Wednesday, April 01, 2020

कोरोना को लेकर बांग्ला देश में भी स्थिति गंभीर

कोरोना अपडेट:बांग्लादेश:31 मार्च 2020//स्वास्थ्य  
बड़े पैमाने पर बन रहे हैं धो कर दोबारा काम आने वाले विशेष मास्क 
संयुक्त राष्ट्र संघ: 31 मार्च 2020: (सं.रा.सं//पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
हमारे यहां तो लंगर के दान का दिखावा करने का ज़्यादा ट्रेंड चल रहा है उधर बांग्लादेश में मास्क तैयार करने पर भी पहल के आधार पर ज़ोर दिया जा रहा है। वहां बड़ी संख्या में मास्क तैयार किये जा रहे हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी फैलने की आंच बांग्लादेश तक भी पहुंच रही है और कॉक्सेस बाज़ार में रह रहे लाखों रोहिंज्या शरणार्थियों और स्थानीय समुदाय के स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा रहा है। 
इस बीमारी की रोकथाम के उपायों को इन समुदायों तक पहुंचाने के काम में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता जुटे हैं। संक्रमण से उनकी सुरक्षा व बचाव के लिए एक नई पहल शुरू की गई है जिसमें स्थानीय समुदाय के सदस्य कपड़े के हज़ारों फ़ेस मास्क बना रहे हैं। इस तरफ तूफानी रफ्तार से काम किया जा रहा है। 
उल्लेखनीय है कि विश्व भर में इस बीमारी के तेज़ी से फैलने के कारण अब तक साढ़े सात लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 37 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। बांग्लादेश में कोरोनावायरस के 49 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। ज़ाहिर है की स्थिति बेहद गंभीर है। 
कोरोना के कहर से बचाव के सभी कारगर उपाय तेज़ी से किये जा रहे हैं। ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र फ़ेस मास्क सहित अन्य निजी बचाव सामग्री की मांग में भारी बढ़ोत्तरी हुई है जिससे वैश्विक स्तर पर इनकी किल्लत भी पैदा हो गई है। इसके बावजूद इनकी मांग तेज़ी से बढ़ रही है। इन फ़ेस मास्क का इस्तेमाल स्वास्थ्यकर्मियों, मरीज़ों और बीमारों के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इसके उपयोग से काफी बचाव रहता है। 
इसकी मांग को पूरा करने के लिए व्यापक प्रबंध भी किये जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कॉक्सेस बाज़ार में एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की है जिसके तहत छह हज़ार कपड़े के मास्क तैयार किए जा रहे हैं। इन मास्क को धोकर फिर से इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। धो कर दोबारा उपयोग करने से इन मास्कों की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है। 
यहां यह याद दिलाना भी आवश्यक है कि बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में रोहिंज्या समुदाय के लिए शरणार्थी कैंप दुनिया के सबसे बड़े और भीड़-भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में शामिल हैं। 
इसके साथ ही ये मास्क चक्रवाती तूफ़ानों से निपटने की तैयारी में जुटे उन स्वयंसेवकों और अग्रिशमन व सिविल डिफ़ेंस कर्मियों के लिए बनाए जा रहे हैं जो यूएन माइग्रेशन के साथ मिलकर इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और संक्रमण से बचने के उपायों के बारे में जानकारी मुहैया कराने के प्रयासों में शामिल है। बड़े पैमाने पर हो रहे इनके उत्पादन से इनकी मांग को पूरा करने में काफी सहायता मिलेगी। 

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