Monday, December 16, 2013

दिल जोड़ो, नफरत छोड़ो यात्रा

A journey for love and harmony by khudai khidmatgars
In 50 recent Muzffar Nagar Roit affected places
बू अली शाह क़लन्दर, पानीपत से परमार्थ आश्रम, ऋषिकेश, वाया "हरि कि पौढ़ी, हरिद्वार
20 दिसंबर से 23 दिसम्बर 2013 
दोस्तों,
पिछले कुछ दिनों में मुज़फ्फर नगर और उसके आसपास के इलाकों में जिस तरह लोगों के आपसी रिश्ते टूटे हैं  और समाज का आपसी ताना बाना बिगड़ा है वो बेहद दुखद और चिंता जनक है।
कुछ लोगो की शरारत और उससे फ़ैली ग़लत फ़हमियों ने सदियों से बने हुए रिश्तों की मर्यादा भंग  कर दी, बहुत सी जानें गयी और बहुत से लोगों को वो जगह छोड़नी पड़ी जहाँ वो पैदा हुए और पले बढे, उन्हीं लोगों के बीच डर ने जन्म लिया जो  एक साथ खेले और खाये थे। 
गुस्सा और आवेश हम सब की कमज़ोरी है, और यही कमज़ोरी इंसान से अच्छे बुरे का भेद भुला देती है।  लेकिन गुस्से और आवेश में   ये याद रहे कि  ज़ुल्म का बदला उससे लिया जाये जिसने ज़ुल्म किया है। उसकी जाति, धर्म या बिरादरी वालों से बदला लेना  है। समुदाय के सभी लोग एक जैसी सोच के नहीं होते और गर्म मिजाज़, तिकड़मी व ताकत का ज़ोर दिखने वाले लोगों कि  तो और भी कम होती है। तनाव के वक़्त ऐसे लोग आगे आजाते हैं और सच्चाई और शांति कि आवाज़ कहीं दब जाती है।
आप सब  अंदर कि सच्चाई को टटोलें और एक दुसरे का दुःख बांटें, उत्तेजना उअर अफवाहों को काबू कर निर्दोषों के साथ खड़े हों। पुरे देश के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश  से प्रेरणा स्रोत रहा है। लोग कहते हैं कि यहाँ कि मिटटी ही उपजाऊ नहीं है यहाँ के लोगों के दिलों में मुहब्बत भी पैदा होती है। यहाँ के मज़दूरों और किसानों ने हमेशा दिखाया है कि एकता का किया महत्त्व है। 
आपको याद नहीं कि आप किसानों ने कितनी बार अपनी समस्याओं के लिए एकजुट होकर सरकारों को हिला दिया है। क्या तब आपने कभी एक दुसरे की धर्म और जाति पर ध्यान दिया था? आप सब हमेशा एक होकर अन्याय के लिए खड़े हुए हैं, आज आपके बीच फूट डालकर उसी एकता को तोड़ने कि कोशिश कि जारही है। याद रखिये कि हम सब केवल तब तक सुरक्षित हैं जब तक के एकजुट हैं। 
इसी एक जुटता का प्रदर्शन करने के लिए हम "दिल जोड़ो, नफ़रत छोडो" का नारा लेकर निकले हैं। पानीपत में "बू अली शाह क़लन्दर" की दरगाह जो हमारी साझा विरासत का प्रतीक है से हम मुज़फ्फर नगर और शामली के उन गाँवो, जहाँ आपसी गलफहमी ने घर और दिल दोनों तोड़े थे, होते हुए "हर की पौढ़ी, हरिद्वार" जायेंगे जहाँ से यात्रा स्वामी श्री चेतानन्द जी के परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषीकेश जायेगी।
इस यात्रा का केवल एक ही मक़सद है कि जो प्यार नफ़रत की आंधी में कहीं खो गया है उसे वापस उसकी असली जगह यानि इंसान के दिल में पंहुचा दें। जिस दिन इंसान के दिल में प्यार वापस पहुँच गया वो लोग भी अपने घर पहुँच जायेंगे जिन्होंने इस आंधी में अपने घर-बार खो  दिए।

आप सब भाई, बहनों से ये विनय है कि इस शांति यात्रा में सम्मिलित हों। प्यार और शांति के लिए की जाने वाली यह कोशिश अगर एक दिल भी जोड़ने में कामियाब हुई तो ये हम सब के लिए गर्व की  बात होगी।

यात्रा का कार्यक्रम इस प्रकार है:
20 दिसंबर
दरगाह बू अली शाह क़लन्दर, पानीपत  -  सनौली - कैराना - मन्नीमाजरा - कंडेला - शामली (रात्रि विश्राम)

21  दिसंबर
संभालना - लिसाढ़, लाख बावड़ी - फुगाना - लोई - बुढ़ाना - बसी - कुटबा - कुटबी - खामपुर (रात्रि विश्राम)

22  दिसंबर
मुज़फ्फरनगर, लारबाड - दधेदु -चरथावल - कसियारा  - रोहना - रामपुर तिराहा - बरला - धापर - पुरकाजी - मंगलूर - रुड़की - कलियर (रात्रि विश्राम)

22  दिसंबर
 "हरि कि पौढ़ी, हरिद्वार, परमार्थ आश्रम, ऋषिकेश,

ऑर्गनाइज़र: खुदाई  खिदमतगार, हाली पानीपती ट्रस्ट, जागृति सेवा संसथान, अफ़कार इंडिया फाउंडेशन
Contact : 09911292235,09871700595,09313106745

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