Saturday, February 08, 2014

इण्डिया टूडे ने ब्लू स्टार को बताया जनरल शाहबेग का "महंगा बदला"

संत भिंडरांवाले को बताया ग्रंथी और विद्रोही गुट का नेता 
लुधियाना: ब्लू स्टार आपरेशन में ब्रिटिश दखल की बात उठी तो सिख समाज के साथ साथ मीडिया में भी एक फिर तूफ़ान आ गया।  इसके साथ ही शुरू हुई सिख समाज के दर्द को भुनाने की एक और नयी कोशिश। क्यूंकि व्यापारी समाज के लिए हर बात  एक व्यापार  आंसुयों का व्यापर, जज़बात का व्यापार और खबरों का सिलसिला भी अब एक व्यापार बन गया है। कहा कुछ जाता है पर उसका छुपा मकसद कुछ और ही होता है।   बात को घुमा फिरा कर अर्थों का अनर्थ।  इण्डिया टुडे  (हिंदी)  नाज़ुक और संवेदनशील मामले को एक बार फिर सनसनी का आवरण औड़ाते हुए बहुत से नए तथ्य सामने लाने का दावा करता महसूस होता है।  इस आवरण स्टोरी में जहाँ कुछ काम की बातें भी हो सकती हैं वहीँ पत्रिका के इरादे छुपे नहीं रह सके। पत्रिका ने अपना पक्षपात एक बार फिर ज़ाहिर कर  दिया है। जहाँ पत्रिका ने गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी की ओर से स्थापित  दमदमी टकसाल के चौहदवें उत्तराधिकारी संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले को एक "तेज़तर्रार ग्रंथी" बताया है वहीँ ब्लू स्टार ऑपरेशन को सही करार देने के प्रयास में यह भी कहा है कि उसके नेतृत्व में सिखों के एक विद्रोही गुट ने "जंग" छेड़  रखी थी और 1981 से 1984 तक 100 से अधिक आम नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान ले ली थी। यह भी कहा कि भिंडरांवाला अपने हथियारबंद साथियों के घेरे में सिखों के सबसे पवित्र गुरुद्धारे में छिपा बैठा था। इस पत्रिका की इस आवरण कथा का चालाक लेखक यह नहीं बताता कि अगर समस्या केवल सवर्ण मंदिर में ही थी तो पंजाब के अन्य 36 गुरुद्धारों में सैनिक एक्शन क्यूँ किया गया?  क्या इतना बड़ा मीडिया हाऊस नहीं जानता कि सिखों के लिए वे अन्य गुरुद्धारे भी बहुत महत्वपूर्ण और पवित्र थे और रहेंगे।
आगे जाकर इण्डिया टुडे इंदिरा गांधी को बेहद संवेदनशील साबित करने के प्रयास में कहता है कि इंदिरा गांधी ने आपरेशन सनडाऊन की उस परियोजना को केवल इस लिए रद्द कर दिया था क्यूंकि उसमें अधिक नुक्सान होने का खतरा था। गौरतलब है कि इस योजना के अंतर्गत  हेलीकाप्टरों और स्पेशल ट्रेंड कमांडोज़ के ज़रिये होना था और  संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले का अपहरण किया जाना था।
अपनी इस सारी "सच्ची कहानी" में पत्रिका ने यही प्रभाव देने का प्रयास किया कि जैसे वहाँ हमला करने गए सेनिक तो बेचारे सिखों का शिकार हो रहे थे। पत्रिका ने कहीं नहीं कहा कि इंदिरा गांधी ने इस एक्शन के लिए श्री गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी पर्व का दिन क्यूँ चुना? वहाँ उस पावन दिवस पर माथा टेकने गए श्रद्धालुयों में बच्चे भी थे--महिलाएं भी और बज़ुरग भी---उनमें से किसी के  नहीं थे। सेना ने उन को भी निशान बनाया जिसकी हकीकत एक बार नहीं बहुत बार मीडिया में आ चुकी है। इसके बावजूद इण्डिया टुडे बताता है कि जब इंदिरा गांधी को खबर मिली कि बहुत बड़ी संख्या में सैनिक और असैनिक मरे गए हैं तो इंदिरा गांधी के मुँह से निकला"हे भगवान"। इसके साथ ही स्व्तंत्र भारत के इस इतने बड़े युद्ध के वास्तविक कारणों पर पर्दा डालने ले नापाक प्रयास में इण्डिया टुडे इसे जनरल शाहबेग सिंह का एक व्यक्तिगत बदला बताता है।  पत्रिका ने लिखा है-"सेना के नायक रह चुके शाबेग ने सेना से बहुत महंगा बदला लिया।"
फिर भी इस पत्रिका को बड़े पैमाने पर पढ़ा जाना चाहिए ख़ास तौर पर सिख सियासत और सिख इतिहास से जुड़े कलमकारों और पाठकों दोनों को।  तभी इस तरह साज़िशी कलमों का जवाब कलम से दिया जा सकेगा। आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी। चुनावी मौसम है इसलिए इस तरह के बहुत से नए मामले सामने आएंगे सनसनी के आवरण मेंलपेटे हुए तांकि आम लोगों को दाल रोटी का सच भूला रहे, क्रांति का सच भूला रहे--सियासतदानों के घोटालों का सच भूला रहे---और लोग उलझे रहे साम्प्रदायिक टकरावों में। इस तरह के मामले जनता का ध्यान असली सच से हटाने की साज़िश मात्र हैं। -रेकटर कथूरिया 
ब्लू स्टार को जनरल शाहबेग का महंगा बदला बताया इण्डिया टूडे ने 

No comments: