प्रविष्टि तिथि: 21 JUN 2018 9:58AM by PIB Delhi
योग दिवस पर देहरादून में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ
देहरादून: 21 जून 2015: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो//पीआईबी)::
मंच पर उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव और इस विशाल, सुंदर मैदान में उपस्थित मेरे सभी साथियों। मैं देवभूमि उत्तराखंड की इस पावन धरती से दुनियाभर के योग प्रेमियों को चौथे अंतराष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनाएं देता हूं।
मां गंगा की इस भूमि पर, जहां चारधाम स्थित हैं, जहां आदि शंकराचार्य आए, जहां स्वामी विवेकानंद कई बार आए, वहां योग दिवस पर हम सभी का इस तरह एकत्रित होना, किसी सौभाग्य से कम नहीं।
उत्तराखंड तो वैसे भी अनेक दशकों से योग का मुख्य केंद्र रहा है। यहां के ये पर्वत स्वत: ही योग और आयुर्वेद के लिए प्रेरित करते हैं।
सामान्य से सामान्य नागरिक भी जब इस धरती पर आता है, तो उसे एक अलग तरह की, एक दिव्य अनुभूति होती है। इस पावन धरा में अद्भुत स्फूर्ति है, स्पंदन है, सम्मोहन है।
साथियों,
ये हम सभी भारतीयों के लिए गौरव की बात है कि आज जहां-जहां उगते सूर्य के साथ जैस-जैसे सूरज अपनी यात्रा करेगा, सूरज की किरण पहुंच रही है, प्रकाश का विस्तार हो रहा है, वहाँ - वहाँ लोग योग से सूर्य का स्वागत कर रहे हैं।
देहरादून से लेकर डबलिन तक, शंघाई से लेकर शिकागो तक, जकार्ता से लेकर जोहानिसबर्ग तक, योग ही योग , योग ही योग है।
हिमालय के हजारों फीट ऊंचे पर्वत हों या फिर धूप से तपता रेगिस्तान, योग हर परिस्थिति में, हर जीवन को समृद्ध कर रहा है।
जब तोड़ने वाली ताकतें हावी होती है तो बिखराव आता है। व्यक्तियों के बीच समाज के बीच देशों के बीच बिखराव आता है। समाज में दीवारें खड़ी होती है, परिवार में कलह बढ़ता है और यहाँ तक कि व्यक्ति अंदर से टूटता है और जीवन में तनाव बढ़ता जाता है।
इस बिखराव के बीच योग जोड़ता है। जोड़ने का काम करता है
आज की आपाधापी और तेज़ भागती ज़िंदगी में योग मन, शरीर और बुद्धि आत्मा को जोड़कर व्यक्ति के जीवन में शांति लाता है।
व्यक्ति को परिवार से जोड़कर परिवार में ख़ुशहाली लाता है।
परिवारों को समाज के प्रति संवेदनशील बना कर समाज में सद्भावना लाता है।
समाज राष्ट्र की एकता के सूत्र बनते है।
और ऐसे राष्ट्र विश्व में शांति और सौहार्द लाते है। मानवता, बंधुभाव से पल्लवित और पोषित होती है।
यानी योग व्यक्ति-परिवार-समाज-देश-विश्व और सम्पूर्ण मानवता को जोड़ता है।
जब यूनाइटेड नेशन्स में योग के लिए प्रस्ताव रखा और ये यूनाइटेड नेशन्स का रिकॉर्ड है, ये पहला ऐसा प्रस्ताव था जिसको दुनिया के सर्वाधिक देशों ने कॉस्पान्सर किया। ये पहला ऐसा प्रस्ताव था जो UN के इतिहास में सबसे कम समय में स्वीकृति हुआ और ये योग आज विश्व का हर नागरिक, विश्व का हर देश योग को अपना मानने लगा है और अब हिन्दुस्तान के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है कि हम उस महान विरासत के धनी है, हम उन महान परम्परा की विरासत को संजोय हुए है।
अगर हम अपनी विरासत पर गर्व करना शुरू करें जो कालबाह्यी है उसे छोड़ दें और वो टिकता भी नहीं है। लेकिन जो समय के अनुकूल है, जो भविष्य के निर्माण में उपकारक है ऐसी हमारी महान विरासत को अगर हम गर्व करेंगे तो दुनिया गर्व करने में कभी भी हिचकिचाहट नहीं अनुभव करेगे। लेकिन अगर हमें, हमारी शक्ति, सामर्थ्य के प्रति भरोसा नहीं होगा, तो कोई स्वीकार नहीं करेगा। अगर परिवार में परिवार ही बच्चे को हमेशा नकारता रहे और अपेक्षा कि मोहल्ले वाले बच्चे को सम्मान करे, तो वह संभव नहीं है। जब मां, बाप, परिवार, भाई, बहन बच्चे को जैसा भी हो स्वीकार करते है तब जा करके मोहल्ले के लोग भी स्वीकार करना शुरू कर देते है।
आज योग ने सिद्ध कर दिया है कि जैसे हिन्दुस्तान ने फिर से एक बार योग के सामर्थ्य के साथ अपने साथ जोड़ दिया दुनिया अपने आप जुड़ने लग गई।
योग आज दुनिया की सबसे Powerful Unifying Forces में से एक बन गया है।
मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यदि आज पूरी दुनिया में योग करने वालों के आंकड़े जुटाए जाएं तो अद्भुत तथ्य विश्व के सामने आएंगे।
अलग-अलग देशों में, पार्कों में, खुले मैदानों में, सड़कों के किनारे, दफ्तरों में, घरों में, अस्पतालों में, स्कूलों में, कॉलेजों में, ऐतिहासिक विरासतों के सानिध्य में, योग के लिए जुटते सामान्य लोग, आप जैसे लोग, विश्व बंधुत्व के भाव और Global Friendship को और ऊर्जा दे रहे हैं।
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