Sun, Aug 11, 2013 at 7:14 PM
सैंकड़ों मज़दूरों ने लिया श्रम कानून लागू करवाने के लिए संघर्ष का प्रण
लुधियाना। 11 अगस्त 2013 (विश्वनाथ*) आज टेक्सटाइल-हौकारी कामगार यूनियन के आह्वान पर मकादूरों ने चण्डीगड़ रोड पर स्थित पुडा(गलाडा) मैदान में मकादूर पंचायत की। इस में शहर के सैकड़ों मकादूरों ने भाग लेकर अपने माँग-मसलों पर चर्चा की। मकादूर नेताओं ने शहर में कारखानों के अन्दर मकादूरों के हो रहे शोषण के बारे में बोलते हुए कहा कि श्रम कानूनों के अतर्गत सुविधाएँ देना तो दुर की बात मालिक तो वर्षों से काम कर रही बड़ी मकादूर आबादी को कारखाने के अन्दर काम करने का एक पक्का प्रमाण तक नहीं देते हैं। अगर मकादूर श्रम विभाग के पास शिकायत लेकर जाते हैं तो उस पर कोई कारवाही नहीं होती। मालिकों ओर श्रम विभाग के इस रुख के प्रति मकादूरों में भारी आक्रोश है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष महँगाई बेहद बढ़ चुकी है। जिसके चलते मकादूरों के लिए परिवार का पेट भरना भी कठिन हो गया है, और मकादूर 12-12, 14-14 घंटे बिना किसी साप्ताहिक छुट्टी के काम करने को मकाबूर हैं। दूसरी तरफ कारखाना मालिकों के ऐशो-आराम में कमी नहीं हुई। उनकी फैक्ट्रियों, गाडिय़ों और बंगलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। लेकिन फिर भी कारखाना मालिक मकादूरों के वेतन व पीस रेट बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए ही मकादूरों को मकाबूर होकर संघर्ष का मार्ग अपनाना पड़ा है।
टेक्सटाइल-हौकारी कमागार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से शहर में टेक्सटाइल-हौकारी मकादूरों ने अपना संगठन बना कर संघर्ष का मार्ग चुना है। संगठन के दम पर पिछले तीन वर्षों से कुछ कारखानों में मकादूरों ने कुछ अधिकार भी हासिल किए हैं। लेकिन जो भी हासिल किया है वह कुछ कारखानों में ही लागु हुआ है और बहुत सीमित है। श्रम कानून लागू करवाने के लिए शहर के मकादूरों का एक मकाबूत संगठन बनाना आज समय की माँग है। संगठन का जनवादी ढाँचा और फैसलों-फण्डों के सम्बन्ध में पारदर्शिता अपना कर ही संगठन को ठीक ढंग से चलाया जा सकता है। इसलिए ही संगठन ने सामूहिक फैसले लेने के लिए मकादूर पंचायत बुलाने की परम्परा शुरू की है।
मकादूर पंचायत में यूनियन कमेटी की तरफ से घनश्याम, गोपाल, हीरामन, विश्वनाथ आदि के इलावा अलग-अलग कारखानों से आए मकादूरों ने अपने काम के हलातों के बारे में चर्चा की और साथ ही यूनियन समिति की तरफ से प्रस्तावित गई माँगों को ठीक कहा और इन माँगों को हासिल करने के लिए जी-जान लगा देने का भी प्रण लिया। वक्ताओं ने कहा कि अगर आज हक-अधिकारों के लिए हम आवाज नहीं उठाते तो आने वाली नस्लों को 18-18 घंटे काम करने के लिए मकाबूर किया जाएगा।
मकादूर पंचायत में इन माँगों पर चर्चा की गई - बढ़ी महँगाई के हिसाब से इस वक्त लागू पीस रेटों और वेतन पर 30 प्रतीशत की वृद्धि की जाए, 10 या 10 से ज्यादा मकादूरों वाले कारखानों में सभी मकादूरों का ई.एस.आई. कार्ड बनाया जाए, सभी मकादूरों को 8.33 प्रतीशत की दर से सालाना बोनस दिया जाए, 20 या 20 से ज्यादा मकादूरों वाले कारखानों में सभी मकादूरों का ई.पी.