Saturday, April 30, 2011

खोने को फ़कत जंजीरें हैं // डाक्टर लोक राज

 डाक्टर लोक राज
अपनी रचना में काव्य संगीत का भी पूरा ध्यान रखने वाले हिंदी और पंजाबी के जाने माने जनवादी शायरडाक्टर लोक राजआजकल इंग्लैण्ड में रहते हैं पर हमेशां जुड़े रहते आम इंसान के साथ. वह आम इंसान अगर दुखी है तो उसके साथ लोक राज जी भी पूरा पूरा दुःख बांटने का प्रयास करते हैं और अगर वह खुश है तो उसकी ख़ुशी को दुगना चुगना कर देते हैं. विचारों में बहुत ही स्पष्ट और स्थिर रहने वाले लोक राज का मानना है की कलम की शक्ति आम इंसान के दुःख दर्द की बात करे, और उसे संघर्ष करने की प्रेरणा भी दे. उनकीतरफ सेमई दिवस पर एक विशेष रचना हम आपसे भी बाँट रहे हैं. इसमें बेबसी की बात भी है और अपनी तकदीर खुद लिखने का एलान भी. आपको यह रचना कैसी लगी अवश्य बताएं. आपके विचारों की इंतजार बनी रहेगी. -रेक्टर कथूरिया . 
मई दिवस // लोक राज

कुछ बे-रंग सी तस्वीरें हैं
कुछ बेबस सी तदबीरें हैं

कुछ सपनें फीके फीके से
कुछ उलझी सी ताबीरें हैं

जात, मजहब और भाषा सी
बाँटें अनगिनत लकीरें हैं 


इक ऐसी छत के नीचे हैं
टूटी जिस की शहतीरें हैं  

फिर भी इक दिन इन हाथों ने
लिखनी खुद की तकदीरें हैं 


सारी दुनिया सर करने को
खोने को फ़कत जंजीरें हैं

No comments: