Thursday, May 11, 2017

मन की तरंगों ने मिलाया डा.शकुंतला यादव और नूतन पटेरिया को

कर्मभूमि के साथ प्रेम बना दोनों की मैत्री का आधार 
लुधियाना: 11 मई 2017: (पंजाब स्क्रीन टीम):: More Pics on Facebook Please
मध्य प्रदेश में रतलाम से सबंधित डाक्टर शकुंतला यादव को ज़िंदगी के रंग और रोज़ी रोटी के चक्कर देश के अलग अलग भागों में घुमाते रहे। कभी गुजरात, कभी राजस्थान, कभी चंडीगढ़ तो कभी पंजाब। इस भागदौड़ के बावजूद उन्होंने वक़्त निकाला और बहुत सी रचनाएं लिखीं। प्रेक्टिकल ज़िंदगी के मंच पर भी सी भूमिकाएं अदा की। बहुत से उतराव चढ़ाव आये। ज़िंदगी के बहुत से रंग नज़र आए जो स्मृति पटल पर छाये और फिर धीरे धीरे कलम के ज़रिये जन जन तक पहुंचने लगे। उन रचनाओं से सम्पर्क का दायरा भी बढ़ा और एक नया मित्र मंडल भी बना। प्रशंसक भी मिले। सम्मान भी हासिल हुए। किताबों के पाठक भी मिले लेकिन इसके साथ ही कुछ और भी घटित हो रहा था। इसकी भनक तक किसी को नहीं थी। मन की तरंगें दूर बैठी दो लेखिकाओं को मिलाने का कोई बहाना बना रही थीं। किसी अज्ञात दुनिया में कुछ स्नेह संबंध विकसित हो रहे थे। मैत्री के संबंध बन रहे थे। यूं लगता था जैसे मध्य प्रदेश से शुरू हुआ लेखन और मैत्री का पावन बंधन पूरे देश को अपने प्रेम बंधन में बांधता हुआ फिर मध्य प्रदेश पहुंच रहा है। डाक्टर शकुंतला यादव और नूतन पटेरिया में अचानक हुई फोन वार्ता से कुछ इसी तरह का अहसास हुआ। इस वार्ता का जरिया पंजाब स्क्रीन का फोन बना यह एक अलग बात है। More Pics on Facebook Please
कहां  मध्य प्रदेश और कहां पंजाब।  तेज़ रफ्तारी के इस युग में भी फासला काफी लम्बा है। गर्दिश के दिन बहुत कुछ भुला देते हैं। ज़िंदगी के पथ पर उड़ती हुई वक़्त की धुल बहुत से चेहरों और दृश्यों को धुंधला कर देती है। लेकिन जीवन के संघर्ष में प्रकृति का विज्ञान चुपचाप अपना काम करता रहता है। उस विज्ञान के सामने कई बार कोई तर्क भी काम नहीं करता। जिस जिस भूमि की माटी से हमारा सबंध रहा हो वो कभी कभी उभर कर सामने आता है। जिस जिस जगह का पानी पिया हो वो अपना असर छोड़ता है। जहा जहां सांस ली हो वो हवा अपना असर दिखाती है। मन की तरंगें अपने जैसे लोगों की तलाश कर लेती हैं। कभी कभी यह सब इतना अचानक होता है कि इंसान हैरान रह जाता है। More Pics on Facebook Please
लुधियाना की वरिष्ठ लेखिका और शिक्षिका डाक्टर शकुंतला यादव और दमोह में रहने वाली लेखिका और शिक्षिका नूतन पटेरिया के दरम्यान हुई फोन वार्ता कुछ इसी तरह का मिलन था। एक अलौकिक सा अहसास। दोनों ने एक दुसरे से बात करते हुए अपनी प्रसन्नता का इज़हार किया। एक दुसरे को अपने अपने शहर आने का आमंत्रण भी दिया। इस पर विस्तृत चर्चा भविष्य में फिर कभी फिलहाल आप पढ़िए-हैपी मदर्स डे..... पर नूतन पटेरिया की प्रोफ़ाइल पर प्रेषित एक रचना: (शायर का नाम पता चलते ही यहाँ जोड़ दिया जायेगा।)
हैप्पी मदर्स डे________
माँ

माँ कबीर की साखी जैसी

तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली-सी
माँ है ललित रुबाई-सी

माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी
लोकोक्तर कल्याणी-सी
माँ द्वारे की तुलसी जैसी
माँ बरगद की छाया-सी
माँ कविता की सहज वेदना
महाकाव्य की काया-सी
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी
माँ यमुना की स्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी
माँ ममता का मानसरोवर
हिमगिरि-सा विश्वास है
माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
कावा है कैलाश है
माँ धरती की हरी दूब-सी
माँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
माँ की छवि ही न्यारी है
माँ धरती के धैर्य सरीखी
माँ ममता की खान है
माँ की उपमा केवल है
माँ सचमुच भगवान है।...😊😊   

















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