इस बार भी खुल कर सामने नहीं आया मीडिया
लुधियाना: 2 अक्तूबर 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
देश में हो रही पत्रकारों की हत्याओं और पत्रकारों की मिल रही धमकियों के विरोध में रोष प्रकट करने के लिए प्रैस क्लब आॅफ इंडिया के आह्वान पर आज गांधी जयंती के मौके पर लुधियाना में मौन धारण कर पूरे देश के पत्रकारों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन किया गया। लुधियाना के भाईवाला चैक स्थित चुनिंदा पत्रकारों, लेखकों, अध्यापकों एवं समाज सेवकों ने एकजुट हो कर इस सिलसिलो को बंद करवाने और देश में पत्रकारों की सुरक्षा पुख़्ता करने की मांग की गई।
प्रातः ठीक साढ़े ग्यारह बजे लुधियाना के भाईवाला चैक स्थित शहीद करतार सिंह सराभा पार्क फिरोज़पुर गांधी मार्केट में मौन व्रत की शुरूआत हुई, जिस में वरिष्ठ पत्रकार सुरजीत भगत, परमेश्वर सिंह, राज जोशी, रैक्टर कथूरिया के साथ पत्रकार दीप जगदीप सिंह, जसप्रीत सिंह, स्कूल टीवी के संचालक प्रो. संतोख सिंह, अध्यापक परमजीत कौर, दविंदर सिंह, कवियत्री सुकृति भारद्धाज, समाज सेवी एवं कला प्रेमी ललित सूद ने शिरक्त की। कुल दस मिनट के रोष प्रदर्शन में पहले पांच मिनट मौन व्रत रखा गया। उसके बाद पूरी दुनिया में पत्रकारों की सुरक्षा की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए ज़ोरदार टाइम्स डाॅट काॅम के संपादक, पत्रकार एवं लेखक दीप जगदीप सिंह ने बताया कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रही अंतरराष्ट्रीय शोध संस्था रिपोर्टर्ज़ विदाऊट बाॅडर्ज़ के ताज़ा आंकड़ों की मुताबिक स्वतंत्र मीडिया के मामले में भारत 180 देशों में से पिछले साल के 133वें पायदान से खिसक कर 136वें पायदान पर चला गया है। इसके साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में भारत ईराक और सीरीया के बाद तीसरे स्थान पर है जबकि पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान भी उस के बाद आते हैं। पत्रकारों के खि़लाफ़ गाली-गलौच और धमकाने के मामले में भारत 18वें पायदान पर है। ऐसे माहौल में देश के अंदर काम कर रहे पत्रकारों के लिए जंग जैसे माहौल में काम करने की स्थिति बनी हुई है। हैरानी की बात यह है कि सितंबर माह में ही देश में हुई विभिन्न घटनाओं में तीन पत्रकार गौर लंकेश (बंगलौर), शांतनु भौमिक (त्रिपुरा) और केजे सिंह (मोहाली) की हत्या हो चुकी है। यही नहीं पिछले दो सप्ताह में दिल्ली-एनसीआर में 4 पत्रकारों ने वाॅटस ऐप पर धमकियां मिलने की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई है। अफ़सोस की बात यह है कि करीब दो दशकों से पत्रकारों की हत्याओं और धमकाने का सिलसिला चल रहा है लेकिन आज तक किसी भी मामले में दोषियों को सज़ा नहीं मिल पाई है। दीप जगदीप सिंह ने इंटरनेशनल जर्नलिस्ट फ़ैडरेशन के बयान का हवाला देते हुए कहा कि जब तक ऐसे मामलों में तेज़ी से कार्यावाही नहीं होती और दोषियों की सख़्त सज़ाएं नहीं दी जाती तब तक यह सिलसिला रुकने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रैस क्लब आॅफ इंडिया ने आज राष्ट्रीय स्तर के शांतमई मूक प्रदर्शन के द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों से मांग की है कि पत्रकारों को मिल रही धमकियों और हत्याओं के मामलों में दोषियों की तुरंत पहचान की जानी चाहिए और उनके खि़लाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। राज्य सरकारों से मांग की गई है कि पत्रकारों को पेशेवर, सामाजिक और स्वास्थय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पत्रकार भलाई फंड स्थापित किया जाए। सोशल मीडिया पर पत्रकारों को मिलने वाली धमकियों और महिला पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार को रोकने के लिए आवश्यक ढांचा विकसित किया जाए और दोषियों की पहचान कर तुरंत कानूनी कार्यवाही की जाए। इस मौके पर उपस्थित सभी ने इस बात का समर्थन किया कि अपनी सुरक्षा के बारे में पत्रकारों को ख़ुद सचेत होना होगा और अपने सभी मतभेद भुला कर एकजुट होना होगा। इस बारे में सुझाव देते हुए दीप जगदीप सिंह ने कहा कि चाहे लुधियाना में विभिन्न पत्रकार संगठन हैं जो अपने-अपने ढंग से बढ़िया काम कर रहे हैं, लेकिन सभी संगठनों के प्रतिनिधियों को लेकर एक संयुक्त तालमेल कमेटी गठित करनी चाहिए ताकि पत्रकारों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर एकजुटता का माहौल तैयार किया जा सके और आने वाले समय मे संयुक्त कार्यवाही का कार्यक्रम बनाया जा सके।
इस मौके पर अपने विचार देते हुए स्क्ूल टीवी के संचालक प्रो. संतोख सिंह ने कहा कि देश में बोलने की आज़ादी पर दो तरह के ख़तरा मंडरा रहा है एक तरफ एक ख़ास विचारधारा के तहत लेखकों और पत्रकारों की योजनाबद्ध तरीके से हत्याएं की जा रही हैं और दूसरी तरफ़ विभिन्न विवादित मामलों की कवरेज के दौरान भड़की हुई भीड़ द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। यह दोनो तरह के चलन लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति के सिद्धांत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस लिए हर किस्म के अलोकतांत्रिक चलन का विरोध करना और उनके खि़लाफ़ एकजुट होकर संयुक्त रूप से आवाज़ बुलंद करना आवश्यक है। कवित्री सुकृति भारद्वाज ने कहा कि वह पत्रकारों और लेखकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और इस कदम में उनके साथ हैं। वह इन मामलों पर अपनी कलम के ज़रिए लोगों में जागरुकता फैलाने का प्रयास करेंगी और मानव अधिकारों के लिए जो भी कार्य किए जाएंगे उन में भागीदारी निभाएंगी। अध्यापिका परमजीत कौर और अध्यापक दविंदर सिंह ने कहा कि स्कूल स्तर पर ही बच्चों को विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी के बारे में जागरुक करना चाहिए ता कि आगे चल कर एक दूसरे के विचारों से असहमत होने पर भी एक दूसरे को अपनी बात कहने देने वाला स्वभाव विकसित किया जा सके।
वरिष्ठ पत्रकारों सुरजीत भगत, परमेश्वर सिंह और राज जोशी ने उपरोक्त विचारों की प्रोढ़ता करते हुए पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में बढ़ रहे ख़तरों पर चिंता प्रकट की और हर तरह का सहयोग देने का वादा किया।
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