शिमला, 8 मई। पहाड़ी इलाकों में जहाँ एक एक कदम फूंक फूंक कर रखना पड़ता है वहां एक और हादसे के कारण शोक का माहौल व्याप्त हो गया है। कुल्लू के निकट झिड़ी में बुधवार को एक निजी बस के ब्यास नदी में गिर जाने के कारण लगभग 40 लोगों के मारे जाने की आशंका है। डूबने वालों में से 33 के शव बरामद कर लिये गये हैं खोज का काम अभी जारी है। इस बार भी मारे गए लोगों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों की संख्या भी काफी है। अशोका ट्रैवल्स की यह बस (एचपी 66-1538) कुल्लू से आनी जा रही थी। हालांकि दुर्घटना के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। इस तरह के हादसों में अक्सर होने वाली लापरवाहियों की ओर एक बार फिर स्पष्ट संकेत मिला है इस हादसे से। आरम्भिक पूछताछ के दौरान पता चला है कि दुर्घटना के समय बस को चालक की जगह कोई और चला रहा था। गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों में अच्छे अच्छे जानकार अभ्यस्त ड्राईवर भी बेहद ध्यान से गाड़ी चलते हैं। लेकिन जब इस सीट पर स्टेयरिंग का नियन्त्रण किसी अन्जान, प्रशिक्षु या कम अभ्यस्त के हाथों में हो तो ऐसी दुर्घटना को कौन रोक सकता है?
चालीस लोगों से जुड़े परिवारों में शोक व्याप्त करने वाले इस हादसे के सम्बन्ध में प्राप्त आरम्भिक जानकारी के अनुसार सवारियों से खचाखच भरी यह बस कुल्लू बस अड्डे से दोपहर सवा दो बजे के करीब रवाना हुई थी। इस में सवार लोग नहीं जानते थे कि वे मौत की आगोश में जा रहे हैं। करीब 18-20 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिस स्थान पर यह बस गिरी है वहां नदी में पानी काफी गहरा था। बस नदी में गिरते ही उल्टी हो गई। उल्टी पड़ी इस बस में फंसे लोगों को बाहर निकालने में भारी दिक्कत आई। केवल पांच-छह लोग ही किसी तरह से बस से बाहर निकल पाए। ज्यादातर लोगों की मौत पानी के भीतर दम घुटने की वजह से हुई। कुछ शव पानी के बहाव में बह गए वहीं अधिकतर शव आखिर तक बस के भीतर ही फंसे रहे। पानी में बहे शवों का पता लगाने के लिए प्रशासन ने ब्यास नदी में पंडोह बांध तक अलर्ट घोषित कर दिया है। शवों को खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं। पता चला है कि बस में क्षमता से अधिक यात्री सवार थे। इस तरह ओवरलोड हुई बस सीधे उफनती ब्यास नदी में जा गिरी। जिस कारण कुछ लोगों को वहां पर मौजूद राफ्टिंग कंपनी के राफ्टरों ने बचा लिया। बचाव कार्य करीब दो घंटा देरी से शुरू हुआ। गौरतलब है कि आनी में जिला स्तरीय मेले का आयोजन चल रहा है जिसके चलते आनी की ओर जाने वाले लोगों की संख्या अधिक थी। बताया जाता है कि बस में 50 से लेकर 60 लोग सवार थे। दुर्घटना में घायल धीरज नामक एक युवक ने मीडिया को बताया कि इस बार भी दुर्घटना के समय बस काफी तेज गति से चल रही थी। इस तरह के हादसों में तेज़ रफ्तारी अक्सर होती है। दुर्घटना के समय घटना स्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार चालक काफी लापरवाही से बस चला रहा था। हालांकि जिस स्थान पर बस गिरी है वहां सड़क काफी चौड़ी है। यह भी कहा जा रहा है कि बस को चला रहा व्यक्ति शायद नशे में था और दुर्घटना के समय वह मोबाइल पर बात भी कर रहा था। सामने से आ रही एक गाड़ी को देखकर वह अचानक बस पर से नियंत्रण खो बैठा और बस नीचे जा गिरी। दुर्घटना के समय बस के चालक ने पहले ही छलांग मार दी। चालक अभी भी फरार है। पुलिस ने दुर्घटना को लेकर मामला दर्ज कर लिया है। दुर्घटनाग्रस्त स्थल हालांकि मंडी जिले में है लेकिन कुल्लू से नजदीक होने के कारण कुल्लू जिला प्रशासन ने राहत कार्यों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुर्घटना की सूचना मिलते ही कुल्लू के जिला उपायुक्त शरव नेगी बचाव दल के साथ दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। प्रशासन ने बस को निकालने के लिए सबसे पहले क्रेन का इंतजाम किया। दो क्रेन एनएचपीसी से मंगाई गई और एक क्रेन एक निजी ठेकेदार से ली गई। इस दौरान यहां नदी में रिवर राफ्टिंग का व्यवसाय करने वाले युवकों ने बस में फंसे लोगों को निकालने में प्रशासन की भारी मदद की।
गौरतलब है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में दो पत्रकार भी सवार थे। इनमें से बंसी नामक एक पत्रकार जहां लापता है वहीं दिलीप नामक दूसरे पत्रकार को भी चोटें आई हैं। कुल्लू के जिला उपायुक्त शरव नेगी ने संपर्क साधे जाने पर मीडिया को बताया कि सभी घायलों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि तत्काल राहत के तौर पर सरकार की तरफ से घायलों और मृतकों के परिवार वालों को आवश्यक सहायता राशि भी उपलब्ध कराई गई है। अर्थात वह सब जरी है जो अक्सर हादसे के बाद होता है।
इस दर्दनाक हादसे में 16 लोग घायल भी हुए हैं। जिनमें 6 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। सड़क हादसे में घायल लोगों में लैहणू राम पुत्र लाल चंद (23) दोहरानाला, 41वर्षीय ध्यान सिंह पुत्र पोशू निवासी जवाड़, धीरज (25) पुत्र अशरफी लाल बरेली, ज्ञान चंद पुत्र सीता राम गांधीनगर, राहुल पुत्र दिले राम नगवाईं, नाथू राम जमोट खोखण, दलीप कांगड़ा आदि शामिल है। प्रशासन की ओर से घायलों को फौरी राहत के तौर पर पांच हजार व मृतकों के परिजनों को 15 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई है। घायलों को निकलने में आईटीबीपी और होम गार्ड के जवानों ने भी सराहनीय कार्य किया। आस पास के लोग भी सहयोगी रहे. अब देखना है की इस हादसे के बाद भी कुछ ऐसे कदम उठाये जाते हैं या नहीं जो इन हादसों को रोक सकें।
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