Sep 29, 2018, 12:43 PM
भारतीय संस्कृति और धर्म हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देते
भारतीय संस्कृति और धर्म हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देते
जामा मस्जिद ने खुल कर कहा:पति-पत्नी एक दूसरे के सार्थी
लुधियाना: 29 सितंबर 2018 (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
पति-पत्नी के संबंधों और उनकी पवित्रता की बचने के लिए जामा मस्जिद ने खुल कर स्टैंड ले लिए है। हाल ही में आये फैसले को आड़े हाथों लेते हए शाही इमाम ने भारतीय संस्कृति की याद भी दिलाई है। यहां एक विशेष मीडिया मीट में पत्रकारों से उन्होंने इस संबंध में विस्तार से चर्चा की।
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 497 को असंवैधानिक बताते हुए पति पत्नी के रिश्ते की व्याख्या करते हुए जो कहा है कि महिला पति की सम्पत्ति नहीं, यह व्याख्या भारतीय संस्कृति से मेल नहीं खाती, यह बात आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कही। शाही इमाम ने कहा की पति पत्नी एक दूसरे के सार्थी हैं दोनों का एक दूसरे पर विश्वास ही घर की शांति और पूंजी है जिससे यह दोनों हर मुश्किल का मुकाबला दृढ़ता से करते हैं। उन्होने कहा कि भारतीय संस्कृति और धर्म हरगिज़ इसकी इजाज़त नहीं देते, इसलिए सर्वोच्य न्यालय को इस पर दोबारा विचार करना चाहिए। उन्होंने ने कहा कि इस फैसले से देश में महिलाओं की पीड़ा और बढऩे वाली है, शाही इमाम मौलाना हबीब ने कहा कि अंग्रेजी सम्राजी सरकार की गुलामी से देश को स्वतंत्र कराने के लिए कुर्बानी इसलिए नहीं दी थी कि पश्चिम की सभ्यता को आदेश के जरिए थोपने की कोशिश की जाए। शाही इमाम ने सभी धर्मो के उच्च गुरुओं से भी अपील की है कि इस फैसले को बदलने के लिए सरकार को कहें। शाही इमाम ने कहा की देश में कानून बनाना संसद का काम है सर्वोच्य न्यालय को तीन तलाक के कानून की तरह इसको भी संसद में विचार के बाद कानून बनाने के लिए कहना चाहिए था, उन्होंने कहा कि ऐसी सभी धाराओं को बदलने से पहले राष्ट्रीय स्तर पर जनता की भी राय लेनी चाहिए। उन्होंने ने कहा कि हैरत है कि एक तरफ यह कहा जाता है कि तीन तलाक नहीं दी जा सकती और दूसरी ओर शादी शुदा जोड़ों को अवैध संबंध बनाने की इजाजत दी जा रही है। एक सवाल का जवाब देते हुए शाही इमाम ने कहा कि मस्जिद और नमाजियों का रिश्ता अटूट है इस पर बहस की कोई जरुरत नहीं। इस अवसर पर नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी, मुफ्ती जमालुदीन, कारी इब्राहिम, मौलाना महबूब आलम, शाह नवाज अहमद और शाही इमाम के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम आदि मौजूद थे।
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