Friday, August 25, 2017

डेरा प्रेमियों के हिंसक उत्पात ने हिला दिया पूरा देश

 डेरे की सम्पति अटैच करने की तैयारियां शुरू 
नई दिल्ली//चंडीगढ़//पंचकूला//सिरसा//:: 25 अगस्त 2017: (पंजाब स्क्रीन मीडिया ब्यूरो):: कभी एक सीता माता का हरण हुआ था तो राम रावण युद्ध की कहानियां अब तक सुनी सुनाई जाती हैं। कभी एक द्रोपदी का चीयर हरण हुआ था तो महाभारत के भयनक युद्ध का परिणाम आज तक चर्चा का विषय रहा। इसके बाद भी ऐसा बहुत कुछ जारी रहा। आख़िरकार एक साध्वी की हिम्मत रंग लायी। उसने हाईकोर्ट के साथ साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी एक पत्र लिखा। पत्र गुमनाम था। अगर नाम लिखा होता तो उसकी जान को खतरा हो सकता था। शायर मन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बहुत संवेदनशील भी थे। वह गुमनाम पत्र उनके मन को छू गया। इसके साथ ही शुरू हुई पत्र लिखनेवाली साध्वी की खोज और परिणाम आज सभी के सामने है। बाबा गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दे दिया गया है। आलीशान ज़िंदगी जीने वाले बाबा अब रोहतक जेल पहुंच चुके हैं। बाबा को जेल की बात सुनते ही अनुयायी क्रोधित हो गए।पंचकूला में एकत्र होने की तयारी बहुत पहले से थी।  
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जो लोग कह रहे थे कि खून की नदियां बहा देंगें वे अपनी धमकियों को सच कर दिखाने लगे। इसके बाद सरकारी दफ्तरों में आग, रेलों में आग, बसों में आग, मीडिया की ओ बी वैनों में आग, टेलीफोन एक्सचेंजों में आग और यहां तक कि अस्पतालों में आग। डेरा आतंक की यह आग सिरसा और पंचकूला से होते हुए पूरे पंजाब में पहुंची और फिर दिल्ली को भी अपनी लपेट में ले लिया। वोटबैंक के लालच में डेरों को लगातार शक्तिशाली बनाने वाली सरकारें और डेरों में जा कर माथे रगड़ने वाले सियासतदान भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं। सम्पति सिर्फ डेरे की नहीं इन लोगों की भी अटैच होनी चाहिए। 
साध्वी यौन शोषण मामले में श्रम करने की बजाये, अपनी बहु बेटियों को वहां भेजने से परहेज़ करने की बजाये डेरा अनुयायियों ने तोड़फोड़ और आगज़नी को पहल दी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार देने के बाद हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में डेरा अनुयाइयों ने जमकर हिंसा की। प्राप्त समाचारों के अनुसार पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ हुए संघर्ष में कई लोगों की मौत हो गयी है और बहुत से लोग घायल हो गए हैं। पंचकूला की केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने 15 वर्ष पुराने इस मामले में आज राम रहीम को दोषी ठहराया है। इस मामले में सजा का ऐलान 28 अगस्त को किया जाएगा। सोशलमीडिया पर कई लोग कह रहे थे कि यह काम भी आज ही हो जाता तो अच्छा था। फैसले को ४५ मिन्ट्स तक रोकने और बहुत सी अन्य सावधानियों के बावजूद जब राम रहीम को दोषी ठहराने की खबर जैसे ही अदालत के कमरे से बाहर आयी पंचकूला में एकत्रित बाबा के हजारों अनुयाइयों ने उपद्रव और तोड़फोड़ शुरू कर दी। डेरा में सिखाये जाते धर्म का असली चेहरा सामने आने लगा। स्पष्ट हो गया कि  कानून को तीच समझने की तैयारी बहुत पहले से ही थी। 

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अपनी ही एक अनुयायी साध्वी के यौन शोषण मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने आज दोषी करार दिया। डेरा प्रेमियों ने कानून का जितना सम्मान किया वो सबके सामने हैं। उनके सभी वायदे झूठे साबित हुए हैं। 

पंचकूला स्थित ब्यूरो की विशेष अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने 15 वर्ष पुराने इस मामले में बाबा राम रहीम को दोषी करार दिया। इसकी संभावना नज़र भी आ रही थी। फैसला सुनाते समय बाबा अपने वकीलों के साथ अदालत में मौजूद थे। मीडिया चैनलों ने बताया की अदलात में सज़ा सुन कर बाबा रो पड़े। इस तरह खबर आते ही शुरू हो गया बाबा के पैरोकारों का तांडव। राम रहीम को दोषी ठहराने के बाद उनके अनुुयाइयों ने जम कर उत्पात मचाया। पंचकूला कोर्ट पर भी हमला किया। गोलियां चलायीं , पैट्रोल बम इस्तेमाल किए और सर्कार को डराने की कोशिशें शुरू कीं। उपद्रव और तोड़फोड़ लगातार बढ़ती चली गयी। मीडिया कर्मियों को भी सोच समझ कर निशाना बनाया गया। सियासदानों के ज़रिये अदालत को प्रभावित करने की चालें नाकाम रहने पर इन डेरा प्रेमियों का गुस्सा आम लोगों पर भी फुट पड़ा। 

