आजीविका का एक लाभदायक विकल्प विशेष लेखसुमन गजमेर*
पूर्वी सिक्किम स्थित रादांग के एक प्रगतिशील किसान बिष्णु कुमार राय ने वर्ष 2008 से आजीविका के एक विकल्प के रूप में फूलों की खेती को अपनाया है। श्री राय राज्य बागवानी विभाग द्वारा प्रदत एक ग्रीन हाउस और 650 वर्ग फीट भूमि में गुलाबों की खेती करते हैं। फूलों की खेती से उनका प्रथम परिचय उनकी पत्नी ने करवाया, जिन्होंने पुणे में बागवानी प्रशिक्षण केंद्र, तालेगांव दाभाड़े में जनरल ग्रीन हाउस मैनेजमेंट पर राज्य बागवानी विभाग के सहयोग से संचालित एक सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था। बाद में श्री राय ने इस विभाग द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर पुष्पकृषि के संबंध में विशेष जानकारी हासिल की और लाभ कमाना शुरू किया। उन्होंने अपनी मदद से और राज्य बागवानी विभाग की मदद से 80 X 18 फीट के एक ग्रीन हाउस का निर्माण किया है। अभी तक इस वर्ष श्री राय ने एक लाख 60 हजार रूपये मूल्य के गुलाबों की बिक्री की है और उन्हें उम्मीद है कि पांच हजार रोपे गए पौधों से इस वर्ष के अंत तक एक लाख 70 हजार रूपये मूल्य के गुलाबों की बिक्री होगी। ऑफ सीजन (बेमौसमी) के दौरान प्रति स्टीक गुलाब का विक्रय मूल्य तीन रूपये है, जबकि पीक सीजन (मौसमी) में यह मूल्य पांच रूपये है। तीन वर्ष पहले पुष्पकृषि को अपनाने के बाद इस पुष्पकृषक ने बिक्री के माध्यम से प्रथम वर्ष में 96,000 रूपये और दूसरे वर्ष में 1,45,000 रूपये अर्जित किए हैं। वह ड्रिप सिंचाई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी और उर्वरक की बचत होती है, क्योंकि इस पद्धति में पानी पौधों की जड़ों तक धीरे-धीरे पहुंचता है। पानी वाल्वों, पाइपों, ट्यूबों की मदद से जमीन की सतह पर या सीधे जड़ पर धीरे-धीरे छोड़ा जाता है।
गुलाब की खेती में अनुभव प्राप्त करने के बाद, श्री राय ने अप्रैल, 2011 से जरवेरा की खेती भी शुरू की है और इन फूलों की बिक्री से 30,000 रूपये से भी ज्यादा कमाई की है। वह चार रूपये प्रति पीस की दर से प्रत्येक दिन एक सौ फूलों की बिक्री कर रहे हैं। उनका कहना है कि गुलाब की तुलना में जलवेरा की खेती करना आसान है, क्योंकि इसमें बीमारी का खतरा काफी कम है और जरवेरा एक साल के सभी 12 महीनों में खिलता है। उनको इस वर्ष 800 पौधों से 50,000 से 60,000 रूपये की आमदनी होने की उम्मीद है। श्री राय को इस व्यवसाय में अपनी पत्नी का पूर्ण सहयोग मिलता है।
इस ऊर्जावान किसान की भविष्य में अपने क्षेत्र को एक फूलों की खेती वाले क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना है और वह अपनी एक एकड़ जमीन में उपयुक्त फूलों की खेती करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपने आप को सिर्फ फूलों तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि लगभग दो दशकों से वह सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं। वह बंद गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, गाजर, टमाटर और अन्य हरी सब्जियों की खेती करते हैं।
श्री राय को सरमसा में आयोजित बागवानी प्रदर्शनी 2011 के दौरान एक प्रमाण पत्र के साथ 15,000 रूपये के द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने सरमसा में आयोजित खरीफ किसान मेला, 2008 के दौरान सब्जी (टमाटर) श्रेणी में 5,000 रूपये का तृतीय नकद पुरस्कार भी प्राप्त किया था। (पसूका)
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अस्वीकरण : लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार है और इस विशेष लेख में उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार पूर्ण रूप से उनके अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि ये विचार पत्र सूचना कार्यालय के विचारों को दर्शाते हों।
पूर्वी सिक्किम स्थित रादांग के एक प्रगतिशील किसान बिष्णु कुमार राय ने वर्ष 2008 से आजीविका के एक विकल्प के रूप में फूलों की खेती को अपनाया है। श्री राय राज्य बागवानी विभाग द्वारा प्रदत एक ग्रीन हाउस और 650 वर्ग फीट भूमि में गुलाबों की खेती करते हैं। फूलों की खेती से उनका प्रथम परिचय उनकी पत्नी ने करवाया, जिन्होंने पुणे में बागवानी प्रशिक्षण केंद्र, तालेगांव दाभाड़े में जनरल ग्रीन हाउस मैनेजमेंट पर राज्य बागवानी विभाग के सहयोग से संचालित एक सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था। बाद में श्री राय ने इस विभाग द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर पुष्पकृषि के संबंध में विशेष जानकारी हासिल की और लाभ कमाना शुरू किया। उन्होंने अपनी मदद से और राज्य बागवानी विभाग की मदद से 80 X 18 फीट के एक ग्रीन हाउस का निर्माण किया है। अभी तक इस वर्ष श्री राय ने एक लाख 60 हजार रूपये मूल्य के गुलाबों की बिक्री की है और उन्हें उम्मीद है कि पांच हजार रोपे गए पौधों से इस वर्ष के अंत तक एक लाख 70 हजार रूपये मूल्य के गुलाबों की बिक्री होगी। ऑफ सीजन (बेमौसमी) के दौरान प्रति स्टीक गुलाब का विक्रय मूल्य तीन रूपये है, जबकि पीक सीजन (मौसमी) में यह मूल्य पांच रूपये है। तीन वर्ष पहले पुष्पकृषि को अपनाने के बाद इस पुष्पकृषक ने बिक्री के माध्यम से प्रथम वर्ष में 96,000 रूपये और दूसरे वर्ष में 1,45,000 रूपये अर्जित किए हैं। वह ड्रिप सिंचाई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी और उर्वरक की बचत होती है, क्योंकि इस पद्धति में पानी पौधों की जड़ों तक धीरे-धीरे पहुंचता है। पानी वाल्वों, पाइपों, ट्यूबों की मदद से जमीन की सतह पर या सीधे जड़ पर धीरे-धीरे छोड़ा जाता है।
गुलाब की खेती में अनुभव प्राप्त करने के बाद, श्री राय ने अप्रैल, 2011 से जरवेरा की खेती भी शुरू की है और इन फूलों की बिक्री से 30,000 रूपये से भी ज्यादा कमाई की है। वह चार रूपये प्रति पीस की दर से प्रत्येक दिन एक सौ फूलों की बिक्री कर रहे हैं। उनका कहना है कि गुलाब की तुलना में जलवेरा की खेती करना आसान है, क्योंकि इसमें बीमारी का खतरा काफी कम है और जरवेरा एक साल के सभी 12 महीनों में खिलता है। उनको इस वर्ष 800 पौधों से 50,000 से 60,000 रूपये की आमदनी होने की उम्मीद है। श्री राय को इस व्यवसाय में अपनी पत्नी का पूर्ण सहयोग मिलता है।
इस ऊर्जावान किसान की भविष्य में अपने क्षेत्र को एक फूलों की खेती वाले क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना है और वह अपनी एक एकड़ जमीन में उपयुक्त फूलों की खेती करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अपने आप को सिर्फ फूलों तक ही सीमित नहीं रखा है, बल्कि लगभग दो दशकों से वह सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं। वह बंद गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, गाजर, टमाटर और अन्य हरी सब्जियों की खेती करते हैं।
श्री राय को सरमसा में आयोजित बागवानी प्रदर्शनी 2011 के दौरान एक प्रमाण पत्र के साथ 15,000 रूपये के द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने सरमसा में आयोजित खरीफ किसान मेला, 2008 के दौरान सब्जी (टमाटर) श्रेणी में 5,000 रूपये का तृतीय नकद पुरस्कार भी प्राप्त किया था। (पसूका)
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अस्वीकरण : लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार है और इस विशेष लेख में उनके द्वारा व्यक्त किए गए विचार पूर्ण रूप से उनके अपने हैं और यह जरूरी नहीं है कि ये विचार पत्र सूचना कार्यालय के विचारों को दर्शाते हों।
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