11-सितम्बर-2013 18:04 IST
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और जापान के उद्योग मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी का बयान
• केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय निवेश एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत की राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के तहत केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा जापान के अर्थव्यवस्था व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने की उम्मीदें एक बार फिर दोहराई, जिससे दोनों देशों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। दोनों मंत्रियों ने यह भी उम्मीद जताई कि भारत और जापान कारोबारी माहौल को बेहतर एवं पारदर्शी बनाने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे जैसा कि 29 मई, 2013 को आयोजित जापान-भारत सम्मेलन में जारी संयुक्त बयान में कहा गया था।
• 17 मई, 2013 को जारी संयुक्त बयान के अनुसार व्यापारिक साझेदारी मजबूत करने के लिए योजनागत पहलेां और परियोजनाओं के समर्थन में मंत्रियों ने दोनों देशों के आपसी फायदे के लिए निवेश सवंर्द्धन को बढ़ावा देने की महत्ता दोहराई तथा निवेश को प्रोत्साहन देने के उपायों पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में कारोबारी माहौल बेहतर बनाने और निवेश प्रोत्साहन के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी रजामंदी दी।
• दोनों पक्षों ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माण उद्योग प्रोत्साहन बोर्ड जैसा विशेष ढाँचा बनाने का स्वागत किया। श्री शर्मा इस बोर्ड के अध्यक्ष है। दोनों मंत्रियों ने फरवरी, 2013 में मंत्री स्तरीय संवाद के बाद इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में हुई प्रगति का स्वागत किया। भारत के इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में जापानी कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में जापान हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है और सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त कार्य समूह के गठन हेतु कदम उठाए गए हैं। दोनों पक्षों ने भारत में जापान की सहायता से विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा वाले जापानी इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग टाऊनशिप की स्थापना पर जोर दिया और संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक में यह मसला उठाने पर सहमति जताई।
• दोनों पक्षों ने कहा कि भारत में जापान की ओर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक आधारभूत ढांचा बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने दिसम्बर, 2006 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की टोक्यो यात्रा के दौरान उनकी जापानी प्रधानमंत्री श्री शिन्जो आबे के साथ मुलाकात में भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी के प्रतीक दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) परियोजना में हुई प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने वर्ष 2011 में शुरू हुई चेन्नई-बेंगुलुरू औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी) परियोजना में हुई प्रगति का भी स्वागत किया।
• जापान विदेश व्यापार संगठन की रिपोर्ट ''निवेश के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत-जापान निवेश संवर्द्धन की चुनौतियां'' का हवाला देते हुए दोनों मंत्रियों ने डीएमआईसी और सीबीआईसी परियोजनाओं के लिए की जा रही पहल के अलावा अन्य निवेशों को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत पहल के महत्व पर बल दिया।
• दोनों पक्ष भारत और जापान के बीच दोतरफा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह कार्य योजना तीन स्तंभों पर आधारित है: (1) भारत-जापान व्यापार साझेदारी (2) निवेश संवर्द्धन पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और (3) कारोबारी वातावरण को बेहतर बनाना।
• दोनों पक्ष कार्य योजना की प्रगति की वार्षिक समीक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। (PIB)
***
वीके/वाईएस/एलडी-6126
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और जापान के उद्योग मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी का बयान
• केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार एवं उद्योग मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय निवेश एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत की राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के तहत केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा जापान के अर्थव्यवस्था व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने की उम्मीदें एक बार फिर दोहराई, जिससे दोनों देशों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। दोनों मंत्रियों ने यह भी उम्मीद जताई कि भारत और जापान कारोबारी माहौल को बेहतर एवं पारदर्शी बनाने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे जैसा कि 29 मई, 2013 को आयोजित जापान-भारत सम्मेलन में जारी संयुक्त बयान में कहा गया था।
• 17 मई, 2013 को जारी संयुक्त बयान के अनुसार व्यापारिक साझेदारी मजबूत करने के लिए योजनागत पहलेां और परियोजनाओं के समर्थन में मंत्रियों ने दोनों देशों के आपसी फायदे के लिए निवेश सवंर्द्धन को बढ़ावा देने की महत्ता दोहराई तथा निवेश को प्रोत्साहन देने के उपायों पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में कारोबारी माहौल बेहतर बनाने और निवेश प्रोत्साहन के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी रजामंदी दी।
• दोनों पक्षों ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माण उद्योग प्रोत्साहन बोर्ड जैसा विशेष ढाँचा बनाने का स्वागत किया। श्री शर्मा इस बोर्ड के अध्यक्ष है। दोनों मंत्रियों ने फरवरी, 2013 में मंत्री स्तरीय संवाद के बाद इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में हुई प्रगति का स्वागत किया। भारत के इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में जापानी कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में जापान हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है और सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त कार्य समूह के गठन हेतु कदम उठाए गए हैं। दोनों पक्षों ने भारत में जापान की सहायता से विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा वाले जापानी इलेक्ट्रानिक्स मैन्युफैक्चरिंग टाऊनशिप की स्थापना पर जोर दिया और संयुक्त कार्य समूह की अगली बैठक में यह मसला उठाने पर सहमति जताई।
• दोनों पक्षों ने कहा कि भारत में जापान की ओर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक आधारभूत ढांचा बेहद महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने दिसम्बर, 2006 में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की टोक्यो यात्रा के दौरान उनकी जापानी प्रधानमंत्री श्री शिन्जो आबे के साथ मुलाकात में भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी के प्रतीक दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) परियोजना में हुई प्रगति का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने वर्ष 2011 में शुरू हुई चेन्नई-बेंगुलुरू औद्योगिक गलियारा (सीबीआईसी) परियोजना में हुई प्रगति का भी स्वागत किया।
• जापान विदेश व्यापार संगठन की रिपोर्ट ''निवेश के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत-जापान निवेश संवर्द्धन की चुनौतियां'' का हवाला देते हुए दोनों मंत्रियों ने डीएमआईसी और सीबीआईसी परियोजनाओं के लिए की जा रही पहल के अलावा अन्य निवेशों को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत पहल के महत्व पर बल दिया।
• दोनों पक्ष भारत और जापान के बीच दोतरफा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कार्य योजना की रूपरेखा तैयार करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह कार्य योजना तीन स्तंभों पर आधारित है: (1) भारत-जापान व्यापार साझेदारी (2) निवेश संवर्द्धन पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग और (3) कारोबारी वातावरण को बेहतर बनाना।
• दोनों पक्ष कार्य योजना की प्रगति की वार्षिक समीक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। (PIB)
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वीके/वाईएस/एलडी-6126
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