Saturday, March 14, 2020

शाहीन बाग़ लुधियाना की शेरनी बन कर गरजी असमा खातून

14th March 2020 at 7:06 PM
32वें दिन भी जारी रहा CAA/NRC और NPR के खिलाफ धरना प्रदर्शन 
लुधियाना शाहीन बाग में बारिश के दौरान प्रदर्शन करती हुई महिलाएं
लुधियाना: 14 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
एक तरफ कैरोना का खौफ, दूसरी तरफ लगातार बरस रही बारिश का कहर तीसरी तरफ घर की दालरोटी की चिंता-इन सब के बावजूद CAA/NRC और NPR के खिलाफ लुधियाना के शाहीन बाग़ में जुटे लोगों का रोष कम नहीं हुआ। इस धरने प्रदर्शन के के साथ जुड़े लोगों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। हर रोज़ लोग काफिले बना बना कर यहाँ पहुंच रहे हैं। शाहीन बाग़ में बैठी महिलाओं के समर्थन में पहुंचने वाले काफिलों में गैर मुस्लिम ज़्यादा हैं इस लिए इस प्रदर्शन को साम्प्रदायिक रंग देने की साज़िश भी नाकाम होने लगी है। तिरंगे के साथ स्नेह और सम्मान की जो भावना यहाँ होली पर व्यक्त की गयी उसने भी आम जनता पर बहुत ही भावुक प्रभाव डाला। हर हाथ में तिरंगा--हर चेहरे पर तिरंगा। 
CAA/NRC और NPR के समर्थन में जन भावनाओं को तैयार करने का जो सिलसिला शुरू शुरू में शुरू किया गया था वह फार्मूला भी शाहीन बाग़ की प्रदर्शन रणनीति के खिलाफ नाकाम रहा क्यूंकि समर्थन वाले मामले में न तो इतने लोग जुटाए जा सके और न ही उनमें इतने दिनों तक समानांतर आयोजन करने की क्षमता पैदा की जा सकी। इधर शाहीन बाग़ में जुटे लोगों का रोष कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। CAA/NRC और NPR विरोध में वाम दल, किसान संगठन और मज़दूर संगठन भी पूरी तरह सक्रिय हैं। इसके साथ ही विरोध के आयोजन शाहीन बाग़ के साथ लुधियाना के अलग अलग हिस्सों में भी किये जा रहे हैं। यहाँ बैठे लोगों के लिए लंगर का आरम्भ शुरू में तो गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब के प्रबंधकों ने किया था लेकिन बाद में वाम दलों से जुड़े किसान संगठन इस मामले में लगातार सहयोग करने लगे। इस समय जहाँ सिख संगत भी शाहीन बाग़ से जुडी हुई है वहीँ नास्तिक समझे जाते वाम के लोग भी पूरी तरह जुड़े हुए हैं। 
दाना मंडी में चल रहे शाहीन बाग प्रदर्शन के आज 32वें दिन तेज बारिश के बीच भी बड़ी संख्या में महिलाओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रदर्शन जारी रखा इस अवसर पर संबोधित करते हुए मजलिस अहरार इस्लाम हिंद की सदस्य असमा खातून ने कहा कि देश में जब से मोदी सरकार आई है तेजी के साथ अर्थव्यवस्था गिर रही है विकास के काम रुके हुए हैं बेरोजगारी बढ़ रही है असल मुद्दों से आंखें चुराने के लिए और जनता का ध्यान भटकाने के लिए मोदी सरकार ने सी.ए.ए एन.आर.सी और एन.पी.आर का मुद्दा उठाया है लेकिन वह यह क्यों भूल रहे हैं कि गरीब को जब भूख लगती है तो उसे एन.आर.सी सी.ए.ए नहीं दो वक्त की रोटी चाहिए जो आज मोदी सरकार उपलब्ध कराने में बुरी तरह नाकाम हो गई हैं। असमा खातून ने कहा कि मौसम की तब्दीली आंदोलनों को रोक नहीं सकती यह हमारा हौसला बढ़ाती है उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार यू.पी सरकार और दिल्ली में भाजपा प्रशासित पुलिस ने जिस अंदाज के साथ आंदोलनकारियों पर अत्याचार किए हैं उससे भी यह आंदोलन नहीं रुक पाए,और इतिहास इस बात का साक्षी रहेगा कि केंद्र की सरकार ने सरकारी तंत्र के बल पर अपना एक कानून पास करवाने के लिए कितने बेकसूरों लोगों पर अत्याचार किए और कितने ही लोग घरों से बेघर हो गए, असमा खातून ने कहा कि भारत का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सत्ता पक्ष की ही बातें कर रहा है मीडिया लोकतंत्र का एक स्तंभ है और खुदा का शुक्र मनाए कि सभी राज्यों के अखबार व राज्यों के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने लोकतंत्र के स्तंभ की लाज रखी हुई है आज प्रदर्शनकारियों को प्रधान सूरज अंसारी, जमालुदीन अंसारी,अकील अहमद,कलीम अंसारी,मौलाना हबीब उर रहमान,तय्यब मास्टर,खालिद रजा,मुहम्मद हारून,मुहम्मद इकराम उल हक़ ने संबोधित किया। 
अब देखना है कि कैरोना की पाबंदियों के संबंध में जारी हुए आदेशों को लेकर सरकार और शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी क्या रुख अख्तियार करते हैं!

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