Fri, Mar 16, 2018 at 3:43 PM
सियासतदानों की वायदा खिलाफी से बुरी तरह आहत है बेलन ब्रिगेड टीम
लुधियाना: 16 मार्च 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
जब कुछ वर्ष पूर्व बेलन ब्रिगेड ने नशे के खिलाफ जंग छेड़ी थी तो शायद ही कोई सियासी या समाजिक संगठन हो जिसने इस जंग का समर्थन न किया हो। शायद ही कोई नेता हो जो इस मौके पर अपना साथ देने न पहुंचा हो। जन शक्ति का सूर्य उदय होने लगा था। बहाना बेशक नशे का मुद्दा ही बना लेकिन धीरे धीरे बहुत से अन्य समाजिक मुद्दे भी सामने आने लगे। इन वर्षों में संघर्ष तो तेज़ हुआ लेकिन अनीता शर्मा का आर्थिक ढांचा बिगड़ गया। पारिवारिक ज़िम्मेदारियां मुश्किल लगने लगीं लेकिन फिर भी हार नहीं मानी। एक कुयालिफ़ाइड आर्कीटेक्ट अपना अच्छा भला कामकाज छोड़ कर समाज को नशा मुक्त करने निकल पड़ी थी। नशे का कारोबार करने वाला माफिया इसे कैसे बर्दाश्त करता? शुरू हुआ लालच देने का सिलसिला। वित्तीय हालत खराब थी लेकिन अनीता शर्मा मज़बूत बनी रही। आमदनी बंद हो गयी और खर्चे बढ़ गए। स्टाफ के वेतन, संगठन के खर्चे, पारिवारिक सिस्टम, बच्चों की फीस। अनीता शर्मा की एक हाँ इन सभी समस्यायों का हल निकाल सकती थी लेकिन ज़मीर की आवाज़ सुनने वाले लोग आजुक इम्तिहान में भी कभी नाकाम नहीं होते। अनीता ने किसी भी लालच के सामने कमज़ोरी नहीं दिखाई। फिर शुरू हुआ धमकियों का सिलसिला। घर के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने पड़े। इस आड़े वक़्त में जो लोग काम आते रहे वे किसी भामाशाह से कम भी नहीं थे।
बहुत से लोग जुड़े--बहुत से लोग टूटे। हालात के इस उतराव चढ़ाव में बहुत बार नाज़ुक मोड़ आये। एक वक़्त ऐसा भी आया कि सियासत में कदम रखा जाये या नहीं? फैसला मुश्किल था। हर विचार के लोगों से भरी जनता को छोड कर किसी एक दल का होना आसान नहीं था लेकिन अनीता शर्मा ने विश्वास किया। इस बात को नज़र अंदाज़ करके विश्वास किया कि सियासत में वायदे किये ही तोड़ने के लिए जाते हैं। फिर वो वायदे चाहे 15-15 लाख रुपयों के हों या स्मार्टफोन के। इनकी कीमत जुमलेबाज़ी से ज़्यादा नहीं होती। वायदा पूरा न हो तो किसी पर कोई मामला भी दर्ज नहीं होता। फिर भी दलेर लोग विश्वास करते हैं। अनीता शर्मा ने भी किया। उम्मीद नहीं यकीन था कि नशा भी बंद होगा और समाज की हालत भी सुधरेगी। लेकिन हर रोज़ जब अखबार आती तो अनीता शर्मा ज़्यादा उदास हो जाती। जब शराब के सस्ता होने की खबर आई तो बहुत ज़्यादा सदमा लगा। इसके साथ ही एक छोटी सी बच्ची के साथ रेप की खबर छपी तो इस खबर ने तो हिला ही दिया।
अनीता शर्मा के अंतर्मन की चीख कलम तक आयी। सवाल उठा क्या ऐसे ही सुधरेगा समाज? शराब की बोतल सस्ती होने की खबर से पहले ही दिन एक 40 वर्षीय शराबी व्यक्ति द्वारा छः वर्ष की बालिका से ब. लात्कार के बाद उसकी हत्या कर शव झाड़ियों में फेंक देना और बच्चियों के साथ आये दिन बलात्कार की घटनाओ से जनता में अपनी बच्चियों की सुरक्षा को लेकर चिन्ताएं बढ़ रही हैं।
बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्षा अनीता शर्मा ने एक सभा में बोलते हुए कहा कि अब जग जाहिर हो चुका है कि पंजाब को नशे ने बर्बाद कर दिया है। इनमें से एक नशा ज़्यादा आसानी है और यही घरों और परिवारों को बर्बाद करने वाला नशा है--शराब का नशा; जो सरकारी मान्यता प्राप्त भी है। नए बजट सत्र में शराब के कारोबार को बढ़ाने के लिए पंजाब सरकार ने शराब सस्ती कर दी है ताकि गरीब बस्तियों व ग्यासपुरा के आंगनों में रहने वाले मजदूर ज्यादा से ज्यादा शराब पिये जिससे सरकार को एक्साइज टैक्स से मोटी कमाई हो।
अनीता शर्मा ने कहा कि वर्तमान हालात देखकर लगता है कि महिलाओं की सुरक्षा आज वर्तमान सरकार, प्रशासन व पुलिस के पास नहीं है। यही कारण है कि आज गली मोहल्ले में पडोसीयो की ही छोटी-छोटी कन्याओं को हवस के दरिंदे अपना शिकार बना रहे है। हवस के दरिंदो के हाथ मरने वाली कन्यायों की आत्मा यही पुकार कर रही है कि माँ मुझे कोख में ही मार देना क्योंकि चार छः साल की होने पर भी कोई हवस का भेड़िया मुझे एक दिन मार ही देगा।
आज समाज में सबसे पीड़ित महिला है और ऐसा लगने लगा है कि समाज में महिला होना ही एक श्राप बन चूका है। महिला बचपन से लेकर बुढ़ापे तक पुरुष प्रधान समाज में अपने आप को असुरक्षित समझने लगी है। दूसरी तरफ सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में असफल हो चुकी है। सरकार ने उल्टा शराब को सस्ता करके नशे के छठे दरिया के बहाव को ओर तेज कर दिया है ताकि पंजाब के गरीब मजदूर थोड़े पैसों में ज्यादा से ज्यादा शराब पिएँ और अपने घर परिवार को बर्बाद करें और मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाकर उन्हें जान से मार दें।
अंत में अनीता ने कहा कि यदि पंजाब सरकार महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती, कम से कम शराब को सस्ता न करे क्योंकि शराब ही एक ऐसा नशा है जो घरों को बर्बाद कर रहा है।
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