फैज की छोटी बेटी मुनीजा हाशमी ने भी भाग लिया
अमृतसर 16 अक्टूबर:गजिंदर सिंह किंग:
एक शायर, एक सोच, वह भी क्रांतिकारी, जिसमें शामिल है आम इंसान की जद्दोजहद, मुल्कों की सरहदें भी उसे नहीं रोक पाईं और दिलों की बीच खड़ी बंदिशों की दीवारें भर भराकर गिर गईं, यह सब हुआ अजीम शायर जनाब फैज अहमद फैज की 100 वी जन्म शताब्दी के मौके पर. अमृतसर के पंजाब नाटशाला में फैज अहमद फैज जन्म शताब्दी कमेटी की तरफ से आयोजित दो दिवसीय समागम के पहले दिन उनकी छोटी बेटी मुनीजा हाशमी ने भाग लिया, आयोजन की पहली कड़ी में नाटशाला के प्रांगण में फैज साहिब के जिंदगी तथा अदबी सफर के चित्रों की दुर्लभ प्रदर्शनी लगाई गई.
फैज अहमद फैज की बेटी मुनीजा हाशमी ने जश्न-ए-फैज कार्यक्रम का शुभारंभ पंजाब नाट्यशाला के आडिटोरियम में किया, हाशमी ने अपने संबोधन की शुरूआत फासले यूं तो चलते में इतने नहीं, कुछ हुकूमतों व सियासतों के फासले ज्यादा हो गए, लाहौर से पहुंची भारत-पाक दोस्ती की वकालत करने वाली हाशमी ने कहा, कि उन्हें दोनों देशों के कई शहरों से फैज अहमद फैज के जन्म शताब्दी कार्यक्रम मनाने के लिए न्यौता आया है.
उन्होंने कहा कि भारत-पाक के लोग एक-दूसरे को अमन व प्यार का पैगाम दें, वह मोहब्बत का पैगाम लेकर आई हैं, उन्होंने कहा कि दोनों देशो को मिल बैठ कर अमन व प्यार बारे सोचना चाहिए, जिससे दोनों देशो में मोहब्बत बढ़ सके, उन्होंने कहा, कि भारत व पाक में उनके अब्बू की सोच पर पहरेदारी बैठाना वक्त की जरूरत है.
फैज के दोस्त प्राण नेवल ने कहा, कि दोनों देशो को आपनी-अपनी विरासत को बचा कर रखना चाहिए और उन्होंने दोनों देशो में अमन व प्यार के बारे कहा, कि सिहासत दान कभी भी एक-दूसरे को अमन व प्यार का पैगाम नही दे सकते अगर दे सकते है तो भारत-पाक के कलाकार एक-दूसरे को अमन व प्यार का पैगाम दे सकते है.
अगर भारत-पाक दोनों देशो सियासतदान अमन व प्यार का पैगाम भारत-पाक के कलाकारों जैसा दे तो वह दिन दूर नही जब आम इंसान की जद्दोजहद, मुल्कों की सरहदें भी उसे नहीं रोक पाए गी.
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