तम्बाकू नोशी के खिलाफ सरकार के साथ समाज भी आगे आये
जालंधर: 25 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन): नियम कानून बन जाने के बावजूद बहुत से लोग अभी भी स्वास्थ्य की दुश्मन सिगरेट बीड़ी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। बहुत बार तम्बाकू विरोधियों और तम्बाकू समर्थकों के दरम्यान मारपीट भी हुई और खूनखराबा भी लेकिन इस लत में सुधार आता नजर नहीं आता। गौरतलब है कि जालंधर का रेलवे स्टेशन वही रेलवे स्टेशन है जहाँ 1980 के दशक में दो नम्बर प्लेटफार्म पर एक दिन बाद दोपहर के वक्त एक निहंग ने सिगरेट पीकर धुयाँ मूंह पर फेंकने वाले किसी युवक की कुर्पान से हत्या भी कर दी थी। अगर वहां सुरक्षा जवान तैनात होते हो और बात को बिगड़ने से पूर्व हो रोक लेते पर ऐसा नहीं हो सका। इस वारदात के बाद भी इस तरह के झगड़ों की कई वारदातें अलग अलग स्थानों पर हुईं जिनके मूल में सिगरेटनोशी और सिगरेट पीकर धुयाँ दूसरों के मूंह पर फेंकने के मामले ही ज्यादा थे। बात भावनायों और धर्म से जुडी थी इसलिए बिगडती चली गई।
सेहत और जिंदगी को तबाह कर देने वाली तम्बाकू नोशी की हकीकत पहचान कर इसे छोड़ने की बजाये कुछ शरारती तत्वों ने इसे हिन्दू सिख समस्या बना दिया हालांकि बहुत से हिन्दू भी हैं जो सिगरेट बीड़ी को छूते तक नहीं और बहुत से सिख घरों के लड़के भी हैं जो इसे छुप-छुपा कर पीने से गुरेज़ नहीं करते। अब तम्बाकू के साथ या तम्बाकू की बजाये चरस/गांजे से भरी सिगरेटें इस बुरी आदत का विकराल रूप बन कर सामने आई हैं। एक एक सिगरते 25 से 50 रुपयों तक बिकती है। जरा अनुमान लगायें कि इतनी महंगी सिगरेट पीना और फिर इसे पीकर यहाँ वहां बेहोशों की तरह लेटे रहना-क्या यही है ज़िन्दगी? जो पीता होगा उसके तन में क्या बचता होगा और उसकी जेब भी क्या बचता होगा?
ऐसे बहुत से कारण थे और बहुत बार मांग भी उठ चुकी थी और आखिर इस आदत को दूर करने कराने के लिए सरकार को कानून बनाना पड़ा। गौरतलब है कि दुनिया के कई अन्य देशों में इस तरह का कानून पहले से ही मौजूद है। धीमी गति ही सही लेकिन इस कानून की पालना के प्रयास अक्सर होते रहते हैं। अगर इस तरह के मामलों पर नियमित नजर रखी जाये तो सफलता जल्द मिल सकती है पर एक्शन लिया जाता है कभी-कभार छापा मारने की तरह।
इसी तरह की एक कारवाई की खबर आई है जालंधर से जहाँ सिटी स्टेशन पर 25 अगस्त रविवार के दिन आरपीएफ ने 13 लोगों को बीड़ी सिगरेट पीते हुए काबू कर लिया। थोड़ी सी हील हुज्जत और जुर्माना वसूलने के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। आरपीएफ के इंचार्ज एके शर्मा ने मीडिया को बताया कि रविवार को स्टेशन परिसर में चेकिंग की गई तो विभिन्न जगहों पर लोग बीड़ी सिगरेट पीते पाए गए। उनके अनुसार बाद में इन सभी लोगों से 100-100 रुपये जुर्माना वसूलने के बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। कितना अच्छा हो अगर इसे छुड़ाने के लिए कोई कारगर सज़ा का प्रावधान रखा जाये और इन लोगों को कुछ मिनटों की एक छोटी सी क्लास में बैठा कर तम्बाकू नोशी से होने वाली
बरबादियों पर एक फिल्म दिखाई जाये। इनके दिल और दिमाग को पूरी तरह से तम्बाकू नोशी के खिलाफ तैयार करके इन्हें ठीक रास्ते पर लाया जाए…क्या ख्याल है आपका ? आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी। -रेक्टर कथूरिया
जालंधर: 25 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन): नियम कानून बन जाने के बावजूद बहुत से लोग अभी भी स्वास्थ्य की दुश्मन सिगरेट बीड़ी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। बहुत बार तम्बाकू विरोधियों और तम्बाकू समर्थकों के दरम्यान मारपीट भी हुई और खूनखराबा भी लेकिन इस लत में सुधार आता नजर नहीं आता। गौरतलब है कि जालंधर का रेलवे स्टेशन वही रेलवे स्टेशन है जहाँ 1980 के दशक में दो नम्बर प्लेटफार्म पर एक दिन बाद दोपहर के वक्त एक निहंग ने सिगरेट पीकर धुयाँ मूंह पर फेंकने वाले किसी युवक की कुर्पान से हत्या भी कर दी थी। अगर वहां सुरक्षा जवान तैनात होते हो और बात को बिगड़ने से पूर्व हो रोक लेते पर ऐसा नहीं हो सका। इस वारदात के बाद भी इस तरह के झगड़ों की कई वारदातें अलग अलग स्थानों पर हुईं जिनके मूल में सिगरेटनोशी और सिगरेट पीकर धुयाँ दूसरों के मूंह पर फेंकने के मामले ही ज्यादा थे। बात भावनायों और धर्म से जुडी थी इसलिए बिगडती चली गई।
File: Courtesy Photo |
ऐसे बहुत से कारण थे और बहुत बार मांग भी उठ चुकी थी और आखिर इस आदत को दूर करने कराने के लिए सरकार को कानून बनाना पड़ा। गौरतलब है कि दुनिया के कई अन्य देशों में इस तरह का कानून पहले से ही मौजूद है। धीमी गति ही सही लेकिन इस कानून की पालना के प्रयास अक्सर होते रहते हैं। अगर इस तरह के मामलों पर नियमित नजर रखी जाये तो सफलता जल्द मिल सकती है पर एक्शन लिया जाता है कभी-कभार छापा मारने की तरह।
इसी तरह की एक कारवाई की खबर आई है जालंधर से जहाँ सिटी स्टेशन पर 25 अगस्त रविवार के दिन आरपीएफ ने 13 लोगों को बीड़ी सिगरेट पीते हुए काबू कर लिया। थोड़ी सी हील हुज्जत और जुर्माना वसूलने के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। आरपीएफ के इंचार्ज एके शर्मा ने मीडिया को बताया कि रविवार को स्टेशन परिसर में चेकिंग की गई तो विभिन्न जगहों पर लोग बीड़ी सिगरेट पीते पाए गए। उनके अनुसार बाद में इन सभी लोगों से 100-100 रुपये जुर्माना वसूलने के बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। कितना अच्छा हो अगर इसे छुड़ाने के लिए कोई कारगर सज़ा का प्रावधान रखा जाये और इन लोगों को कुछ मिनटों की एक छोटी सी क्लास में बैठा कर तम्बाकू नोशी से होने वाली
बरबादियों पर एक फिल्म दिखाई जाये। इनके दिल और दिमाग को पूरी तरह से तम्बाकू नोशी के खिलाफ तैयार करके इन्हें ठीक रास्ते पर लाया जाए…क्या ख्याल है आपका ? आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी। -रेक्टर कथूरिया
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