अब 23 जून तक इसी तरह का रहेगा--नहीं बढ़ेगा तापमान
Photos by Sanjit Kaur, Amanpreet Kaur, Akriti Mangar, Mansi Arora |
लुधियाना: 20 जून 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आज फिर मौसम ने अचानक रंग बदला। तीखी धुप से सख्त हुई गर्मी और फिर अचानक ही मौसम सुहावना हो गया। हवाएं चलने लगीं और बादल छा गए। बाद दोपहर दो-सवा बजे से शाम चार-सवा चार बजे तक बारिश होती रही। इतना पानी बरसा की बहुत से इलाकों में तो घरों में भी घुस गया। आईएमडी(इंडियन मेट्रोलाेजिकल डिपार्टमेंट) के मुताबिक जिले में सबसे ज्यादा 63 एमएम बारिश हुई। ऐसे में 1 जून से लेकर 20 जून शाम तक 80.1 एएम बारिश हो चुकी है। उधर, पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के मौसम महकमे की विशेषज्ञ ढकते के के गिल ने कहा कि अनुमान ऐसे ही थे। अब 23 जून तक यही कुछ रहने वाला है। मतलब टैम्प्रेचर नहीं बढ़ेगा। इसके बाद मौसम फिर नई करवट लेगा।उनके मुताबिक आज शहर में 19 एमएम पानी गिरा है। इसी बीच दोपहर के समय करीब 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चली थी बहुत से पेड़ों पर देखने को मिला जो यहाँ वहां झुके पड़े थे। इन हवाओं के साथ ही बारिश शुरू हो गई थी। लगा था बूंदाबांदी ही होगी लेकिन यह तो पूरी बरसात बन कर बरसी। इस दौरान दिन में अधिकतम पारा 37 डिग्री तक रिकाॅर्ड हुआ, लेकिन बारिश के बाद इसमें सीधे पांच डिग्री की गिरावट दर्ज हुई थी। बारिश के बाद बाद तापमान कुछ गिरा जिसे लोगों ने बहुत ही राहत महसूस की।
घंटाघर चौंक का इलाका, डमोरिया पल, चाँद सिनेमा की पुलि, शेरपुर, ट्रांसपोर्ट नगर-बहुत से इलाके पानी से भर गए। लोग हैरान थे कि अगर प्री मॉनसून शहर की यह हालत है तो लगातार आने वाली बरसातों में क्या हाल होगा। इसके साथ ही कई इलाकों की बिजली गुल हो गयी जो कि आम बात हो चुकी है। शहर में प्री-मॉनसून की बारिश ने नगर निगम की व्यवस्था की पोल खोल दी है। शहर की एक भी सड़क ऐसी नहीं बची, जहां पानी न भरा हो। हर तरफ पानी की वजह वहीं, दोपहर के समय चली तेज हवाओं और बारिश के कारण फिर से बिजली की जाम। लाइनों में तकनीकी खराबियां आ गईं। फोकल पाॅइंट से लेकर कई इलाकों में बिजली गुल रही। इसके अलावा बारिश के कारण कई इलाकों में मीटर तक भी जले हैं। लोग कई जगहों पर फंसे रहे। शेरपुर चौंक में भी जाम लगा रहा। डमोरिया पल से निकलना ही मुश्किल था। चाँद सिनेमा वाली पुलि पर तो कईओं के वाहन बंद हो गए। विकास की वास्तविक तस्वीर दिखा दी इस बारिश ने। यही है विकास के दावों की हकीकत।
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