जरूरत पड़ने पर सुरक्षाबलों को हालात पर काबू पाने के लिये सख्ती बरतने के निर्देश दिये गए पर वे काफी लेट थे। बंधे हाथों वाली पुलिस आखिर करती भी तो क्या। दफा 144 के बावजूद लाखों किम संख्या में एकत्र होने देने का तमाशा देखने वाले अधिकारी और सियासतदान भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं। 

न्यायाधीश एस.एस.सरों, सूर्यकांत और अवनीश की खंडपीठ ने पंचकूला में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद बड़ी संख्या में डेरा समर्थकों के पहुंचने तथा कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा होने के आशंका को लेकर दायर की गयी एक जनहित याचिका पर आज आगे सुनवाई करते हुये हरियाणा सरकार को स्पष्ट निर्देश दिये कि अगर कोई राजनेता और मंत्री अगर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में हस्तक्षेप करता है तो उसके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाए। खंडपीठ ने कहा कि इस तरह की सूचनाएं हैं कि अदालत का फैसला डेरा प्रमुख के खिलाफ आने की स्थिति में उनके समर्थक आत्मदाह कर सकते हैं जिससे स्थिति और बिगड़ेगी।

सज़ा सुनते ही डेरा प्रेमी भड़क गए। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में हालात बुरी तरह बिगड़ गए। डेराप्रेमी आगजनी, तोड़फोड़ पर उतारू हो गए। टीवी चैनलों की ओ बी वैनों को जला दिया गया या उल्टा दिया गया। मीडिया कर्मियों पर हमले किया गए। उपद्रव बढ़े तो सैंकड़ों ट्रेनें रद्द कर दी गयीं। 

पंचकूला में हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा दिया है। मौतों की संख्या लगातार बढ़ती गयी। पंचकूला में कर्मचारी चयन आयोग और एलआईसी की इमारत में आग लगा दी गई। सैंकड़ों वाहनों को आग लगा दी गयी। अब तक हुई हिंसा में बहुत से लोगों के जख्मी होने की खबर है। अलग अलग अस्पतालों में उनका इलाज भी चल रहा है। घायलों में पुलिस वाले भी शामिल हैं। 
वाटर कैनन का प्रयोग कर डेराप्रेमियों को खदेड़ा जा रहा है। आंसू गैस के गोले छोड़े गए। हवाई फायरिंग भी की गयी और लाठीचार्ज भी लेकिन डेरा प्रेमी शांत नहीं हुए। भड़के डेरा प्रेमियों ने सेक्टर 3 में न्यूज चैनल की दो ओबी वैन में आग लगा दी है। एक इंडिका कार को तोड़ फोड़ दिया है। सेक्टर 5 में भी आंसू गैस के गोले छोड़े गए। सेक्टर 4 में गोलियां चल गई। सेक्टर 5 में लाठीचार्ज भी हुआ।



गौरतलब है कि डेरा के देशभर में 50 आश्रम हैं। इनका सबसे बड़ा आश्रम हरियाणा के सिरसा जिले में है जो तकरीबन 67 साल से चल रहा है। इसका रकबा बहुत बड़ा है। इसके अलावा डेरा के आश्रम अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक फैले हैं। दुनियाभर में डेरे के अनुयायियों की संख्या लाखों से करोड़ों में है जिसमें लाखों अनुयायी हरियाणा से हैं। इतनी बड़ी संख्या ही इस डेरे का शक्ति आधार है। ये अनुयायी पूरी तरह समर्पित हैं। कई बार तो सम्मोहित से भी लगते हैं। 

न्याय में लगातार देरी। आखिर 15 साल कम नहीं होते। एक आरोपी, तारीख-दर-तारीख 200 से ज्यादा सुनवाई और अब जाकर दोषी करार। लेकिन हालात इतने नासाज थे कि कभी भी कुछ भी हो जाए। डेरे का साम्राज्य और उसमें बाबा की दहशत। कितनी बार सोचा होगा उस साध्वी ने जिसने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। बात साल 2002 की है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के नाम एक गुमनाम चिट्ठी आई, जो तीन पेज की थी। ये चिट्ठी एक महिला की ओर से भेजी गई थी। इसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की शिकायत की गई। डेरामुखी पर यौन शोषण व दुष्कर्म का आरोप लगाया गया और लिखा गया कि बाबा साध्वियों का यौन शोषण करते हैं। यह पत्र कितनी बार सोच कर कितनी हिम्मत से लिखा होगा उसने। 
पत्र ने असर दिखाया। पीएमओ ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सितम्बर 2002 में सीबीआई को इस मामले में जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने जांच में आरोप सही पाए और डेरामुखी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। फिर सीबीआई ने विशेष अदालत में 31 जुलाई, 2007 में आरोप पत्र दाखिल किया। हालांकि डेरामुखी को जमानत तो मिल गई, लेकिन साल 2012 से केस पंचकूला की अदालत में चला। 
अब देखना है उस साध्वी का क्या बना। क्या वह अभी तक ज़िंदा है? अगर ज़िंदा है तो क्या उसकी जान को खतरा तो नहीं?  
इस सारे घटनाक्रम पर खुद को महिला लीडर बनाने वाली महिलाये अभी तक कुछ नहीं बोलीं।  आखिर यह चुप्पी क्यों? क्या महिला संगठनों को साध्वी के यौन शोषण ने उद्धेलित नहीं किया? उनके मन में कोई दर्द नहीं उठा? साथ ही यह भी कि अब इस देश की सरकारें लगातार बढ़ रहे इन डेरों पर कोई शिकंजा कसेंगी या नहीं?


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