पता तो चले कौन कितने पैसे खर्च कर रहा है और कौन कितने कमा रहा है?
चंडीगढ़//लुधियाना: 7 फरवरी 2017 (पुष्पिंदर कौर//पंजाब स्क्रीन):
सुश्री कुसुमलता की एक फाईल फोटो |
नशे के कारण बर्बाद हुए घरों से उठती हुईं बददुआएँ लगातार उनका पीछा कर रही हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ और कारोबार के लिए नशे के मकड़जाल को लगातार फैलाया है। नशे की वजह से मौत का शिकार हुए लोगों की आत्माएं जनता के दिल-ओ-दिमाग को झंकचौर रही हैं । बेलन ब्रिगेड का आंदोलन इन्हीं अदृश्य शक्तियों के चलते निरन्तर तेज़ हो रहा है। अब नशे के खिलाफ शिक्षा जगत की जानीमानी शख्सियत कुसुमलता ने भी अपनी आवाज़ बुलन्द की है। नोटबन्दी और नशे को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने एक वटसअप सन्देश में कहा है कि नशे की दुकानें भी कैशलेस होनी चाहियें। गौरतलब है कि मैडम कुसुमलता शिक्षा, पर्यावरण और वैज्ञानिक चेतना के अभियानों में अक्सर सक्रिय नज़र आती हैं। इस क्षेत्र में काम कर रहे कई संगठनों से वह जुडी हुई हैं।
जिसने घर बर्बाद किये--वो दुकान बदलनी है
जिसने घर बर्बाद किये--वो दुकान बदलनी है
उन्होंने कहा कि सरकार को सबसे पहले शराब दुकानें कैशलेस करनी चाहिए क्योंकि यहां भी प्रतिदिन हजारों लाखों ₹ की नक़दी का लेनदेन होता है। बस इस हेतु प्रत्येक बैंक खाता, आधार कार्ड एवं बी पी एल कार्ड (जिनके पास है) से भी सम्बद्ध होना चाहिए।
बेलन और चलाना है--नशे को दूर भगाना है-अनीता शर्मा
इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सरकार को ये भी पता चल जाएगा की जिन लोगों को सरकार आरक्षण, आर्थिक सहायता, सब्सिडी, फीस में छूट , नौकरियों में छूट, 2 रू. किलो गेहूं, मुफ्त आवास, B P L के लाभ आदि देने जा रही हैं वे किस तरह ऐश कर रहे हैं तथा इनमें कितने लोग प्रतिदिन शराब पर पैसा खर्च कर रहे हैं एवं कितने फर्जी लोग जो अपना नाम B P L सूची में सम्मिलित करवाये बैठे हैं वो स्वतः ही पता चल जाएंगे क्योंकि प्रतिमाह कम से कम हजार डेढ़ हजार ₹ शराब पर खर्च करने वाला गरीब तो हो नहीं सकता है।
बेलन और चलाना है--नशे को दूर भगाना है-अनीता शर्मा
इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सरकार को ये भी पता चल जाएगा की जिन लोगों को सरकार आरक्षण, आर्थिक सहायता, सब्सिडी, फीस में छूट , नौकरियों में छूट, 2 रू. किलो गेहूं, मुफ्त आवास, B P L के लाभ आदि देने जा रही हैं वे किस तरह ऐश कर रहे हैं तथा इनमें कितने लोग प्रतिदिन शराब पर पैसा खर्च कर रहे हैं एवं कितने फर्जी लोग जो अपना नाम B P L सूची में सम्मिलित करवाये बैठे हैं वो स्वतः ही पता चल जाएंगे क्योंकि प्रतिमाह कम से कम हजार डेढ़ हजार ₹ शराब पर खर्च करने वाला गरीब तो हो नहीं सकता है।
आखिर में उन्हने यह भी कहा कि यदि आप लोग मेरे विचार से सहमत हों तो आगे भी शेयर करें और केंद्र तथा प्रदेश सरकार तक यह आवाज पहुंचाये। मैडम कुसुम के सुझाव से नशे का चलन कम हो पायेगा या नहीं यह तो वक़्त ही बताएगा लेकिन नशे के कारोबार में दो नम्बर की कमाई पर दबाव अवश्य बढ़ेगा?
जिसने घर बर्बाद किये--वो दुकान बदलनी है
No comments:
Post a Comment