Oct 20, 2018, 5:14 PM
तक्नालोजी के क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश आवश्यक है
लुधियाना: 20 अक्टूबर 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
एक देश के लिए ख़ुद को महा-शक्ति कहलाने के लिए ज़रूरी होता है कि वह तक्नालोजी के क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश करे-डा. परवीन कुमार खोसला, सहयोगी निर्देशक टीबआरऐल्ल
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूंआं में नासा स्पेस एप चैलेंज 2018 का मुकाबला हुआ शुरू
‘‘भारत जैसे किसी भी देश के लिए ख़ुद को महा-शक्ति कहलाने के लिए ज़रूरी होता है कि वह देश विज्ञान तथा तक्नालोजी के क्षेत्र में अधिक निवेश करे, जिससे भविष्य के उत्पादों एवं तक्नालोजी को स्वदेशी ढंग से विकसित किया जा सके तथा देश को तकनीक के तबादलो के लिए दूसरे देशों पर निर्भर होने की ज़रूरत न पड़े।’’ इन शब्दों को व्यक्त किया टर्मिनल बलास्टिक रिर्सच लैबारटरी (टीबआरऐल्ल) के सहयोगी निर्देशक एवं डीआरडीओ विज्ञानी डा. परवीन कुमार खोसला ने किया जो कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूंआं में शुरू हुए नासा स्पेस एप चैलेंज 2018 नामी मुकाबले के उद्घाटनी समारोह में पहुँचे थे।
इस दो दिना नासा स्पेस एप चैलेंज 2018 में बहुत सारे सक्षम विज्ञानी एवं फ्रीलैंस एप डिवैलपर हिस्सा ले रहे हैं, जिस दौरान वह विद्यार्थियों के साथ टैकनॉलॉजी सैशनें के द्वारा बातचीत करेंगे, तथा उन्हें अंतरिक्ष के क्षेत्र में इस्तेमाल करीं जाने वाली तकनीकों, इन्टरनेट ऐपलीकेशनों तथा उनमें आ रहे बदलावों के बारे में आग्रह करवाया जायेगा। इस चैलेंज में 48 घंटे बिना रुकने वाला हैकेथौन शामिल है, जिस में विद्यार्थी आगे वाली पीढ़ी की त1नालोजी विकसित करने में हिस्सा लेंगे।
इस एप चैलेंज के दौरान 30 भारतीय यूनिवर्सिटियाँ एवं कालेजों के विद्यार्थी मुकाबले में हिस्सा लिया जा रहा हैं। जिन में पंजाब इंजीनियरिंग कालेज चंडीगढ़, चितकारा यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी आफ लखनऊ, ऐस्सआरऐम चेन्नई,अमृता यूनिवर्सिटी केरला इत्यादि शामिल हैं। हिस्सा लेने वाली टीमें मोबाइल ऐपस विकसित करेंगी जो स्पेस सायंटिस्टों के द्वारा ब्रह्मांड की रहस्यमयी दुनिया को समझने के लिए इस्तेमाल करी जा सकें।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूंआं के ऐरोसपेस इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थियों के साथ बातचीत करते हुए डा. परवीन कुमार खोसला ने कहा कि भारतीय स्पेस प्रोगराम वर्तमान समय अमरीका, जापान, रूस, यूके तथा चीन सहित चोटी के 5 देशों में शामिल है। भारतीय स्पेस अनुसंधान एजेंसी इसरो द्वारा किये गए सफल अंतरिक्ष मिशनों के चलते भारतीय स्पेस विज्ञानियों की विश्व स्तर पर भारी माँग की जा रही है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘नवयुवको द्वारा अपने कैरियर के बदल के तौर पर साइंस को चुनने का रुझान हर साल घटना एक गंभीर मुद्दा है। सरकारें इस बारे ज़िम्मेवाराना नोटिस लेते हुए ज़रुरी बदलाव करे । जैसे कि विज्ञान तथा तक्नालोजी के क्षेत्र में भविष्य बनाने के मौकों को प्रोत्साहन दिया जाये जिससे आज के नवयुवक इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित हो सकें।’’
फोटो कैप्शन: (1) चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी घड़ूंआं में शुरू हुए नासा स्पेस एप चैलेंज 2018 के हैकेथौन मुकाबले में भाग लेते अलग अलग यूनिवर्सिटियों के विद्यार्थी।
(2) नासा स्पेस एप चैलेंज 2018 के दौरान विद्यार्थीयों के साथ अपने विचार सांझे करते हुए टीबआरऐल्ल के सहयोगी निर्देशक एवं डीआरडीओ विज्ञानी डा. परवीन कुमार खोसला।
6 comments:
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