एफ. चालू किया जाए, वेतन सहित सालाना छुट्टियाँ दी जाएँ और 1 मई की अन्तरराष्ट्रीय छुट्टी लागू की जाए, सभी मकादूरों के फैक्ट्री पहचान-पत्र बनाए जाएँ, रात को काम चलते समय कारखानों को ताला लगाया जाना बन्द किया जाए इसकी जगह पर चौंकीदार का प्रबन्ध किया जाए, कारखानों में साफ पीने का पानी, साफ टायल्ट-बाथरूम और आराम करने के लिए कमरे का प्रबन्ध किया जाए, वेतन और एडवांस 7 व 22 तारीख को दिया जाए और दिन के समय दिया जाए तांकि रात को होने वाली छीना-झपटी से बचाव हो सके, औरत मकादूरों को पुरूष मकादूरों के बराबर काम का बराबर वेतन दिया जाए, बच्चों समेत काम पर आने वाली स्त्री मकादूरों के बच्चों की देखभाल के लिए फैक्ट्रियों में शिशु-घर और प्रशिक्षित आया का प्रबन्ध किया जाए, शहर के बाहर स्थित कारखानों में मकादूरों को काम पर लेकर जाने और छोडऩे के लिए मालिक बसों आदि का प्रबन्ध करें, कारखानों में मकादूरों की सुरक्षा का पूर्ण प्रबन्ध किया जाए और हादसा होने की सूरत में उचित मुआवजे की गारण्टी की जाए, मकादूरों को संगठन बनाने का संविधानिक अधिकार दिया जाए, मकादूर अगुवाओं को गैरकानूनी तौर पर काम से निकाला जाना बन्द किया जाए और इन माँगोंसमेत सभी श्रम कानून लागू किए जाएँ। इन माँगों पर चर्चा के दौरान आए सुझावों पर विचार करके युनियन कमेटी एक माँग-पत्रक तैयार करके कारखाना मालिकों और श्रम विभाग को सौंपेगी। एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर अगर मालिकों ने माँगे नहीं मानी तो यूनियन संघर्ष का मार्ग अपनाएगी।
मंच संचालन साथी ताज मोहम्मद ने किया। मकादूरों ने काोर-शोर से नाहरे लगाकर पंचायत का समाप्ण किया और एक हफते बाद फिर से एकत्र होने की सहमती बनी जिस में संघर्ष की कार्य-योजना तय की जाएगी।
*विश्वनाथ टेक्सटाइल-हौजरी कामगार युनियन, पंजाब के महासचिव हैं।
उनसे सम्पर्क का नम्बर है: फोन नं:-9888655663
सैंकड़ों मज़दूरों ने लिया श्रम कानून लागू करवाने के लिए संघर्ष का प्रण
लुधियाना। 11 अगस्त 2013 (विश्वनाथ*) आज टेक्सटाइल-हौकारी कामगार यूनियन के आह्वान पर मकादूरों ने चण्डीगड़ रोड पर स्थित पुडा(गलाडा) मैदान में मकादूर पंचायत की। इस में शहर के सैकड़ों मकादूरों ने भाग लेकर अपने माँग-मसलों पर चर्चा की। मकादूर नेताओं ने शहर में कारखानों के अन्दर मकादूरों के हो रहे शोषण के बारे में बोलते हुए कहा कि श्रम कानूनों के अतर्गत सुविधाएँ देना तो दुर की बात मालिक तो वर्षों से काम कर रही बड़ी मकादूर आबादी को कारखाने के अन्दर काम करने का एक पक्का प्रमाण तक नहीं देते हैं। अगर मकादूर श्रम विभाग के पास शिकायत लेकर जाते हैं तो उस पर कोई कारवाही नहीं होती। मालिकों ओर श्रम विभाग के इस रुख के प्रति मकादूरों में भारी आक्रोश है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष महँगाई बेहद बढ़ चुकी है। जिसके चलते मकादूरों के लिए परिवार का पेट भरना भी कठिन हो गया है, और मकादूर 12-12, 14-14 घंटे बिना किसी साप्ताहिक छुट्टी के काम करने को मकाबूर हैं। दूसरी तरफ कारखाना मालिकों के ऐशो-आराम में कमी नहीं हुई। उनकी फैक्ट्रियों, गाडिय़ों और बंगलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। लेकिन फिर भी कारखाना मालिक मकादूरों के वेतन व पीस रेट बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए ही मकादूरों को मकाबूर होकर संघर्ष का मार्ग अपनाना पड़ा है।
