अत्यधिक
अशांत पलाज्मा
को नियंत्रित
करने वाली
बहुत सी
मेगनेटो - हाइइ्रोडाइनेमिक
प्रक्रियाओं
का अध्ययन और
परीक्षण करने
के लिए सूर्य
का वायुमंडल
आदर्श स्थान
है। सूर्य के कुछ
सबसे महत्वपूर्ण
और सूक्ष्म
गुणों का पता
अत्याधुनिक
दूरदर्शी से
लगाया जा सकता
है। लद्दाख
भारत का शीत
रेगिस्तान
है, जहां इस
उद्देश्य से
दुनिया की
सबसे बड़ी और
अत्याधुनिक
सौर दूरदर्शी
लगाई जाएगी। इसका
नाम नैशनल
लार्जेस्ट
सोलर टेलिस्कोप
(एनएलएसटी)
रखा गया है, जो
भारत-चीन की
सीमा पर वास्तविक
नियंत्रण
रेखा के निकट पोंगओंग
त्सो लेक
मेराक पर स्थापित
की जाएगी। यह
वैश्विक रूप
से बहुत अनोखी
दूरदर्शी
होगी क्योंकि
यह दुनिया की
सबसे बड़ी सौर
दूरदर्शी
होगी। इस समय
दुनिया की
सबसे बड़ी
सोलर दूरदर्शी
मेक मैथ
पीयर्स सोलर
टेलिस्कोप है,
जिसकी लंबाई 1.6
मीटर है। यह
अमरीका में
अरिजोना में
किट पीक पर
राष्ट्रीय
वेधशाला में
स्थापित की
गई है। एनएलएसटी
2020 तक दुनिया की
सबसे बड़ी
दूरदर्शी बनी
रहेगी, क्योंकि
उसके बाद 2020-21
में अमरीका
में सबसे बड़ी
दूरदर्शी स्थापित
की जाएगी।
एनएलएसटी
ग्रेगोरियन
बहुद्देशीय
मुक्त
दूरदर्शी है।
यह स्पैक्ट्रोग्राफ
के इस्तेमाल
से रात के समय
भी अवलोकन
करने में
सक्षम होगी।
यह सूर्य के
पचास
किलोमीटर के
दायरे में
फैले कणों का
अध्ययन कर
सकेगी। इससे
करीब 0.1 आर्कसैक
के आकार के
कणों की
विशेषताओं का
पता लगाया जा
सकेगा। इस
दूरदर्शी में
0.01 प्रतिशत की
सटीकता के साथ
ध्रुवीकरण की
माप लेने के
लिए हाई
रेजोलूशन
पोलेरीमेट्रिक
पैकेज़ लगाया
गया है। एक
साथ पांच
अलग-अलग चौड़ी
अवशोषण पंक्तियों
के अवलोकन के
लिए हाई स्पैक्ट्रल
रेजोलूशन स्पैक्ट्रोग्राम
तथा विभिन्न
पंक्तियों ने संकीर्ण
छवियों को
देखने के लिए
हाई स्पैटियल
रेजोलूशन का
इस्तेमाल
किया गया है।
यह
दूरदर्शी दो
मीटर के
परावर्तक
लेन्स के साथ
फिट की जाएगी,
जिससे
वैज्ञानिक
धरती पर होने
वाली
बुनियादी
प्रक्रियाओं
को समझने के लिए
अत्याधुनिक
शोध कर
सकेंगे। इस
दूरदर्शी का
डिजाइन
अंतर्राष्ट्रीय
कंपनी ने
तैयार किया है
जिसने स्पेन
में टेनारिफ द्वीप
पर स्थित 1.5
मीटर लंबी
दूरदर्शी का
डिजाइन भी
तैयार किया
है। इस
दूरदर्शी के
सभी उपकरण
भारतीय एस्ट्रो
फीजिक्स
संस्थान में
विकसित किये
जाएंगे तथा
बंगलौर में मास्टर
कंट्रोल
फैसिलिटी के
जरिए इसे
रिमोट से
संचालित किया
जा सकेगा। दूरदर्शी
उपग्रह से
जुड़ी होगी
जिसे भारतीय
अंतरिक्ष
अनुसंधान
संगठन उपलब्ध
कराएगा। विशेष
उपकरण के जरिए
रात के समय
खगोलीय घटनाओं
का अवलोकन
किया जाएगा।
यह उपकरण
जर्मनी के हेम्बर्ग
विश्वविद्यालय
के सहयोग से
बनाया जाएगा।
इस
दूरदर्शी के
जरिए
वैज्ञानिक
सूर्य की संरचना
का सूक्ष्म
अध्ययन
करेंगे और
पृथ्वी की
जलवायु तथा
पर्यावरण में
दीर्घावधि बदलावों
का भी अध्ययन
किया जाएगा।
इस दूरदर्शी
से समय - समय पर
सौर आंधी के
कारण संचार
नेटवक और
उपग्रह
संपर्क में
आने वाली बाधाओं
को न्यूनतम
करने या पूरी
तरह दूर करने
के लिए अनुसंधान
में उपयोगी
डाटा उपलब्ध
कराया जा
सकेगा।
दूरदर्शी
से इस
बुनियादी
प्रश्न का
जवाब भी खोजा
जाएगा कि सोलर
मेगनेटिज्म
की प्रकृति
कैसी है। इसका
लक्ष्य फलक्स
ट्यूब्स का
समाधान करना
तथा उनकी
लंबाई मापना
और सूर्य के
चुम्बकीय
क्षेत्र के
विकास से
निपटना है,
जिसके कारण
सूर्य पर तमाम
अनोखी घटनाएं
घटती है जिनमें
सोलर डाइनमो,
सोलर सर्किल
और सौर
विवर्तनीयता शामिल
है, जो अंतरिक्ष
के मौसम को
नियंत्रित और
निर्धारित करती
है।
सूर्य
के ऊपरी
वायुमंडल में
ऊर्जा के
परिसंचरण के
लिए जिम्मेदार
दोलन की
अवधियों के
निर्धारण और
छोटी-छोटी
संरचनाओं का
समाधान पाने
के लिए
मेगनेटो हाईड्रो
डाइनेमिक्स तरंग-
·
उच्च स्तर
के अवलोकन के
जरिए अत्यधिक
सूक्ष्म
सरंचनाओं की
गतिशील छवि
·
सोलर
फ्लेयर,
प्रोमिनेन्स
फिलामेंट
इरप्शन्श,
सीएनई इत्यादि
को उकसाने
वाले सक्रीय
क्षेत्रों और
उनकी
भूमिकाओं का
पता लगाना
·
इनफ्रा
रेड तरंग दैर्ध्य
में
अवलोकनों के
जरिए क्रोमो
स्पेयर्स का
थर्मो
डाइनेमिक्स
·
हेनले
प्रभाव के इस्तेमाल
से कमजोर और
गतिशील चुम्बकीय
क्षेत्र का
माप जो उतना
ही महत्वपूर्ण
जितना मजबूत
चुम्बकीय
क्षेत्र का माप।
यह
सारी जानकारी
आकाशीय
विभेदन उपकरणों
की सहायता से
अवलोकन करके
प्राप्त की
जायेगी। इसके
लिए अनुकूली
प्रकाश
विज्ञान, उच्च
छाया संबंधी
(स्पेक्ट्रल)
विश्लेषण,
उच्च लौकिक
विश्लेषण,
चित्ररूपण
(इमेजिंग) और
स्पेक्ट्रम
विज्ञान के
उपकरणों की
मल्टी-वेव
लैंथ क्षमता,
उच्च फोटोन
प्रवाह और
डिटेक्टरों
की सूक्ष्मग्राहिता
तथा
परीवीक्षण के
लिए स्पेक्ट्रम
के इन्फ्रा-रेड
भाग का इस्तेमाल
करके जानकारी
प्राप्त की
जायेगी।
दूरबीन
(टेलीस्कोप)
में नये
डिजाइन का इस्तेमाल
किया जायेगा,
जिसमें
प्रतिबिंबन
कम होगा, ताकि
उच्चस्तरीय
परीवीक्षण हो
सकेगा।
डिजाइन में
उच्चस्तरीय
अनुकूली
प्रकाश
विज्ञान का
समावेश होगा
और इसमें 7
सेंटीमीटर के
साधारण फ्रीड
पैरामीटर का
इस्तेमाल
होगा, जिससे
सीमित
