Sunday, June 22, 2014

गड़वासू के छात्र संघर्ष को मिली और शक्ति

Updated on Tuesday 24 June 2014 at 10:26 PM
बेलन ब्रिगेड व यंग लॉयर ब्रिगेड ने भी किया खुल कर  समर्थन 
लुधियाना: 22 जून 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): 
ज्ञान प्राप्ति, समाज सेवा या  निर्माण जैसी बातें किसी ज़माने में शिक्षा प्राप्त करने का निशाना रहीं होंगीं लेकिन अब समय बदल चूका है। अब लोगों को वो पुरानी कहावत समझ आने लगी है---
खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब--
-पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब !

ऊंची शिक्षा पाने के बाद, पढ़ने के बाद किसी न किसी सरकारी नौकरी का मिल जाना किसी नवाबी से कम भी नहीं होता। आंधी आये या तूफ़ान---हर महीने काम से काम वेतन तो मिलता है।  अब यह बात अलग है कि जो लोग पढ़ने लिखने के मामले में किसी न किसी कारणवश चूक जाते हैं वे किस्मत या तिकड़म के बल पर इस देश में मंत्री भी बन जाते हैं और जो दिन रात मेहनत करके डिग्रियां पाते हैं वे बदनसीबी या फिर तिकड़म के मामले में अनाड़ी साबित होकर बूट केवल पोलिश करने  या कारें साफ़ करने पे मजबूर हो कर रह जाते हैं। गाडवासू के संघर्षशील छात्र छात्राएं उस दौर में और उस शहर में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं जहाँ कभी सराभा नगर में गोली चल जाती है और कभी भाई बाला चौंक में। गुंडागर्दी//छीनाझपटी जहाँ आम बात है। शिक्षा पाकर किसी अच्छी ज़िंदगी के सपने संजो कर बैठी ये छात्राएं उस माहौल में रात रात भर हड़ताल के तम्बू में अकेली बैठती हैं जिस माहौल में छेड़खानी और बलात्कार एक आम सी बात होकर रह गयी है। वे पशुपालन मंत्री गुलज़ार सिंह रनीके से मिलती हैं तो वहां  उन्हें साफ़ साफ़ कह दिया जाता है कि सरकार के पास फंडज़ नहीं हैं। उन्हें समझाया जाता है कि छोडो नौकरी में क्या रखा है---तुम लोग अपना काम-धंधा शुरू करो। डेयरी फार्मिंग करो---फिश फार्मिंग करो----कुछ भी करो---पर हमसे नौकरी न मांगो---शायद इसमें कुछ गलत भी नहीं पर सरकारें यह सब शिक्षा शुरू करने से पहले क्यों नहीं कहती? क्या उस समय सच्चाई जानबूझ कर छुपा ली जाती है? क्या उस वक़्त यह सोचा जाता है कि कहीं नौकरी न मिलने का सच सुन कर ये छात्र छात्राएं कहीं एडमिशन लेने का ख्याल ही न छोड़ दें? क्या उस समय कालेजों और विश्वविद्दालयों को एक दुकान समझ कर उनमें शिक्षा को एक सौदे की तरह बेचा जाता है? अगर उसी समय शिक्षा का मर्म और मकसद साफ़ कर दिया जाये तो शायद शिक्षा एक पूजा बन जाये।  क्यों किया जाता है इस युवा वर्ग का शोषण? कहाँ जाता है फीस के रूप में इन्हीं से मिलने वाला मिलने वाला फंड? उन फीसों का सदुपयोग क्यों इनका भविष्य संवारने के लिए नहीं किया जाता?
