Sun, Dec 22, 2013 at 7:17 PM
कहा विश्वास नहीं है तो चुप रहिए
संत आशारामजी बापू के केस का पूरी तरह से अध्ययन किया है और सारी जानकारी ली है। मैंने कुछ डॉक्टरों से भी परामर्श लिया जो इस तरह की मेडिकल रिपोर्ट बनाते हैं। मैंने उनसे इस रिपोर्ट के आधार पर कानूनी अभिप्राय माँगा तो उन्होंने कहा : ‘‘स्वामीजी ! मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हम 100 प्रतिशत, निश्चित रूप से कह सकते हैं कि न रेप है और न ही रेप की कोशिश की गयी है और यौन उत्पीड़न का भी केस नहीं है क्योंकि किसी भी नाबालिग की त्वचा बहुत ही मुलायम होती है और अगर कोई उत्पीड़न होता तो उसके निशान रहते।’’
उक्त बात महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर श्री नित्यानंदजी ने संत आशाराम बापू की निंदा करनेवालों की जमकर खिंचाई करते हुए कही । वे बेंगलुरु में एक सत्संग के दौरान अपने भक्तों के बीच में बोल रहे थे। उन्होंने कहा आप समझते हो! 12-13 साल पहले कोई तथाकथित घटना होती है। कोई महिला आती है और वह कहती है तो आप उस पर विश्वास करोगे या फिर उस पुरुष पर जिसने अपना पूरा जीवन विश्व-कल्याण के लिए लगा दिया? वे बोल रहे हैं 2002 में घटना घटी। वे सब स्पष्ट रूप से जानते हैं कि उनका केस न्यायालय में नहीं टिक पायेगा। 11-12 वर्ष तक किसी भी महिला का चुप रहना असम्भव है। अब 2013 चल रहा है, 11-12 साल के बाद वे आते हैं और झूठा मामला दर्ज कराते हैं!
निंदा करने का किसी को अधिकार नहीं
तथाकथित हिन्दू गुरु, जिन्होंने आशाराम बापू और अन्य हिन्दू गुरुओं को दुर्वचन कहे, उनसे आपको प्रश्न पूछना चाहिए, उनको पाठ सिखाना चाहिए। अभी मैं यहाँ महानिर्वाणी अखाड़े का महामंडलेश्वर होने के नाते अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखता हूँ कि किसी भी हिन्दू संत को यह अधिकार नहीं है कि वे किसी दूसरे हिन्दू संत की निंदा करें। उनमें से बहुत लोग जो आशारामजी बापू पर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, वे संत ही नहीं हैं। उनकी हिम्मत कैसे हुई यह कहने की कि ‘आशारामजी बापू संत नहीं हैं!’ अब मैं कहता हूँ कि जो भी बापू की निंदा कर रहे हैं, वे संत नहीं हैं।
सभी भक्त और शिष्य यह स्पष्ट रूप से निर्णय कर लें और अपने गुरु से कहें कि ‘यदि आप दूसरे हिन्दू गुरुओं की निंदा करेंगे तो हम आपका बहिष्कार करेंगे।’ अगर आप इस समय आशारामजी बापू का समर्थन नहीं करना चाहते तो कम-से-कम चुप रहो। मैं आपको और पूरे देश को स्पष्ट रूप से कह रहा हूँ - जो आशाराम बापू को गलत बता रहे हैं, मैं उन गुरुओं को जिन्हें लोग ‘गुरु’ कहते हैं, ‘गुरुजी’ कहते हैं, इस समय चुनौती देता हूँ... मैं उनसे एक सीधा प्रश्न पूछता हूँ कि क्या आपने भक्तों की प्रेरणा को जीवित रखने के लिए आशारामजी बापू का उपयोग नहीं किया है? क्या आपने उनके कठिन परिश्रम से लाभ नहीं लिया है? तो फिर आपको उनके कठिन परिश्रम के प्रति कृतज्ञता क्यों नहीं है?
