06-सितम्बर-2013 19:13 IST
इसमें है जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम का प्रावधान
नई दिल्ली: 6 सितम्बर 2013: (पीआईबी): लोकसभा ने आज लोकसभा ने स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम) विधेयक 2012 पारित कर दिया। विधेयक में स्ट्रीट वेंडरों के जीविका अधिकार, उनकी सामाजिक सुरक्षा, देश में शहरी स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन तथा इनसे जुड़े मामलों का प्रावधान है।
आवास तथा शहरी उपशमन मंत्री डॉक्टर गिरिजा व्यास ने सदन के विचार के लिए विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स शहरी अर्थव्यवस्था के प्रमुख अंग होते हैं। यह न केवल स्व-रोजगार का साधन है बल्कि शहरी आबादी को विशेषकर आम आदमी को वहन करने योग्य लागत तथा सुविधा के साथ सेवा देना भी है। स्ट्रीट वेंडर्स वो लोग होते हैं जो औपचारिक क्षेत्र में नियमित काम नहीं पा सकते क्योंकि उनका शिक्षा और कौशल का स्तर बहुत ही कम होता है। वे अपनी जीविका की समस्या मामूली वित्तीय संसाधन और परिश्रम से दूर करते हैं।
शहरीकरण और शहरी क्षेत्र में हुए विकास के कारण स्ट्रीट वेंडरों की आबादी बढ़ सकती है। डॉक्टर व्यास ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि वेंडरों को जीवनयापन के लिए अच्छा और प्रताड़ना रहित माहौल उपलब्ध कराया जाए। 11वीं और 12वी पंचवर्षीय योजना में समावेशी विकास रणनीति के तहत स्ट्रीट वेंडरों के आर्थिक विकास की परिकल्पना की गयी है।
स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम) विधेयक 2012 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं -
विधेयक के प्रावधानों का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों को उचित और पारदर्शी माहौल में बिना किसी भय प्रताड़ना के कारोबार करने का माहौल तैयार करना है।
1. विधेयक में प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में शहरी वेंडिंग प्राधिकार के गठन का प्रावधान है। यह बिल के प्रावधानों को लागू करने की धुरी है।
2. स्ट्रीट वेंडिंग से जुड़ी गतिविधियों जैसे बाजार का निर्धारण, वेंडिंग क्षेत्र की पहचान, स्ट्रीट वेंडिंग योजना की तैयारी तथा स्ट्रीट वेंडरों के सर्वेक्षण में भागीदारी पूर्वक निर्णय लेने के लिए टाउन वेंर्डिंग कमेटी (टीवीसी) में अधिकारियों, गैर-अधिकारियों, महिला वेंडर सहित वेंडरों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है, जिसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा अशक्त लोगों का प्रतिनिधित्व हो। विधेयक में यह व्यवस्था है कि टीवीसी के 40 प्रतिशत सदस्य चुनाव के जरिए स्ट्रीट वेंडरों में से ही होंगे। इनमें से एक तिहाई महिलाएं हों।
3. बिल में सभी वर्तमान स्ट्रीट वेंडरों के सर्वेक्षण और प्रत्येक पांच वर्ष में पुनर्सर्वेक्षण की व्यवस्था है, जिसमें सर्वे में चिह्नित स्ट्रीट वेंडरों को प्रमाणपत्र जारी करना शामिल है। इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा अशक्त लोगों की प्राथमिकता की बात भी है।
4. सर्वे में चिह्नित सभी वर्तमान स्ट्रीट वेंडरों को वेंडिंग क्षेत्र में शामिल किए जाएंगे, शर्त यह है कि वार्ड या क्षेत्र या शहर की आबादी का 2.5 प्रतिशत वेंडिंग जोन हो।
5. वेंडिंग जोन की क्षमता से अधिक जहां चिह्नित स्ट्रीट वेंडर्स हैं वहां टीवीसी लॉटरी निकालकर उस वेंडिंग जोन के लिए प्रमाणपत्र जारी करेगी। शेष बचे लोगों को पड़ोस के वेंडिंग जोन में समायोजित किया जाएगा।
