लुधियाना:21 अप्रेल 2013: (*लखविन्दर): कारखाना मकादूर यूनियन और टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन की ओर से मई दिवस के महान दिन पर कारखाना मकादूर यूनियन और टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन की ओर से लुधियाना के पुडा मैदान में मई दिवस सम्मेलन किया जाएगा। यह फैसला आज सुरपाल पार्क, फोकल प्वाइण्ट, लुधियाना में दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों की हुई साझी मीटिंग में किया गया। सम्मेलन में मई दिवस आन्दोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। मौजूदा समय में जब मकादूरों-मेहनतकशों की लूट-खसूट तीखी से तीखी होती जा रही है, मई दिवस आन्दोलन की प्रासंगिकता के बारे में और इन हालातों को बदलने की राह के बारे में सम्मेलन में विस्तार से चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में क्रान्तिकारी नाटक व गीत भी पेश किए जाएँगे।
टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर ने कहा कि एक पर्चा बड़े स्तर पर मजदूरों में वितरित किया जाएगा व मीटिंगों-नुक्कड़ सभाओं आदि माध्यमों के जरिए लोगों तक मई दिवस आन्दोलन की शिक्षाओं को पहुँचाया जाएगा और उन्हें मई दिवस सम्मेलन में शामिल होने की अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि मई दिवस की यह इतिहासिक शिक्षा है कि लूटे-खसूटे लोगों को हक तभी हासिल होते हैं जब वे जागृत होकर, एकजुट संघर्ष लड़ते हैं। बिना एकजुट हुए, बिना संघर्ष, बिना कुर्बानियों के कोई हक नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि यह एक विडम्बना है कि 127 वर्ष से दुनिया भर में मई दिवस मनाया जा रहा है लेकिन हमारे देश के अधिकतर मकादूर इस दिन के महत्व के बारे में नहीं जानते। उन्होंने कहा कि जब काम के घण्टे कानूनी तौर पर तय नहीं थे, जब मकादूरों का काम पर जाने का समय तो होता था लेकिन घर लौटने का कोई समय नहीं होता था, जब मकादूर 14-16 घण्टे तक काम करने पर मकाबूर थे, उस समय मकादूरों ने आठ घण्टे दिहाड़ी का कानून बनवाने के लिए संघर्ष की शुरुआत की। भारत में भी 1862 में मकादूरों ने इस माँग को लेकर हड़ताल की थी। लेकिन पहली बार बड़े स्तर पर 1 मई 1886 के दिन अमेरिका में इस माँग को लेकर हड़ताल हुई। शिकागो के मकादूरों को सरकार के बरबर जुल्म का सामना करना पड़ा। लेकिन मकादूर जुल्म के आगे न झुके। यह संघर्ष पूरे संसार में फैला। आगे चलकर सारे संसार की सरकारों को आठ घण्टे दिहाड़ी का कानून बनाना पड़ा। ''कम्युनिस्ट इण्टरनेश्नलÓÓ के ऐलान के बाद सन् 1890 से 1 मई का दिन हर वर्ष अन्तरराष्ट्रीय मकादूर दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।
राजविन्दर ने कहा कि मकादूरों ने जो हक असंख्य कुर्बानियों के जरिए हासिल किए थे वे फिर से दुनिया भर में छीने जा रहे हैं। हमारे देश में 93 प्रतिशत मकादूर वे हैं जिन्हें कार्यस्थल पर कानून अधिकार हासिल नहीं होते। न तो उन्हें 8 घण्टे दिहाड़ी का अधिकार हासिल है और न ही न्यूनतम वेतन, पहचान पत्र, हाजिरी कार्ड, ई.एस.आई. इ.पी.एफ., हादसों व बीमारियों की रोकथाम के प्रबन्ध, हादसे व बीमारियों की सूरत में मुआवजा, साप्ताहिक व अन्य छुट्टियों सहित लगभग सबी कानूनी अधिकार हासिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर ये अधिकार लागू हो जाएँ तो कुछ हद तक मकादूरों को राहत मिल सकती है। लेकिन देश का पूँजीपति वर्ग ये अधिकार भी उन्हें देने के लिए तैयार नहीं। मई दिवस अन्दोलन से प्रेरणा व शिक्षा लेकर देश के मकादूर वर्ग के हक हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर लामबन्द होना होगा। उन्होंने कहा कि ज्यों-ज्यों मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था का देश और विश्व स्तर पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है, त्यों-त्यों जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाया जा रहा है। इसके कारण जनता में रोष भी बढ़ता जा रहा है। इन हालातों से निपटने के लिए जनता को धर्म, जाति, क्षेत्र, राष्ट्र के नाम पर बाँटने और जनता कों आपसे में लड़ाने-मराने की साजिशें तेज होती जा रही हैं। ऐसे समय में मई दिवस की शिक्षाओं को मकादूरों-मेहनतकशों तक लेकर जाने की सख्त जरूरत है।
राजविन्दर ने सभी मकादूरों, मेहनतकशों, इंसाफपसंद नागरिकों को मई दिवस सम्मेलन में पहुँचने की अपील की है।
लखविन्दर कारखाना मकादूर यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष हैं -----Mobile Number है--फोन-9646150249
No comments:
Post a Comment