जानीमानी वाम पत्रकार और सक्रिय समाजसेवी गौरी लंकेश की हत्या का रहस्य छंटने लगा है। बात सामने आने लगी है। धीरे धीरे इस मामले की कड़ियां खुलने लगी हैं। लेकिन गंभीर संकेत भी मिल रहे हैं। कन्नड़ पत्रकार गौरी लंकेश के संदिग्ध हत्यारों के हिट लिस्ट में चर्चित रंगकर्मी गिरीश कनार्ड भी थे। कर्नाटक सराकर के द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) यह संनसनी खुलासा किया है। एसआईटी ने संदिग्धों के पास से एक डायरी बरामद की है जिसमें फिल्मकार गिरीश कर्नाड के अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार बीटी ललिता नाइक, निदुमामिडी मठ के प्रमुख वीरभद्र चन्नामल्ला स्वामी और तर्कवादी सीएस द्वारकानाथ के नाम शामिल हैं। हालांकि एसआईटी ने यह भी कहा कि अभी तक की पूछताछ और विवेचना में वाधमारे के खिलाफ कोई खास सबूत नहीं मिला है जिसके आधार पर उसे लंकेश हत्या का अभियुक्त घोषित किया जा सके।
गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि सूची में कर्नाड के अलावा ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता नेता और साहित्यकार बीटी ललिता नाइक, निदुमामिडी मठ के प्रमुख वीरभद्र चन्नामल्ला स्वामी और तर्कवादी सीएस द्वारकानाथ शामिल थे। इस हत्याकांड की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने आज कहा कि परशुराम वाघमारे ने की थी गौरी लंकेश की हत्या। गौरतलब है कि अचानक घर का दरवाज़ा खुलते ही हमलावरों ने गौरी लंकेश की हत्या कर दी थी।
जांच दल के मुताबिक परशुराम वाघमारे गौरी लंकेश की हत्या के संबंध में गिरफ्तार किए गए छह संदिग्धों में से एक है। हालांकि, पुलिस ने मंगलवार को उसके हत्यारा होने की बात से इनकार किया था। गौरी लंकेश हत्या की जांच कर रहे कर्नाटक पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कहा था कि 26 वर्षीय परशुराम वाघमरे को राज्य के विजयपुरा जिले के सिंधागी से गिरफ्तार किया गया है।
एसआईटी को हेड करनेवाले इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस बीके सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान ऐसी कोई भी बात निकलकर सामने नहीं आई है जिससे ऐसा लगे कि लंकेश की हत्या में वाघमरे शामिल था। गौरी लंकेश का वाघमरे को हत्यारा बताए जाने की मीडिया में चल रही अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि नहीं, जांच में ऐसी कोई चीज सामने नहीं आयी है।
गौरी लंकेश मर्डर केस में वाघमरे की छठी गिरफ्तारी की गई है। लंकेश को पिछले साल 5 सितंबर को उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या की गई थी।उल्लेखनीय है कि एसआईटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि गौरी और तर्कवादी एवं अंधविश्वास विरोधी गोविंद पंसारे तथा एम एम कलबुर्गी को गोली मारने के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल किया गया।
इसी बीच नाम उजागर न करने की शर्त पर एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया के एक हिस्से को बताया कि वाघमारे ने गौरी को गोली मारी और फॉरेंसिक जांच से पुष्टि होती है कि (तर्कवादी) गोविंद पंसारे, एम एम कलबुर्गी और गौरी की हत्या एक ही हथियार से की गई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है। फॉरेंसिक जांच से इस नतीजे पर तब पहुंचा जाता है जब बंदूक के ट्रिगर से गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिलता है फिर चाहे बंदूक की बरामदगी हो या न हो।
इसके साथ ही हिन्दू संगठनों पर भी जानकारी मिली। अधिकारी ने कहा कि हिंदू दक्षिणपंथी समूहों के लोगों को शामिल कर बनाए गए इस संगठन में 60 सदस्य हैं जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हुए हैं लेकिन इस संगठन का कोई नाम नहीं है। अधिकारी ने यह भी कहा कि हमें मालूम हुआ है कि इस गिरोह का मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में नेटवर्क है। हम अभी तक उत्तर प्रदेश से उनके ताल्लुक का पता नहीं चला सके हैं। इसके जमीनी आधार का आकलन भी किया आना आवश्यक लगता है।
हत्या के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भले ही इस गिरोह ने महाराष्ट्र के हिंदू जागृति समिति और सनातन संस्था जैसे कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों की भर्ती किया लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि ये संस्थाएं सीधे तौर पर हत्या में शामिल हों। दोनों ही संगठनों ने इन तीनों की हत्या में किसी तरह की भूमिका से इंकार किया है।
अधिकारी ने कहा कि सुजीत कुमार उर्फ प्रवीण गिरोह के लिए लोगों की भर्ती करता था और उसी से पूछताछ के दौरान इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ। उन्होंने बताया कि एसआईटी को संदेह था कि गौरी की हत्या के दौरान तीन और लोग वहां मौजूद थे।
इसी मुद्दे पर अधिकारी ने यह भी कहा कि यह गिरोह बड़ी सतर्कता से अपने कार्यों को अंजाम देने से पहले उसकी योजना बनाता था। यह गिरोह जासूसी करना, निशाने पर लिए लोगों की कमजोरियां पहचानना और उनकी हत्या करने में छह महीने से साल भर तक का समय लेता था।
साथ ही एक अहम खुलासा भी हुआ। उन्होंने कहा कि यह गिरोह (कन्नड़ लेखक) प्रोफेसर एस भगवान की हत्या के लगभग अंतिम चरण में था जब हमने इन्हें धर दबोचा। ”
कर्नाटक पुलिस ने हाल ही में भगवान की हत्या की साजिश का खुलासा किया था और गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों से पूछताछ के दौरान ही गौरी लंकेश की हत्या में इनकी संलिप्तता का संदेह हुआ।
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