6. इस कानून के प्रभाव में आने के पहले जिन्हें वेंडिंग सर्टिफिकेट/लाइसेंस जारी किए गए हैं वे सर्टिफिकेट में दर्ज अवधि तक उस श्रेणी के स्ट्रीट वेंडर माने जाएंगे।
7. बिल में यह व्यवस्था है कि सर्वे पूरा होने तथा स्ट्रीट वेंडरों को सर्टिफिकेट जारी होने तक किसी भी स्ट्रीट वेंडर को उस स्थान से हटाया नहीं जाएगा।
8. यदि किसी रेहड़ी पटरी और खोमचे वाले को प्रमाणपत्र जारी किया गया है और उसका निधन हो जाता है या वह बीमार है या वह स्थाई रूप से अशक्त हो जाता है तो उसके परिवार के सदस्य यानी उसकी पत्नी या निर्भर बच्चे को रेहड़ी पटरी और खोमचे चलाने का अधिकार होगा। यह अधिकार तब तक होगा जब तक प्रमाणपत्र की वैधता है।
9. इस तरह विधेयक में रेहड़ी पटरी और खोमचे वालों को परेशानी से सुरक्षित रखने तथा उसकी जीविका को बढ़ावा देने का उपाय कर सबको शामिल किया गया है।
10. विधेयक में स्थान बदलने, स्थान से हटाने और सामान की जब्ती को निर्दिष्ट किया गया है और यह रेहड़ी पटरी और खोमचे वालों के लिए सुलभ है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा रेहड़ी पटरी और खोमचे वाले को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के मामले में टीवीसी की सिफारिश का प्रावधान है।
11. रेहडी-पटरी वालों का स्थान में परिवर्तन अंतिम उपाय के रूप में होगा। इसी तरह रेहडी-पटरी वालों को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर ले जाने के मामले में विधेयक की दूसरी अनुसूची में व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत कहा गया है कि विस्थापन जहां तक संभव हो टाला जाना चाहिए, विस्थापन के काम को लागू करने में रेहडी-पटरी वालो तथा उनके प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए, उनका विस्थापन इस तरह किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी आजीविका और जीवन स्तर को सुधार सकें और पहली जगह के बराबर वास्तव में काम-काज कर सकें। जिस बाजार में रेहडी-पटरी वाले 50 वर्ष से ऊपर अपना कारोबार कर रहे हैं उस बाजार को विरासत बाजार घोषित किया जाना चाहिए और इन बाजारों के रेहडी-पटरी विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
12) जरूरत है कि टीवीसी की सिफारिश पर शहरी स्ट्रीट वेंडरों के लिए पर्याप्त जगह और अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय अधिकारी 5 सालों में एक बार योजना बनाएं ताकि वे अपनी आजीविका कमा सकें. यह खास तौर से इस बात का प्रावधान करता है कि नो-वेंडर क्षेत्र की घोषणा खास नियमों के आधार पर की जाए, जैसे - सर्वेक्षण के तहत चिन्हित् कोई मौजूदा प्राकृतिक बाजार, या मौजूदा सामान्य बाजार को नो-वेंडिग जोन घोषित नहीं किया जाएगाः नो वेंडिगं जोन इस तरह से बनाया जाएगा जिससे कम से कम संख्या में स्ट्रीट वेंडरों को विस्थापित किया जाए- नो वेंडिंग जोन की घोषणा तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि सर्वेक्षण नहीं किया जाए. इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि यह विधेयक स्ट्रीट वेंडरों के हितों की पर्याप्त सुरक्षा करता है.
13)विधेयक का जोर ‘प्राकृतिक बाजार’ पर है जिसे विधेयक के भीतर परिभाषित किया गया है. विधेयक में प्रावधान है कि पूरी योजना इस बात को सुनिश्चित करे कि स्ट्रीट वेंडर के लिए जगह या क्षेत्र की व्यवस्था उचित हो और प्राकृतिक बाजार के स्वभाव के अनुरुप हो. इस तरह, प्राकृतिक स्थान, जहां खरीददार और दूकानदार का निरंतर मिलना होता है, उसे विधेयक में संरक्षित किया गया है.
