पीड़ित पक्ष ने कहा:सरकारी विभाग भी हैं उसके साथ
लुधियाना: 17 जून 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
ज़मीन को लेकर धोखाधड़ी और झगड़ों के मामले बढ़ते ही चले जा रहे हैं। देखा जा रहा है कि सभी झगड़ों में एक बात आम है कि सरकारी महकमे किसी न किसी की फेवर करते हैं और इस फेवर के चलते सभी नियम कानून टाक पर रख दिए जाते हैं। अभी एक और नया मामला सामने आया है लुधियाना में। गांव रणिया में दो दोस्तों ने कॉलोनाइजर पर उनके हिस्से की जमीन पर जबरन कब्जा और फिर उस पर कॉलोनी काटने का भी गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्होंने इस बारे में पहले गलाडा को भी शिकायत की थी लेकिन वहां उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद अब उन्होंने पुलिस कमिश्नर डॉ. सुखचैन सिंह गिल को शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की उठाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, डीजीपी और डीसी को शिकायत भेजकर इंसाफ की गुहार लगाई। दोनों दोस्त गांव रोनी के दविंदर सिंह और गांव मुल्लापुर के कमलजीत सिंह है। जानकारी उन्होंने बाकायदा एक पत्रकार सम्मेलन करके दी।
दविंदर सिंह का कहना है कि कलोनाइज़र इंद्रजीत सिंह ने गांव रणिया में डेल्टा सिटी नामक कॉलोनी काटी है। पहले वह अच्छे जानकार थे। इसके चलते दविंदर और कमलजीत सिंह ने इंद्रजीत के साथ मिलकर 2012 में गांव रणिया में कुछ जमीन ली थी। इसकी रजिस्ट्री तीनों के नाम पर हैं। दविंदर ने आरोप लगाया कि बाद में जमीन का रेट ज्यादाकाफी ज़्यादा बढ़ गया। यहीं से लालच का सिलसिला शुरू हो गया और पैसे का स्वार्थ दोस्ती को भी भूल गया। इसी बात का फायदा उठाकर उसने अपने भाई के साथ मिलकर धोखे से जमीन अपने कब्जे में कर ली। दविंदर ने आरोप लगाते बताया कि कलोनाइज़र ने 150 किले में कॉलोनी काटने के दौरान उनके हिस्से की जमीन को भी उसी के बीच काटकर चार दीवारी कर ली। जब उन्हें इस बात का पता चला तो उन्होंने उससे बातचीतभी की लेकिन उसने जमीन देने से मना कर दिया। कमलजीत ने आरोप लगाया कि उन्होंने इसकी शिकायत डीसी और गलाडा ऑफिस में भी की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिस कारण वह पिछले 4-5 महीने से सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगा रहे है। जबकि फर्द और जमीन के अन्य दस्तावेज चैक करने के लिए वह कई बार पटवारखाने में जा चुके है। लेकिन एक महीने से उन्हें कोई कुछ बता ही नहीं रहा। कमलजीत ने आरोप लगाया कि कॉलोनाइजर ने गलाडा से मंजूरी लिए बिना नियमों की उल्लंघना कर इल्लीगल तरीके से कॉलोनी काटी है। प्रशासन को इसका पता होने के बावजूद भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। गौरतलब यह भी है कि बहुत से झगड़े ऐसे भी हैं जो गुपचुप दबे ही रह जाते हैं। सदियों पुरानी कहावत कि ज़र-जोरू और ज़मीन ही होती है झगड़ों की मूल जड़ आज भी सच साबित होती रहती है। विकास के दावे और कानून के लम्बे हाथ अभी तक इस कहावत को झुठला नहीं पाए।
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