मानव संसाधन मंत्रालय ने निकाला पत्रिका का विशेष अंक
मानव संसाधनविकास मंत्रालय ने प्रवासी भारतीय दिवस पर अपनी पत्रिका का एक विशेष अंक निकाला है। यह पत्रिका हर तीन महीने पर जारी होती है और बीते साल प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान इसका विशेष अंक निकाला गया है। पत्रिका के इस विशेष अंक में भारत-अमरीकी शिखर सम्मेलन, भारत-ब्रिटेन शिक्षा मंच जैसे कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय घटनाओं को सम्मिलित किया गया है। इस विशेष अंक में खासतौर से प्रवासी भारतीयों के लिए योजनाओं/कार्यक्रमों से संबंधित मानव संसाधन मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई की नई गतिविधियों को भी प्रमुखता दी गई है।
पत्रिका में अपने संदेश में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि वे विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी दृष्टि युवाओं के लिए सही मायने में नवीन सोच का सृजन करने वाला एक शैक्षिक व्यवस्था का निर्माण करना है, ताकि हमारे युवा समीक्षात्मक सोच, विश्लेषणात्मक तर्क वितर्क, समस्या समाधान और संचार की क्षमता विकसित कर सकें। साथ ही हमारा उद्देश्य ऐसे लोगों को तैयार करना है, जो महत्वाकांक्षी हों और आत्मविश्वास से भरे हों। इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए हमारी शिक्षा व्यवस्था में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ सहयोग बनाने के कई अवसर हैं। कौशल विकास, संस्थानों का संजाल, उन्नत अनुसंधान को मदद और नये शैक्षिक संस्थानों के लिए निजी-सरकारी साझेदारी को बढ़ावा देना भी कुछ ऐसे ही कदम हैं। हम उम्मीद करते हैं कि प्रवासी भारतीय समुदाय इस साहासिक कार्य में हमारा साथ देने के लिए आगे आएगा।
मानव संसाधनविकास मंत्रालय ने प्रवासी भारतीय दिवस पर अपनी पत्रिका का एक विशेष अंक निकाला है। यह पत्रिका हर तीन महीने पर जारी होती है और बीते साल प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान इसका विशेष अंक निकाला गया है। पत्रिका के इस विशेष अंक में भारत-अमरीकी शिखर सम्मेलन, भारत-ब्रिटेन शिक्षा मंच जैसे कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय घटनाओं को सम्मिलित किया गया है। इस विशेष अंक में खासतौर से प्रवासी भारतीयों के लिए योजनाओं/कार्यक्रमों से संबंधित मानव संसाधन मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई की नई गतिविधियों को भी प्रमुखता दी गई है।
पत्रिका में अपने संदेश में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि वे विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी दृष्टि युवाओं के लिए सही मायने में नवीन सोच का सृजन करने वाला एक शैक्षिक व्यवस्था का निर्माण करना है, ताकि हमारे युवा समीक्षात्मक सोच, विश्लेषणात्मक तर्क वितर्क, समस्या समाधान और संचार की क्षमता विकसित कर सकें। साथ ही हमारा उद्देश्य ऐसे लोगों को तैयार करना है, जो महत्वाकांक्षी हों और आत्मविश्वास से भरे हों। इस सोच को मूर्त रूप देने के लिए हमारी शिक्षा व्यवस्था में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ सहयोग बनाने के कई अवसर हैं। कौशल विकास, संस्थानों का संजाल, उन्नत अनुसंधान को मदद और नये शैक्षिक संस्थानों के लिए निजी-सरकारी साझेदारी को बढ़ावा देना भी कुछ ऐसे ही कदम हैं। हम उम्मीद करते हैं कि प्रवासी भारतीय समुदाय इस साहासिक कार्य में हमारा साथ देने के लिए आगे आएगा।
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