14) विधेयक में स्ट्रीट वेंडर की शिकायतों को दूर करने के दिशा में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सेवानिवृत न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विवाद निवारण तंत्र की स्थापना का प्रावधान है.
15) यह विधेयक जब्त की गई विनाशशील और गैरविनाशशील वस्तुओं को छुड़ाने के लिए निश्चित समय अवधि प्रदान करती है. विनाशशील वस्तुओं के मामले में, स्थानीय अधिकारी को दो कामकाजी दिनों में माल को छोड़ना होगा और नष्ट होने वाली वस्तुओं के मामले में उसी दिन उस माल को छोड़ना होगा, जिस दिन दावा किया गया है.
16) इस विधेयक में स्ट्रीट वेंडरों के लिए सरकार द्वारा किए जाने वासे रहे प्रोत्साहन उपायों, कर्जे की उपलब्धता, बीमा और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े अन्य कल्याणकारी योजनाओं, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रावधान किया गया है.
17) विधेयक की धारा 29 स्ट्रीट वेंडरों के पुलिस और अन्य अधिकारियों के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करती है और यह अधिभावी धारा का प्रावधान करती है जो सुनिश्चित करता है कि वे किसी अन्य कानून के तहत भी बिना किसी उत्पीड़न के भय से अपना काम करें.
18) यह विधेयक विशेष तौर से इस बात का प्रावधान करता है कि विधेयक के तहत नियमों को इसके प्रारंभ होने के एक वर्ष के भीतर अधिसूचित किया जाना जरूरी होगा. और योजना के कार्यान्वयन में देरी को रोकने के लिए इसके प्रारंभ होने के छह महीने के भीतर अधिसूचित करना होगा.
विधेयक का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना है ताकि वे अपना काम गरिमा के साथ कर सके. यह विधेयक लगभग एक करोड़ परिवारों को आजीविका की सुरक्षा देने के उद्देश्य से तैयार किया है.
पृष्ठभूमि
ग्रामीण समाज में रेहड़ी-पटरी वालों के महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर तथा उन्हें जनता को कोई बाधा पहुंचाए बिना तथा कानून के समक्ष नागरिकों को बराबरी एवं कोई भी कारोबार करने के अधिकार के बारे में भारत के संविधान की भावना के अनुसार सम्मानित कार्य के लिए माहौल बनाने के जरिए सम्मानित आजीविका कमाने में समर्थ बनाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेता नीति, 2004 संशोधित की है तथा राष्ट्रीय शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेता नीति, 2009 बनाई है।
23 फरवरी, 2009 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कार्यान्वयन के लिए संशोधित नीति सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रसारित की गई। संशोधित नीति में बिना किसी शोषण के ईमानदारी से जीवन जीने में रेहड़ी-पटरी वालों को समर्थ बनाने के लिए कानूनी ढांचे की जरूरत रेखांकित की गई थी। तदनुसार भारत सरकार ने मॉडल रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2009 तैयार किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 फरवरी, 2009 को इस मॉडल विधेयक को मंजूरी दी और इस विषय पर विचार जानने के लिए सभी राज्यों को प्रसारित किया गया।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को केंद्रीय कानून बनाने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं और उनके संगठनों से निरंतर अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो। इसलिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के योगदान को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिए तथा सभी राज्यों में रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए कानूनी ढांचे में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रय के लिए केंद्रीय कानून बनाने की आवश्कता समझी गई।
रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए राष्ट्रीय नीति और कानून बनाने की जरूरत पर 4 से 5 मार्च, 2011 को पटना में क्षेत्रीय विचार-विमर्श का अयोजन किया गया। इसी सिलसिले में 24 सितंबर, 2011 को मुंबई में और 18 नवंबर, 2011 को दिल्ली में विचार-विमर्श किया गया। इनमें राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों, स्वयं सेवी संगठनों, सिविल सोसायटी, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की एसोसिएशन के सदस्य शामिल हुए।
23 दिसंबर, 2011 को दिल्ली में राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया ताकि विभिन्न हितधारकों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के संगठनों के प्रतिनिधियों के विचार और दृष्टिकोण एवं सुझावों की जानकारी हो सके।
तदनुसार नया कानून बनाने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2012 तैयार किया गया। यह विधेयक देश में आजीविका अधिकारों की सुरक्षा, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की सामाजिक सुरक्षा, शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के नियमन और उनसे संबंधित मामलों के बारे में सुरक्षा उपलब्ध कराता है।
विधेयक का मसौदा 29.02.2012 को टिप्पणियों के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रसारित किया गया। 28 अप्रैल, 2012 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के आवास/ग्रामीण विकास मंत्रालयों के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी इस पर विचार-विमर्श किया गया और इसे व्यापक समर्थन मिला।
रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2012 को 17 अगस्त, 2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी तथा 6 सितंबर, 2012 को इसे लोकसभा में पेश किया गया।
यह विधेयक 10 सितंबर, 2012 को ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया। समिति ने यह विधेयक अपनी 23वीं रिपोर्ट के साथ लोक सभा को भेज दिया। 13 मार्च, 2013 को इसे राज्य सभा में पटल पर रखा गया।
स्थायी समिति ने इस विधेयक में 26 सिफारिशें की। मंत्रालय ने उन सिफारिशों पर विचार किया और 17 सिफारिशें पूरी तरह स्वीकार कर ली, 3 सिफारिशें आंशिक रूप से या संशोधन के साथ स्वीकार की गईं तथा 6 सिफारिशें स्वीकार नहीं करने का प्रस्ताव है। (PIB)
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वि. कासोटिया/गांधी/दयाशंकर - 6050
इसमें है जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम का प्रावधान
नई दिल्ली: 6 सितम्बर 2013: (पीआईबी): लोकसभा ने आज लोकसभा ने स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम) विधेयक 2012 पारित कर दिया। विधेयक में स्ट्रीट वेंडरों के जीविका अधिकार, उनकी सामाजिक सुरक्षा, देश में शहरी स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन तथा इनसे जुड़े मामलों का प्रावधान है।
आवास तथा शहरी उपशमन मंत्री डॉक्टर गिरिजा व्यास ने सदन के विचार के लिए विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स शहरी अर्थव्यवस्था के प्रमुख अंग होते हैं। यह न केवल स्व-रोजगार का साधन है बल्कि शहरी आबादी को विशेषकर आम आदमी को वहन करने योग्य लागत तथा सुविधा के साथ सेवा देना भी है। स्ट्रीट वेंडर्स वो लोग होते हैं जो औपचारिक क्षेत्र में नियमित काम नहीं पा सकते क्योंकि उनका शिक्षा और कौशल का स्तर बहुत ही कम होता है। वे अपनी जीविका की समस्या मामूली वित्तीय संसाधन और परिश्रम से दूर करते हैं।
शहरीकरण और शहरी क्षेत्र में हुए विकास के कारण स्ट्रीट वेंडरों की आबादी बढ़ सकती है। डॉक्टर व्यास ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि वेंडरों को जीवनयापन के लिए अच्छा और प्रताड़ना रहित माहौल उपलब्ध कराया जाए। 11वीं और 12वी पंचवर्षीय योजना में समावेशी विकास रणनीति के तहत स्ट्रीट वेंडरों के आर्थिक विकास की परिकल्पना की गयी है।
स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंडिंग विनियम) विधेयक 2012 की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं -
विधेयक के प्रावधानों का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों को उचित और पारदर्शी माहौल में बिना किसी भय प्रताड़ना के कारोबार करने का माहौल तैयार करना है।
1. विधेयक में प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र में शहरी वेंडिंग प्राधिकार के गठन का प्रावधान है। यह बिल के प्रावधानों को लागू करने की धुरी है।
2. स्ट्रीट वेंडिंग से जुड़ी गतिविधियों जैसे बाजार का निर्धारण, वेंडिंग क्षेत्र की पहचान, स्ट्रीट वेंडिंग योजना की तैयारी तथा स्ट्रीट वेंडरों के सर्वेक्षण में भागीदारी पूर्वक निर्णय लेने के लिए टाउन वेंर्डिंग कमेटी (टीवीसी) में अधिकारियों, गैर-अधिकारियों, महिला वेंडर सहित वेंडरों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है, जिसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा अशक्त लोगों का प्रतिनिधित्व हो। विधेयक में यह व्यवस्था है कि टीवीसी के 40 प्रतिशत सदस्य चुनाव के जरिए स्ट्रीट वेंडरों में से ही होंगे। इनमें से एक तिहाई महिलाएं हों।
3. बिल में सभी वर्तमान स्ट्रीट वेंडरों के सर्वेक्षण और प्रत्येक पांच वर्ष में पुनर्सर्वेक्षण की व्यवस्था है, जिसमें सर्वे में चिह्नित स्ट्रीट वेंडरों को प्रमाणपत्र जारी करना शामिल है। इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा अशक्त लोगों की प्राथमिकता की बात भी है।
4. सर्वे में चिह्नित सभी वर्तमान स्ट्रीट वेंडरों को वेंडिंग क्षेत्र में शामिल किए जाएंगे, शर्त यह है कि वार्ड या क्षेत्र या शहर की आबादी का 2.5 प्रतिशत वेंडिंग जोन हो।
5. वेंडिंग जोन की क्षमता से अधिक जहां चिह्नित स्ट्रीट वेंडर्स हैं वहां टीवीसी लॉटरी निकालकर उस वेंडिंग जोन के लिए प्रमाणपत्र जारी करेगी। शेष बचे लोगों को पड़ोस के वेंडिंग जोन में समायोजित किया जाएगा।
6. इस कानून के प्रभाव में आने के पहले जिन्हें वेंडिंग सर्टिफिकेट/लाइसेंस जारी किए गए हैं वे सर्टिफिकेट में दर्ज अवधि तक उस श्रेणी के स्ट्रीट वेंडर माने जाएंगे।
7. बिल में यह व्यवस्था है कि सर्वे पूरा होने तथा स्ट्रीट वेंडरों को सर्टिफिकेट जारी होने तक किसी भी स्ट्रीट वेंडर को उस स्थान से हटाया नहीं जाएगा।
8. यदि किसी रेहड़ी पटरी और खोमचे वाले को प्रमाणपत्र जारी किया गया है और उसका निधन हो जाता है या वह बीमार है या वह स्थाई रूप से अशक्त हो जाता है तो उसके परिवार के सदस्य यानी उसकी पत्नी या निर्भर बच्चे को रेहड़ी पटरी और खोमचे चलाने का अधिकार होगा। यह अधिकार तब तक होगा जब तक प्रमाणपत्र की वैधता है।
9. इस तरह विधेयक में रेहड़ी पटरी और खोमचे वालों को परेशानी से सुरक्षित रखने तथा उसकी जीविका को बढ़ावा देने का उपाय कर सबको शामिल किया गया है।
10. विधेयक में स्थान बदलने, स्थान से हटाने और सामान की जब्ती को निर्दिष्ट किया गया है और यह रेहड़ी पटरी और खोमचे वालों के लिए सुलभ है। स्थानीय अधिकारियों द्वारा रेहड़ी पटरी और खोमचे वाले को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के मामले में टीवीसी की सिफारिश का प्रावधान है।
11. रेहडी-पटरी वालों का स्थान में परिवर्तन अंतिम उपाय के रूप में होगा। इसी तरह रेहडी-पटरी वालों को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर ले जाने के मामले में विधेयक की दूसरी अनुसूची में व्यवस्था है। इस व्यवस्था के तहत कहा गया है कि विस्थापन जहां तक संभव हो टाला जाना चाहिए, विस्थापन के काम को लागू करने में रेहडी-पटरी वालो तथा उनके प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए, उनका विस्थापन इस तरह किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी आजीविका और जीवन स्तर को सुधार सकें और पहली जगह के बराबर वास्तव में काम-काज कर सकें। जिस बाजार में रेहडी-पटरी वाले 50 वर्ष से ऊपर अपना कारोबार कर रहे हैं उस बाजार को विरासत बाजार घोषित किया जाना चाहिए और इन बाजारों के रेहडी-पटरी विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
12) जरूरत है कि टीवीसी की सिफारिश पर शहरी स्ट्रीट वेंडरों के लिए पर्याप्त जगह और अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय अधिकारी 5 सालों में एक बार योजना बनाएं ताकि वे अपनी आजीविका कमा सकें. यह खास तौर से इस बात का प्रावधान करता है कि नो-वेंडर क्षेत्र की घोषणा खास नियमों के आधार पर की जाए, जैसे - सर्वेक्षण के तहत चिन्हित् कोई मौजूदा प्राकृतिक बाजार, या मौजूदा सामान्य बाजार को नो-वेंडिग जोन घोषित नहीं किया जाएगाः नो वेंडिगं जोन इस तरह से बनाया जाएगा जिससे कम से कम संख्या में स्ट्रीट वेंडरों को विस्थापित किया जाए- नो वेंडिंग जोन की घोषणा तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि सर्वेक्षण नहीं किया जाए. इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि यह विधेयक स्ट्रीट वेंडरों के हितों की पर्याप्त सुरक्षा करता है.
13)विधेयक का जोर ‘प्राकृतिक बाजार’ पर है जिसे विधेयक के भीतर परिभाषित किया गया है. विधेयक में प्रावधान है कि पूरी योजना इस बात को सुनिश्चित करे कि स्ट्रीट वेंडर के लिए जगह या क्षेत्र की व्यवस्था उचित हो और प्राकृतिक बाजार के स्वभाव के अनुरुप हो. इस तरह, प्राकृतिक स्थान, जहां खरीददार और दूकानदार का निरंतर मिलना होता है, उसे विधेयक में संरक्षित किया गया है.
14) विधेयक में स्ट्रीट वेंडर की शिकायतों को दूर करने के दिशा में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सेवानिवृत न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विवाद निवारण तंत्र की स्थापना का प्रावधान है.
15) यह विधेयक जब्त की गई विनाशशील और गैरविनाशशील वस्तुओं को छुड़ाने के लिए निश्चित समय अवधि प्रदान करती है. विनाशशील वस्तुओं के मामले में, स्थानीय अधिकारी को दो कामकाजी दिनों में माल को छोड़ना होगा और नष्ट होने वाली वस्तुओं के मामले में उसी दिन उस माल को छोड़ना होगा, जिस दिन दावा किया गया है.
16) इस विधेयक में स्ट्रीट वेंडरों के लिए सरकार द्वारा किए जाने वासे रहे प्रोत्साहन उपायों, कर्जे की उपलब्धता, बीमा और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े अन्य कल्याणकारी योजनाओं, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रावधान किया गया है.
17) विधेयक की धारा 29 स्ट्रीट वेंडरों के पुलिस और अन्य अधिकारियों के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करती है और यह अधिभावी धारा का प्रावधान करती है जो सुनिश्चित करता है कि वे किसी अन्य कानून के तहत भी बिना किसी उत्पीड़न के भय से अपना काम करें.
18) यह विधेयक विशेष तौर से इस बात का प्रावधान करता है कि विधेयक के तहत नियमों को इसके प्रारंभ होने के एक वर्ष के भीतर अधिसूचित किया जाना जरूरी होगा. और योजना के कार्यान्वयन में देरी को रोकने के लिए इसके प्रारंभ होने के छह महीने के भीतर अधिसूचित करना होगा.
विधेयक का उद्देश्य स्ट्रीट वेंडरों के लिए एक अनुकूल माहौल बनाना है ताकि वे अपना काम गरिमा के साथ कर सके. यह विधेयक लगभग एक करोड़ परिवारों को आजीविका की सुरक्षा देने के उद्देश्य से तैयार किया है.
