Friday, May 20, 2016

सहयोगी बैंकों को बन्द कर उनके अधिग्रहण के विरोध में गुस्सा तेज़

सहयोगी बैंकों में रही एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़्ताल
7 जून एवं 28 जुलाई 2016 को भी हड़्ताल
लुधियाना: 20 मई 2016: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
संघर्ष को आगे बढाते हुए, आज स्टेट सैक्टर बैंक ईम्पलाइज़ एसोसिएशन ने एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल की एवं स्टेट बैंक आफ पटियाला, आंचलिक कार्यालय, मिल्ल्रर गंज, लुधियाना के सामने 5 सहयोगी बैंकों को बन्द करके एसबीआई द्वारा उनके अधिग्रहण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया । कामरेड नरेश गौड़, सचिव, स्टेट सैक्टर बैंक ईम्पलाइज़ एसोसिएशन एवं आल इण्डिया स्टेट बैंक आफ पटियाला इम्पलाईज़ फैडेरेशन ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया । कामरेड अशोक मल्हन, उप प्रधान, आल इण्डिया स्टेट बैंक आफ पटियाला ईम्पलाइज़ फैडेरेशन, कामरेड पवन ठाकुर, प्रधान, कामरेड राजेश वर्मा, उप प्रधान, कामरेड बलवंत राय, सहायक सचिव एवं कामरेड अशवनी सिंगला, संगठन सचिव, पंजाब बैंक ईम्पलाइज़ फैडेरेशन (लुधियाना) ने भी संबोधित किया। 
बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कामरेड गौड़ ने कहा कि 5 सहयोगी बैंकों अर्थात स्टेट बैंक आफ त्रावनकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ हैदराबाद (एसबीएच), स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जैयपुर (एस्बीबीजे) तथा स्टेट बैंक आफ पटियाला (एसबीपी) के निदेशक मण्डल की बैठक में जो कि जल्दबाजी में मुम्बई में आयोजित की गई, जिसकी कोई पूर्व सूचना नहीं थी, अचानक एक कार्यसूची निदेशक मण्डल की बैठक में एसबीआई के हुम्कनामे पर रखी गई जिसमें सहयोगी बैंकों को बन्द करने की बात थी ताकि एसबीआई उनका अधिग्रहण कर सके । एआईबीईए के कामगर निदेशकों के विरोध और प्रतिरोध तथा कुछ अन्य स्वतंत्र निदेशकों के विरोध के बावजूद, प्रस्ताव और पद्धति को स्वीकृति दे दी गई, इस मामले में प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया।
यह अत्यन्त शर्मनाक है कि जब सरकार कार्पोरेट प्रशासन अधिकार और अच्छे प्रशासनिक अधिकार की बात कर रही है, निदेशक मण्डल की कार्यसूची को बिवा किसी सूचना के ऐसे गम्भीर मामले पर ले आया गया और निर्णय भी ले लिया गया । यह निर्णय भी वित्त मंत्री के साथ हमारी बैठक जो 23 मार्च और 25 अप्रैल 2016 को हुई थी में वित्त मंत्री के सुझाये गये तरीके के अनुरुप नहीं था । उनकी राय थी कि सभी 5 बैंकों को एक बैंक में परिवर्तित किया जा सकता है। किन्तु एसबीआई और सहयोगी बैंक जो प्रयास कर रहे हैं वह वित्त मंत्री के सुझाव के सर्वथा विपरीत है।  

5 सहयोगी बैंकों का इतिहास एवं स्थिति मार्च 2016 तक इस प्रकार है :-
         (रु करोड़ में)

बैक का नाम    साल जमारिशियाँ अग्रिम  कुल व्यवसाय

स्टेट बैंक आफ हैदराबाद  75 139,300 114,000 253,300

स्टेट बैंक आफ पटियाला  99 105,800 85,900 191,700

स्टेट बैंक आफ बीकानेर   70 93,300 74,700 168,000

एण्ड जयपुर
स्टेट बैंक आफ त्रावनकोर  70 100,400 67,000 167,400
स्टेट बैंक आफ मैसूर   103 70,200 55,400 125,000
सहयोगी बैंकों की 67000 से अधिक शाखाएं एवं 9000 ए.टी.एम हैं। इन बैंकों का कुल व्यवसाय मार्च 2016 तक 900,000 करोड़ रु है तथा परिचालन लाभ 10,500 करोड़ रू है।      
73000 (45000 + 28000) अधिकारी एवं कर्मचारी इन बैंकों मे कार्यरत हैं । एसबीआई में इन बैंकों के विलय के फलस्वरूप बहुत सी शाखाएं बंद कर दी जायेंगी एवं बहुत से कर्मचारी अधिशेष हो जायेंगे। इस के परिणाम स्वरुप जनता एवं कर्मचारी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। केरला, कर्नाटका, राज्सथान, तेंलेगाना एवं पंजाब की इन बैंकों से संबंधित राज्य सरकारों की आमदनी खत्म हो जायेगी क्योंकि इन बैंकों द्वारा लाभ पर अदा किये गये कर का हिस्सा इन राज्य सरकारों को नहीं मिल पायेगा।
इन सब के पीछे मूल तर्क केवल भारतीय स्टेट बैंक को एक बड़ा एवं विश्व स्तर का बैंक बनाना है । भारत को मज़बूत एवं अच्छे बैंकों की आवशयकता है, न कि बड़े बैंकों की। संयुक्त राज्य अमेरिका में हमने बड़े से बड़े बैंकों को ताश के पत्तों की तरह गिरते देखा है । बड़े बैंक आम आदमी की जरुरतों को नज़रअंदाज़ करेंगे एवं उनके प्रति असंवेदनशील होंगे। वह केवल बड़े कारबारियों की ही जरुरतें पूरी करेंगे । भारतीय स्टेट बैंक मूल प्रमुख बैंक है, यह अपनी बढोतरी एवं विस्तार के लिए सहयोगी बैंकों को नही मार सकता । भूखे माता पिता अपने बच्चों का कत्लेआम नहीं किया करते।
इसलिए हम मांग करते हैं कि सहयोगी बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक से आजा़द किया जाये।
एसबीआई एवं सहयोगी बैंकों की इस उत्तेजक कार्रवाई के विरुद्द अपना गुस्सा एवं विरोध प्रदर्शित करने के लिए, हम सभी सहयोगी बैंकों के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं एवं आज एक दिवसीय हड़्ताल भी की है।  


7 जून 2016 एवं 28 जुलाई 2016 को भी हड़्ताल की जायेगी।   

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