काला धन तो नहीं लेकिन जाली नोट तो जरूर रुकेंगे
*500 और 1000 के नोट को बदलना एक आवश्यक, उचित और कठिन फैसला-सब समर्थन करें
*काले धन की पूर्णतः समाप्ति के सरकारी दावे भ्रामक और काल्पनिक
*नोट परिवर्तन में आम जनता को कष्ट न हो यह सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व
सरकार द्वारा 500 और 1000 रूपये के नोट बदलने के फैसले का स्वराज इंडिया समर्थन करती है। पिछले काफी समय से जाली नोटों की समस्या विकराल रूप धारण कर रही थी इसलिए 500 और 1000 के प्रचलित नोटों को रद्द कर उसकी जगह नए नोट जारी करना जरुरी हो गया था। सरकार ने इस जरुरी लेकिन कठिन फैसले को समय रहते लिया और इसे जिस स्फूर्ति से लागू किया यह स्वागत योग्य है।
इस घोषणा से जाली नोटों पर नियंत्रण तो लगेगा, लेकिन काले धन को पूर्णतः समाप्त करने के सरकारी दावे बेबुनयादी हैं। अधिकांश काला धन कैश नहीं है बल्कि बेनामी सम्पति, शेयर और हवाला या पी नोट के जरिये विदेशी पुंजी की शक्ल में पड़ा है उन पर इस घोषणा से कोई असर नहीं पड़ेगा। बड़े नोट बंद करने से काले धन के उस छोटे से अंश पर ही असर पड़ेगा जो नोटों की गड्डियों में रखा हुआ है। इस काले धन को भी अगले 50 दिन में अनेक चोर दरवाज़ों से सफ़ेद बना दिया जा सकता है, इसलिए फ़िलहाल तो प्रधानमंत्री और बीजेपी के "काले धन पर ऐतिहासिक हमले" जैसी घोषणा काल्पनिक जान पड़ते हैं।
जब भी नोटों में परिवर्तन होता है उससे जनता को परेशानी और घबराहट होना स्वाभाविक है। सरकार की जिम्मेवारी है कि वह इस परिवर्तन के दौर में आम जनता को नुकसान होने से बचाए। हमारे देश में आज भी अधिकांश लेन देन कैश में होता है और बहुत लोग अपने जीवन भर की कमाई बैंक में नहीं कैश में रखते हैं। यूँ भी आजकल फसल बेचने और फिर शादी का अवसर है जब कैश का व्यवहार सामान्य से भी ज़्यादा होता है। ऐसे में अचानक 500 और 1000 रूपये के नोट का प्रचलन रोकने से शहरी गरीबों और देहात के लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है। अगर ऐसे में सरकार ने ठीक इंतजाम नहीं किये तो ये पूरी योजना खटाई में पड़ सकती है। लेकिन केवल इस असुविधा के आधार पर नोट परिवर्तन का विरोध करना देश हित में नहीं है। हम विपक्षी दलों से अपील करते हैं कि वे इस घोषणा का विरोध करने के बजाए सरकार को यह कठिन कदम उठाने में सहयोग करें।
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