विश्वास नहीं है तो चुप रहिए
स्वामीजी ने कहा कि आप समझो! आप लोग आस्था पर आधारित संस्था के अधिष्ठाता हो। आप लोग कम्युनिस्ट और नास्तिक संस्था के नेताओं की तरह बात कर रहे हैं। अगर हमें ईमानदारीपूर्वक विश्वास है कि यह सब झूठ है तो हमें आशारामजी बापू का समर्थन करना चाहिए। अगर विश्वास नहीं है, अगर संदेह है तो कम-से-कम चुप रहें।
तुम क्यों सब जगह जा-जाकर गलत बोल रहे हो जबकि न्यायालय में अभी तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है। तुम न्यायालय के निर्णय आने तक इंतजार क्यों नहीं करते? तुम वक्तव्य देने के लिए उतावले क्यों हो रहे हो? अगर आपको लगता भी है कि कुछ हुआ है तो जब तक न्यायालय निर्णय न ले ले तब तक चुप रहिये।
उल्लेखनीय है कि स्वामी नित्यानंदजी के बारे में भी खूब दुष्प्रचार किया गया परंतु उनके बारे में दिखायी गयी सेक्स सीडी फर्जी निकली। इससे संबंधित आपत्तिजनक खबरों के प्रसारण के संदर्भ में ‘स्टार विजय’ व ‘आज तक’ चैनलों को माफीनामा प्रसारित करना पड़ा।
कहा विश्वास नहीं है तो चुप रहिए
संत आशारामजी बापू के केस का पूरी तरह से अध्ययन किया है और सारी जानकारी ली है। मैंने कुछ डॉक्टरों से भी परामर्श लिया जो इस तरह की मेडिकल रिपोर्ट बनाते हैं। मैंने उनसे इस रिपोर्ट के आधार पर कानूनी अभिप्राय माँगा तो उन्होंने कहा : ‘‘स्वामीजी ! मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हम 100 प्रतिशत, निश्चित रूप से कह सकते हैं कि न रेप है और न ही रेप की कोशिश की गयी है और यौन उत्पीड़न का भी केस नहीं है क्योंकि किसी भी नाबालिग की त्वचा बहुत ही मुलायम होती है और अगर कोई उत्पीड़न होता तो उसके निशान रहते।’’
उक्त बात महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर श्री नित्यानंदजी ने संत आशाराम बापू की निंदा करनेवालों की जमकर खिंचाई करते हुए कही । वे बेंगलुरु में एक सत्संग के दौरान अपने भक्तों के बीच में बोल रहे थे। उन्होंने कहा आप समझते हो! 12-13 साल पहले कोई तथाकथित घटना होती है। कोई महिला आती है और वह कहती है तो आप उस पर विश्वास करोगे या फिर उस पुरुष पर जिसने अपना पूरा जीवन विश्व-कल्याण के लिए लगा दिया? वे बोल रहे हैं 2002 में घटना घटी। वे सब स्पष्ट रूप से जानते हैं कि उनका केस न्यायालय में नहीं टिक पायेगा। 11-12 वर्ष तक किसी भी महिला का चुप रहना असम्भव है। अब 2013 चल रहा है, 11-12 साल के बाद वे आते हैं और झूठा मामला दर्ज कराते हैं!
निंदा करने का किसी को अधिकार नहीं
तथाकथित हिन्दू गुरु, जिन्होंने आशाराम बापू और अन्य हिन्दू गुरुओं को दुर्वचन कहे, उनसे आपको प्रश्न पूछना चाहिए, उनको पाठ सिखाना चाहिए। अभी मैं यहाँ महानिर्वाणी अखाड़े का महामंडलेश्वर होने के नाते अपना पक्ष स्पष्ट रूप से रखता हूँ कि किसी भी हिन्दू संत को यह अधिकार नहीं है कि वे किसी दूसरे हिन्दू संत की निंदा करें। उनमें से बहुत लोग जो आशारामजी बापू पर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, वे संत ही नहीं हैं। उनकी हिम्मत कैसे हुई यह कहने की कि ‘आशारामजी बापू संत नहीं हैं!’ अब मैं कहता हूँ कि जो भी बापू की निंदा कर रहे हैं, वे संत नहीं हैं।
सभी भक्त और शिष्य यह स्पष्ट रूप से निर्णय कर लें और अपने गुरु से कहें कि ‘यदि आप दूसरे हिन्दू गुरुओं की निंदा करेंगे तो हम आपका बहिष्कार करेंगे।’ अगर आप इस समय आशारामजी बापू का समर्थन नहीं करना चाहते तो कम-से-कम चुप रहो। मैं आपको और पूरे देश को स्पष्ट रूप से कह रहा हूँ - जो आशाराम बापू को गलत बता रहे हैं, मैं उन गुरुओं को जिन्हें लोग ‘गुरु’ कहते हैं, ‘गुरुजी’ कहते हैं, इस समय चुनौती देता हूँ... मैं उनसे एक सीधा प्रश्न पूछता हूँ कि क्या आपने भक्तों की प्रेरणा को जीवित रखने के लिए आशारामजी बापू का उपयोग नहीं किया है? क्या आपने उनके कठिन परिश्रम से लाभ नहीं लिया है? तो फिर आपको उनके कठिन परिश्रम के प्रति कृतज्ञता क्यों नहीं है?
विश्वास नहीं है तो चुप रहिए
स्वामीजी ने कहा कि आप समझो! आप लोग आस्था पर आधारित संस्था के अधिष्ठाता हो। आप लोग कम्युनिस्ट और नास्तिक संस्था के नेताओं की तरह बात कर रहे हैं। अगर हमें ईमानदारीपूर्वक विश्वास है कि यह सब झूठ है तो हमें आशारामजी बापू का समर्थन करना चाहिए। अगर विश्वास नहीं है, अगर संदेह है तो कम-से-कम चुप रहें।
तुम क्यों सब जगह जा-जाकर गलत बोल रहे हो जबकि न्यायालय में अभी तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है। तुम न्यायालय के निर्णय आने तक इंतजार क्यों नहीं करते? तुम वक्तव्य देने के लिए उतावले क्यों हो रहे हो? अगर आपको लगता भी है कि कुछ हुआ है तो जब तक न्यायालय निर्णय न ले ले तब तक चुप रहिये।
उल्लेखनीय है कि स्वामी नित्यानंदजी के बारे में भी खूब दुष्प्रचार किया गया परंतु उनके बारे में दिखायी गयी सेक्स सीडी फर्जी निकली। इससे संबंधित आपत्तिजनक खबरों के प्रसारण के संदर्भ में ‘स्टार विजय’ व ‘आज तक’ चैनलों को माफीनामा प्रसारित करना पड़ा।
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