विवर्तन
(डिफ्रेक्शन)
होगा। टेलीस्कोप
के साथ कई
फोकस संबंधी
उपकरण लगे
होंगे, जिनमें
उच्च विश्लेषण
क्षमता का स्पेक्ट्रोग्राफ
और
पोलैरीमीटर
भी होगा।
स्थल
का चुनाव
टेलीस्कोप
स्थापित
करने के लिए
भारतीय खगोल
भौतिकी संस्थान
ने लेह में
हानले का और
उत्तराखंड
में नैनीताल
के पास देवस्थल
का अध्ययन
किया गया,
लेकिन बाद में
लद्दाख में
मेराक स्थान
को चुना गया।
इस स्थान पर
बादलों से
मुक्त साफ
आसमान और कम
जलवाष्प
वाला
वायुमंडल
उपलब्ध है,
जिसके कारण यह
प्रकाश
विज्ञान
संबंधी मिलीमीटर
और मिलीमीटर
से भी कम वेव
लैंथ के
उपकरणों के
लिए विश्व के
बेहतरीन स्थलों
में से एक है।
इस
स्थान को
विभिन्न
वैज्ञानिक और
पर्यावरण
संबंधी
पहलुओं का सावधानी
से अध्ययन
करने के बाद
चुना गया।
दृश्यता की
परख के लिए
सौर फोटोमीटर,
एस-डीआईएमएम
(सोलर डिफ्रेंशियल
इमेज मोशन
मॉनिटर) और
शाबर (शैडो
बैंड
रेडियोमीटर)
तकनीकों का
इस्तेमाल
किया गया।
शाबर उपकरण की
सहायता से निचले
वायुमंडल के
विक्षोभ की
जानकारी
प्राप्त की
जा सकती है।
इसमें बहुत
सारे फोटो
डिटेक्टरों
की सहायता से
सूर्य या
चंद्रमा जैसे
बड़े अतिरिक्त
पिंडों की चमक
का अवलोकन
किया जा सकता
है।
हिमालय
क्षेत्र में
टेलीस्कोप
के इस तरह के
कार्य के लिए
विशेष
वायुमंडलीय
परिस्थितियां
है। वहां पर
अवलोकन के लिए
कई घंटों तक
बहुत अच्छी
दृश्यता
उपलब्ध
होती
है। वायुमंडल
में जलवाष्प
भी कम होता है,
जिसमें चुम्बकीय
क्षेत्र और
सही-सही
वेग-मापन के
लिए इन्फ्रा-रेड
वेव लैंथ के
अवलोकन में
सहायता मिलती
है। झील के
आस-पास बहुत
अच्छी
दृश्यता
उपलब्ध है।
झील के पानी
के कारण
जलवाष्प की
मात्रा भी
बहुत कम होती
है तथा मानसून
का भी इस पर
असर नहीं
होता।
राष्ट्रीय
वृहद् सौर
टेलीस्कोप
की यह
परियोजना एक
बहुत बड़ी
परियोजना है, जिसमें
भारतीय खगोल
भौतिकी
विज्ञान संस्थान,
आर्यभट्ट
परीवीक्षण
विज्ञान संस्थान,
टाटा मौलिक
अनुसंधान
संस्थान तथा
खगोल शास्त्र
और खगोल
भौतिकी के लिए
अंतर-विश्वविद्यालय
केंद्र जैसे
कई संस्थान
शामिल हैं। इस
परियोजना में
250 करोड़ रुपये
से अधिक का
निवेश होगा,
जिसमें से
अधिकतर राशि
उपकरणों की
खरीद पर खर्च
होगी।
(पसूका
विशेष लेख)
*लेखक
एक स्वतंत्र
लेखक हैं।
नोट:- लेख
में व्यक्त
किये गए विचार
लेखक के अपने
हैं और जरूरी
नहीं कि वे
पसूका के
विचारों से
मेल खाते हों। (पत्र सूचना कार्यालय) 02-अगस्त-2012 14:04 IST
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