Saturday, June 02, 2012

स्‍वस्‍थ मॉं और स्‍वस्‍थ शिशु

जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के जरिए नि:शुल्‍क प्रसव
विशेष लेख                                                                                 *एस.बी. शरण **वरुण भारद्वाज   स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) नामक एक अद्वितीय पहल पहली जून, 2011 को शुरू की गई थी। इसने पहली बार सर्वाधिक जोर ‘’पात्रता’’ पर दिया है। इस विचार के पीछे गर्भवती महिला और बीमार नवजात शिशु दोनों के लिए खर्चे को समाप्‍त करना है। यह पहल सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान में प्रसव करने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को एकदम मुफ्त और बिना खर्चे के प्रसव कराने का अधिकार देती है। इसमें सीजेरियन ऑपरेशन भी शामिल है। सार्वजनिक संस्‍थान में प्रसव से सम्‍बन्धित सभी खर्चे पूर्णत: सरकार द्वारा वहन किये जाते हैं और उपयोग सम्बन्‍धी कोई शुल्‍क नहीं लिया जाता। किसी प्रकार की पेचीदगी होने की स्थिति में गर्भवती महिला घर से सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान तक ले जाने की नि:शुल्‍क सुविधा दी जाएगी और प्रसव के 24 घन्‍टे बाद वापस घर भी छोड़ा जाएगा।
जीएसएसके क्‍यों?  
   गर्भावस्‍था के दौरान रक्‍तस्राव, संक्रमण, उच्‍च रक्‍तचाप, असुरक्षित प्रसव जैसी विभिन्‍न जटिलताओं से जच्‍चा-शिशु की मृत्‍यु हो सकती है। हालांकि भारत में जच्‍चा म़ृत्‍यु दर (एमएमआर) और बच्‍चा मृत्‍यु दर (आईएमआर) में कमी लाने में काफी प्रगति की है, लेकिन जिस गति से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी ये संकेतक कम हो रहे हैं, उसमें तेजी लाने की आवश्‍यकता है। सन 2005 में जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) शुरू किये जाने के बाद स्‍वास्‍थ संस्‍थानों में प्रसव की संख्‍या में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई है, तथापि स्‍वास्‍थ संस्‍थानों में प्रसव के लिए राज़ी होने वाली अनेक महिलाएं वहां 48 घंटे तक रूकने के लिए तैयार नहीं होती, इससे माता और नवजात शिशु दोनों के लिए आवश्‍यक सेवाएं उपलब्‍ध कराने में बाधा पहुंचती है। प्रसव के बाद के पहले 48 घन्‍टे नाजुक होते हैं, क्‍योंकि इस अवधि के दौरान कोई भी परेशानी हो सकती है।
  जच्‍चा–बच्‍चा स्‍वास्‍थ्‍य देख-रेख सेवाओं तक पहुंच में ओपीडी, दवाईयों, जांच परीक्षणों आदि पर अधिक ख़र्चे के कारण भी बाधा पहुंचती थी। कुछ मामलों में गंभीर एनीमिया अथवा रक्‍त चढ़ाने की आपात स्थिति जैसी परिस्थितियों से तात्कालिक ख़र्चे बढ़ जाते हैं। और यदि कोई सीजेरियन मामला हो जाता है तो उस स्थिति में खर्चा और बढ़ जाएगा।
  इन सब बातों को देखते हुए जेएसएसके योजना शुरू की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्‍येक और सभी गर्भवती महिलाओं और एक महीने तक के बीमार नवजात शिशु को मुफ्त स्‍वास्‍थ देख-रेख सेवाएं समय पर उपलब्‍ध हो सकें। जेएसएसके के अ‍धीन राज्‍य सरकारें पात्रता आदेश जारी करती हैं, जिसमें सुविधाओं की मुफ्त पात्रता का ब्‍यौरा दिया जाता है। पात्रता में मुफ्त दवाईयों और उपभोक्‍ता वस्‍तुओं, जांच की मुफ्त सेवाओं, आवश्‍यकता अनुसार रक्‍त चढ़ाने की मुफ्त सेवा तथा स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थान में महिला के रूकने की अवधि के दौरान के लिए मुफ्त आ‍हार शामिल हैं। ये सेवाएं प्रसव और अन्‍य खर्चों को समाप्‍त करने के लिए मुफ्त उपलब्‍ध की जाती हैं।
पात्रताएं
गर्भवाती महिलाओं के लिए पात्रताएं   

