Thursday, January 25, 2018

वृद्ध आश्रम हमारे सभ्य समाज के लिए अभिशाप हैं

बजुर्ग हमारे समाज की मजबूत नींव हैं उनका सम्मान करना हमारा कर्तव्य  है:वरुण मेहता 
लुधियाना: 25 जनवरी 2018:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
धर्मकर्म और धर्मस्थलों से भरे इस देश में जन्म देने वाले मातापिता को वृद्ध होने के बाद घर से निकाल कर किसी वृद्धाश्रम में छोड़ने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। न जाने यह सब किस धर्म के अंतर्गत किया जा रहा है। यह बात संतोषजनक भी है और चमत्कार भी कि इन वृद्धों को वे लोग संभालते हैं जिनका इसने खून का कोई रिश्ता नहीं होता। जहां सगे छोड़ जाते हैं वहां बेगाने आ कर संभाल लेते हैं।  
भारत के 69 वे गणतन्त्र दिवस  को My Way फार ह्यूमन वेलफेयर सोसाईटी द्धारा भी कुछ अलग ढंग से मनाया गया। इस सोसायटी के सदस्यों और पदाधिकारियों को महसूस हुआ कि जब तक ये वृद्ध लोग उदास रहेंगे तब तक तिरंगा भी हमारी सलामी स्वीकार नहीं करेगा। जब तक इनका आशीर्वाद नहीं मिलेगा तब तक भगवान भी प्रसन्न नहीं होंगें। "मेरा भारत महान" कहना तो आसान है लेकिन वास्तविक ज़िंदगी में ऐसी महानता पैदा करना कुछ कठिन है जिस पर सचमुच गर्व किया जा सके। वृद्धों की उदासी को दूर करके इस सोसायटी ने कुछ इसी तरह की कोशिश की है।  स्थानीय मॉडल टाऊन में स्वामी विवेकानंद वृद्ध आश्रम में रहने वाले बजुर्गो के साथ इस सोसायटी ने केक काटकर खुशी मनाई। इस ख़ुशी को संस्था की अध्य्क्ष अजिन्दर कौर व महासचिव वरुण मेहता के नेतृत्व में मनाया गया।
इस अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए वरुण मेहता ने कहा कि हमारे बजुर्ग किसी मज़बूत इमारत की नींव के समान है जैसे नींव मज़बूत होने से इमारत का भविष्य उज्ववल होता है उसी प्रकार बजुर्गो के होने से उनके मार्गदर्शन में परिवार व समाज को योग्य मार्गदर्शन मिलता है लेकिन अफसोस आज साईंस के बढ़ते युग मे हमारा समाज जितना सभ्य होने का ढोंग करता है उतनी तेज़ी से वृद्ध आश्रमों के निर्माण की बढ़ोतरी हो रही है जोकि हमारे समाज के लिए कलंक है।  ईश्वर के रूप में माता पिता की सेवा व उनके दर्शन ही सबसे उत्तम है लेकिन दुर्भाग्यवनश कुछ लोगो की तरफ से माता पिता की सेवा करने की बजाय उन्हें वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे सविधान में अगर माता पिता का अपमान करने व उन पर अत्याचार करने वाली औलाद को कठोर सजा देने का प्रावधान होता तो शायद आज उम्र के इस पड़ाव में इन बजुर्गो को इस तरह बेबसी की हालत में  रहने के लिए विवश न होना पड़ता।
संस्था की अध्य्क्ष अजिन्दर कौर ने कहा कि हमारी संस्था ने हमेशा ही समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा करने व उनके सहभागी बनने को अपना कत्तर्व्य समझा है इसलिए आज गणतन्त्र दिवस को वृद्ध आश्रम में मनाने से हमे जहाँ गर्व महसूस हो रहा है वही समाज की सेवा करने के लिए इन बजुर्गो का अनमोल आशीर्वाद भी हमे मिल रहा है । उन्होंने कहा कि सोना पुराना होने से पीतल नही हो जाता बल्कि उसकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है उसकी कीमत पुराना होने के कारण कई गुना बढ़ जाती है लेकिन हमारे समाज के कई लोग परिवार की नींव रखने वाले बजुर्ग माता पिता की सेवा करने व उन्हें दो वक्त की रोटी देने की बजाय उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ कर कभी न भरने वाले जख्म देते है जबकि माता पिता कोहिनूर के हीरे जैसे है जिनकी चमक पुराने होने के साथ ही बढ़ती जारही है इस अवसर पर संस्था द्वारा आश्रम में रहने वाले बजुर्गो को जरूरी राशन सामग्री व दवाईया भेट की गई व सभी सदस्यों ने मिलकर बजुर्गो का आशीर्वाद लेते हुए उनके साथ परिवारिक माहौल बनाते हुए खुशी के पल बाटे ।
इस अवसर पर आश्रम के प्रशाशक विकास भारती सहित संस्था की तरफ से गुरचरण कौर,नीतू सलूजा , रीटा मक्कड़, रितु बिंद्रा, रिंकी मनोचा, दमनप्रीत बहल, ममता मल्होत्रा, अनिता घई व अन्य भी उपस्थित थे। 
इस अभियान से जुड़ने के इच्छुक संस्था की अध्यक्षा अजिन्दर कौर से 9779668799 पर और महांसचिव वरुण मेहता से 9888409090 पर सम्पर्क कर सकते हैं। 
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? कौन है कसूरवार? क्यों आया हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक  समाज में यह खतरनाक अमानवीय बदलाव? आपने विचार अवश्य भेजिए। यह सिलसिला वास्तव में भारतीय संस्कृति और परम्परा पर एक आघात है। सूक्ष्म हमला है हमारे समाजिक और धार्मिक सिस्टम को थस नहस करने का। जो लोग आज अपने मातापिता को घरों से निकाल कल वृद्धाश्रम में भेज सकते हैं वे लोग कल को देश से भी ऑंखें फेर लेंगें।  



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