20-अगस्त-2013 19:48 IST
दौलत बेग ओल्डी पर की ऐतिहासिक लैंडिग की
एक महत्वपूर्ण क्षमता प्रदर्शन के रूप में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सुपर हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट सी 130जे-30 ने दुनिया की सबसे उंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) पर आज 0654 बजे लैंडिग की। कमांडिंग अधिकारी ग्रुप कैप्टन तेजबीर सिंह और ''वील्ड वाइपर'' के साथियों ने वायु सेना मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपने गृह हवाई अड्डे हिंडन से उडने के बाद 16614 फीट की उंचाई पर स्थित अक्साई चीन की हवाईपट्टी डीबीओ को छुआ।
दौलत बेग ओल्डी चीन की तरफ जाने वाले प्राचीन रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण अग्रिम चौकी क्षेत्र है। सेना का यह ठिकाना 1962 के भारत चीन संघर्ष के समय बनाया गया था। उत्तरी हिमालय क्षेत्र में स्थित इस सेना के रणनीतिक ठिकाने ने अब एक बार फिर से महत्व प्राप्त किया है। इस अड्डे को वायु सेना ने भारतीय सेना के साथ मिलकर फिर से तब सक्रिय किया जब दो इंजन वाला एएन 32 चंडीगढ़ से उडकर 43 वर्षों के अंतराल के बाद यहां उतरा था।
इस श्रेणी के एयरक्राफ्ट द्वारा सबसे अधिक उंचार्इ पर लैंडिंग की यह उपलब्धि उसे विश्व कीर्तिमान की योग्यता प्रदान करती है। आज की उपलब्धि सैनिक बलों को विकसित क्षमताओं की विरासत के दोहन के योग्य बनायेगी और एक बड़े नैतिक बल प्रोत्साहन का भी काम करेगी। यह इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि भारतीय वायु सेना भारतीय सेना के समर्थन के लिए ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में आपरेशन चलाने में भी सक्षम है। (PIB)
वि.कसोटिया/इ.अहमद /महेश राठी-5714
दौलत बेग ओल्डी पर की ऐतिहासिक लैंडिग की
एक महत्वपूर्ण क्षमता प्रदर्शन के रूप में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सुपर हरक्यूलिस एयरक्राफ्ट सी 130जे-30 ने दुनिया की सबसे उंची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) पर आज 0654 बजे लैंडिग की। कमांडिंग अधिकारी ग्रुप कैप्टन तेजबीर सिंह और ''वील्ड वाइपर'' के साथियों ने वायु सेना मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपने गृह हवाई अड्डे हिंडन से उडने के बाद 16614 फीट की उंचाई पर स्थित अक्साई चीन की हवाईपट्टी डीबीओ को छुआ।
दौलत बेग ओल्डी चीन की तरफ जाने वाले प्राचीन रेशम मार्ग पर एक महत्वपूर्ण अग्रिम चौकी क्षेत्र है। सेना का यह ठिकाना 1962 के भारत चीन संघर्ष के समय बनाया गया था। उत्तरी हिमालय क्षेत्र में स्थित इस सेना के रणनीतिक ठिकाने ने अब एक बार फिर से महत्व प्राप्त किया है। इस अड्डे को वायु सेना ने भारतीय सेना के साथ मिलकर फिर से तब सक्रिय किया जब दो इंजन वाला एएन 32 चंडीगढ़ से उडकर 43 वर्षों के अंतराल के बाद यहां उतरा था।
इस श्रेणी के एयरक्राफ्ट द्वारा सबसे अधिक उंचार्इ पर लैंडिंग की यह उपलब्धि उसे विश्व कीर्तिमान की योग्यता प्रदान करती है। आज की उपलब्धि सैनिक बलों को विकसित क्षमताओं की विरासत के दोहन के योग्य बनायेगी और एक बड़े नैतिक बल प्रोत्साहन का भी काम करेगी। यह इस तथ्य को भी रेखांकित करता है कि भारतीय वायु सेना भारतीय सेना के समर्थन के लिए ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में आपरेशन चलाने में भी सक्षम है। (PIB)
वि.कसोटिया/इ.अहमद /महेश राठी-5714
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