1961 में बोली जाती थीं भारत में 1100 भाषाएँ
मामला बेहद गंभीर है और इसकी खबर दी है रेडियो रूस ने जिसका शीर्षक है-आधी सदी में भारत की 200 से अधिक भाषाएँ विलुप्त। रेडिओ ने पूरी ज़िम्मेदारी से तथ्यों का हवाला देते हुए बताया है कि भारत के एक शोध संस्थान 'भाषा' जिसे 'भाषा शोध एवं प्रकाशन केन्द्र' भी कहा जाता है, के द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आधी सदी में भारत ने अपनी 200 से अधिक स्वदेशी भाषाएँ खो दी हैं।
इस क्षेत्र के एक शोधकर्ता गणेश देवी के अनुसार, सन् 1961 में भारत में 1100 भाषाएँ बोली जाती थीं लेकिन अब उनमें से 220 भाषाएँ लुप्त हो चुकी हैं। ये भाषाएँ सपेरों, ज्योतिषियों, स्वदेशी चिकित्सकों द्वारा बोली जाती थीं। भारत की 3-4 प्रतिशत जनसंख्या, यानी लगभग पाँच करोड़ लोग ऐसी भाषाएँ बोल सकते थे।
भारत में दो भाषाओं, हिन्दी और अंग्रेज़ी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है जबकि 22 अन्य भाषाओं का देश के राज्यों में सरकारी भाषा के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
आधी सदी में भारत की 200 से अधिक भाषाएँ विलुप्त
आधी सदी में भारत ने खो दी अपनी 200 से अधिक स्वदेशी भाषाएँ
Photo: EPA |
इस क्षेत्र के एक शोधकर्ता गणेश देवी के अनुसार, सन् 1961 में भारत में 1100 भाषाएँ बोली जाती थीं लेकिन अब उनमें से 220 भाषाएँ लुप्त हो चुकी हैं। ये भाषाएँ सपेरों, ज्योतिषियों, स्वदेशी चिकित्सकों द्वारा बोली जाती थीं। भारत की 3-4 प्रतिशत जनसंख्या, यानी लगभग पाँच करोड़ लोग ऐसी भाषाएँ बोल सकते थे।
भारत में दो भाषाओं, हिन्दी और अंग्रेज़ी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है जबकि 22 अन्य भाषाओं का देश के राज्यों में सरकारी भाषा के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
आधी सदी में भारत की 200 से अधिक भाषाएँ विलुप्त
आधी सदी में भारत ने खो दी अपनी 200 से अधिक स्वदेशी भाषाएँ
No comments:
Post a Comment