Monday, May 25, 2015

Media: विदेश की मुफ्त यात्रा बंद हुई तो विरोध में खड़े हैं


मीडिया में दलालों की दुकानें बंद पड़ी हैं.----- 
Nisheeth Joshi वरिष्ठ पत्रकार हैं। अमर उजाला के साथ रहते हुए उनका पंजाब से बहुत ही गहरा रिश्ता जुड़ा। साधना मार्ग पर चलने के कारण अपने शब्दों पर और असूलों पर अडिग रहते हैं। आज शाम पौने आठ बजे उन्होंने एक छोटी सी रचना एफबी पर पोस्ट की। इसमें उन्होंने मोदी सरकार के कामकाज की भी चर्चा की है मीडिया को भी अड़े हाथों लिया है।  
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के एक साल में काम तो हुआ है मीडिया में मौजूद कुछ लोगों सहित जो भी दलाल थे उनकी दुकानें बंद हुई हैं वह ही सबसे ज्यादा चीख चिल्ला रहे हैं.. विदेश की मुफ्त यात्रा बंद हुई तो विरोध में खड़े हैं क्योंकि भष्ट्राचार में लिप्त सरकार के लोग एक टुकड़ा डाल देते थे फिर दुम हिलाते थे वह सब चाहे लाल झंड़े वाले हों या केसरिया..इन सब के बीच में शामिल हैं देश की सर्वोच्च सत्ता पर कोई भ्रष्ट्राचार के आरोप न लगा सके ..क्या उपलब्धि नहीं.. गरीबों के लिए काम तो हो रहा है.. आजादी के बाद पहली बार केन्द्र सरकार का लोक कल्याण कारी चेहरा योजनाओं के जरिए नजर आ रहा है जिसमें खाने पीने की गुंजाइश दलालों के लिए नहीं छोड़ी गई है... अभी तो सड़क तैयार की गई है ...क्या साफ सुथरा देश होना उचित नहीं.. कई जगह छोटी छोटी टोलियां सफाई आंदोलन से जुड़ चुकी हैं.. बच्चों से लेकर बड़ों तक में सफाई के प्रति जागरूकता आई है... दुनिया में हमारी इज्जत बढ़ी है...हमारा मानवतावाद भी सामने आया है...पेड़ जैसे एक ही दिन में फल नहीं देता वैसे ही सरकार के काम का हाल होता है... जो सूट बूट की सरकार कहते हैं भूल जाते हैं कि उनकी दादी के पापा के सूट कहां से धुल कर आते थे वह किस पार्टी का प्रधानमंत्री था जो अक्तूबर 1948 से नवंबर _48 <के पहले हफ्ते तक भारत छोड़ विदेश में था...उस समय जब देश में दंगे चल रहे थे..विस्थापितों को सैटल करना चुनौती बना हुआ था बंटवारे से उतपन्न हालात में साथ ही संविधान सभा की बैठकें चल रही थीं.. फिर वह कौन सा प्रधानमंत्री था जो जार्डन के शाह से गिफ्ट में मिली गाड़ी को अमेठी के तातारपुर गेस्ट हाउस से पूरे संसदीय इलाके में फिर जंगलो मे अवकाश में ले जाता था... इन आंखो ने देखा है माया पत्रिका के लिए कवरेज के दौरान... फिर जो मारूति कंपनी है वह जमीन किसकी थी किसानों की या उस परिवार की जो शेयर होल्डर बना आज तक कमाई खा रहा है... गांघी परिवार.. और अमेठी संसदीय इलाकेमें में इंडों गल्फ की इतनी जमीन बिड़ला को किसने दी कि वह भी इतनी की आज भी खाली पड़ी है.. उसी में से फूड पार्क को दे रहे थे क्या वह जमीन किसानों की नहीं थी..बहुत कुछ है इस पिटारे मे क्योंकि कांग्रेस को भी दो बैलों की जोड़ी से देखा समझा है और जब भाजपा जनसंघ होती थी और चुनाव चिन्ह था जलता हुआ दीपक.... यह सब अगली पोस्ट में..

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