टेक्सटाइल-हौकारी कमागार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से शहर में टेक्सटाइल-हौकारी मकादूरों ने अपना संगठन बना कर संघर्ष का मार्ग चुना है। संगठन के दम पर पिछले तीन वर्षों से कुछ कारखानों में मकादूरों ने कुछ अधिकार भी हासिल किए हैं। लेकिन जो भी हासिल किया है वह कुछ कारखानों में ही लागु हुआ है और बहुत सीमित है। श्रम कानून लागू करवाने के लिए शहर के मकादूरों का एक मकाबूत संगठन बनाना आज समय की माँग है। संगठन का जनवादी ढाँचा और फैसलों-फण्डों के सम्बन्ध में पारदर्शिता अपना कर ही संगठन को ठीक ढंग से चलाया जा सकता है। इसलिए ही संगठन ने सामूहिक फैसले लेने के लिए मकादूर पंचायत बुलाने की परम्परा शुरू की है।
मकादूर पंचायत में यूनियन कमेटी की तरफ से घनश्याम, गोपाल, हीरामन, विश्वनाथ आदि के इलावा अलग-अलग कारखानों से आए मकादूरों ने अपने काम के हलातों के बारे में चर्चा की और साथ ही यूनियन समिति की तरफ से प्रस्तावित गई माँगों को ठीक कहा और इन माँगों को हासिल करने के लिए जी-जान लगा देने का भी प्रण लिया। वक्ताओं ने कहा कि अगर आज हक-अधिकारों के लिए हम आवाज नहीं उठाते तो आने वाली नस्लों को 18-18 घंटे काम करने के लिए मकाबूर किया जाएगा।
मकादूर पंचायत में इन माँगों पर चर्चा की गई - बढ़ी महँगाई के हिसाब से इस वक्त लागू पीस रेटों और वेतन पर 30 प्रतीशत की वृद्धि की जाए, 10 या 10 से ज्यादा मकादूरों वाले कारखानों में सभी मकादूरों का ई.एस.आई. कार्ड बनाया जाए, सभी मकादूरों को 8.33 प्रतीशत की दर से सालाना बोनस दिया जाए, 20 या 20 से ज्यादा मकादूरों वाले कारखानों में सभी मकादूरों का ई.पी.एफ. चालू किया जाए, वेतन सहित सालाना छुट्टियाँ दी जाएँ और 1 मई की अन्तरराष्ट्रीय छुट्टी लागू की जाए, सभी मकादूरों के फैक्ट्री पहचान-पत्र बनाए जाएँ, रात को काम चलते समय कारखानों को ताला लगाया जाना बन्द किया जाए इसकी जगह पर चौंकीदार का प्रबन्ध किया जाए, कारखानों में साफ पीने का पानी, साफ टायल्ट-बाथरूम और आराम करने के लिए कमरे का प्रबन्ध किया जाए, वेतन और एडवांस 7 व 22 तारीख को दिया जाए और दिन के समय दिया जाए तांकि रात को होने वाली छीना-झपटी से बचाव हो सके, औरत मकादूरों को पुरूष मकादूरों के बराबर काम का बराबर वेतन दिया जाए, बच्चों समेत काम पर आने वाली स्त्री मकादूरों के बच्चों की देखभाल के लिए फैक्ट्रियों में शिशु-घर और प्रशिक्षित आया का प्रबन्ध किया जाए, शहर के बाहर स्थित कारखानों में मकादूरों को काम पर लेकर जाने और छोडऩे के लिए मालिक बसों आदि का प्रबन्ध करें, कारखानों में मकादूरों की सुरक्षा का पूर्ण प्रबन्ध किया जाए और हादसा होने की सूरत में उचित मुआवजे की गारण्टी की जाए, मकादूरों को संगठन बनाने का संविधानिक अधिकार दिया जाए, मकादूर अगुवाओं को गैरकानूनी तौर पर काम से निकाला जाना बन्द किया जाए और इन माँगोंसमेत सभी श्रम कानून लागू किए जाएँ। इन माँगों पर चर्चा के दौरान आए सुझावों पर विचार करके युनियन कमेटी एक माँग-पत्रक तैयार करके कारखाना मालिकों और श्रम विभाग को सौंपेगी। एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर अगर मालिकों ने माँगे नहीं मानी तो यूनियन संघर्ष का मार्ग अपनाएगी।
मंच संचालन साथी ताज मोहम्मद ने किया। मकादूरों ने काोर-शोर से नाहरे लगाकर पंचायत का समाप्ण किया और एक हफते बाद फिर से एकत्र होने की सहमती बनी जिस में संघर्ष की कार्य-योजना तय की जाएगी।
*विश्वनाथ टेक्सटाइल-हौजरी कामगार युनियन, पंजाब के महासचिव हैं।
उनसे सम्पर्क का नम्बर है: फोन नं:-9888655663
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