पृष्ठभूमि
ग्रामीण समाज में रेहड़ी-पटरी वालों के महत्वपूर्ण योगदान के मद्देनजर तथा उन्हें जनता को कोई बाधा पहुंचाए बिना तथा कानून के समक्ष नागरिकों को बराबरी एवं कोई भी कारोबार करने के अधिकार के बारे में भारत के संविधान की भावना के अनुसार सम्मानित कार्य के लिए माहौल बनाने के जरिए सम्मानित आजीविका कमाने में समर्थ बनाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेता नीति, 2004 संशोधित की है तथा राष्ट्रीय शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेता नीति, 2009 बनाई है।
23 फरवरी, 2009 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कार्यान्वयन के लिए संशोधित नीति सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में प्रसारित की गई। संशोधित नीति में बिना किसी शोषण के ईमानदारी से जीवन जीने में रेहड़ी-पटरी वालों को समर्थ बनाने के लिए कानूनी ढांचे की जरूरत रेखांकित की गई थी। तदनुसार भारत सरकार ने मॉडल रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2009 तैयार किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 फरवरी, 2009 को इस मॉडल विधेयक को मंजूरी दी और इस विषय पर विचार जानने के लिए सभी राज्यों को प्रसारित किया गया।
आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को केंद्रीय कानून बनाने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं और उनके संगठनों से निरंतर अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं जो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो। इसलिए रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के योगदान को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिए तथा सभी राज्यों में रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए कानूनी ढांचे में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रय के लिए केंद्रीय कानून बनाने की आवश्कता समझी गई।
रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के लिए राष्ट्रीय नीति और कानून बनाने की जरूरत पर 4 से 5 मार्च, 2011 को पटना में क्षेत्रीय विचार-विमर्श का अयोजन किया गया। इसी सिलसिले में 24 सितंबर, 2011 को मुंबई में और 18 नवंबर, 2011 को दिल्ली में विचार-विमर्श किया गया। इनमें राज्य सरकारों, शहरी स्थानीय निकायों, स्वयं सेवी संगठनों, सिविल सोसायटी, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों, विशेषज्ञों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की एसोसिएशन के सदस्य शामिल हुए।
23 दिसंबर, 2011 को दिल्ली में राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया ताकि विभिन्न हितधारकों और रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के संगठनों के प्रतिनिधियों के विचार और दृष्टिकोण एवं सुझावों की जानकारी हो सके।
तदनुसार नया कानून बनाने के लिए रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2012 तैयार किया गया। यह विधेयक देश में आजीविका अधिकारों की सुरक्षा, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं की सामाजिक सुरक्षा, शहरी रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं के नियमन और उनसे संबंधित मामलों के बारे में सुरक्षा उपलब्ध कराता है।
विधेयक का मसौदा 29.02.2012 को टिप्पणियों के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रसारित किया गया। 28 अप्रैल, 2012 को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के आवास/ग्रामीण विकास मंत्रालयों के राष्ट्रीय सम्मेलन में भी इस पर विचार-विमर्श किया गया और इसे व्यापक समर्थन मिला।
रेहड़ी-पटरी विक्रेता (आजीविका का संरक्षण तथा रेहड़ी-पटरी विक्रय का नियमन) विधेयक, 2012 को 17 अगस्त, 2012 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी तथा 6 सितंबर, 2012 को इसे लोकसभा में पेश किया गया।
यह विधेयक 10 सितंबर, 2012 को ग्रामीण विकास संबंधी स्थायी समिति को भेज दिया गया। समिति ने यह विधेयक अपनी 23वीं रिपोर्ट के साथ लोक सभा को भेज दिया। 13 मार्च, 2013 को इसे राज्य सभा में पटल पर रखा गया।
स्थायी समिति ने इस विधेयक में 26 सिफारिशें की। मंत्रालय ने उन सिफारिशों पर विचार किया और 17 सिफारिशें पूरी तरह स्वीकार कर ली, 3 सिफारिशें आंशिक रूप से या संशोधन के साथ स्वीकार की गईं तथा 6 सिफारिशें स्वीकार नहीं करने का प्रस्ताव है। (PIB)
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वि. कासोटिया/गांधी/दयाशंकर - 6050
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