जब वे इन कालेजों में दाखिला लेने आती हैं तो क्यों कोई नहीं कहता कि इस पढ़ाई को करो या न करो हम तुम्हें कोई नौकरी नहीं देंगें।  कालेजों के प्रॉस्पेक्ट्स भी मौल लेकर बेचे जाते हैं। एक छात्र ने बताया कि प्रॉस्पेक्ट्स 2500/- रुपयों में दिया जाता है और कुल खर्च आ जाता है इस पढ़ाई पर करीब छह-सात लाख रूपये। उनसे हॉस्टल में रहने के पैसे भी लिए जाते हैं। उनको दी जाने वाली शिक्षा और हर सुविधा की एक ख़ास कीमत ली जाती है। किसी अच्छी ज़िंदगी के सपने दिखा कर  उनसे पैसे ऐंठ लिए जाते हैं चाहे वे पैसे क़र्ज़ से आये हों और चाहे मकान, दुकान या खेत बेच कर। उस पैसे  से सरकारों के खर्च चलते हैं।  मंत्रियों के शाही अंदाज़ पलते हैं। जब इस पैसे को नौकरी के रूप में लौटाने की बारी आती है तो जवाब मिलता है हड़ताल करो या भूख हड़ताल करो कोई नौकरी वौकरी नहीं मिलेगी क्यूंकि फंड ही नहीं है। बड़े बड़े अर्थशास्त्र विशेषज्ञों के शब्दजाल में उलझा यह समाज जब घर का पैसा और जवानी में कुछ कर दिखाने का वक़्त गंवा बैठता है तो उस वक़्त उन्हें समझ आता है उन्हें दिखाए गए सपनों का सच। उस दिन उन्हें समझ आता है हाथ में पकड़ी डिग्रियों का खोखलापन। तब उनके मुँह से चाह कर भी नहीं निकलता--मेरा देश महान। उस समय एक पुराना गीत अपने बोल याद दिलाता है--
सब कुछ लूटा के होश में आये तो क्या किया?
उस वक़्त मजबूर बेबस और लाचार से खड़े ये लड़के लड़कियां क़र्ज़ में डूबे परिवार का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। उन्हें लगता है-
कारवां गुज़र गया-गुबार देखते रहे। 
इस कड़वे हालात में गडवासू के बीएचएफसी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की हड़ताल 20 वें दिन भी जारी रही। उनके पास सांसद रवनीत बिटू, सांसद भगवंत मान, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सतपाल गोसाईं और अब बेलन ब्रिगेड की प्रमुख अनीता शर्मा भी पहुँच चुकी हैं। लुधियाना की बेलन ब्रिगेड की अधयक्ष अनीता शर्मा, मैडम भिंडर  व यंग लॉयर ब्रिगेड के वकील संजीव मल्होत्रा यूनिवर्सिटी के गेट के सामने बैठे  स्टूडेंट्स को मनाने पहुंचे, लेकिन दोनों की कोशिशें असफल रही। स्टूडेंट्स ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर  उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह चक्का जाम करेंगे।    बेलन ब्रिगेड  स्टूडेंट के पास पहुंची  और उनकी बातों को सुना।  उन्होंने स्टूडेंट्स को कहा कि वह जो भी फैसला करेंगे वह उनके साथ खड़े रहेंगे।  अनीता शर्मा ने  कहा कि वह स्टूडेंट की लड़ाई को उनके हक़ की लड़ाई समझती है और इनको न्याय  मिलना चाहिए। स्टूडेंट ने बताया की  यूनिवर्सिटी में दाखिला देते वक्त उनहे कहा गया  था की  मछली विभाग का डिग्री करो इसमें स्कोप बहुत  अच्छा है। लेकिन आज चार साल की मेहनत के बाद हासिल की गई डिगरी लेने के बाद उन्हें कोई सरकारी विभाग पूछता नहीं।  
यंग लॉयर ब्रिगेड के प्रधान संजीव  मल्होत्रा ने कहा की स्टूडेंट की मांगो को सरकार तुरंत  हल करे और  स्टूडेंट बहनें सड़क पर रात दिन गुजार रही है, पंजाब सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं।
बेलन ब्रिगेड की इंचार्ज अनीता शर्मा ने कहा की यही स्टूडेंट्स  नोकरी न मिलने से परेशान होकर  डिप्रेशन में जा कर नशा करना चालू  कर देते है।  सरकार को स्टूडेंंट की मांगो को शीघ्र मान लेना चाहिए।
याद रखना होगा कि एक दिन यह देश और इसकी जनता लोगों के पैसे पर पलने वाले लीडरों के लश्करों से एक एक पैसे का हिसाब मांगेगी।

ABVP ने फिर की गड़वासु के हड़ताली छात्रों से मुलाक़ात 

Protest march in the Support of GADVASU striking students

No comments: