जांच को ठंडे बस्ते में डालने की साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगें
लुधियाना: 28 फरवरी 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
चार अप्रैल का दिन निकट आ रहा है। बस एक महीना और कुछ दिन ही बाकी हैं। इस एक महीने में नामधारी सम्प्रदाय हत्यारों की गरिफ्तारी को लेकर को बहुत बड़ा आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है। यह आंदोलन क्या रूप लेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक बात साफ़ है कि इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के प्रयास तेज़ हो रहे हैं। ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाला नामधारी सम्प्रदाय शांतिपूर्ण रहते हुए भी इस आंदोलन को पूरी तरह गरमाने की कोशिश में है। इसी मुद्दे को लेकर अलग अलग ज़िला मुख्यालयों पर बारी बारी से धरने प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। डिप्टी कमिश्नरों को इसी आश्य के ज्ञापन भी दिए जाते हैं लेकिन इस सब के बावजूद हत्यारों की गरिफ्तारी को लेकर कोई ठोस कदम उठता नज़र नहीं आ रहा। श्री भैणी साहिब की ऐतिहासिक गद्दी पर मौजूद ठाकुर उदय सिंह की अगुवाई वाला गट भी हत्यारों की गरिफ्तारी की मांग है। उन्होंने भी अतीत में इस मांग को लेकर काफी बड़े प्रदर्शन किये हैं। लेकिन दोनों गुटों के प्रदर्शन एक दुसरे के खिलीफ़ शक्तिप्रदर्शन बन कर रह गए। हत्यारों की गरिफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी। इस मुद्दे गुटों की आपसी दूरियां भी बढ़ा दीं। इस समय अगर ठाकुर उदय सिंह की अगुवाई वाला गुट अगर कांग्रेस अगर हरविंदर सिंह हंसपाल के ज़रिये कांग्रेस के नज़दीक समझा जाता है तो ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाला गुट सीधे सीधे भारतीय जनता पार्टी के नज़दीक है। उनकी बात प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तक है। इसके बावजूद माता चाँद कौर के हत्यारों को पकड़े जाने का मामला अभी तक खटाई में पड़ा हुआ है। इसे ले कर आम नामधारी संगत के मन में रोष है। वही आम नामधारी संगत जो श्री भैणी साहिब के साथ भावनात्मक तौर पर जुडी हुई है। आजकल ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाले नामधारी सम्प्रदाय की जो संगत इस मुद्दे को लेकर रोष व्यक्त कर रही है उसने अलग अलग ज़िलों में रोष व्यक्त कर के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे हैं। रोष प्रदर्शनों का यह सिलसिला आने वाले दिनों में और तेज़ होने की संभावना है।
गौरतलब है कि माता चाँद कौर की हत्या चार अप्रैल 2016 को हुई थी। उस दिन सोमवार का दिन था। हत्या के समय माता चंद कौर नामधारी मुख्यालय के पीछे बनी सतगुरु प्रताप सिंह अकादमी में बच्चों के नए सत्र की शुरुआत पर आयोजित पूजा में हिस्सा लेने अपनी बैरी ऑपरेटेड क्लब कार में गई थी। पूजा करने के बाद वह गोशाला की तरफ जाने के लिए अकादमी के गेट से बाहर निकली। बाहर काले रंग को बाइक पर खड़े दो केशधारी युवकों ने पहले उनको माथा टेका, फिर रिवाल्वर निकाल कर उन पर गोलियां दाग दीं। समझा कटा है वृद्ध शरीर होने के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी लेकिन इसकी घोषणा बाद में अस्पताल की पुष्टि के बाद ही की गई। अकादमी में मौजूद लोग माता चंद कौर को सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने उनको बचाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।
