसकी अन्य दमनकारी नीतियों की निंदा की, जिससे कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को ख़तरा है। आगे चलकर अमेरिका ने शिनजियांग में मानवाधिकारों के दुरुपयोग में शामिल चीन की चुनिंदा सरकारी एजेंसियों और निगरानी प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों को निर्यात रोकने के लिए क़दम उठाए और मानवाधिकारों पर बीजिंग की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के उल्लंघन करने के लिए ज़िम्मेदार चीनी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए अमेरिकी वीज़ा पर रोक लगा दी। अमेरिका ने शिनजियांग में ज़बरन श्रम के इस्तेमाल से उत्पादित चीनी वस्तुओं के आयात को रोकने लिए भी कार्रवाई शुरू कर दी है।

अमेरिका समान विचारधारा वाले सहयोगी राष्ट्रों और साझेदारों के साथ मिलकर चीन की सेना और इसकी प्रौद्योगिकी-सक्षम निरंकुश सत्तावाद के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी के उपयोग के खिलाफ़ एक सिद्धांतवादी रुख़ अपनाना जारी रखेगा। ऐसा करते हुए, हम उन नीतियों को लागू करेंगे जो तकनीकी परिवर्तनों तथा नागरिक और सैन्य उपयोगों को मिश्रित करने और कंपनियों को चीन की सुरक्षा और खुफ़िया सेवाओं का समर्थन करने के लिए मजबूर करने के चीन के प्रयासों के अनुरूप है।

ये प्रयास उन साझा मूल्यों और मानदंडों के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव के रूप में कार्य किया है। हालांकि अमेरिका को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन जब बीजिंग अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और ज़िम्मेदारीपूर्ण व्यवहार से भटकता है, खासकर जब अमेरिका के हित दांव पर होते हैं, तो वैसी स्थिति में वाशिंगटन अपनी बात स्पष्टता से कहेगा। उदाहरण के लिए, हांगकांग के भविष्य में अमेरिका के महत्वपूर्ण हित हैं। हांगकांग में लगभग 85,000 अमेरिकी नागरिक और 1,300 से अधिक अमेरिकी व्यवसाय मौजूद हैं। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने बार-बार बीजिंग से 1984 की चीनी-ब्रितानी संयुक्त घोषणा पत्र का सम्मान करने तथा हांगकांग की उच्च स्तर की स्वायत्तता, क़ानून के शासन और लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं के सम्मान का आह्वान किया, जोकि हांगकांग को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्त का सफल केंद्र बने रहने में सक्षम बनाते हैं।


अमेरिका हिंद-प्रशांत के राष्ट्र के रूप में अपनी भूमिका का विस्तार कर रहा है जो मुक्त उद्यम और लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देती है। नवंबर 2019 में, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया भर में निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से पारदर्शी और उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए ब्लू डॉट नेटवर्क शुरू किया, जिसके तहत अकेले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर के प्रत्यक्ष निवेश का योगदान करेगा। साथ ही, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारी सकल सरकार की रणनीति के कार्यान्वयन पर विदेश विभाग ने एक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट जारी की है- ए फ़्री एंड ओपन इंडो-पैसिफ़िक: एडवांसिंग ए शेयर्ड विज़न।

निष्कर्ष

चीन के लिए प्रशासन का दृष्टिकोण एक मौलिक पुनर्मूल्यांकन को दर्शाता है कि अमेरिका दुनिया के सर्वाधिक आबादी वाले देश और दूसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के नेताओं को किस रूप में लेता है और जवाब देता है। अमेरिका हम दोनों की व्यवस्थाओं के बीच दीर्घकालिक सामरिक प्रतिस्पर्धा की बात को स्वीकार करता है। सकल सरकार के दृष्टिकोण और वापस सिद्धांतवादी यथार्थवाद द्वारा निर्देशित, जिसे कि एनएसएस में अभिव्यक्त किया गया है, अमेरिका सरकार अपने हितों की रक्षा करना और अमेरिकी प्रभाव को आगे बढ़ाना जारी रखेगी। साथ ही, जहां हमारे हित मिलते हैं वहां हम चीन के रचनात्मक, परिणामोन्मुखी जुड़ाव और सहयोग के लिए तैयार हैं। हम चीन को उसकी प्रतिबद्धताओं के अनुपालन की चुनौती देते हुए, उसके नेताओं के साथ सम्मानजनक पर सजग रूप से संपर्क जारी रख रहे हैं।

मूल सामग्री देखें: https://www.whitehouse.gov/wp-content/uploads/2020/05/U.S.-Strategic-Approach-to-The-Peoples-Republic-of-China-Report-5.20.20.pdf

यह अनुवाद एक शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेजी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए। 

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