क्या यह जंग का ऐलान है माता चंद कौर के हत्यारों के खिलाफ?
लुधियाना: 23 अगस्त 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ उस समय मां देवकी और पिता वासुदेव कारागार में था। भगवान कृष्ण का जन्म उस भविष्वाणी के सच होने का ज़बरदस्त संकेत था जिसके अंतर्गत कहा जाता है--जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। हालात का दुखद संयोग देखिये। मां देवकी को अगर कारागार में डाला गया था तो इधर नामधारी सम्प्रदाय की माता चंद कौर को दिन दिहाड़े भैणी साहिब जैसी किलेबन्द सुरक्षा में गोलियों से भून दिया गया। अभी तक हत्यारों का पता नहीं चला। रोष प्रदर्शन हुए, धरने दिए गए, ज्ञापन दिए गए लेकिन जांच आगे नहीं सरकी। इस हालात में नामधारी सम्प्रदाय के एक प्रभावशाली गुट की तरफ से जन्माष्टमीका मेला बहुत गहरे संकेत दे रहा है। क्या किसी कंस के वध का ऐलान तो नहीं होने वाला?
नामधारी संगत भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी के प्रकाश पर्व के संबंध में हिंदू सिक्ख एकता को समर्पित विशाल कार्यक्रम 28 अगस्त को न्यू दाना मंडी नजदीक बाईपास में करवा रही है। यह सारा आयोजन सतगुरु ठाकुर दिलीप सिंह जी की हजूरी में होगा। ठाकुर दलीप सिंह की तरफ से कुम्भ के मेले में बिना किसी सुरक्षा के आम श्रद्धालु की तरह जाना, गोविन्द गौधाम में जा कर नतमस्तक होना, समाज के सभी वर्गों को एकजुट होने का सन्देश देना और उन लोगों के गले लगाना जिनको समाज अछूत, गरीब और पिछड़ा हुआ मानता है--वास्तव में एक क्रांति के आरम्भ की घोषणा महसूस होती है।
गद्दी और जायदाद छोड़ कर हर पल संगत के साथ हरिचर्चा में बिताना उनके त्याग को भी दर्शा रहा है और भविष्य की रणनीति को भी। गौरतलब है कि ठाकुर दलीप सिंह जी के समर्थकों के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि सतिगुरु जगजीत सिंह जी ने गद्दी वास्तव में किसको सौंपी थी। जिस व्यक्ति को सतिगुरु जगजीत सिंह जी ने अपना शरीर छोड़ने नारियल और अन्य आवश्यक सन्देश दिया था वह व्यक्ति अभी मौजूद है। अगर संगत ने ज़ोर दिया तो उसे भी सभी के सामने लाया जा सकता है। नामधारी सम्प्रदाय को गुरु नानक के झंडे तले लाना भी उनकी दूरअन्देशी को बताता है। उनका नारा बहुत अर्थपूर्ण है--
गुरु नानक दे सिख हां;
असीं सारे इक हाँ।
इसके साथ एक और नारा है--
पन्थ पाड़ना पाप है;
एकता विच प्रताप है।
इसी बीच प्रमुख सिख नेतायों के साथ उनकी मुलाकातें भी बहुत गहरा इशारा दे रही हैं। इन नारों के बाद अब जन्माष्टमी मनाने का ऐलान इस एकता को सिर्फ सिखों तक नहीं बल्कि समाज के सभी वर्गों तक लेकर जाने का संकेत भी है। इस कार्यक्रम में नामधारियों के साथ साथ बहुत से गैर नामधारी समर्थक भी बढ़ चढ़ कर शामिल हो सकते हैं क्योंकि समाज को जोड़ने के इस अभियान को बहुत से संगठनों ने सहयोग और समर्थन दिया है।
इसी बीच प्रमुख सिख नेतायों के साथ उनकी मुलाकातें भी बहुत गहरा इशारा दे रही हैं। इन नारों के बाद अब जन्माष्टमी मनाने का ऐलान इस एकता को सिर्फ सिखों तक नहीं बल्कि समाज के सभी वर्गों तक लेकर जाने का संकेत भी है। इस कार्यक्रम में नामधारियों के साथ साथ बहुत से गैर नामधारी समर्थक भी बढ़ चढ़ कर शामिल हो सकते हैं क्योंकि समाज को जोड़ने के इस अभियान को बहुत से संगठनों ने सहयोग और समर्थन दिया है।
समागम की जानकारी देते हुए नामधारी दरबार के सेक्रेटरी संत नवतेज सिंह नामधारी ने बताया कि श्री ठाकुर दिलीप सिंह जी की अध्यक्षता में करवाये जा रहे समागम नामधारी संप्रदाय के लिए पहल है। उन्होंनें बताया कि इस तरह के समागम करवाने से आपसी प्यार बढ़ता है। वही नामधारी संगत लुधियाना के प्रधान हरभजन सिंह ने बताया कि इस समागम को लेकर संगतों में काफी उत्साह है। समागम में नामधारी पंथ के उच्च कोटि के विद्यवान जत्थेदार शामिल होंगे। इस मौके पर दर्शन सिंह, हरविंदर सिंह नामधारी, बलविंदर सिंह दुगरी, डॉ सुखदेव सिंह, गुरमेल बराड़, जसविंदर सिंह बग्गा, गुरदीप सिंह, जसवंत सिंह, जसवंत सोनू, निर्मल सिंह, राजवंत सिंह, मिल्खा, सिंह, जसपाल सिंह, सुरजीत सिंह, अरविदंर लाडी मौजूद रहे। अब देखना है कि इस कार्यक्रम के बाद नामधारी सम्प्रदाय की अगली रणनीति क्या होगी क्योंकि अभी तो त्योहारी सीज़न की शुरुआत ही हुई है।
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