अमृतसर से गजिंदर सिंह किंग की खास रिपोर्ट:
अमृतसर के अंतर राष्ट्रीय अट्टारी सड़क सीमा के रास्ते अपनी पाकिस्तानी धरती पर कदम रख रहे पाकिस्तानी कैदी जिसमे से ज्यादातर पाकिस्तानी मछुआरे हैं, यह लोग पाकिस्तान से मछली पकड़ने के लिए समुन्दर में जाते हैं और गुजरात और इसके आस-पास के इलाकों में लगती पाकिस्तानी समुन्दरी सीमा के रास्ते,समुन्दर के बीचो-बीच होने के कारण समुन्दर के पानी के बहाव के प्रवाह के साथ भारतीय सीमा में चले आते हैं और उसे कास्ट-गार्ड द्वारा पकड लिए जाता हैं और सजा हो जाती है, आज भारत द्वारा रिहा किये गए मछुआरो मे जिन्हें रिहा किया गया, यह लोग छह महीने से लेकर एक साल की सजा काट कर अपने वतन वापिस लौटे रहे हैं, आज रिहा किये गए कैदीयो में से 87 मछुआरे है, जब कि चार लोग अलग-अलग जगह से बोर्डर क्रासिंग के मामले में पकड़े गए थे और आज भारत-पाक की अंतर-राष्ट्रीय सड़क सीमा के रास्ते पाक लौटे रहे है, जिनमे से दो अमृतसर की जेल से, एक सिरसा की जेल से और इसी तरह जिंदगी का एक लम्बा हिस्सा कैदी को आज १७ साल छह महीने के बाद रिहाई मिली. आज वह खुश था.
गौरतलब है कि इस कैदी को संगरूर की जेल से यहाँ लाया गया था, संगरूर की जेल से छोड़े गए कैदी राहील अहमद ने मीडिया से बात करते हुए बताया, कि मै पाकिस्तान में आजाद कश्मीर का रहने वाला हूँ और भारत के कश्मीर में रहने वाले आपने रिश्तेदार से मिलने करीब 13 साल की उम्र में सीमा पार कर भारत आया था और आर्मी द्वारा पकड़ लिया गया और 14 साल की सजा हो गई, उसके बाद भी करीब 17 साल 6 महीने के बाद आज पाकिस्तान वापिस लौट रहा है और आज मेरा नया जन्म हुआ है, उसने कहा, कि भारत में पाकिस्तानी होना ही एक गुनाह है, पाकिस्तान लौटने के वक्त जहाँ उसे अपनों से मिलने की ख़ुशी थी, वहीँ भारत की जेलों में बिताए पलों का दुःख भी था, उससे पूछने पर की आपने भी ज्यादा सजा काटी है और ऐसे ही पाकिस्तान की जेलों में भारतीय भी बंद हैं, उसने जबाब देते हुए बताया, कि हम क्या कह सकते है, सरकार की अनदेखी का शिकार दोनों तरफ के लोग होते हैं और इसके लिए किसे दोष दे, हमे खुद पता नहीं चल रहा
भारत-पाकिस्तान की अंतर-राष्ट्रीय अट्टारी सीमा के रास्ते आज भारत द्वारा चार बोर्डर क्रासिंग करने वाले कैदियों और 87 मछुआरो सहित कुल 91 पाकिस्तानी कैदियों की रिहा कर उनके वतन वापिस भेज दिया गया, यह मछुआरे समुन्दर में मछली पकड़ने के लिए जाते हैं और पानी
के बहाव में फंस कर भ जाते हैं. उन्हें का पता न चल पाने के कारण पाकिस्तान से भारतीय सीमा में चले आते हैं और भारतीय कोस्ट-गार्ड द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है और फिर अदालत द्वारा इन्हें सजा हो जाती है, आज भारत की अलग-अलग जेलों में सजा काट कर पाकिस्तान लौटे इन कैदियों के चेहरों पर अपनों से मिलने की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी. उधर आज पाकिस्तान जा रहे मछुआरो ने मीडिया से बात करते हुए आप-बीती सुनते हुए बताया, कि जब यह समुन्दर में मछली पकड़ने के लिए जाते है, पानी के बहाव का पता न चल पाने के कारण यह मछुआरे भारत-पाक सीमा न मालूम होने के कारण एक-दूसरे की समुंदरी सीमा में घुस जाते है, वहीं से इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और सजा हो जाती है, यह मछुआरे छह महीने से लेकर करीब एक साल की सजा काट कर आज अपने वतन पाकिस्तान लौट रहे है, इन मछुआरो का कहना है, आज वह बहुत खुश है, जो इन्हें रिहा कर दिया गया है और आज इनका नया जन्म हुआ है उन्होंने बताया, कि उनके पीछे घर में कमाने वाला कोई नहीं है और उनके पीछे उनके घर वाले कैसे होंगे यह उन्हें नहीं पता, क्या पता वह सड़क पर भीख मांग कर गुजारा कर रहे है, उन्होंने कहा, कि आपके देश भारत तो रिहा होकर आए मछुआरों को सरकार पैसे और राशन भी देती है, लेकिन पाकिस्तान में सरकार उन्हें कुछ नहीं देती, उन्होंने कहा, कि दोनों सरकारों को उन्हें जल्द रिहा कर देना चाहिए.
1 comment:
अमन के लिए दोनों तरफ से कोशिशें बहुत ही ज़रूरी हैं
घनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द
Post a Comment