Sunday, August 13, 2017

टेकस्टाइल हौज़री कामगार यूनियन का तीसरा सम्मेलन

पुस्तकालय में हुई मौजूदा स्थिति पर विस्तृत चर्चा 
लुधियाना:13 अगस्त 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आज जबकि हर तरफ अँधेरे जैसा माहौल है उस समय ज्ञान की रौशनी बाँट रहा है मज़दूरों का पुस्तकालय जिसे मज़दूरों खुद अपनी मेहनत की कमाई से निकले थोड़े थोड़े पैसे से बनाया है इसी लिए इसमें शर्म की चमक भी महसूस होती है। स्लम इलाके में मज़दूरों को सिर उठा कर जीना सिखाने वाले इस संस्थान को  तमन्ना बहुत समय से थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। आज मज़दूरों के सम्मेलन की कवरेज ने यह मौका भी प्रदान किया। याद आने लगते है उस गीत के बोल-- 
पहन कर पायों में जंजीर भी,
रक्स किया जाता है--
आ बता दें कि तुझे कैसे जिया जाता है........। 
आज टेकस्टाइल हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब का तीसरा डैलीगेट सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में विभिन्न कारखानों के 50 से अधिक डैलीगेटों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में शामिल डैलीगेटों ने यूनियन के कामों को व्यवस्थित तरीके से करने के लिए नईं नेतृत्वकारी कमेटी का चुनाव किया गया। इस मौके पर 11 सदस्यों की नईं कमेटी ने राजविंदर को अध्यक्ष, ताज़ मोहमद को उप-अध्यक्ष, विश्वनाथ को मुख्यसचिव, राम सेवक को सचिव, बलजीत व छोटेलाल को कोशाध्यक्ष घनश्याम, राम सिंह, गुरदीप, धरमिंदर और प्रमोद को कमेटी सदस्य चुना गया। यूनियन के अध्यक्ष लखविंदर रिपोरट पेश की, जिसमें संगठन की प्राप्तियों व कमियों का विषलेश्ण किया गया व भविष्य की चनौतियों व कामों पर क्रमबार बात की। इसके बाद सम्मेलन में उपस्थित डैलीगेटों ने रिपोरट पर गहन विचार-चर्चा की।

शाम को हुई मज़दूर सभा में यूनियन की नईं नेतृत्वकारी कमेटी का ऐलान किया गया। इस अवसर पर टेकस्टाइल हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर ने सरकार की मज़दूर-गरीब विरोधी नितियों की निन्दा की। उन्होंने जी.एस.टी. की वजय से टेकस्टाइल व हौज़री मज़दूरों में फैल रही बेरोजगारी पर चिन्ता प्रगट की। सभा में छोटेलाल, घनश्याम और बलजीत ने भी बात रखी। वक्तायों ने श्रम-कानूनों में संशोधन बन्द करवाने व कारखानों में सखती से श्रम-कानून लागू करवाने के लिए बड़े सतर पर मज़ादूर वर्ग को संगठित करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

इस अव्सर पर क्रांतिकारी सांस्र्शत्कि मंच दसतक की ओर से क्रांतिकारी गीतों की पेशकारी की गई। मंच संचालन की भूमिका ताज मोहमद ने निभाई।
यदि आपने अभी तक इस पुस्तकालय को नहीं देखा है तो आपकी सभी तीर्थ यात्रायें अधूरी हैं। जन संघर्ष और ज्ञान के इस सुमेल को कभी किसी भी दिन सभी काम छोड़ कर भी देखें। आपको मिलेगा एक नया अनुभव जो ज़िन्दगी का अनुभव होगा। 


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