जेएसएसके योजना के अधीन स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सरकारी संस्‍थानों में सीजेरियन ऑपरेशन सहित प्रसव की सभी सुविधाएं मुफ्त उपलब्‍ध कराई जाती हैं। गर्भवती महिलाओं को आयरन फोलिक एसिड जैसी पूरक दवाइयों सहित सभी औषधियां मुफ्त उपलब्‍ध कराए जाने की व्‍यवस्‍था  हैं।
  इसके अलावा गर्भवती महिलाएं आवश्‍यक और वांछित जांच जैसे रक्‍त, यूरेन जांच और अल्‍ट्रा सोनोग्राफी आदि की भी पात्र हैं। साथ ही स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थानों में उन्‍हें अपने प्रवास के दौरान (सामान्‍य प्रसव के लिए तीन दिन तक और सीजेरियन मामले में 7 दिन तक) मुफ्त आहार उपलब्‍ध कराया जाता है। इतना ही नहीं, आवश्‍यकता पड़ने पर मुफ्त रक्‍त ट्रान्‍सफ्यूजन का भी प्रावधान है।

   गर्भवती महिलाओं को समय पर परिवहन सुविधा उपलब्‍ध कराकर अनेक मामलों में माताओं और नवजात शिशुओं के जीवन की रक्षा की जा सकती है। गर्भवती महिलाएं घर से स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र तक और आवश्‍यकता पड़ने पर उच्‍च स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा तक ले जाने और वापस लाने की भी पात्र हैं।
  इसके अलावा, जेएसएसके योजना के अधीन गर्भवती महिलाओं को ओपीडी फीस और भर्ती शुल्‍क सहित सभी प्रकार के उपभोक्‍ता शुल्‍क से भी छूट है।
बीमार नवजात शिशु की पात्रता
    जन्‍म के बाद 30 दिन तक बीमार नवजात शिशु को मुफ्त इलाज और सभी दवाईयां तथा अन्‍य उपभोग की अन्य वस्‍तुएं मुफ्त उपलब्‍ध कराई जाती हैं। माता की तरह नवजात शिशु को भी जांच की मुफ्त सेवा उपलब्‍ध कराई जाती है और आवश्‍यकता पड़ने पर मुफ्त रक्‍त ट्रांस्‍फ्यूजन का भी प्रावधान है। घर से स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र तक और वापसी की मुफ्त परिवहन सुविधा भी उपलब्‍ध है।
जेएसएसके का कार्यान्‍वयन
    जेएसएसके योजना के कार्यान्‍वयन के लिए पात्रता सम्‍बन्‍धी एक सरकारी आदेश राज्‍य स्‍तर पर जारी किया जाता है और एक राज्‍य नोडल अधिकारी भी मनोनीत किया जाता है। राज्‍य सरकार आवश्‍यक उपाय करती है और यह सुनिश्चित करती है कि लाभार्थी जिन सुविधाओं का पात्र है, वे उसे उपलब्‍ध कराई जाएं।
    सरकारी अस्‍पतालों और स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में जच्‍चे-बच्‍चे की पात्रताएं/अधिकारों के प्रचार को भी बराबर महत्‍व दिया जाता है। सभी सरकारी सुविधा केन्‍द्रों में नोटिस बोर्डों और अन्‍य सूचना पट्टों पर इन्‍हें मोटे अक्षरों में प्रचारित करना होता है, ताकि वे दूर से दिखाई दे सकें। वास्‍तव में, एनआरएचएम के अधीन एक सूचना, शिक्षा संचार स्‍थल होता है, जिसका इस कार्य के लिए प्रयोग किया जाता है।

शिकायत निवारण
 स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा केन्‍द्रों, जिला स्‍तर और राज्‍य स्‍तर पर शिकायत निवारण प्राधिकारियों के नाम, पते, ई-मेल, टेलिफोन, मोबाइल और फैक्‍स नम्‍बर मोटे अक्षरों में दर्शाए जाने चाहिए। कुछ राज्‍यों ने सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में सहायता डेस्‍क और सुझाव/शिकायत बक्‍से भी लगाए हैं। स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सभी केन्‍द्रों पर मुफ्त पात्रता से संबंधित शिकायतों को सुनने के लिए एक सप्‍ताह में किन्‍ही दो कार्य दिवसों पर निश्चित समय (कम से कम एक घन्‍टे) की व्‍यवस्‍था करना भी अनिवार्य है।
    राष्‍ट्रीय स्‍तर पर स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के मातृत्‍व स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने जेएसएसके योजना के लिए मार्ग निर्देश जारी किये हैं। तथापि, योजना का वास्‍तविक कार्यान्‍वयन राज्‍य सरकारों की सक्रिय भूमिका पर निर्भर करता है। योजना की सफलता का निर्धारण राज्‍य सरकार के अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम के कार्यान्‍वयन के आधार पर किया जाता है।

(जेएसएसके का एक वर्ष पूरा होने पर जारी)
*निदेशक (एम एण्‍ड सी) पसूका नई दिल्‍ली
**सहायक निदेशक, पसूका नई दिल्‍ली


01-जून-2012 14:14 IST

No comments: