Thursday, February 12, 2015

भारतीय इंडस्ट्री चीन की चुनौती का सामना करने में सक्षम-कुलार


पर साथ ही किया शिकवा कि साथ नहीं देती सरकारें और उनकी नीतियां 
लुधियाना में 13 से शुरू होगी भारत-पाक साईकल एक्सपो  
लुधियाना:: 12 फ़रवरी 2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): 
जंग केवल सीमा पर नहीं होती। आजकल जंग आसमान में भी होती है, समुन्द्र में भी और बाज़ार में भी। काफी लम्बे समय से चीन ने जंग का मैदान बना रखा है भारत के बाज़ार को। बाज़ार पर कब्ज़ा  आर्थिकता पर कब्ज़ा और  कब्ज़े  मज़बूत बनाने के नापाक इरादे से आये दिन चीन की बनी कोई न कोई चीज़ बहुत ही आकर्षक रंग रूप लेकिन बहुत ही सस्ते भाव पर दुकानों में पहुँच जाती है। यह सौदा इतना लुभावना होता है भारत के लोग भारत की बनी चीज़ को ही खरीदना भूल जाते हैं। इस नाज़ुक समय में भी पंजाबी एक  बढ़ चढ़ कर आगे आये हैं।  भारत की खडग भुजा पंजाब और ख़ास कर लुधियाना की इंडस्ट्री चीन सहित हर विदेशी चुनौती का सामना करने में सक्षम है लेकिन सरकारें और उनकी नीतियां उनका साथ नहीं देती। यह दर्द आज व्यक्त हुआ उत्तर भारत के दिग्गज साईकल निर्माता गुरमीत सिंह कुलार के मुँह से। वह यहाँ एक पत्रकार सम्मेलन में मीडिया से बात कर रहे थे। उनके साथ पाककस्तान से आये हुए ख़ास मेहमान खुर्शीद ब्र्लास भी मौजूद थे। गौरतलब है की शुक्रवार 13 फ़रवरी से लुधियाना में भारत और पाकिस्तान में सक्रिय साईकल इंडस्ट्री की संयुक्त प्रदर्शनी शुरू हो रही है। 
गौरतलब है कि बिना एक भी गोली या बम चलाये चीन ने भारतीय इंडस्ट्री की सिट्टीपिट्टी गुम कर रखी है।  मामला मोबाईल का हो या किसी और क्षेत्र का चीन में बना सस्ता माल ग्राहकों को लगातार आकर्षित कर रहा है। लोग भारत में बने मॉल की बजाये चीन का बना माल खरीदने को पहल देते हैं क्यूंकि वह सस्ता भी है और आकर्षित भी। सस्ता भी इतना कि अगर खराब होने पर उसे कबाड़ में भी फेंक दिया जाये तो गम नहीं।  हालांकि चलने के मामले में काफी बदनामी  बावजूद हकीकत यही है चीन का माल कई बार काफी काफी समय भी चलता है। खराब होने पर कोई नयी व्यवस्था न मिलने के बावजूद लोक चीन के माल को पसंद करते हैं क्यूंकि वह खरीदने वाले की जेब पर बोझ नहीं बनता। 

चीन ने साईकल के मामले में भी यही प्रयोग करना चाहा था।  किसी न किसी वजह से वह रुकता चला आया। यहाँ का साईकल कम से कम तीन या साढ़े तीन हज़ार रुपयों से शुरू होता है। भारत का आम आदमी अभी भी साईकल पर निर्भर करता है। मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में साइकलें बहुत बड़ी संख्या में चलती हैं। इसी तरह पाकिस्तान में भी साईकल पॉपुलर है।  वहां 28 किलो का साईकल करीब साढ़े छ हज़ार रुपयों में मिलता है जबकि भारत में बना केवल 22 किलो का साईकल वहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

साईकल इंडस्ट्री के लिए  दोनों देश एक दुसरे के लिए बहुत बड़ी मंडी हैं।  भारत के लिए पाकिस्तान और पाकिस्तान के लिए  भारत। इस कारोबार को और उत्साहित करने के लिए 13 फ़रवरी से लुधियाना में एक साईकल एक्सपो शुरू हो रही है।  अतीत के सुनहरे अध्याय को देखते हुए इस बार भी इस प्रदर्शनी में काफी लोग आएंगे। जब इस प्रदर्शनी की घोषणा की गयी तो हमने साईकल कारोबार के दिग्गज गुरमीत सिंह कुलार से चीन की चुनौती के बारे में भी बात की। उनकी आवाज़ में जोश था लेकिन इस जोश में दर्द भी था। 
उन्होंने कहा कि हम किसी से कम नहीं लेकिन यहाँक्छा माल तक मिलने में दिक्क्त है, वैट है और कई तरह के अन्य झमेले जो चीन की इंडस्ट्री को कभी दरपेश नहीं हुए।
इस मौके पर पाकिस्तान से आये हुए खुर्शीद बलरास भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।  उन्होंने भी इस प्रदर्शनी की बात की। उन्होंने चीन के मुद्दे पर कहा कि किसी वक़्त चीन का बना  सामान किसी वक़्त काफी राईज़ हुआ था लेकिन अब उनकी वह डिमांड नहीं है।

अब देखना है कि दोनों देशों  मिल कर चीन के विकराल ड्रैगन का सामना कर पाते हैं या नहीं हैं? कल 13 फ़रवरी से शुरू होने वाली प्रदर्शनी से उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे इस कारोबार को नए आयाम मिलेंगे।

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