Aug 22, 2019, 2:31 PM
मच्छरों की किस्मों के साथ साथ बीमारियां भी बतायीं
मच्छरों की किस्मों के साथ साथ बीमारियां भी बतायीं
लुधियाना: 22 अगस्त 2019: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::
लुधियाना में लड़कियों के राजकीय कालेज की छात्राओं ने आज फिर एक नयी चेतना जागरूक करने का प्रयास किया। आज कालेज के जुयोलॉजी विभाग ने विश्व मास्कीटो दिवस को अंदाज़ में मनाया। उन्होंने पोस्टर बनाये और इन मच्छरों से होने वाली बिमारियों की चर्चा भी की। कालेज की प्रिंसिपल डा. मंजू साहनी के नेतृत्व में इन छात्राओं ने इस दिन को यादगारी अंदाज़ में मनाया। इस सारे आयोजन में बी इस सी भाग तीसरा मेडिकल की छात्राओं ने बहुत ही आकर्षक पोस्टर बनाये। इन पोस्टरों में जहाँ मच्छरों की किस्मों का उल्लेख था वहीँ इन मच्छरों से होने वाली बिमारियों की जानकारी ही दी गयी थी। साथ ही इन बिमारियों से बचने के कारगर उपाय भी बताये गए थे। प्रिंसिपल डा. मंजू साहनी ने साईंस सोसायटी के इस सारे प्रयास की बहुत ही प्रशंसा की। कालेज की वाईस प्रिंसिपल मैडम वरिंदरजीत कौर और इस जागरूकता अभियान की इंचार्ज डा. माधवी वशिष्ठ भी सक्रिय रहीं। मैडम किरपाल कौर, सुश्री किरण गुप्ता और श्री पलविंदर शर्मा भी बहुत उत्साहित करते रहे। कुल मिला कर यह एक यादगारी और लाभप्रद आयोजन रहा।
गौरतलब है कि विश्व मच्छर दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज की थी, कि ‘मनुष्य में मलेरिया के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है’। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत वर्ष 1930 में की थी।इस दिवस के बहाने से मच्छरों से सावधान रहने की जानकारी का आदान प्रदान हो जाता है। इस सारे प्रयास से स्वास्थ्य रक्षा में उल्लेखनीय सहायता मिलती है।
यहाँ भूलना न होगा कि मच्छर मामूली जीव नहीं हैं। यह विश्व के सबसे प्राणघाती कीटों में से एक हैं। इसमें मनुष्यों के भीतर रोग प्रसारित और रोग संचारित करने की अदभुत क्षमता है, जिसके कारण विश्व में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु तक भी हो जाती है। यह बताना भी आवश्यक है कि मच्छर कई प्रकार के होते हैं, जो कि कई प्रकार के रोगों के संवाहक हो सकते हैं। निम्नलिखित रोगों के लिए एडीज, एनोफेल्स, क्यूलेक्स मच्छर (जीवित जीव, जो कि मनुष्यों या कीटों से मनुष्यों के बीच संक्रामक रोग प्रसारित कर सकते हैं) माध्यम के रूप में कार्य करते है। मच्छरों के काटने से बीमारियां बेहद गंभीर और खतरनाक होती हैं।
एडीज से जो खतरनाक बीमारियां होती हैं उनमें हैं चिकनगुनिया, डेंगू बुख़ार, लिम्फेटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार, पीला बुखार (पीत ज्वर), ज़ीका।
इसी तरह एनोफेलीज़ से मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया (अफ्रीका में)। बहुत फैलती हैं।
क्यूलेक्स से जापानी इन्सेफेलाइटिस, लिम्फेटिक फाइलेरिया, वेस्ट नाइल फ़ीवर हो जाता है जो बेहद खतरनाक भी होता है और पीड़ादायक भी। कालेज के पोस्टरों जानकारी सचमुच बहुत ज्ञानवर्द्धक थी।
गौरतलब है कि विश्व मच्छर दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की स्मृति में मनाया जाता है, जिन्होंने वर्ष 1897 में यह खोज की थी, कि ‘मनुष्य में मलेरिया के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है’। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत वर्ष 1930 में की थी।इस दिवस के बहाने से मच्छरों से सावधान रहने की जानकारी का आदान प्रदान हो जाता है। इस सारे प्रयास से स्वास्थ्य रक्षा में उल्लेखनीय सहायता मिलती है।
यहाँ भूलना न होगा कि मच्छर मामूली जीव नहीं हैं। यह विश्व के सबसे प्राणघाती कीटों में से एक हैं। इसमें मनुष्यों के भीतर रोग प्रसारित और रोग संचारित करने की अदभुत क्षमता है, जिसके कारण विश्व में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु तक भी हो जाती है। यह बताना भी आवश्यक है कि मच्छर कई प्रकार के होते हैं, जो कि कई प्रकार के रोगों के संवाहक हो सकते हैं। निम्नलिखित रोगों के लिए एडीज, एनोफेल्स, क्यूलेक्स मच्छर (जीवित जीव, जो कि मनुष्यों या कीटों से मनुष्यों के बीच संक्रामक रोग प्रसारित कर सकते हैं) माध्यम के रूप में कार्य करते है। मच्छरों के काटने से बीमारियां बेहद गंभीर और खतरनाक होती हैं।
एडीज से जो खतरनाक बीमारियां होती हैं उनमें हैं चिकनगुनिया, डेंगू बुख़ार, लिम्फेटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार, पीला बुखार (पीत ज्वर), ज़ीका।
इसी तरह एनोफेलीज़ से मलेरिया, लिम्फेटिक फाइलेरिया (अफ्रीका में)। बहुत फैलती हैं।
क्यूलेक्स से जापानी इन्सेफेलाइटिस, लिम्फेटिक फाइलेरिया, वेस्ट नाइल फ़ीवर हो जाता है जो बेहद खतरनाक भी होता है और पीड़ादायक भी। कालेज के पोस्टरों जानकारी सचमुच बहुत ज्ञानवर्द्धक थी।
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