इलाज और मेडिकल जांच का सारा काम लुधियाना के शेरपुर चौंक में स्थित सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल अस्पताल में हुआ। उस दिन नामधारी संगत निरंतर इसी अस्पताल में बानी रही और देहांत पुष्टि का एलान होते ही सभी बिलखने लगे।
माता चंद कौर के सिर और दिल के नीचे दो गोलियां लगी, जबकि तीसरी उनके पास से निकल गई। इसी दौरान शोर मच गया और हत्यारे मौके से फरार हो गए।
पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख ने मीडिया को बताया कि अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच के लिए कई टीमों का गठन भी किया गया। पुलिस ने इस मामले में कई बिंदुओं पर काम शुरू किया। सबूत इकट्ठा करने का काम भी हुआ। किसी भी तरह की रंजिश से भी सीपी ने इंकार नहीं किया था। लगता था माता चाँद कौर के अंतिम संस्कार से पहले ही हत्यारे पकड़ में आ जायेंगे लेकिन यह हत्या अभी तक रहस्य ही बनी हुई है।
हरयारों की गरिफ्तारी को लेकर शुरू रोष प्रदर्शनों के इस सिलसिले की जानकारी देते हुए एक्शन कमेटी के प्रवक्ता गुरमेल सिंह बराड़ और अरविंदर सिंह लाडी ने कहा की यह बहुत ही सुनियोजित हत्या है इसलिए इसका सच सामने लाने की प्रक्रिया को तेज़ कराने के लिए हम संघर्ष करेंगे। यह हत्या श्री भैणी साहिब के परिसर में हुई है। इसलिए श्री भैणी साहिब में मौजूद लोग इसके लिए जवाबदेह तो हैं ही। इस हत्या की जांच अब तक पंजाब पुलिस, पंजाब सरकार, विशेष जाँच दल और सीबीआई को सौंपी जा चुकी है। इसके बावजूद कोई नतीजा सामने नहीं आया। इन सभी एजंसियों को अभी तक सफलता क्यों नहीं मिली? उन्होंने इस मामले को लेकर कई गंभीर आरोप भी लगाए। साथियों ने भी कहा कि अगर श्री भैणी साहिब में हुए इस नृशंस हत्याकांड से जुड़े लोगों से पुलसिया धनगतरीक़ों से ही पूछताछ की जाती तो बहुत पहले ही इस सरे मामले का सच सामने आ गया होता। मौजूदा तौरट्रीक इस ठंडे बस्ते में डालने की ही साज़िश है। इस हत्याकांड की हकीकत को छुपाने में लगे लोगों का सोचना है की शायद इस तरह से धीरे धीरे नामधारी संगत का जोश भी ठंडा पड़ जायेगा लेकिन हम यह सब नहीं होने देंगें। हम न तो इस हत्या को खुद भूलेंगे और न ही किसी को भूलने देंगें। जब तक साडी सच्चाई सामने नहीं आती और असली हत्यारे सलाखों के पीछे नहीं पहुंचते तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। चलाने के लिए यूं तो हर ज़िले में अलग अलग कमेटियां बनाई गयी हैं जिनके सदस्यों लम्बी है लेकिन जिन लोगों की हमें पुष्टि हो पाई उनमें से कुछ हैं-हरदीप सिंह (सरपंच), जगदेव सिंह (पंच), प्रेम सिंह (पंच), मलकीत सिंह, गुरनाम सिंह, राजिंदर सिंह ठेकेदार, जसविंदर सिंह, महिंद्र सिंह, अवतार सिंह, सिंह, गुरदेव सिंह, सुरिंदर सिंह, फौजी हरजीत सिंह, जसवीर सिंह (पायल), राजिंदर सिंह और सिंह इत्यादि। इन लोगों में गुप्त सहयोग करने वाले बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अंतर्मन से तो ठाकुर दलीप सिंह से जुड़े हुए हैं लेकिन श्री भैणी साहिब के दर्शनों को नियमित तौर पर करने के लिए ठाकुर उदय सिंह के नेतृत्व वाले नामधारी सम्प्रदाय में भी सक्रिय रहते हैं।
अब देखना है कि नामधारी सियासत और माता चंद कौर के कत्ल की जांच क्या रुख लेते हैं।
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