27-मई-2016 16:08 IST
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन अक्टूबर 1999 में भारतीय समाज के सबसे वंचित वर्ग अनुसूचित जनजाति (अजजा) के एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास के समन्वित और योजनाबद्ध उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय, अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए चलाई जा रही समग्र नीति, योजना औऱ समन्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है। केंद्र सरकार ने आदिवासी परिवारों के लिए बेहतर और सतत् रोजगार, ढांचागत खामियों को खत्म करने, शिक्षा और स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार और आदिवासी क्षेत्रों में जीवन में सुधार पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है।
15 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में से 75 समुदायों की आदिम जनजाति समूह के रूप में पहचान की गई है। इन समूहों में से कुछ समुदाय बहुत ही छोटे है, जो दूरदराज के स्थानों पर अपर्याप्त प्रशासन एंव पिछड़ी मूलभूत सुविधाओं के साथ विभिन्न रूपो में विकसित हुए हैं। इसलिए उन्हें संरक्षण एंव विकास हेतु प्राथमिकता दी जाने की आवश्यकता है। इन समूहों की परेशानियां एंव जरूरतें अन्य अनुसूचित जनजातियों से भिन्न होती है। आदिवासी समूहों के बीच आदिम जनजाति समूह सबसे कमजोर होने के कारण, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने इन समूहों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु केंद्रीय क्षेत्र/केन्द्र प्रायोजित एंव राज्य योजना स्कीमों से अपेक्षित धनराशि के आवंटन हेतु केंद्र सरकार से अनुरोध किया।
अनुसूची 5 क्षेत्र में करीब 350 प्रखंड ऐसे हैं जहां कुल जनसंख्या की तुलना में जनजातीय लोगों की जनसंख्या 50 प्रतिशत या अधिक है। गत दिनों में कई प्रयास किए जाने के बावजूद मानव विकास संकेतक (एचडीआई) के अनुसार इन प्रखंडों में कई प्रकार की कमियां रह गयीं। इन प्रखंडों को अगले पांच वर्ष की अवधि में सतत विकास मिशन के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधा प्रदान कर मॉडल प्रखंड के रूप में विकसित किया जाना है। इन्हीं सबके मद्देनजर भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने आदिवासियों के कल्याण के लिए वनबंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) की शुरूआत 2014 में की थी।
आदिवासी समूहों और जनजातियों के सर्वांगीण विकास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विषेश ध्यान है। उल्लेखनीय है कि यह योजना देश में सबसे पहले गुजरात में शुरू की गयी थी जब नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। यह योजना वर्ष 2014 में आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के एक-एक विकासखंड में पायलट आधार पर शुरू की गई। योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में विभिन्न सुविधाओं का विकास करने के लिए 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की हुई। इन ब्लॉकों का चयन संबंधित राज्यों की सिफारिशों और कम साक्षरता दर के आधार पर किया गया। वन बंधु कल्याण योजना में केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों की विकास की विभिन्न योजनाओं के समन्वय और राज्य सरकार की परिणाम आधारित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की परिकल्पना की गई है। प्रारंभ में ब्लॉक की कुल आबादी की तुलना में जनजातीय आबादी का कम से कम 33% को लक्षित करके योजना को मूर्तरूप दिया गया। वन बंधु कल्याण योजना का मोटे तौर पर आशय एक रणनीतिक प्रक्रिया से है जो यह सुनिश्चित करने की परिकल्पना करती है कि केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभिन्न कार्यक्रमों/स्कीमों के तहत वस्तुओं और सेवाओं के लक्षित सभी लाभ समुचित संस्थागत तंत्र के माध्यम से संसाधनों के तालमेल द्वारा वास्तव में उन तक पहुंचे।
वित्त वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये की लागत से केंद्रीय योजना के रूप में वन बंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) शुरू की थी। जबकि सरकार ने 2015-2016 में पंजाब और हरियाणा को छोड़कर बाकी सारे राज्यों में वन-बंधु कल्याण योजना को लागू कर दिया गया। जिसके लिए दो सौ करोड़ रूपए आवंटित किए गए। सरकार जनजातीय परिवारों के लिए उत्तम एवं निरंतर रोजगार पर विशेष ध्यान दे रही है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार तथा जनजातीय क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार पर ध्यान दिया गया है।
वन बंधु कल्याण योजना के माध्यम से अगले पाँच वर्ष की अवधि के दौरान गुणवत्ता एवं दृश्य आधारभूत सुविधाओं के साथ इन ब्लॉकों को आदर्श ब्लॉक के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे सतत विकास के मिशन को आगे ले जाया जा सके। जनजातीय क्षेत्रों के आर्थिक विकास को तेज करने, सभी के लिए स्वास्थ्य, सभी के लिए मकान, सभी को स्वच्छ पेयजल, क्षेत्र के उपयुक्त सिंचाई सुविधाओं, आस-पास के कस्बों/शहरों को जोड़ने वाली सड़कें, बिजली की उपलब्धता, शहरी विकास, विकास के पहिए को सतत प्रवाहमान रखने के लिए सुदृढ़ संस्थागत तंत्र, जनजातीय सांस्कृतिक विरासत का संवर्द्धन एवं अनुरक्षण एवं जनजातीय क्षेत्रों में खेल का विकास करना है।
पूर्व में जनजातीय लोगों के विकास की गति शेष सामाजिक समूहों की अपेक्षा धीमी और कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष कंपोनेन्ट प्लान एवं विशिष्ट कार्यक्रमों के बावजूद जनजातीय समूहों तथा अन्य सामाजिक समूहों के बीच विकास में भारी अंतर विद्यमान है। जनजातीय लोगों के लिए शिक्षा की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया गया है। जनजातीय बच्चों को शिक्षा प्रदान करना विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, पर्यावरणीय एवं प्रशासनिक कारणों से सरकार के लिए एक चुनौती पूर्ण कार्य रहा है। शिक्षा योजनाओं की पुनर्संरचना का उद्देश्य आवासीय स्कूल, जनजातीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाना तथा जनजातीय बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करना जैसे उपायों से पर्याप्त शिक्षागत आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराना है, जिससे कि राष्ट्रीय साक्षरता की तुलना में जनजातीय महिला साक्षरता में वृद्धि हो सके।
वन बंधु कल्याण योजना का उद्देश्य उचित संस्थागत तंत्र के माध्यम से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संसाधनों का अधिकतम उपयोग और एक समग्र दृष्टिकोण के जरिये भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करके आदिवासियों के व्यापक विकास है। देशभर में जनजातीय आबादी को जल, कृषि एवं सिंचाई, बिजली, शिक्षा, कौशल विकास, खेल एवं उनके सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हाउसिंग, आजीविका, स्वास्थ्य, स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सेवाओं एवं वस्तुओं को मुहैया कराने के लिए यह योजना एक संस्थागत तंत्र के रूप में काम करेगी।
रणनीतिक तौर पर शुरू की गई वीकेवाई प्रक्रिया केंद्र की तरह ही राज्य सरकारों के लिए भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के साथ जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने इस योजना को कनवर्जेंस प्लान के रूप में शुरू किया है। वन बंधु कल्याण योजना
आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कराने की दिशा में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई है।
लेखक : स्वतंत्र पत्रकार हैं।
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